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सूरज की अर्धरेखा

गाडियों का काफिला सड़क से उतर कर  "पगडंडियों के बगल से गुजर रहे कच्चे रास्ते से गाँव की ओर बढ रहा था ! 

जब तक सूरज चाँद रहेगा, सूरज  तेरा नाम रहेगा" सूरज मिश्रा अमर रहे' सूरज मिश्रा अमर रहे! 




जयकारा की ध्वनि  पूरे गाँव में गूंज रही थी! 
तीस गाँव का  तालुका था " जहाँ ये जयकारे गूंज रहे थे, वहाँ के प्रधान का बेटा था सूरज " इसी साल प्रधान बने थें! 
कितनी खुशियाँ थी घर में,  चुनाव के समय सूरज छुट्टी आया था! 
चुनाव का रिजल्ट सुनते ही , पूरे  "गाँव मे दीवाली मन गयी! 
सूरज दोस्तो के साथ खूब नाचा था! 
प्रधान गिरिवर मिश्रा ने तो बेटे पर हजारो की गड्डियां न्यौछावर की थी! 
इकलौता बेटा था उनका, पत्नी भी चल बसी थी! 
पास के गाँव से उनके दोस्त पांडे जी, की बेटी से रिश्ता पक्का किया था! 
पांड़े जी की बेटी रेखा "बहुत खूबसूरत थी! 
सूरज ने रेखा को किसी यज्ञोपवीत में देखा था! 
और आकर सीधे दादी से बोला था! 
दादी ने ही पालपोस कर बडा किया था! 
बिन मां का बच्चा था " तो दादी ने मिश्रा जी से बात की थी! 
थोड़ा न नुकुर के बाद मिश्रा जी मान गये थे! 

फिर एक दिन मिश्रा जी ने पांडे जी के सामने अपनी बात रख दी "
पांडे जी ने अपनी ओर से शर्त रख दी "
की यदि सूरज कोई नौकरी करेंगा तभी विवाह संभव होगा! 
रेखा ने बात सुनी तो हताश हो गयी! 
और एक दिन वो सूरज से मार्केट वाले रास्ते में मिलने आ गयी! 
रेखा " सूरज हमारे बाबूजी ने शर्त रखी है, 
तो कौन सा हम तुम्हें   ब्याहने अभी आ रहे है, हम भी वादा करते है, जब तक आर्मी ज्वाइन  न कर   लेगें  " तुमसे मिलने नही आऐगे"
पक्का वादा है हमारा " अब हम चलते हैं दुआ में याद रखना "
रेखा के सामने सूरज सीना तान कर बोला था! 
रेखा की हंसी न रूक रही थी! 

और फिर सच में सूरज ने तीन महिने में आर्मी ज्वाइन कर ली थी! ज्वाइन के चार महिने भी न गुजरे थे! 
की सूरज को सवेंदनशील  एरिया में भेज दिया गया! 
जिसमे सूरज ने अपनी जान झोक दी "
और उसका प्रमोशन हो गया " 
दो साल हो गये थे, सूरज का नाम चमकने लगा छावनी में "
सूरज में हरदिन देश के लिए कुछ कर गुजरने का   जुनून बढता जा रहा था! 
इस बीच पांडे जी विवाह के लिए दबाव बनाने लगे जिसे सूरज ने   चुनाव के बहाने टाल दिया! 

चुनाव की जीत ने मिश्रा जी को प्रतिष्ठित नागरिक बना दिया! 
बस अब विवाह की तैयारियां जोर शोर से शुरू हो गयी! 

विवाह की पूरी खरीदी रेखा ने सूरज के पास चडीगढ जाकर की थी! रेखा की सहेलियाँ रेखा को बहुत किस्मत वाला समझ रही थी! 

हटो हटो " मंत्री जी की गाडी है! 
गांववालों रास्ता दो"
कोई जरूरत नहीं है, एक महिला बोली "
हमारे गांव का सपूत आ रहा है! 

