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Vastu Dosh Remedy (बिना तोड़फोड़ के वास्तु दोष शमन)



ज्यादातर लोगो में यही जानने की उत्सुकता होती है की कैसे बिना तोड़फोड़ के वास्तु दोषो का निराकरण किया जा सकता है? मुख्य रूप से नो प्रकार के उपायो का उल्लेख किया जाता है जिनकी सहायता से हम अपने घर के वास्तु दोष को सरलता से दूर  कर सकते है, जो निम्न प्रकार है :

१. रोशनी - दर्पण - क्रिस्टल बॉल
२. ध्वनि - घंटी
३. वृक्ष - पोधे - झाडी, पुष्प
४. पवन चक्की - दिशा दर्शक यन्त्र
५. मूर्तियां - पत्थर - चट्टानें
६. विभिन्न प्रकार के बिजली के उपकरण
७. बास
८. विभिनं प्रकार के रंग
९. विभिन्न प्रकार के यन्त्र और टोटके

कभी-कभी दोषों का निवारण वास्तुशास्त्रीय ढंग से करना कठिन हो जाता है। ऐसे में दिनचर्या के कुछ सामान्य नियमों का पालन करते हुए निम्नोक्त सरल उपाय कर इनका निवारण किया जा सकता है।

पूजा घर पूर्व-उत्तर (ईशान कोण) में होना चाहिए तथा पूजा यथासंभव प्रातः 06 से 08 बजे के बीच भूमि पर ऊनी आसन पर पूर्व या उत्तर की ओर मुंह करके बैठ कर ही करनी चाहिए।

पूजा घर के पास उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) में सदैव जल का एक कलश भरकर रखना चाहिए। इससे घर में सपन्नता आती है। मकान के उत्तर पूर्व कोने को हमेशा खाली रखना चाहिए।

घर में कहीं भी झाड़ू को खड़ा करके नहीं रखना चाहिए। उसे पैर नहीं लगना चाहिए, न ही लांघा जाना चाहिए, अन्यथा घर में बरकत और धनागम के स्रोतों में वृद्धि नहीं होगी।

पूजाघर में तीन गणेशों की पूजा नहीं होनी चाहिए, अन्यथा घर में अशांति उत्पन्न हो सकती है। तीन माताओं तथा दो शंखों का एक साथ पूजन भी वर्जित है। धूप, आरती, दीप, पूजा अग्नि आदि को मुंह से फूंक मारकर नहीं बुझाएं। पूजा कक्ष में, धूप, अगरबत्ती व हवन कुंड हमेशा दक्षिण पूर्व में रखें।

घर में दरवाजे अपने आप खुलने व बंद होने वाले नहीं होने चाहिए। ऐसे दरवाजे अज्ञात भय पैदा करते हैं। दरवाजे खोलते तथा बंद करते समय सावधानी बरतें ताकि कर्कश आवाज नहीं हो। इससे घर में कलह होता है। इससे बचने के लिए दरवाजों पर स्टॉपर लगाएं तथा कब्जों में समय समय पर तेल डालें।

खिड़कियां खोलकर रखें, ताकि घर में रोशनी आती रहे।

घर के मुख्य द्वार पर गणपति को चढ़ाए गए सिंदूर से दायीं तरफ स्वास्तिक बनाएं।

महत्वपूर्ण कागजात हमेशा आलमारी में रखें। मुकदमे आदि से संबंधित कागजों को गल्ले, तिजोरी आदि में नहीं रखें, सारा धन मुदमेबाजी में खर्च हो जाएगा।

घर में जूते-चप्पल इधर-उधर बिखरे हुए या उल्टे पड़े हुए नहीं हों, अन्यथा घर में अशांति होगी।

सामान्य स्थिति में संध्या के समय नहीं सोना चाहिए। रात को सोने से पूर्व कुछ समय अपने इष्टदेव का ध्यान जरूर करना चाहिए।

घर में पढ़ने वाले बच्चों का मुंह पूर्व तथा पढ़ाने वाले का उत्तर की ओर होना चाहिए।

घर के मध्य भाग में जूठे बर्तन साफ करने का स्थान नहीं बनाना चाहिए।

उत्तर-पूर्वी कोने को वायु प्रवेश हेतु खुला रखें, इससे मन और शरीर में ऊर्जा का संचार होगा।

अचल संपत्ति की सुरक्षा तथा परिवार की समृद्धि के लिए शौचालय, स्नानागार आदि दक्षिण-पश्चिम के कोने में बनाएं।

भोजन बनाते समय पहली रोटी अग्निदेव अर्पित करें या गाय खिलाएं, धनागम के स्रोत बढ़ेंगे।

पूजा-स्थान (ईशान कोण) में रोज सुबह श्री सूक्त, पुरुष सूक्त एवं हनुमान चालीसा का पाठ करें, घर में शांति बनी रहेगी।

भवन के चारों ओर जल या गंगा जल छिड़कें।

घर के अहाते में कंटीले या जहरीले पेड़ जैसे बबूल, खेजड़ी आदि नहीं होने चाहिए, अन्यथा असुरक्षा का भय बना रहेगा।

कहीं जाने हेतु घर से रात्रि या दिन के ठीक १२ बजे न निकलें।

किसी महत्वपूर्ण काम हेतु दही खाकर या मछली का दर्शन कर घर से निकलें।

घर में या घर के बाहर नाली में पानी जमा नहीं रहने दें।

घर में मकड़ी का जाल नहीं लगने दें, अन्यथा धन की हानि होगी।

शयनकक्ष में कभी जूठे बर्तन नहीं रखें, अन्यथा परिवार में क्लेश और धन की हानि हो सकती है।

भोजन यथासंभव आग्नेय कोण में पूर्व की ओर मुंह करके बनाना तथा पूर्व की ओर ही मुंह करके करना चाहिए।

‘वास्तु’ से आप क्या समझते हैं ?

इससे पहले कि हम वास्तु के विभिन्न पहलुओं और हमारे मानसिक व शारीरिक हितों पर उनके प्रभाव की बात करें, यह उचित होगा कि इस प्राचीन विज्ञान के कुछ मौलिक तथ्यों के बारे में पाठकों को परिचित करा दिया जाए। 

‘वास्तु’ से आप क्या समझते हैं ?

  • ‘वास्तु’ शब्द संस्कृत ‘वास’ शब्द से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है—निवास करना। यह ‘वास्तु’ और ‘वासना’ शब्दों से भी संबंध रखता है। इसका अभिप्राय है—जीवन को इच्छाओं और वास्तविकता के अनुरूप जीना।

क्या आप साधारण शब्दों में बता सकते हैं कि वास्तुशास्त्र क्या है ?

  • यह प्रकृति के सिद्धांतों के अनुरूप जीने का प्राचीन विज्ञान है।

यह किस हद तक सही है कि वास्तु सिर्फ एक अंधविश्वास है ?

  • वास्तु ठोस सिद्धांतो पर आधारित है, जिनका वैज्ञानिक आधार मौजूद है।

वास्तु का मूल सिद्धांत क्या है

  • हमारा शरीर और यह पूरा ब्रह्मांड पाँच तत्त्वों—वायु, जल, अग्नि, पृथ्वी और आकाश से बना है। इन सभी तत्त्वों का सही दिशाओं में संतुलन बनाए रखना ही वास्तु का सिद्धांत है।

क्या वास्तु एक धार्मिक पद्धति है, जो सिर्फ हिंदुओं को प्रभावित करता है ?

  • जिस प्रकार सूर्य की ऊर्जा प्रत्येक को लाभ पहुँचाती है उसी प्रकार वास्तु के सिद्धांत सभी मतों के लोगों को प्रभावित करते हैं।

क्या इसका धर्म से कोई संबंध है ?

  • धर्म जीने की एक राह है और वह हमारे जीने के तरीके के अनुरूप होता है। इस ब्रह्मांड में बहुत सी शक्तियां मौजूद हैं और वे सकारात्मक व नकारात्मक ऊर्जा छोड़ती हैं। वास्तु नकारात्मक शक्तियों का मुकाबला करने और सकारात्मक शक्तियों को ग्रहण करने में मदद करता है।

क्या वास्तु का कोई आध्यात्मकि पक्ष भी है ?

  • बिलकुल। वास्तु के सिद्धांतों के अनुरूप जीने से शांति प्राप्त होती है, जो हमारी आत्मा और जैव विद्युत क्षेत्र को शक्ति देता है।

वास्तु में कितनी दिशाएँ हैं ?

