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मां लक्ष्मी की पूजा हेतु प्रमुख पूजन सामग्री एवं आरती


दीपावली का पर्व 13 नवंबर 2012, मंगलवार को है। इस दिन धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। इस पूजा में कुछ वस्तुओं का होना बहुत जरुरी माना जाता है क्योंकि ये वस्तुएं मां लक्ष्मी को अति प्रसन्न हैं। इन चीजों में घर में सुख-समृद्धि आती है और जीवन में सफलता मिलती है। इनमें से प्रमुख 7 चीजें इस प्रकार हैं-   
  
1. स्वास्तिक- 
लोक जीवन में प्रत्येक अनुष्ठान के पूर्व दीवार पर स्वास्तिक का चिह्न बनाया जाता है। उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम इन चारों दिशाओं को दर्शाती स्वास्तिक की चार भुजाएं, ब्रह्मïचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और सन्यास आश्रमों का प्रतीक मानी गई हैं। यह चिह्नï केसर, हल्दी, या सिंदूर से बनाया जाता है।

2. वंदनवार- 
अशोक, आम या पीपल के नए कोमल पत्तों की माला को वंदनवार कहा जाता है। इसे दीपावली के दिन पूर्वी द्वार पर बांधा जाता है। यह इस बात का प्रतीक है कि देवगण इन पत्तों की भीनी-भीनी सुगंध से आकर्षित होकर घर में प्रवेश करते हैं। ऐसी मान्यता है कि दीपावली की वंदनवार पूरे 31 दिनों तक बंधी रखने से घर-परिवार में एकता व शांति बनी रहती हैं।

3. कौड़ी- 
लक्ष्मी पूजन की सजी थाली में कौड़ी रखने की प्राचीन परंपरा है, क्योंकि यह धन और श्री का पर्याय है। कौड़ी को तिजौरी में रखने से लक्ष्मी की कृपा सदा बनी रहती है।

4. बताशे या गुड़- 
ये भी ज्योति पर्व के मांगलिक चिह्न हैं। लक्ष्मी-पूजन के बाद गुड़- बताशे का दान करने से धन में वृद्धि होती है।

5. ईख (गन्ने)- 
लक्ष्मी की एक सवारी हाथी भी है और हाथी की प्रिय खाद्य सामग्री ईख यानी गन्ना है। दीपावली के दिन पूजन में ईख शामिल करने से ऐरावत प्रसन्न रहते हैं और उनकी शक्ति व वाणी की मिठास घर में बनी रहती है।

6. ज्वार का पोखरा- 
दीपावली के दिन ज्वार का पोखरा घर में रखने से धन में वृद्धि होती है तथा वर्ष भर किसी भी तरह के अनाज की कमी नहीं आती। लक्ष्मी के पूजन के समय ज्वार के पोखरे की पूजा करने से घर में हीरे-मोती का आगमन होता है।

7. रंगोली- 
लक्ष्मी पूजन के स्थान तथा प्रवेश द्वार व आंगन में रंगों के संयोजन के द्वारा धार्मिक चिह्नï कमल, स्वास्तिक कलश, फूलपत्ती आदि अंकित कर रंगोली बनाई जाती है। कहते हैं कि लक्ष्मीजी रंगोली की ओर जल्दी आकर्षित होती हैं।

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