अरे माता जी, आप हटेगी नही तो, गाडी आगे कैसे बढेगी "

महिला "" जब मंत्री जी की जरूरत थी तब आये नही, अब आकर क्या करेगें "
बहनों अदर मत आने देना मंत्री जी को""
अरे ऐसे कैसे एक अंगरक्षक आगे आकर बोला'

अंगरक्षक  """  हटिऐ, 
महिला ""   ये जी हुजुरी अपने चमचो को जाकर दिखाईये "जब तक हमारे सूरज की गाडी नहीं आ जाती, कोई गाँव में प्रवेश नहीं करेगा"
चाहे मंत्री हो या नेता """

मंत्री """ कौन है ये, 
महिला "" हम आम जनता, 
गाड़ी  आगे न बढेगी "
माता जी हम पैदल चले जाऐगें"
मंत्री जी बोले "

महिला "" हा तो जाईए "
आम जनता के सेवक है, और आप उस पवित्र गाँव मे कदम रख रहे हैं, जहाँ की मिट्टी ने सूरज जैसे लाल दिये है! 

मंत्री जी गाडी के बाहर आ गये! 

कुछ लोग मंत्री जी जिदांबाद, सब ओर सन्नाटा "
सूरज भैया, अमर रहे की गूँज  काफी दूर तक गूंज रही थी! 

कुछ देर बाद गडियो का काफिला नजर आने लगा "
सबकी नजरें उस ओर उठ गयी! 

धूल के गुबार ने आसमान को ढक लिया! 
तिरंगे में लिपटा सपूत का पार्थिव शरीर, दूर से नजर आ रहा था! 
उस वक्त सभी की आंखे गीली थी! 

मंच पर खड़े थे मंत्री जी " 
अपलक उधर ही देख रहे थे " बार बार कलाई पर बंधी घड़ी पर नजर  , डाल रहे थे! 

पीऐ"" सर जनता की नजर आप पर है" हाईलाइट हो जाऐगें आप ""
कान में फुसफुसाया पी ऐ"
मंत्री जी "" अच्छा "
पर दत्ता  जी के घर दो, घंटे बाद पार्टी में पहुंचाना जरूरी है! 

पी ऐ"  अभी आप शांत मुद्रा में ही रहे ""

मंत्री जी""एक तो उबड खाबड गाँव का रास्ता है" कैसे   पहुचूंगां"

पी ऐ "" सर इस रास्ते के लिए " आपके पास बहुत सारे आवेदन आ चुके हैं "

अब हमारे मंत्री जी, दो शब्द  " मातृभूमि के लाल" सूरज के लिए हमलोगों के समक्ष रखेगें ""संचालक ने माइक मंत्री जी के सामने रख दिया! 

पी ऐ"" सर आप सूरज की याद में सडक का " जिक्र भी कर देना ""
मंत्री जी "" हूँ! 
आज का दिन हमारे देश के लिए क्षतिपूर्ण के साथ सौभाग्य पूर्ण है! 
तिरंगे में लिपटा जवान, हम सबका लाल है! 
हमे गर्व है, की हमारी जन्मभूमि मे, सूरज जैसे  लाल का जन्म  हुआ! सूरज के माता पिता धन्य है! 
जो उन्हें ऐसे सूपुत्र के मां बाप बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ! 
मेरे यदि दो पुत्र होते, मै " अपने एक पुत्र को, भारत माता के चरणो में अर्पण करने का सौभाग्य पा लेता """
पर अफसोस """
सब चुपचाप खामोशी से नेता जी का भाषण सुन रहे थे! 
सूरज को खोना हमारे लिए क्षतिपूर्ण है, आज मैने संकल्प लिया है की हमारे सपूत की याद में " सूरज पथ का निर्माण होगा! 
सूरज की याद में " बहुत जल्दी एक सड़क बनायी जायेगी "
जो हाईवे लेन से जुडेगी! 

सूरज भैया अमर रहे "
सूरज का पार्थिव शरीर, सम्मान के साथ तख्त पर रख दिया गया था! 
अंतिम दर्शन के लिए " 
सबकी आँखे नम थी! 
बेटे को खोने का गम प्रधान जी नही सह पा रहे थे! 
उनके सीने में अचानक दर्द उठा, पर उन्होंने बूढी माँ की ओर देखा " तो उन्होंने खुद को सम्भाल लिया! 
शाम गहराने लगी थी! 
अंतिम विदाई का वक्त आ गया, और सूरज अस्त से पहले सूरज पंचतत्व में विलीन हो चुका था! 
सूरज के लिए पूरा गाँव गर्वित था! जनसैलाब बढता जा रहा था ,! 
उस भीड़ में सूरज की मंगेतर रेखा " खौ गयी थी! 
जिसके हाथ कुछ न आया था! 
न चूड़ी न बिंदी, न सुहाग " फिर भी उसे सूरज पर गर्व था! 
वो सूरज की वो रेखा थी! 
जो उसके हाथो में थी तो " पर अधूरी ""