  • दिशाएँ सिर्फ वास्तु में नहीं हैं बल्कि वे सूर्य से संबद्ध हैं। ये दिशाएँ हैं—पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण, दक्षिण-पूर्व, उत्तर-पश्चिम, उत्तर-पूर्व और दक्षिण-पश्चिम।

किचन और वास्तु



वास्तु और फेंगशुई (चीन का वास्तु) दोनों ही शास्त्रों में अनेक टिप्स बताई गई हैं जिनसे हमारा जीवन सुखी और समृद्धिशाली बना रहता है। घर का हमारे भाग्य पर सीधा-सीधा प्रभाव पड़ता है। यदि घर में कोई वास्तु दोष है तो इसकी वजह से घर के सभी सदस्यों को परेशानी उठाना पड़ सकती है।

यदि आपके घर के मुख्य दरवाजे से किचन में रखा गैस का चूल्हा दिखता है तो यह अशुभ माना जाता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार यह एक छोटी सी बात है लेकिन इसके प्रभाव काफी बड़े-बड़े होते हैं। क्योंकि ऐसा होने पर नकारात्मक ऊर्जा अधिक सक्रीय हो जाती है और सकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव कम हो जाता है। फेंगशुई शास्त्र नकारात्मक और सकारात्मक एनर्जी के सिद्धांतों पर ही कार्य करता है।

इसी वजह से घर के मुख्य दरवाजे से यदि किचन में रखा गैस का चूल्हा दिखाई देता है तो चूल्हे का स्थान बदल देना चाहिए। यदि ऐसा संभव ना हो तो किचन में परदा लगाकर रखें।

साथ ही किचन के संबंध में कई अन्य मुख्य बातें जो ध्यान रखनी चाहिए-

  • उत्तर दिशा में रसोई और पूर्व दिशा में दरवाजा बंद होने पर भी ऊर्जा असंतुलित हो जाती है।
  • पूर्व का दरवाजा खोल देने और किचन दक्षिण-पूर्व में कर देने से ऊर्जा का प्रवाह नियमित और संतुलित हो जाता है।
  • किचन खुला और हवादार होना चाहिए।

दरवाजों की संख्या : वास्तु के सिद्धांत


वास्तु के सिद्धांतों का परिपालन करते हुए बनाया गया मकान, उसमें निवास करने वालों के जीवन की खुशहाली, उन्नति एवं समृद्धि का पतीक होता है। मकान में दरवाजे अहम भूमिका निभाते हैं। साधारणतया आम इंसान मकान में दरवाजों की संख्या के बारे में भ्रमित रहता है। क्योंकि वास्तु विषय की लगभग सभी पुस्तकों में दरवाजों की संख्या के बारे में विवरण दिया गया है कि मकान में दरवाजे 2, 4, 6, 8, 12, 16, 18, 22 इत्यादि की संख्या में होने चाहिए। जबकि व्यवहारिकता में दरवाजों की संख्या का कोई औचित्य व आधार ही नहीं है। मकान में दरवाजे आवश्यकता के अनुसार, वास्तु द्वारा निर्देशित उच्च स्थान पर लगाने से इससे शुभ फल पाप्त होते हैं। लेकिन इसके विपरीत नीच स्थल पर दरवाजे लगाने से इसके अशुभ परिणाम ही पाप्त होंगे।

      

उच्च स्थान पर दरवाजे लगाते समय यह भी ध्यान में रखा जाना अत्ति आवश्यक होता है कि मुख्य पवेश द्वार के सामने एक ओर दरवाजा लगाने पर ही यह दरवाजे शुभ फलदायक साबित होंगे। मुख्य द्वार के सामने एक ओर दरवाजा नहीं लगाने की स्थिति में एक खिड़की अवश्य ही लगानी चाहिए। ताकि मुख्य द्वार से आने वाली ऊर्जा मकान में पवेश कर सके। अन्यथा दरवाजे के सामने दरवाजा या खिड़की नहीं होने की स्थिति में यह ऊर्जा परिवर्तित हो जायेगी।

मकान के चारों तरफ वास्तु के सिद्धांत के अनुपात में खुली जगह छोड़ने का तात्पर्य भी यही है कि दरवाजों के माध्यम से इन ऊर्जा शक्तियों का मकान में निर्विघ्न पवेश हो सके। आमने-सामने दो दरवाजे ही रखने से अभीपाय यह है कि आमने-सामने दो से ज्यादा दरवाजे होने पर मकान में पवेश होने वाली सकारात्मक ऊर्जा शक्ति में न्यूनता आती है। चित्र संख्या 1 में निर्देशित उच्च (शुभ) तथा चित्र संख्या 2 में निर्देशित नीच (अशुभ) स्थान पर दरवाजे लगाने से पाप्त होने वाले परिणाम :-


दिशाश्रेणीपरिणाम
पूर्वउच्चशुभ, उच्च विचार
पूर्व-ईशानउच्चसर्वश्रेष्ठ, शुभ व सौभाग्यदायक
पूर्व-आग्नेयनीचवैचारिक मतभेद, चोरी, पुत्रों के लिये कष्टकारी
पश्चिम-वायव्यउच्चशुभदायक
पश्चिम-नैऋतनीचआर्थिक स्थिति तथा घर के मुखिया के लिये अशुभ
उत्तर-ईशानउच्चआर्थिक फलदायक, श्रेष्ठ
उत्तर-वायव्यनीचधन हानि, चंचल स्वभाव, तनाव में वृद्धि
दक्षिण-आग्नेयउच्चअर्थ लाभ, स्वास्थदायक
दक्षिण-नैऋतनीचआर्थिक विनाशक, गृहणी की स्थिति कष्टपद
दक्षिण एवं पश्चिमउच्चशुभफलदायक
उत्तरउच्चसुखदायक

क्या वास्तु परिवर्तन से जीवनशैली परिवर्तित हो सकती है ?



किसी व्यक्ति के जीवन में वास्तु का क्या महत्व होता इस तथ्य की हम नीचे उल्लेखित लेख से भली प्रकार समझ सकते है :

सवाल 
मैं दो वर्ष से इस किराए के मकान में रह रहा हूं। इस मकान में आने से पहले हम सुख-पूर्वक जीवन निर्वाह कर रहे थे। लेकिन इस मकान में आने के बाद हमारे व्यापार में नुकसान, गृह-कलह तथा बीमारियां इत्यादि समस्याओं से परेशान हैं। किराए के मकान में फेरबदल करवाना संभव नहीं है। कृपया हमारा मार्गदर्शन करें।

जबाब 
इस मकान में आने से पहले आपका जीवन सुख-पूर्वक व्यतीत हो रहा था, लेकिन इस मकान में आने के बाद से ही आपके जीवन में समस्याएं पैदा होनी शुरू हो गई, अत: आप स्वयं स्पष्ट तौर पर यह समझ सकते है कि वास्तु परिवर्तन, इंसान की जीवनशैली को, उस बदली हुई वास्तु के अनुसार परिवर्तित कर देता है।

अवलोकन 
इस मकान के बाहरी एवं आंतरिक हिस्से का उत्तर-ईशान कटा हुआ होना तथा कटे हुए उत्तर-ईशान के हिस्से में सीढ़ियां होने के कारण पैदा होने वाले वास्तु दोषों के दुष्परिणाम स्वरुप आर्थिक नुकसान तथा गृह-कलह की स्थिति पैदा हो रही है।

ईशान के कमरे में स्थित शयन-कक्ष के ईशान कोने में सोने से महिला वर्ग गंभीर बीमारियों का शिकार होती है, और आग्नेय के कमरे में स्थित शयन-कक्ष पुरुष वर्ग के स्वास्थ्य एवं समृद्धि के लिए घातक होता है तथा अग्नि-तत्व से संबंधित बीमारियां होने की संभावना बढ़ जाती है।

किराए के मकान में फेरबदल करवाने के लिए स्वयं के रूपये खर्च करने से बेहतर यही होगा कि यही किराया, वास्तु के अनुसार बने हुए मकान में रह कर दिया जाए।

वास्तु के अनुसार बने हुए मकान में स्थानांतरित होना ही, आपकी समस्याओं से समाधान प्राप्त करने के लिये एकमात्र बेहतर विकल्प और समझदारी है।

मकान बदलने तक आपकी समस्याओं से राहत प्राप्त करने के लिये, पश्चिम के कमरे में स्थित रसोई-घर को आग्नेय के कमरे में स्थानांतरित करें तथा वायव्य में स्थित मेहमान कक्ष को शयन कक्ष बनाएं। प्रत्येक कमरे के पूर्व-उत्तर में खाली जगह तथा दक्षिण-पश्चिम में वजनदार सामान रखें।

आपके वर्तमान समस्याग्रस्त जीवन तथा भविष्य में समृद्धिदायक जीवन के बीच की दूरी को कम करना, सिर्फ वास्तु के अनुसार बने हुए मकान में स्थानांतरित होना ही है, और यह सब आपके शीघ्र निर्णय लेने पर निर्भर करता है।

लेट-बाथ गलत दिशा में बने हो तो ...

