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होम लोन को प्रभावित करने वाले कारक

अपना छोटा सा ही एक घर हो, यह प्रत्येक व्यक्ति की ख्वाहिश होती है। विशेषज्ञ कहते हैं कि महानगरों में रियल एस्टेट की कीमतों में कुछ कमी आ सकती है। लेकिन इतिहास गवाह है कि रियल एस्टेट की कीमतें भले घटी हों लेकिन यह उस अनुपात में कभी कम नहीं हुई कि एक आम आदमी आसानी से इसके बारे में सोचे।

लेकिन होम लोन की आसान उपलब्धता की वजह से घर खरीदने में थोड़ी सहूलियत हो गई है। देश में कई हाउसिंग फाइनेंस कंपनियां और बैंक होम लोन उपलब्ध करा रहे हैं। कभी कभार बैंक के प्रतिनिधि ग्राहकों को फोन से सूचित करते हैं कि उनके लिए होम लोन और पर्सनल लोन को पहले ही मंजूरी मिल चुकी है बस उनके हां कहने की देर है, कोई दस्तावेज भी नहीं देना होगा।  

एक आम आदमी के लिए तो यह पेशकश काफी आकर्षक होती है। वह समझता है कि होम लोन लेना अब उसके लिए आसान सी बात हो गई है। लेकिन जब वास्तव में वह व्यक्ति बैंक जाकर होम लोन के लिए आवेदन करता है तो वास्तविकताओं से वह रूबरू होता है। निम्नलिखित कारकों पर होम लोन का मिलना या निरस्त होना निर्भर करता है।  

लोन में ग्राहक के प्रोफाइल का महत्व
आम तौर पर बैंक होम लोन के लिए किसी ग्राहक के व्यक्तिगत प्रोफाइल की पूरी तरह जांच करते हैं। इसमें व्यक्ति की शिक्षा, नौकरी, आश्रितों की संख्या, वर्तमान परिसंपत्तियां, बचत, बीमा पॉलिसियां और देनदारियां आदि शामिल होती हैं। आश्रितों की संख्या अधिक होने या वर्तमान देनदारियां अधिक होने का मतलब होता है कि उस व्यक्ति की रीपेमेंट की क्षमता कम होगी। ऐसे में या तो बैंक लोन की राशि कम कर देते हैं या आवेदन निरस्त कर देते हैं।

होम लोन लेने वाले व्यक्ति की आयु
उम्र भी लोन आवेदन के रद्द होने में अहम भूमिका निभाता है। बैंक हमेशा होम लोन आवेदक की उम्र की जांच करते हैं। अगर उसकी उम्र सेवानिवृत्ति के करीब है तो बैंक केवल शॉर्ट टर्म लोन ही देते हैं। इसकी वजह से मासिक किस्त भी काफी अधिक होती है। इसलिए, उम्र जितनी अधिक होगी व्यक्ति को दीर्घावधि के लोन मिलने के चांस कम होते हैं। इसके ठीक विपरीत कम उम्र वाले व्यक्ति को अधिक अवधि के लिए होम लोन मिलता है और मासिक किस्त भी उम्रदराज ग्राहकों की तुलना में कम होती है।

क्रेडिट हिस्ट्री भी है महत्वपूर्ण
इन दिनों उधार लेने वालों की क्रेडिट हिस्ट्री भी होम लोन लेने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। क्रेडिट हिस्ट्री वास्तव में आपकी फाइनेंशियल रिपोर्ट कार्ड होती है। कोई भी बैंक ऋण मंजूर करने से पहले इस पर निश्चित रूप से गौर करता है। इसमें आप पर बकाया तमाम ऋण या विलंबित भुगतानों की जानकारी होती है। क्रेडिट इंफॉर्मेशन कंपनियों के भारत में आने के साथ ही अब लोन आवेदकों के क्रेडिट रिपोर्ट की जानकारी पाना वित्तीय संस्थानों और बैंकों के लिए अब काफी आसान हो गया है।

आपकी क्रेडिट रिपोर्ट कैसी है इसकी जानकारी आप प्रत्येक क्षेत्र के लिए फाइनेंस की सुविधा नहीं बैंक किसी खास लोकेशन के लिए ऋण मंजूर भी नहीं करते हैं। बैंक और वित्तीय संस्थान किसी खास लोकेशन को ब्लैक लिस्ट कर देते हैं। इसलिए होम लोन लेने से पहले यह जांच लें कि प्रॉपर्टी ब्लैक लिस्टेड लोकेशन में तो नहीं है। हालांकि यह जरूरी नहीं है कि सारे बैंक या हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों ने उस विशेष क्षेत्र को ब्लैक लिस्ट किया हो। इसके लिए उस क्षेत्र के प्रॉपर्टी डीलर या वहां रहने वाले व्यक्तियों से पूछताछ कर लें कि कौन सा बैंक वहां फाइनेंस करता है।