लेखक परिचय

नाम - रीमा महेंद्र ठाकुर 

         (वरिष्ठ लेखिका, समाज सेविका "सनातन धर्म राष्ट्रीय महासचिव, सहित्य संपादक, वरिष्ठ लेखक)
पति - श्री महेंद्र सिंह परिहार (ठाकुर साहब) 

जन्मतिथि - 19/10/1980 (अवध)

शिक्षा -  स्नातक

पैतृक आवास - भीखरपुर बाराबंकी, उत्तरप्रदेश

वर्तमान आवास - राणापुर झाबुआ मध्यप्रदेश

लेखन विधायें - 

कहानी, मुक्त कविता,  उपन्यास, क्राइम जासूसी कहानियाँ, लघुकथा, वेब सीरीज, मुक्त गजल गीत नग्में और लेख आदि।
सहित्य काव्य गतिविधियों हिन्दी प्रचार प्रसार में सक्रिय, 
नवोदित लेखको को अवसर प्रदान करना, 
समाचार पत्र - पत्रिकाओं मे रचनाओं का अनवरत प्रकाशन।

*विशेष - नयी प्रतिभावों का मार्गदर्शन करना।*
उपलब्धि- 
सनातन रक्षा दल, राष्ट्रीय महासचिव, इन्द्रप्रस्थ उपाध्यक्ष, मध्यप्रदेश
ठाकुर महासभा, उपाध्यक्ष 
अंतर्राष्ट्रीय हिन्दू महासभा सचिव और 
बदलाव मंच पूर्व सचिव आदि।
रश्मिरथी- पूर्व अल्प कालीन संस्थापक, राज्य संयोजक, वर्तमान सदस्य, 
मध्यप्रदेश राज्य  संयोजक - शब्दाक्षर मंच सक्रिय भूमिका, "दि ग्राम टूडे सहित्य पथ संयोजक एंव सहयोग सहित्य संपादक उच्च पद", "इंकलाब  संपादक", गीता श्री, राज्यप्रभारी, सलाहकार, 
सामयिक परिवेश, राज्य प्रभारी, 
माँ विध्यवासिनी संस्था, मीडिया प्रभारी, सदस्य, सहित्य सरोवर संयोजक, सहित्य धरा शब्दार्थी, संस्थापक, 
लंदन वर्ल्ड रिकॉर्ड से सम्मानित, 
रचनाएँ - कई साझा संग्रह,

तीन बुक काव्यजंलि कविता संग्रह - "शब्दनाद, लघुकथा, वैदेही के राम", अब तक 4200 रचनाएँ प्रकाशित, प्रतिलिपि लेखक सम्मान, वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड, सिम्मी कुमारी डायरेक्टर ग्लोबल, "इंडियन वेस्टीज एवार्ड", निशा शैलेंद्र माथुर, "वेस्टी एजुकेशन एंड चैरिटेबल ट्रस्ट सम्मान", वर्ल्ड बुक रिकॉर्ड कुवैत, "भारत माता अभिनंदन सम्मान", सहित्य विशेष सम्मान, "शब्द शिल्पी सम्मान", काशी कविता सम्मान, समायिक परिवेश पत्रिका सम्मान, विध्यवासिनी प्रश्नोत्तरी सम्मान, सारा सच हमारी वाणी लेखक सम्मान,  श्रैया जी सम्मान बेंगलुरु, भारत के श्रेष्ठ रचनाकार, श्रेष्ठ संचालन सम्मान, प्रतिलेख सम्मान, राष्ट्रीय गीता गैलरी सम्मान, इंकलाब उत्कृष्ट कथा सम्मान, भारत को जाने, वर्ल्ड रिकॉर्ड असम चौपाई, अंतर्राष्ट्रीय नारी गौरव सम्मान", "सरस्वती सम्मान", हिन्दी रक्षक मंच लेखक, बहुत सारे मंचों से सम्मानित, प्रमाण पत्र से सम्मानित एवं राष्ट्रीय सम्मान से सम्मानित।