ऐसा माना जाता है कि हमें मिलने वाले दुख-दर्द हमारे कर्मों का ही फल है। हम जैसे कर्म करते हैं उसके वैसे ही फल हमें प्राप्त होते हैं। वास्तु के अनुसार कई बार घर में यदि कोई वास्तु दोष हो तो उसके भी बुरे फल हमें झेलना पड़ सकते हैं।

घर में वास्तु दोष होने पर परिवार के सदस्यों को कई प्रकार की परेशानियां सहन करना पड़ती है। ये परेशानियां आर्थिक, सामाजिक, पारिवारिक या शारीरिक हो सकती है। यदि आपके घर में अक्सर कोई न कोई बीमार रहता है तो निश्चित ही आपके घर में कोई वास्तु दोष हो सकता है।

कुछ घर में लेट-बाथ गलत दिशा या स्थान पर बने होते हैं जिसकी वजह से वहां रहने वाले लोगों को अक्सर बीमारियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में या तो लेट-बाथ को सही स्थान पर बनाया जाना चाहिए लेकिन इसमें खर्च अत्यधिक होगा। इस अनावश्यक खर्च से बचने के लिए लेट-बाथ के बाहर एक लाल रंग की लाइन खींच दें। यह लाइन ऑइल पेंट से खींची जा सकती है। ऐसा करने पर लेट-बाथ से निकलने वाली नेगेटिव एनर्जी का अधिक नहीं बढ़ेगा और आपके घर में बीमारियों का दौर कम हो जाएगा।

डेली रूटीन बदलें मालामाल बने

दैनिक दिनचर्या में कुछ छोटी छोटी बातें ऐसी होती है जिन पर ध्यान दिया जाए तो आप पर लक्ष्मी मेहरबान हो सकती है। ये ऐसी बातें हैं जिनका ध्यान रखा जाए तो पैसों से जुड़े हर तरह के दोष खत्म हो जाएंगे। अगर घर में पैसा नहीं बच रहा है या कोई सदस्य लंबे समय से बीमार चल रहा हो और पैसा बीमारी में ही खर्च हुए जा रहा हो तो समझ लिजीए कोइ न कोइ दोष आपको परेशान कर रहा है। लेकिन आपको इन परेशानियों से बचने के लिए किसी विशेष उपाय की जरूरत नहीं है। बस आपको ध्यान रखना है अपने डेली रूटीन से जुड़ी छोटी छोटी बातों का, जिनको थोड़ा सा बदलें तो आप पर लक्ष्मी जरूर मेहरबान हो जाएगी।


इन बातों को ध्यान रखें-

  • रात्रि में बर्तन झूठे न रखें ।
  • घर में पोछा लगाते समय पानी में सांभर नमक या सेंधा नमक डाल लें ।
  • शयन करते समय सिरहाना पूर्व या दक्षिण दिशा की ओर रखने से धन व आयु की बढ़ोत्तरी होती है ।
  • भोजन करते वक्त पूर्व की ओर मुंह करके भोजन करने से आयु और उत्तर की ओर मुंह करके भोजन करने से धन की प्राप्ति होती है ।
  • घर के आग्नेय कोण (दक्षिण-पूर्व) में सिक्कों वाला धातु का कटोरा रखें और उसमें ऐसे सिक्के जो रास्ते में पड़े मिले या पैसे गिनते वक्त गिरे हुए पैसें डालते जाएं। ऐसा करने से घर में अचानक धनागम होने लगेगा ।
  • घर में झाडू व पोंछा खुले स्थान पर न रखें । खासकर भोजन कक्ष में झाडू नहीं रखनी चाहिए । इससे धन की हानि होती है । रात में झाडू को उलटी करके घर के बाहर मुख्य दीवार के सामने रखने से चोरों को डर नहीं रहता ।
  • रोज सूर्यास्त के बाद तुलसी के पौधें को दीपक लगाएं।

वास्तुनासर नकारात्मक और सकारात्मक ऊर्जा

यहाँ हम आपको कुछ ऐसी बाते बताने जा रहे है जो है तो बहुत कॉमन लेकिन इनकी और हमारा ध्यान नहीं जा
पाता है और जाने अनजाने में वास्तु दोष उत्पन्न हो जाते है और इस कारण हम अवांछित नुकसान उठाते है |

वास्तु दोष : गरीबी के कारक 
यदि आपको लाख कोशिशों के बाद भी भाग्य का साथ नहीं मिल पा रहा है तो निश्चित ही आपके घर में कोई वास्तु दोष हो सकता है। वास्तु शास्त्र हमारे आसपास मौजूद नकारात्मक और सकारात्मक ऊर्जा के सिद्धांतों पर कार्य करता है। हमारे आसपास फैली नकारात्मक ऊर्जा अधिक सक्रिय हो जाए तो हमें हर कार्य में असफलता का मुंह देखना पड़ सकता है। इसके अलावा धन संबंधी परेशानियां उठानी पड़ सकती हैं।

वास्तु शास्त्र और ज्योतिष के अनुसार घर में कहीं भी पानी की बर्बादी होना अशुभ माना जाता है। यदि किसी व्यक्ति के घर में नल टपकता है, दीवारों पर सीलन हो रही है, घर में कई स्थानों पर हमेशा गीला रहता है, घर के आसपास गंदा पानी जमा है तो यह सभी बातें यही इशारा करती है कि आपके घर में आर्थिक संकट खड़ा हो सकता है। ज्योतिष के अनुसार भी ऐसी परिस्थितियां कुंडली में चंद्र के खराब होने के कारण बनती हैं। चंद्र खराब होने पर आर्थिक तंगी आने की पूरी संभावनाएं होती हैं। पानी और चंद्र का सीधा संबंध माना जाता है। अत: घर में जल का अपव्यय होना चंद्र के अशुभ प्रभाव को बढ़ा देता है। इस प्रकार की परिस्थितियां निश्चित ही आपके परिवार के लिए अशुभ हैं। अत: इनसे बचने का प्रयास करें।

वास्तु दोष दूर करने के उपाय :अमीरी के कारक
सभी चाहते हैं कि उनके घर में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहे। इसके लिए वे कई प्रकार के उपाय भी अपनाते हैं। इन उपायों में धर्म, ज्योतिष और वास्तु से जुड़ी बातें भी शामिल होती हैं। घर में समृद्धि बनाए रखने के लिए सामान्यत: सभी के दरवाजों पर श्रीगणेश या उनका प्रतीक चिन्ह अवश्य होता है। गणेशजी के साथ ही स्वस्तिक और ऊँ बनाने से निश्चित ही सकारात्मक फल प्राप्त होते हैं।

घर के मुख्य द्वार या दरवाजे पर गणेश की चित्र या प्रतिमा लगाना शुरू माना जाता है। प्रथम पूज्य गणेश के नाम के साथ ही हर शुभ कार्य का शुभारंभ होता है। अत: मुख्य दरवाजे पर गणेशजी का होना घर-परिवार के लिए शुभ फल देने वाला होता है। वास्तु के अनुसार गणेशजी को दरवाजे के बीच में ऊपर की ओर लगाना चाहिए। इसके साथ ही प्रतिदिन दरवाजे पर गणेशजी को सिंदूर चढ़ाएं और गणेशजी के दाएं ओर स्वस्तिक तथा बाएं ओर ऊँ का चिन्ह बनाएं।

ऐसा करने पर बहुत जल्द आपको सकारात्मक परिणाम प्राप्त होंगे। आपके परिवार में सभी सदस्यों को सफलाएं मिलेगी। रुके हुए कार्य समय पर पूर्ण होने लगेंगे। आपके भाग्योदय में आ रही बाधाएं हटने लगेंगी।

बेड रूम में आइना लगाना अशुभ है।

दर्पण या आइना हमें हमारे व्यक्तित्व की झलक दिखाता है। सजना संवरना हर मनुष्य की सामान्य प्रवृति है। आइने के बिना अच्छे से सजने-संवरने की कल्पना भी नहीं की जा सकती। दिन में कई बार हम खुद को आइने में देखते हैं। इसी वजह आइना ऐसी जगह लगाया जाता है जहां से हम आसानी से खुद को देख सके। आइना कहां लगाना चाहिए और कहां नहीं इस संबंध में विद्वानों और वास्तुशास्त्रियों द्वारा कई महत्वपूर्ण बिंदू बताए गए हैं।

दर्पण के संबंध में एक सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि बेड रूम में आइना लगाना अशुभ है। ऐसा माना जाता है कि इससे पति-पत्नी को कई स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां झेलनी पड़ती है। यदि पति-पत्नी रात को सोते समय आइने में देखते हैं तो इसका उनकी सेहत पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। यह वास्तु दोष ही है।

प्रभाव 
इससे आपके आर्थिक पक्ष पर बुरा प्रभाव पड़ता है। 
साथ ही पति-पत्नी दोनों को दिनभर थकान महसूस होती है, आलस्य बना रहता है। 

इसी वजह से वास्तु के अनुसार बेड रूम में आइना न लगाने की सलाह दी जाती है या आइना ऐसी जगह लगाएं जहां से पति-पत्नी रात को सोते समय आइने में न देख सके।

वास्तुशास्त्र मुख्य सैद्धांतिक बातें

इस अध्याय में हम वास्तुशास्त्र की प्रमुख सैद्धांतिक बातों को बतला रहे हैं । इन पर अमल करके बिना तोड़फोड़ किए ही वास्तुदोषों से छुटकारा पाकर जीवन में सुख-समृद्धि लाई जा सकती है ।

