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Onion can improve Your Erections and Sex Power (प्याज से सेक्सुअल दुर्बलता को दूर करे)



आज की भागदौड़ की जिंदगी में हमे कई तरह की समस्याओं  का सामना करना पड़ता है लेकिन यदि हमारे वैवाहिक जीवन में किसी प्रकार की कड़वाहट आ जाये तो जीवन नीरस सा लगने लगता है और इसका सबसे बड़ा कारण हो सकता है जल्द स्खलन या योन सम्बन्ध बनाने में अनिच्छा का होना ।

यहाँ पर हम आपको प्याज के गुणों से परिचित करवाने की कोशिश कर रहे है जिसकी सहायता से आप सहज रूप से अपनी खोयी हुई योन इच्छा की प्राप्ति करके अपनी शीघ्र स्खलन होने की समस्या से निजात पा सकते है ।

ये प्याज के कुछ ऐसे प्रयोग हैं, जिनका उपयोग सुलभ, सस्ता एवं प्रभावी हैI 

सफ़ेद प्याज के रस को अदरख के रस के साथ मिलाकर शुद्ध शहद तथा देशी घी प्रत्येक क़ी पांच-पांच ग्राम क़ी मात्रा लेकर एक साथ मिलाकर सुबह नियम से एक माह तक सेवन करें और लाभ देखें इससे यौन क्षमता में अभूतपूर्व वृद्धि देखी जाती है I

प्याज का रस और शहद बराबर मात्रा में मिलाकर एक शरबत जैसा गाढा द्रव्य प्राप्त करें ..अब इसे दस से पंद्रह ग्राम क़ी मात्रा में नियमित सेवन करें ...! यह योग आपको निश्चत ही यौन स्फूर्ति प्रदान करेगा !

कामशक्ति को बढाने हेतु प्याज का एक और प्रयोग निम्नवत है :- लाल प्याज पचास ग्राम क़ी मात्रा में लेकर इसे देशी घी पचास ग्राम और ढाई सौ ग्राम दूध मिलाकर गर्म कर नियमित चाटना चाहिए ...शीत ऋतु में इस योग को नियमित रूप से दो से तीन बार लिया जाना चाहिएI गर्मीयों में इस योग सूर्योदय से पूर्व केवल एक बार करें तो बेहतर हैI

शीघ्रपतन निवारण हेतु: 
जिन्हें शीघ्रपतन (प्री-मेच्युर इजेकुलेशन) क़ी समस्या है ,उन्हें ढाई ग्राम शहद एवं इतना ही प्याज का रस मिलाकर चाटना चाहिए ..I इस प्रयोग को शीत ऋतु में दो से तीन बार किया जाना चाहिए ...ध्यान रहे क़ि गर्मीयों में इस प्रयोग को सूर्योदय से पूर्व केवल एक बार ही किया जाय तो बेहतर है I

शीघ्रपतन रोगियों के लिए एक और प्रयोग काफी लाभकारी होता है :- सौ ग्राम अजवाइन लेकर सफ़ेद प्याज के रस में भिगोकर सुखा लें, सूख जाने पर पुनः पुनः प्याज के रस में भिंगोकर तीन बार सुखाएंI अब अच्छी तरह सूख जाने पर इसका बारीक पाउडर बना लें, अब इस पाउडर को पांच ग्राम की मात्रा में घी और शक्कर की लगभग पांच ग्राम की मात्रा से सेवन करेंI इस योग को इक्कीस दिन तक लेने पर शीघ्रपतन में लाभ मिलता हैI

एक किलो प्याज के रस में आधा किलो उड़द की काली दाल मिलाकर पीस कर पीठी बना लें और इसे सुखा लें, सूख जाने पर पीठी को एक किलो प्याज के रस में पुनः दुबारा पीसें और पुनः दुबारा पीस कर लिख लेंI अब इस पीठी को दस ग्राम की मात्रा में लेकर भैंस की दूध में पुनः पकायें और इच्छानुसार शक्कर डाल कर पी जाएँ, इस योग का सेवन लगातार तीस दिन तक सुबह शाम सेवन करने से सेक्स स्तम्भन शक्ति बढ़ जाती है!

एक किलो प्याज का रस, एक किलो शहद के साथ लेकर उसमें आधा किलो शक्कर मिलाकर किसी साफ़ सुथरे डिब्बे में पैक कर लें ..अब इसे पंद्रह ग्राम की मात्रा में एक माह तक रोज नियमित सेवन करेंI इस योग के प्रयोग से सेक्सुअल डिजायर में वृद्धि देखी जाती हैI

वीर्य वृद्धि हेतु :

प्याज का रस एक चम्मच, आधा चम्मच शहद मिलाकर पीने से वीर्य की वृद्धि होती हैI

प्याज को पीसकर गुड मिलाकर खाने से वीर्य (सीमन ) वृद्धि देखी जाती है I

How to Cure Vaginal Infections Without Using Medications (योनि शूल के कारण और निवारण)



क्या आप भी योनि शूल की विकृति से परेशान है? योनि शूल किसी भी युवती को बुरी तरह विचलित कर देती है। कई बार लाज-संकोच के कारण युवतियां योनि शूल के सबंध में किसी से कुछ नही कह पाती हैं और ऐसी स्थिति में दूसरे रोगों के कारण उत्पन्न योनि शूल अधिक उग्र रूप धारण कर सकता है।