वित्तीय स्थिति
आपके होम लोन की पात्रता और कर्ज की राशि आपकी सालाना आय पर अधिक निर्भर करती है। होम लोन आवेदन के मंजूर होने से पहले बैंक यह जांच करते हैं कि आवेदक की मासिक आय न्यूनतम आय जरूरतों को पूरा करती हैं या नहीं, कमाई में निश्चित आय का क्या अनुपात है और क्रेडिट रिपोर्ट कितनी साफ-सुथरी है। एक व्यक्ति जिसकी आय नियमित बनी हुई है और जिसने नौकरी भी जल्दी-जल्दी नहीं बदली है उसके डिफॉल्ट करने के चांस कम होते हैं।

वेतनभोगी व्यक्ति को आय के प्रमाण के तौर पर सैलरी स्लिप, बैंक स्टेटमेंट और फॉर्म 16 देना होता है जबकि कॉन्ट्रैक्ट पर काम करने वाले प्रोफेशनल को फॉर्म 16ए और बैंक स्टेटमेंट के अतिरिक्त दो साल का आयकर रिटर्न देना जरूरी होता है। इसके जरिये होम लोन देने वाले संस्थान वास्तव में ग्राहक की रीपेमेंट क्षमता का आकलन करते हैं।


लोन टु वैल्यू
होम लोन के लिए आवेदन करते समय हम एलटीवी पर ध्यान नहीं देते हैं। हम केवल यही देखते हैं कि किस बैंक या वित्तीय संस्थान से हमें कर्ज ब्याज दर पर कर्ज मिल रहा है। लेकिन एलटीवी की भूमिका अहम होती है। लोन टु वैल्यू या एलटीवी प्रॉपर्टी की कीमत और लोन की रकम का अनुपात है। सामान्य शब्दों में कहें तो यह आपके द्वारा उधार ली जाने वाली से घर की कीमत में भाग देकर प्राप्त हुई राशि होती है।

एलटीवी की गणना के लिए आपको यह जानकारी होनी चाहिए कि आपके घर की कीमत क्या है, आप कितना होम लोन लेना चाहते हैं और डाउन पेमेंट के तौर पर कितनी राशि दी जानी है। चलिए, मान लेते हैं कि अभिषेक 40,00,000 रुपये कीमत का मकान खरीदना चाहता था।

अगर यह प्रॉपर्टी रीसेल वाली है तो मूल्य का आकलन पड़ोस की प्रॉपर्टी जितने में बिकी है उस आधार पर की जाएगी। मान लेते हैं कि अभिषेक 4 लाख रुपये का डाउन पेमेंट करने को तैयार है। एलटीवी की गणना के लिए हम खरीद मूल्य में से डाउन पेमेंट की राशि घटा देते हैं। अभिषेक के मामले में यह 36 लाख रुपये बनता है। 40 लाख रुपये की खरीद मूल्य में भाग देकर जो एलटीवी प्राप्त होती है वह 90 प्रतिशत की है।

एलटीवी क्यों है महत्वपूर्ण
एलटीवी के अनुपात पर अक्सर खरीदार ध्यान नहीं देते हैं। घर खरीदने के दौरान ब्याज दरें और लोन की अवधि सबसे अधिक महत्वपूर्ण होती है। लेकिन कर्जदाता के नजरिये से एलटीवी महत्वपूर्ण होता है जिसके आधार पर लोन एप्लिकेशन पर निर्णय लिया जाता है। जब कोई कर्जदाता होम लोन के लिए आवेदन प्राप्त करता है तो इसके विभिन्न पहलुओं पर विचार किया जाता है।

इन्हीं के आधार पर तय किया जाता है कि लोन दिया जाना चाहिए या नहीं। नियमित रूप से मासिक किस्तों के भुगतान की क्षमता, कुल वर्तमान ऋण और आवेदन किए जाने वाले कर्ज के प्रबंधन का सामथ्र्य और दीर्घावधि में आय की निरंतरता के आधार पर ऋण मंजूर किया जाता है।

इन सभी कारकों के आधार पर नियम और शर्त तय किए जाते हैं कि आवेदक गुड रिस्क है या नहीं। अधिक जोखिम वाले उधार लेने वाले व्यक्तियों को एलटीवी घटाते हुए डाउन पेमेंट की राशि बढ़ाने की सलाह दी जाती है। इसके अतिरिक्त उच्च जोखिम वाले उधार लेने वालों के लिए ब्याज दरें भी अधिक होती हैं।

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