  • घर का मुख्य द्वार किसी अन्य के घर के मुख्य द्वार के ठीक सामने न बनाएं ।
  • घर के आंगन में तुलसी का पौधा लगाएं और आंगन का कुछ भाग मिट्टी वाला भी रखें ।
  • ईशान कोण किसी भी मकान का मुख कहलाता है । अतः इस कोण को सदैव पवित्र रखना चाहिए ।
  • रसोई घर मुख्य द्वार के ठीक सामने न बनाएं । ऐसा होने से अतिथियों का आवागमन होता रहता है ।
  • पूजागृह, शौचालय व रसोईघर पास-पास न बनवाएं ।
  • विद्युत उपकरण आग्नेय कोण (दक्षिण-पूर्व) में रखें ।
  • घर में टूटे-फूटे बतरन, टूटा दर्पण, टूटी चारपाई न रखें । इनमें दरिद्रता का वास होता है । रात्रि में बर्तन झूठे न रखें ।
  • दर्पण, वास बेसिन व नल ईशान कोण में रखें । सैप्टिक टैंक वायव्य कोण या आग्नेय कोण में रखें ।
  • किसी भी मकान में दरवाजे व खिड़कियां ग्राउण्ड फ्लोर में ही अधिक रखें । उसके बाद प्रथम, द्वितीय मंजिलों में कम करते जाएं ।
  • बच्चों के अध्ययन की दिशा उत्तर या पूर्व होती है । यदि बच्चे इन दिशाओं की ओर मुंह करके अध्ययन करें तो स्मृति बनी रहती है
  • घर में पोछा लगाते समय पानी में सांभर नमक या सेंधा नमक डाल लें । इससे कीटाणु पैदा नहीं होंगे ।
  • कभी भी बीम या शहतीर के नीचे न बैठें । इससे देह पीड़ा (खासकर सिर दर्द) होती है ।
  • जल निकास उत्तर-पूर्व में रखें ।
  • यदि घर में घड़ियां हैं और वे ठीक से नहीं चल रही हैं तो उन्हें ठीक करा लें । घड़ी गृहस्वामी के भाग्य को तेज या मंदा करती है ।
  • पूजागृह व शौचालय सीढ़ियों के नीचे न बनाएं ।
  • वास्तुदोष निवारण का अतिसुगम उपाय यह है कि घर में श्रीरामचरित-मानस के नौ पाठ अखंड रूप से करवाएं ।
  • शयन करते समय सिरहाना पूर्व या दक्षिण दिशा की ओर रखने से धन व आयु की बढ़ोत्तरी होती है । उत्तर की ओर सिरहाना रखने से आयु की हानि होती है ।
  • पूर्व की ओर सिरहाना रखने से विद्या, दक्षिण की ओर रखने से धन व आयु की बढोत्तरी होती है । उत्तर की ओर सिरहाना रखने से आयु की हानि होती है ।
  • अन्‍नागार, गौशाला, रसोईघर, गुरू स्थल व पूजागृह जहां हो उसके ऊपर शयनकक्ष न बनाएं । यदि वहां शयनकक्ष होगा तो धन-संपदा का नाश हो जाएगा ।
  • सवेरे पूर्व दिशा में व रात्रि में पश्‍चिम दिशा में मल-मूत्र विसर्जन करने से आधीसीसी का रोग होता है ।
  • घर में बड़ी मूर्ति नहीं रखनी चाहिए । यदि मूर्ति रखनी है तो वह एक बित्ते जितनी ही होनी चाहिए । अर्थात बारह अंगुल जितनी बड़ी हो ।
  • घर के पूजन कक्ष में किसी भी देवता की एक से अधिक मूर्ति न रखें ।
  • पूर्व की ओर मुंह करके भोजन करने से आयु, दक्षिण की ओर मुंह करके भोजन करने से प्रेत, पश्‍चिम की ओर मुंह करके भोजन करने से रोग व उत्तर की ओर मुंह करके भोजन करने से धन व आयु की प्राप्ति होती है ।
  • घर में सात्त्विक प्रवृत्ति के पक्षियों के जोड़े वाला चित्र रखें । इससे परिवार का वातावरण माधुर्यपूर्ण रहेगा ।
  • घर के मुख्य द्वार पर नीबू या संतरे का पौधा लगाएं । ये पौधे संपदा बढ़ाने वाले होते हैं ।
  • घर के आग्नेय कोण (दक्षिण-पूर्व) में सिक्‍कों वाला धात्विक कटोरा अर्थात्‌ धातु का कटोरा रखें * और उसमें ऐसे सिक्‍के जो मार्ग में पड़े मिले हों डालते जाएं । ऐसा करने से घर में आकस्मिक रूप से धनागम होने लगेगा ।
  • घर के मुख्य द्वार पर बाहर की ओर पौधे लगाएं ।
  • परिवार के सदस्यों में माधुर्य भाव बना रहे, इसके लिए सभी सदस्यों का एक हंसमुख सामूहिक चित्र ड्राइंगरूम में लगाना चाहिए ।
  • घर में झाडू व पोंछा खुले स्थान पर न रखें । खासकर भोजन कक्ष में झाडू नहीं रखनी चाहिए । इससे अन्‍न व धन की हानि होती है । रात्रि में झाडू को उलटी करके घर के बाहर मुख्य दीवार के सामने रखने से चोरों को भय नहीं रहता ।
  • पति-पत्‍नी में माधुर्य संबंधों के लिए शयनकक्ष के नैऋत्य कोण (दक्षिण-पश्‍चिम) में प्रेम व्यवहर करते पक्षियों का जोड़ा रखना चाहिए ।
  • शौच से निवृत्त होने के बाद शौचालय का द्वार बंद कर दें । यह नकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है ।
  • दिन में एक समय परिवार के सभी सदस्यों को एकसाथ भोजन करना चाहिए । इससे परस्पर संबंधों में प्रगाढ़ता आती है ।


- पं. मधुसूदन शर्मा

वास्तु के दिशा-निर्देश के अनुसार बनाये भूमिगत पानी के स्त्रोत

प्रत्येक आवास स्थल पर पानी की आवश्यकता पूर्ति के लिये पुंआ, बोरवेल अथवा भूमिगत पानी के टैंक का निर्माण किया जाता है। इसके लिये वास्तु विषय हमें सही दिशा-निर्देश देता है, जिनका पालन करना अत्यंत आवश्यक होता है। वास्तु के दिशा-निर्देश के अनुसार बनाये गये भूमिगत पानी के स्त्रोत से शुभ फल तथा वास्तु के सिद्धांतों के विपरीत दिशा में बनाने पर दुष्परिणाम पाप्त होते हैं। पत्येक आवास स्थल पर पानी की आवश्यकता पूर्ति के लिये पुंआ, बोरवेल अथवा भूमिगत पानी के टैंक का निर्माण किया जाता है। इसके लिये वास्तु विषय हमें सही दिशा-निर्देश देता है, जिनका पालन करना अत्यंत आवश्यक होता है। वास्तु के दिशा-निर्देश के अनुसार बनाये गये भूमिगत पानी के स्त्रोत से शुभ फल तथा वास्तु के सिद्धांतों के विपरीत दिशा में बनाने पर दुष्परिणाम पाप्त होते हैं। चित्र में निर्देशित अलग-अलग दिशा में बनाये गये भूमिगत पानी के स्त्रोत से प्राप्त होने वाले पृथक परिणाम :-


दिशापरिणाम
पूर्वमान-सम्मान एवं ऐश्वर्य में वृद्धि
पश्चिममानहानि, शरीर की आंतरिक शक्ति एवं आध्यात्मिक भावना में वृद्धि
उत्तरसुखदायक, धन लाभ
दक्षिणस्त्री नाश, धनहानि, महिला वर्ग का जीवन कष्टमय
पूर्व-ईशानअत्यंत शुभ - सौभाग्य - समृद्धिदायक
उत्तर-ईशानआर्थिक उन्नतिकारक
आग्नेयपत्नि व संतान के लिये घातक, पुत्र नाश, अनारोग्य, वाद-विवाद, विशेषत: द्वितीय संतान के जीवन के लिये अशुभ फलदायक
वायव्यमानसिक अशांति, शत्रु पीड़ा, निर्धनता, चोरी, अदालत के चक्कर, शुभ कार्य में विघ्न
नैऋतगृह मालिक का जीवन मृत्यु तुल्य, अत्ति अशुभ फलदायक, धन नाश, बुरे व्यसन का शिकार
ब्रह्म स्थलधन नाश, मानसिक विक्षिप्तता, आर्थिक दिवालियापन की स्थिति

वास्तुनुसार दरवाजों की संख्या

वास्तु के सिद्धांतों का परिपालन करते हुए बनाया गया मकान, उसमें निवास करने वालों के जीवन की खुशहाली, उन्नति एवं समृद्धि का पतीक होता है। मकान में दरवाजे अहम भूमिका निभाते हैं। साधारणतया आम इंसान मकान में दरवाजों की संख्या के बारे में भ्रमित रहता है। क्योंकि वास्तु विषय की लगभग सभी पुस्तकों में दरवाजों की संख्या के बारे में विवरण दिया गया है कि मकान में दरवाजे 2, 4, 6, 8, 12, 16, 18, 22 इत्यादि की संख्या में होने चाहिए। जबकि व्यवहारिकता में दरवाजों की संख्या का कोई औचित्य व आधार ही नहीं है। मकान में दरवाजे आवश्यकता के अनुसार, वास्तु द्वारा निर्देशित उच्च स्थान पर लगाने से इससे शुभ फल पाप्त होते हैं। लेकिन इसके विपरीत नीच स्थल पर दरवाजे लगाने से इसके अशुभ परिणाम ही पाप्त होंगे।
उच्च स्थान पर दरवाजे लगाते समय यह भी ध्यान में रखा जाना अत्ति आवश्यक होता है कि मुख्य पवेश द्वार के सामने एक ओर दरवाजा लगाने पर ही यह दरवाजे शुभ फलदायक साबित होंगे। मुख्य द्वार के सामने एक ओर दरवाजा नहीं लगाने की स्थिति में एक खिड़की अवश्य ही लगानी चाहिए। ताकि मुख्य द्वार से आने वाली ऊर्जा मकान में पवेश कर सके। अन्यथा दरवाजे के सामने दरवाजा या खिड़की नहीं होने की स्थिति में यह ऊर्जा परिवर्तित हो जायेगी।
मकान के चारों तरफ वास्तु के सिद्धांत के अनुपात में खुली जगह छोड़ने का तात्पर्य भी यही है कि दरवाजों के माध्यम से इन ऊर्जा शक्तियों का मकान में निर्विघ्न पवेश हो सके। आमने-सामने दो दरवाजे ही रखने से अभीपाय यह है कि आमने-सामने दो से ज्यादा दरवाजे होने पर मकान में पवेश होने वाली सकारात्मक ऊर्जा शक्ति में न्यूनता आती है। चित्र संख्या 1 में निर्देशित उच्च (शुभ) तथा चित्र संख्या 2 में निर्देशित नीच (अशुभ) स्थान पर दरवाजे लगाने से पाप्त होने वाले परिणाम :-
Vaastu for doors in Hindi Vaastu for doors in Hindi

दिशाश्रेणीपरिणाम
पूर्वउच्चशुभ, उच्च विचार
पूर्व-ईशानउच्चसर्वश्रेष्ठ, शुभ व सौभाग्यदायक
पूर्व-आग्नेयनीचवैचारिक मतभेद, चोरी, पुत्रों के लिये कष्टकारी
पश्चिम-वायव्यउच्चशुभदायक
पश्चिम-नैऋतनीचआर्थिक स्थिति तथा घर के मुखिया के लिये अशुभ
उत्तर-ईशानउच्चआर्थिक फलदायक, श्रेष्ठ
उत्तर-वायव्यनीचधन हानि, चंचल स्वभाव, तनाव में वृद्धि
दक्षिण-आग्नेयउच्चअर्थ लाभ, स्वास्थदायक
दक्षिण-नैऋतनीचआर्थिक विनाशक, गृहणी की स्थिति कष्टपद
दक्षिण एवं पश्चिमउच्चशुभफलदायक
उत्तरउच्चसुखदायक

प्लाटों का वास्तु विश्लेषण

प्लाट खरीदते समय बहुत सावधानी बरतनी चाहिए, क्योंकि वास्तु दोष युक्त प्लाट में मकान बनाकर उसमें रहना शुरू करने के बाद जीवन पयन्त उस प्लाट के वास्तु दोषों के दुष्परिणाम भुगतने पड़ते हैं। कई वास्तु विशेषज्ञों का यह मानना है कि प्लाट में कोई पुराना पुंआ है, और उसे मिट्टी से भरकर बंद कर दिया गया हो या फिर उस प्लाट पर पहले कोई श्मशान था, वह प्लाट शुभ फल दायक नहीं हो सकता है। जब कि यह धारणा सरासर गलत है और इन बातों का कोई औचित्य ही नहीं है। इस तरह की बातों से जन-साधारण में वास्तु विषय के पति गलत भ्रांतियां पैदा हो रही हैं।

वास्तु विषय से अंजान वास्तु पंडित वास्तु दोष युक्त प्लाट के वास्तु दोषों से निवारण प्राप्त करने के नाम पर वास्तु-शांति, हवन, कई प्रकार के यंत्रों की स्थापना, पिरामिड इत्यादि उपयोग की सलाह देते हैं। वास्तु दोषों के निवारण के नाम पर इस तरह के उपाय बताना सिर्प इंसान की धार्मिक भावनाओं से खिलवाड़ करके, समाज में अंधविश्वास की प्रवृत्ति को बढ़ाना मात्रा है। क्योंकि इस तरह के उपायों से आज तक ना तो किसी भी वास्तु दोष से मुक्ति मिली है और ना ही किसी का भला हुआ है। इस तरह के अंधविश्वासों के चक्करों में फंसकर जीवन को समस्याग्रस्त बनाने से बचने का बेहतर रास्ता यही होता है कि उस समस्या को पैदा करने वाले वास्तु दोषों को ही सुधारें।

कोई भी जमीन व कोई भी मुखी प्लाट अशुभ फलदायक नहीं होता है, बल्कि शुभ या अशुभ फल दायक होता है, उस प्लाट को उपयोग करने का तरीका। प्लाट में अगर कोई वास्तु दोष हो तो उस वास्तु दोष को, वास्तु के अनुसार सुधार कर ही, उस प्लाट में वास्तु के सिद्धांतों का परिपालन करके मकान का निर्माण किया जाए तो उस निर्मित मकान में रहने वालों का जीवन आजन्म खुशहाल व समृद्धिदायक ही व्यतित होगा।

नक्शे में दर्शाये गये क्रमांक संख्या एक से बीस तक के प्लाटों का वास्तु विश्लेषण :-

प्लाट नं 1: वायव्य कट जाना गलत नहीं है , लेकिन पश्चिम-नैऋत में स्थित विधी-शुला अत्यंत घातक।

प्लाट नं 2: पश्चिम-वायव्य में स्थित विधी-शुला शुभ फल दायक।

प्लाट नं 3: पश्चिम-नैऋत में स्थित विधी-शुला अत्यंत घातक।

प्लाट नं 4: नैऋत कट जाना गलत नहीं है, और पश्चिम-वायव्य में स्थित विधी-शुला शुभ फल दायक।

प्लाट नं 5: आग्नेय कट जाना गलत नहीं है।

प्लाट नं 6: ईशान कट जाना सर्वनाशकारी।

प्लाट नं 7: आग्नेय कट जाना गलत नहीं है।

प्लाट नं 8: ईशान कट जाना सर्वनाशकारी।

प्लाट नं 9, 10, 11, 12 : सहीं है।

प्लाट नं 13: नैऋत कट जाना गलत नहीं है।

प्लाट नं 14: वायव्य कट जाना गलत नहीं है।

प्लाट नं 15: नैऋत कट जाना गलत नहीं है।

प्लाट नं 16: वायव्य कट जाना गलत नहीं है।

प्लाट नं 17: ईशान कट जाना सर्वनाशकारी एवं पूर्व-आग्नेय में स्थित विधी-शुला दुष्परिणाम दायक।

प्लाट नं 18: पूर्व-ईशान में स्थित विधी-शुला अत्यंत शुभ एवं सोभाग्य दायक।

प्लाट नं 19: पूर्व-आग्नेय में स्थित विधी-शुला दुष्परिणाम दायक।

प्लाट नं 20: आग्नेय कट जाना गलत नहीं है और पूर्व-ईशान मे स्थित विधी-शुला अत्यंत शुभ एवं सोभाग्य दायक।

वास्तु के अचूक उपाय

पूर्णत: वास्तु सम्मत भवन बनाना काफी कठिन होता है। भवन बनवाते समय कहीं न कहीं त्रुटि हो ही जाती है। इन समस्याओं का समाधान सामान्य उपाय कर किया जा सकता है जिससे घर में भी सुख-शांति बनी रहती है। यह सामान्य उपाय इस प्रकार हैं-

  1. सुख-समृद्धि व मन की प्रसन्नता के लिए बैठक कक्ष में फूलों का गुलदस्ता रखें। शयनकक्ष में खिड़की के पास भी गुलदस्ता रखना चाहिए।
  2. घर में कभी भी कंटीली झाडिय़ां या पौधे न रखें। इन्हें लगाने से समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
  3. उन पुष्प या पौधे को सजावट में न ले जिससे दूध झरता हो। शुभता की दृष्टि से ये अशुभ होते हैं।
  4. शयनकक्ष में झूठे बर्तन नहीं रखना चाहिए। आलस्य के कारण ऐसा करने पर रोग व दरिद्रता आती है।
  5. रात में बुरे सपने आते हों तो जल से भरा तांबे का बर्तन सिरहाने रखकर सोएं।
  6. यदि गृहस्थ जीवन में समस्याएं हों तो कमरे में शुद्ध घी का दीपक प्रतिदिन जलाना चाहिए।
  7. यदि शत्रु पक्ष से पीडि़त हो तो पलंग के नीचे लोहे का दण्ड रखें।
  8. पवित्र स्थान या पूजा स्थल ईशान कोण(पूर्व-उत्तर) में ही बनवाएं। इससे घर में खुशहाली आएगी।
  9. टी.वी. या अन्य अग्नि संबंधी उपकरण सदैव आग्नेय कोण में रखें।
  10. शयन कक्ष में नशीले पदार्थों का सेवन नहीं करें। ऐसा करने से घर में क्लेश होता है।

आरामदायक और साफ़-सुथरा घर

आज के ज़माने में बनने वाले आधुनिक घर कोल्ड और इमोशनलेस नहीं होते। दिखने में ये घर कोई म्यूजियम या डॉकटर का कलीनिक भी नहीं लगते। सो, आप घर में सकारात्मक बदलाव चाहते हैं, तो ढेर सारी कुर्सियों और भारी पर्दे का तामझाम ख़त्म कर दीजिए। एक शांत, आरामदायक और साफ़-सुथरा घर बनाने के लिए फ़र्नीचर और झाड़-फ़ानूस का इस्तेमाल कम-से-कम करना चाहिए। इससे घर का सौंदर्य बढ़ेगा और मन मस्तिष्क पर भी सकारात्मक असर दिखाई देगा।

इन पर ध्यान दें
तरीक़ा: 
ऩशा जटिल नहीं होना चाहिए, ताकि उसे समझने में कोई दि़क़त न हो। साफ़-सफ़ाई और बेहतर रखरखाव की प्राथमिकता होनी चाहिए। वेल्वेट, साटिन, लिनन और सिल्क का इस्तेमाल बिल्कुल नहीं करना चाहिए।

स्लीक: 
रोगन की हुई अलमारी, ऊपरी सतह पर ग्रेनाइट का काम, चिकने पत्थर और स्टेनलेस स्टील का इस्तेमाल।

साफ़-सुथरा और व्यवस्थित
मॉडर्न होम में अनावश्यक चीज़ें नहीं मिलतीं। हालांकि कई बार अपनी मनपसंद चीज़ को आसानी से छोड़ना मुश्किल होता है, सो बेहतर होगा कि ऐसी चीज़ों को किसी अलमारी में रख दिया जाए। खुला-खुला और रोशन घर में ढेर सारे शीशे लगाने चाहिए। साफ़ शीशे वाली खिड़कियां हों, तो बढ़िया।

घर के अंदर की रोशनी को बेहद सावधानी से प्लेस करना चाहिए। गंदे लटकते तार और भड़कीले झाड़-फ़ानूस जैसी कोई चीज़ नहीं होनी चाहिए। पीछे की ओर जड़ी हुई लाइट, सुंदर लैंप और डीमर्स भी हों, तो अच्छा है।

हो जिंदा दिली की बात
घर के इंटीरियर्स में हमेशा नेचुरल, सफ़ेद, मटमैले भूरे रंग का ही चयन करें। कमरे के सामानों का रंग एक-दूसरे से मैच करना चाहिए। ऐसा करने से घर बुझा हुआ महसूस नहीं होगा। ज़ेब्रा प्रिंट का कुशन, एक जीवंत लैंप और जोश से भरी दीवार ही आपके घर के सौंदर्य को कई गुना बढ़ा देगी।

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स्नानघर (Bathroom) में फेंगशुई की भूमिका . . .



आपके स्नानघर में रखा नमक का कटोरा या इस्तेमाल की जाने वाली नीली बाल्टी आपके लिए शुभ समाचार ला सकते हैं। ठीक विपरीत यहां लगे एक से ज्यादा दर्पण आपकी परेशानियों की वजह भी हो सकते हैं! बाथरूम फेंगशुई के अनुसार क्या है सही और क्या नहीं, जानना चाहती हैं, तो जरा गौर फरमाएं-

जीवन को खुशहाल और समृद्ध बनाने में स्नानघर (बाथरूम) फेंगशुई भी अहम भूमिका निभाता है।

गलत होने पर बिगड़ते हैं काम
  • फेंगशुई विशेषज्ञों के मुताबिक घर में गलत दिशा में स्नानघर होने पर बनते काम बिगड़ते हैं और तरक्की के रास्ते में रुकावटें आती हैं। इनकी राय में घर के केन्द्र में बाथरूम स्थापित नहीं किया जाना चाहिए, ऐसा करने से सभी दिशाएं दूषित हो जाती हैं। वहीं ईशान कोण (उत्तर-पूर्व कोना) पर बाथरूम बना दिया जाए, तो बच्चों की पढ़ाई पर प्रभाव पड़ता है। साथ ही, घर में रहने वाले जातक को मानसिक अशांति रहती है। इसलिए फेंगशुई के तहत ईशान कोण पर बाथरूम बनाना पूरी तरह से वर्जित माना गया है। वैसे, घर के बाथरूम के लिए उत्तम दिशाएं दक्षिण, पश्चिम और पूर्व मानी गई हैं।


आसान हैं उपाय
  • यदि आपके बाथरूम में भी किसी तरह का फेंगशुई दोष है, तो परेशान होने की जरूरत नहीं, क्योंकि फेंगशुई में इसके उपाय मौजूद हैं। एक बार इन्हें आजमाकर देखें, बदलाव जरूर महसूस होगा।

ध्यान रहे!
  • बाथरूम को फेंगशुई दोष से मुक्त रखने के लिए कुछ छोटी-छोटी बातों का ख्याल रखना जरूरी होगा, जैसे-
  • बाथरूम के दरवाजे के ठीक सामने दर्पण न लगाएं। नहाने जाते वक्त हमारे साथ-साथ कुछ नकारात्मक ऊर्जाएं भी बाथरूम में प्रवेश कर जाती हैं। ऐसे में दरवाजे के ठीक सामने दर्पण लगा हुआ हो, तो यह ऊर्जा परावर्तित होकर पुन: घर में लौट आती है।
  • हर 7-10 दिनों के अंदर घर का बाथरूम साफ करें। साफ बाथरूम में हानिकारक किरणों अधिक देर तक नहीं रह पाएंगी। यह उपाय फेंगशुई के साथ-साथ आपकी सेहत के मद्देनजर भी महत्वपूर्ण है।
  • फेंगशुई के मुताबिक बाथरूम में नीले रंग की बाल्टी रखना शुभ होता है। वैसे किसी और रंग की बाल्टियां पहले से घर में मौजूद हैं, तो भी कोई बात नहीं, आप इन्हें भी उपयोग में ला सकती हैं। बाथरूम में रखी बाल्टी हमेशा पानी से भरी रहे, इस बात का खास ख्याल रखें, यह उपाय आपके जीवन में खुशियों के स्थायित्व को बनाए रखने में मददगार होगा।
  • बाथरूम को सजाने के लिए आप प्राकृतिक या पानी के दृश्यों को दर्शाती सीनरी लगा सकती हैं। कहते हैं इससे पानी की कमी जैसी समस्याएं परेशान नहीं करतीं।
  • बाथरूम में इस्तेमाल की जाने वाली चीज़ें साबुन, शैम्पू, स्क्रब आदि हमेशा खुशबूदार और तौलिया, साबुन केस, ब्रश होल्डर आदि खुशनुमा रंग के चुनें।
  • फेंगशुई के मुताबिक, उत्तर या पश्चिम की दिशा में कमोड लगाना सेहत के लिहाज़ से ठीक माना जाता है। कमोड का ढक्कन हमेशा नीचे की ओर यानी बंद करके रखें। यह कीटाणुओं और नकारात्मक ऊर्जा को फैलने से रोकने में आपकी मदद करेगा।
  • बाथरूम व घर के फर्श के बीच कम से कम दो इंच का अंतर होना चाहिए। और दोनों फर्शो के बीच देहरी बनी हुई हो तो और भी अच्छा होगा। माना जाता है इससे नकारात्मक या दूषित ऊर्जाएं बाथरूम से घर में आसानी से प्रवेश नहीं कर पातीं। इसके अलावा बाथरूम में बाहर की ओर खुलने वाला एक रोशनदान लगाना भी बेहतर उपाय है।
  • बाथरूम के दरवाजे अंदर की ओर खुलने वाले होने चाहिए। यहां के दरवाजे हमेशा बंद रखें, ताकि नकारात्मक ऊर्जाएं आसानी से घर में प्रवेश न कर पाएं।
  • फेंगशुई के अनुसार बाथरूम में एक से ज्यादा दर्पण लगाना वर्जित है। कहते हैं एक से ज्यादा दर्पण होने पर सकारात्मक ऊर्जाओं के परिवर्तित होकर आपस में टकराने की सम्भावना बढ़ जाती है।
  • बाथरूम में सामान रखने के लिए हमेशा दरवाजे वाला (क्लोज रैक) ही चुनें। बाथरूम की शोभा बढ़ाने के साथ-साथ यह घर के व्यवस्थित होने का संकेत देता है।

क्रिस्टल बॉल का महत्व 
फेंगशुई के कई विकल्पों में से तरीका बहुत ही प्रचलित है। बाथरूम के दरवाजे की चौखट के बीचों-बीच क्रिस्टल बॉल टांग दें। दोष को दूर करने का यह विकल्प काफी कारगर साबित होता है।

टॉयलेट बगुआ
यह एक प्लेटनुमा आकृति होती है, जिसमें तकरीबन आठ तरह के फेंगशुई चिन्ह बने होते हैं। कहते हैं बाथरूम की सीलिंग पर इसे लगाने के बाद किसी भी तरह का बाथरूम फेंगशुई दोष दूर हो जाता है।

नमक का कटोरा
बाथरूम में खड़े नमक या फिटकरी से भरा एक कटोरा रखें। हर महीने इस कटोरे के नमक को बदलती रहें। कहते हैं हवा में मौजूद नमी के साथ-साथ यह नमक आसपास की नकारात्मक ऊर्जाओं को भी अपने अंदर समाहित कर लेता है।

फेंगशुई के अनुसार क्या है सही और क्या नहीं

आपके स्नानघर में रखा नमक का कटोरा या इस्तेमाल की जाने वाली नीली बाल्टी आपके लिए शुभ समाचार ला सकते हैं। ठीक विपरीत यहां लगे एक से ज्यादा दर्पण आपकी परेशानियों की वजह भी हो सकते हैं! बाथरूम फेंगशुई के अनुसार क्या है सही और क्या नहीं, जानना चाहती हैं, तो जरा गौर फरमाएं-
जीवन को खुशहाल और समृद्ध बनाने में स्नानघर (बाथरूम) फेंगशुई भी अहम भूमिका निभाता है।

बिगड़ते हैं काम

फेंगशुई विशेषज्ञों के मुताबिक घर में गलत दिशा में स्नानघर होने पर बनते काम बिगड़ते हैं और तरक्की के रास्ते में रुकावटें आती हैं। इनकी राय में घर के केन्द्र में बाथरूम स्थापित नहीं किया जाना चाहिए, ऐसा करने से सभी दिशाएं दूषित हो जाती हैं। वहीं ईशान कोण (उत्तर-पूर्व कोना) पर बाथरूम बना दिया जाए, तो बच्चों की पढ़ाई पर प्रभाव पड़ता है। साथ ही, घर में रहने वाले जातक को मानसिक अशांति रहती है। इसलिए फेंगशुई के तहत ईशान कोण पर बाथरूम बनाना पूरी तरह से वर्जित माना गया है। वैसे, घर के बाथरूम के लिए उत्तम दिशाएं दक्षिण, पश्चिम और पूर्व मानी गई हैं।


आसान हैं उपाय
यदि आपके बाथरूम में भी किसी तरह का फेंगशुई दोष है, तो परेशान होने की जरूरत नहीं, क्योंकि फेंगशुई में इसके उपाय मौजूद हैं। एक बार इन्हें आजमाकर देखें, बदलाव जरूर महसूस होगा।


ध्यान रहे!
बाथरूम को फेंगशुई दोष से मुक्त रखने के लिए कुछ छोटी-छोटी बातों का ख्याल रखना जरूरी होगा, जैसे-
  • बाथरूम के दरवाजे के ठीक सामने दर्पण न लगाएं। नहाने जाते वक्त हमारे साथ-साथ कुछ नकारात्मक ऊर्जाएं भी बाथरूम में प्रवेश कर जाती हैं। ऐसे में दरवाजे के ठीक सामने दर्पण लगा हुआ हो, तो यह ऊर्जा परावर्तित होकर पुन: घर में लौट आती है।
  • हर 7-10 दिनों के अंदर घर का बाथरूम साफ करें। साफ बाथरूम में हानिकारक किरणों अधिक देर तक नहीं रह पाएंगी। यह उपाय फेंगशुई के साथ-साथ आपकी सेहत के मद्देनजर भी महत्वपूर्ण है।
  • फेंगशुई के मुताबिक बाथरूम में नीले रंग की बाल्टी रखना शुभ होता है। वैसे किसी और रंग की बाल्टियां पहले से घर में मौजूद हैं, तो भी कोई बात नहीं, आप इन्हें भी उपयोग में ला सकती हैं। बाथरूम में रखी बाल्टी हमेशा पानी से भरी रहे, इस बात का खास ख्याल रखें, यह उपाय आपके जीवन में खुशियों के स्थायित्व को बनाए रखने में मददगार होगा।
  • बाथरूम को सजाने के लिए आप प्राकृतिक या पानी के दृश्यों को दर्शाती सीनरी लगा सकती हैं। कहते हैं इससे पानी की कमी जैसी समस्याएं परेशान नहीं करतीं।
  • बाथरूम में इस्तेमाल की जाने वाली चीज़ें साबुन, शैम्पू, स्क्रब आदि हमेशा खुशबूदार और तौलिया, साबुन केस, ब्रश होल्डर आदि खुशनुमा रंग के चुनें।
  • फेंगशुई के मुताबिक, उत्तर या पश्चिम की दिशा में कमोड लगाना सेहत के लिहाज़ से ठीक माना जाता है। कमोड का ढक्कन हमेशा नीचे की ओर यानी बंद करके रखें। यह कीटाणुओं और नकारात्मक ऊर्जा को फैलने से रोकने में आपकी मदद करेगा।
  • बाथरूम व घर के फर्श के बीच कम से कम दो इंच का अंतर होना चाहिए। और दोनों फर्शो के बीच देहरी बनी हुई हो तो और भी अच्छा होगा। माना जाता है इससे नकारात्मक या दूषित ऊर्जाएं बाथरूम से घर में आसानी से प्रवेश नहीं कर पातीं। इसके अलावा बाथरूम में बाहर की ओर खुलने वाला एक रोशनदान लगाना भी बेहतर उपाय है।
  • बाथरूम के दरवाजे अंदर की ओर खुलने वाले होने चाहिए। यहां के दरवाजे हमेशा बंद रखें, ताकि नकारात्मक ऊर्जाएं आसानी से घर में प्रवेश न कर पाएं।
  • फेंगशुई के अनुसार बाथरूम में एक से ज्यादा दर्पण लगाना वर्जित है। कहते हैं एक से ज्यादा दर्पण होने पर सकारात्मक ऊर्जाओं के परिवर्तित होकर आपस में टकराने की सम्भावना बढ़ जाती है।
  • बाथरूम में सामान रखने के लिए हमेशा दरवाजे वाला (क्लोज रैक) ही चुनें। बाथरूम की शोभा बढ़ाने के साथ-साथ यह घर के व्यवस्थित होने का संकेत देता है।


क्रिस्टल बॉल
फेंगशुई के कई विकल्पों में से तरीका बहुत ही प्रचलित है। बाथरूम के दरवाजे की चौखट के बीचों-बीच क्रिस्टल बॉल टांग दें। दोष को दूर करने का यह विकल्प काफी कारगर साबित होता है।

टॉयलेट बगुआ
यह एक प्लेटनुमा आकृति होती है, जिसमें तकरीबन आठ तरह के फेंगशुई चिन्ह बने होते हैं। कहते हैं बाथरूम की सीलिंग पर इसे लगाने के बाद किसी भी तरह का बाथरूम फेंगशुई दोष दूर हो जाता है।

नमक का कटोरा
बाथरूम में खड़े नमक या फिटकरी से भरा एक कटोरा रखें। हर महीने इस कटोरे के नमक को बदलती रहें। कहते हैं हवा में मौजूद नमी के साथ-साथ यह नमक आसपास की नकारात्मक ऊर्जाओं को भी अपने अंदर समाहित कर लेता है।

होम डेकोरेशन

घर को सजाने के कई तरीके होते हैं। वैसे, थोड़ी-सी मेहनत और सूझबूझ से आप अपने घर को इंटरनैशनल टच में भी डेकोरेट कर सकते हैं। यहां हम कुछ ऐसी थीम्स के बारे में बता रहे हैं, जिनसे आप अपना घर अलग अंदाज में सजा सकते हैं : 
मोरक्कन  
  • इस थीम को टिपिकल फॉरन लुक का नाम भी दिया जा सकता है। इसमें ब्राइट और वाइब्रेंट कलर्स का प्रयोग किया जाता है, जो मोटे तौर पर ऑरेंज, रेड, डीप ब्लू व ग्रीन, सैंड, गोल्ड और सिल्वर के शेड्स होते हैं। कॉम्पिटेराकोटा टाइल्स, सेरामिक या टेराकोटा के पॉट्स, बुनी हुई टोकरियां, फिलिग्रीन वर्क, कलरफुल मोजैक टाइल्स, हैवी वर्क वाले सिल्क कवर्स चढ़े बड़े तकिए, शीशे के लालटेन, शीशे के जार में सजी परफ्यूम वाली मोमबत्तियां, दीवान व उसके पास सजा हुक्का और पाम या फाइकस जैसे पौधे मोरक्कन थीम के इंटीरियर में शामिल होते हैं। 
मेडिटरेनियन 
  • इस तरह के इंटीरियर का लुक काफी साफ-सुथरा होता है। आमतौर पर इस क्षेत्र के घरों में आकाश और समुद्र के पानी जैसे रंग इस्तेमाल किए जाते हैं। क्रीमी वाइट, बर्न्ट ऑरेंज, वाइब्रेंट ब्लू और सी-ग्रीन इनमें खास हैं। कंप्लीट मेडिटरेनियन माहौल के लिए घास की चटाइयां, पाइन या वाइट फ्लोर्स, फ्लोरिंग में मार्बल, छोटे स्टैच्यू, फव्वारों, पौधों वाले टेराकोटा गमले, हाथ से पेंट की हुई टाइल्स के कोस्टर्स व कैंडल होल्डर्स, हल्के सफेद और लाइट फैब्रिक वाले पर्दे, कलरफुल तकिए व कुशंस, रॉट आयरन के कैंडल होल्डर्स, पाइन या रॉट आयरन फनीर्चर जैसी चीजों का खुलकर प्रयोग करें। टिपिकल लुक के लिए दीवारें टेक्सचर्ड रखें। साथ ही, पत्थर की दीवारें या स्टोन फिनिशिंग भी इस थीम की खूबसूरती को निखारती हैं। 
जापानी 
  • इन दिनों जापानी थीम खासी पॉपुलर है। इंटीरियर की इस थीम में ब्लैक और वाइट कलर स्कीम प्रमुख होती है और इसमें अक्सर रेड-ब्राउन कलर के शेड्स नजर आते हैं। फर्नीचर और बाकी साजो-सामान बैम्बू और सेरामिक का बना होता है। नेचरल फाइबर से बनी चटाइयां, जिन्हें तातामी मैट्स कहा जाता है और आसानी से मुड़ने वाली टहनियों से बनाया गया फर्नीचर भी इस थीम का अहम हिस्सा हैं। टोटल जैपनीज टच के लिए बैम्बू स्क्रीन्स को हाथ से पेंट किए गए सिल्क या राइस पेपर के साथ दीवारों पर लगाएं। टी-पॉट्स, टी-सेट्स, कांजी क्लॉक्स, पेपर लालटेन और लैंप्स वगैरह एक्सेसरीज जापानी घरों में काफी यूज की जाती हैं। फर्नीचर के मामले में फ्यूटन सोफा या कोतासू टेबल के साथ कुशंस को जमीन पर रखकर सजाएं। इस थीम में हेवी फर्नीचर का प्रयोग नहीं होता। 
राजस्थानी 
  • राजस्थानी थीम में रंगों का भरपूर इस्तेमाल होता है। नक्काशीदार और हाथ की पेंटिंग वाला फर्नीचर, दीवारों से सटे लकड़ी के बक्से, लकड़ी के झरोखे और घर सजाने की संगमरमर की एक्सेसरीज इस थीम की जान हैं। वहीं एम्ब्रॉयडरी, मिरर और छोटे-छोटे शंखों वाले कुशन कवर, ऐसी ही छोटी पेंटिंग्स, लकड़ी व कपड़े की बनी गुडि़या, राजस्थानी लोक संगीतकारों के अलग-अलग साइजों की मूतिर्यां, हैंड ब्लॉक पेंटिंग वाली चादरें व पर्दे जैसे सामान पूरे घर को राजस्थानी रंग से सराबोर कर देते हैं। 
  • सबसे खास बात यह है कि यह सामान बेहद आसानी से मिल जाता है। साथ ही, वुडन चेस्ट्स, जिन्हें सेंटर या साइड टेबल की तरह यूज किया जा सकता है, भी राजस्थानी इंटीरियर की जान हैं। 
साउथ इंडियन 
  • इस थीम में ब्रॉन्ज और ब्रास के आइटम्स का काफी इस्तेमाल होता है। इस थीम के लिए चोला व हसैला स्टाइल के स्टैच्यू, दीये, कटावदार और बड़ा फनीर्चर, लकड़ी के खंभे व खिड़कियों के फ्रेम एक्सेसरीज के रूप में इस्तेमाल होते हैं। इसके लिए घर के बीचों-बीच एक बरामदा होना अच्छा रहता है। इस थीम के साथ रेड ऑक्साइड फर्श और ब्लैक कदपा स्टोन्स की फ्लोरिंग चलती है। यह स्टाइल तंजावूर और पॉन्डिचेरी के पुराने घरों की खासियत है। पानी के भरे पीतल के बड़े मटके, जिसमें ताजे फूलों की पत्तियां डाली गई हों, भी इस थीम के साथ खासे खूबसूरत लगते हैं।

कमरो का निर्माण कैसा हो?

कमरों का निर्माण में नाप महत्वपूर्ण होते हैं। उनमें आमने-सामने की दिवारें बिल्कुल एक नाप की हो, उनमें विषमता न हो। 
  • कमरों का निर्माण भी सम ही करें। 20-10, 16-10, 10-10, 20-16 आदि विषमता में ना करें जैसे 19-16, 18-11 आदि।

बेडरूम में शयन की क्या स्थिति।
  • बेडरूम में सोने की व्यवस्था कुछ इस तरह हो कि सिर दक्षिण मे एवं पांव उत्तर में हो।
  • यदि यह संभव न हो सिराहना पश्चिम में और पैर पूर्व दिशा में हो तो बेहतर होता है। 

रोशनी व्यवस्था ऐसी होनी चाहिए कि आंखों पर जोर न पड़े। बेड रूम के दरवाजे के पास पलंग स्थापित न करें। इससे कार्य में विफलता पैदा होती है। कम-कम से समान बेड रूम के भीतर रखे।


पूजाघर का वास्तु

पूजाघर, आपकी ईश्वर में आस्था का प्रतीक हैं। विश्वास और आस्था के साथ जब आप घर में भगवान को स्थान देते हैं, तो परिवार के कल्याण की कामना करते हैं। वास्तुशास्त्र में घर में पूजा का स्थान नियत करने के कई मार्गदर्शन दिए गए हैं, जिन्हें अपनाकर पूरे परिवार के लिए सुख-समृद्धि का वरण किया जा सकता है। चलिए, घर में पूजा का स्थान कहां होना चाहिए और किन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए, इस पर नज़र डालें-



घर में पूजा का स्थान पूर्व दिशा में शुभ माना जाता है, क्योंकि पूर्व दिशा से सूर्य उगता है और धरती पर रोशनी का आगमन होता है। दक्षिण की दिशा में पूजा का स्थान शुभ नहीं माना जाता है।

घर में पूजास्थल के सम्बंध में वास्तुशास्त्र में कहा गया है कि उत्तर-पूर्व का स्थान भी भगवान का होता है और इस स्थान को भी पूजा के लिए तय किया जा सकता है। पूजा के समय व्यक्ति का चेहरा पूर्व या उत्तर की ओर होना चाहिए। पूर्व दिशा पूजा के लिए सबसे अच्छी दिशा मानी जाती है।

यदि पूर्व दिशा की ओर पूजा कर पाना सम्भव न हो, तो उत्तर दिशा की ओर मुंह करके पूजा करना उचित है। इससे व्यक्ति के जीवन में सुख व समृद्धि आती है। 

विशेष स्थिति में पश्चिम की ओर मुंह करके पूजा भी की जा सकती है, लेकिन दक्षिण की तरफ मुंह करके पूजा करना अशुभ माना जाता है।

घर में पूजा का स्थान उत्तर-पूर्व दिशा में हो, तो घर के सदस्यों का स्वास्थ्य अच्छा रहता है और सुख-समृद्धि बनी रहती है।

पूजाघर उत्तर-पूर्व कोने में या उसके निकट होना चाहिए। उत्तर-पूर्व दिशा में मंदिर और पूजाघर में गणेश और लक्ष्मी जी की मूर्ति स्थापित करना, मंगलकारी होता है।

सूर्योदय और सूर्यास्त के समय आरती करना चाहिए। प्रात: सूर्यनमस्कार कर सकें, तो पूजन लाभ के साथ-साथ सेहत लाभ भी मिलेगा। 




कुछ महत्वपूर्ण बातें

आजकल भिन्न-भिन्न प्रकार की धातुओं से मंदिर बनाए जाते हैं लेकिन घर में शुभता की दृष्टि से मंदिर लकड़ी, पत्थर और संगमरमर का होना चाहिए।

मंदिर इमारती लकड़ियों के बने होने चाहिए जैसे चंदन, शाल, चीड़, शीशम, सागौन आदि। पर जंगली लकड़ी से परहेज करना चाहिए जैसे नीम की लकड़ी।

मंदिर, गुम्बदाकार या पिरामिडनुमा होना शुभ माना जाता है। प्राचीन ग्रंथों में ऐसा लिखा गया है कि मंदिर में तीन गणपति, तीन दुर्गा, दो शिवलिंग, दो शंख, दो शालिग्राम, दो चंद्रमा, दो सूरज, द्वारिका के दो गोमती चक्र एक साथ, एक जगह पर नहीं रखने चाहिए।

ग्रह वास्तु के अनुसार, घर में पूजा के लिए डेढ़ इंच से छोटी और बारह इंच से बड़ी मूर्ति का प्रयोग नहीं करना चाहिए। बारह इंच से बड़ी मूर्ति की पूजा मंदिरों में की जाती है। घर में पीतल, अष्ठधातु की भी बड़े आकार की मूर्ति नहीं होनी चाहिए।