कारण:
मूत्र त्याग के बाद स्वच्छ जल से योनि का प्रक्षालन {धोने की क्रिया} नहीं करने से गंदगी के कारण खुजली होती है। ऐसे में जोर-जोर  से खुजलाने पर नाखूनों से जख्म हो जाने पर शोध के कारण तीव्र शूल होने लगता है। अप्राकृतिक मैथुन से भी जख्म हो जाने पर शूल की उत्पत्ति हो सकती है।

योनि के आस-पास आघात के कारण स्त्रियां बेचैन हो उठती है। फोडे़-फुंसी के पकने पर असहनीय शूल होता हैं कुछ नवयुवतियों में ऋतुस्त्राव में अवरोध होने से शूल की उत्पत्ति होती है। जबकि अल्प आयु में संभोग से भी शूल हो सकता है।

लक्षण:
योनि में शूल [दर्द] के कारण मूत्र त्याग के समय तीव्र जलन होती है।
योनि शूल की विकृति गर्भाशय के कारण हो तो पूय व रक्त भी निकल सकता है।
प्रसव के बाद सूतिका रोग के कारण शूल की उत्पत्ति के साथ रक्तमिश्रित पूयस्त्राव भी होता है।

निवारण:
10 ग्राम सोंठ को जल में उबालकर क्वाथ बनाएं। क्वाथ को छानकर उसमें गुड़ मिलाकर पीने से त्रतुस्त्राव की विकृति से उत्पन्न योनि शूल नष्ट होता है।

अपामार्ग और पुनर्नवा की 5-5 ग्राम जड़, खूब अच्छी तरह पीसकर योनि में लेप करने से शूल नष्ट होता है।

5 ग्राम उलकंबल की जड़ को, 10 ग्राम शक्कर में मिलाकर सेवन करने से योनि शूल नष्ट होता है।

योनि के आस-पास फुंसी होने पर शूल हो तो नीम की छाल को जल के साथ घिसकर लेप करें। फुंसी पककर फूट जाएगी और शूल नष्ट होगा।

नीम के पत्तों को जल में उबालकर, जल को छानकर योनि के जख्म व फुंसी को साफ करें।

ग्रीष्म ऋतु में नीम के वृक्ष पर पकी निबौली खाने से फुंसीयां नष्ट होती है।

टेसू के फूल, खसखस और सूखी मकोय सभी 10-10 ग्राम मात्रा में लेकर 1 किलो जल में उबालकर, छानकर उस जल से योनि का प्रक्षालन करने से शूल नष्ट होता है।

परहेज : 
उष्ण मिर्च-मसाले व अम्लीय रसों से बने खाद्य पदार्थो का सेवन न करें।
योनि शूल से पीड़ित होने पर ‘सहवास’ न करें।
आम,अचार, कमरख, खट्टे बेर, इमली आदि का सेवन न करें।
उछल-कूद, दौड़ने-भागने व सीढ़िया उतरने-चढ़ने से अलग रहें।
लम्बी दूरी की पैदल या स्कूटर पर यात्रा न करें।
योनि शूल के चलते अरबी, कचालू, भिंडी, फूलगोभी, मूली आदि वातकारक सब्जियों का सेवन न करें।
बाजार की चटपटी चाट, आलू की टिकिया, समोसे, छोले-भठूरे व उड़द की दाल से बने खाद्य पदार्थों का सेवन न करें।

How to loss weight fast and easy home tips (मोटापा कम करने के आसान घरेलु उपाय)



पपीता नियमित रूप से खाएं। यह हर सीजन में मिल जाता है। लंबे समय तक पपीता के सेवन से कमर की अतिरिक्त चर्बी कम होती है।

दही का सेवन करने से शरीर की फालतू चर्बी घट जाती है। छाछ का भी सेवन दिन में दो-तीन बार करें।

छोटी पीपल का बारीक चूर्ण पीसकर उसे कपड़े से छान लें। यह चूर्ण तीन ग्राम रोजाना सुबह के समय छाछ के साथ लेने से बाहर निकला हुआ पेट अंदर हो जाता है।

आंवले व हल्दी को बराबर मात्रा में पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को छाछ के साथ लेंं। कमर एकदम पतली हो जाएगी।

मोटापा कम नहीं हो रहा हो तो खाने में कटी हुई हरी मिर्च या काली मिर्च को शामिल करके बढ़ते वजन पर काबू पाया जा सकता है। एक रिसर्च में पाया गया कि वजन कम करने का सबसे बेहतरीन तरीका मिर्च खाना है। मिर्च में पाए जाने वाले तत्व कैप्साइसिन से भूख कम होती है। इससे ऊर्जा की खपत भी बढ़ जाती है, जिससे वजन कंट्रोल में रहता है।

एक चम्मच पुदीना रस को 2 चम्मच शहद में मिलाकर लेते रहने से मोटापा कम होता है

सब्जियों और फलों में कैलोरी कम होती है, इसलिए इनका सेवन अधिक मात्रा में करें। 

पुदीने की चाय बनाकर पीने से मोटापा कम होता है।

खाने के साथ टमाटर और प्याज का सलाद काली मिर्च व नमक डालकर खाएं। इनसे शरीर को विटामिन सी, विटामिन ए, विटामिन के, आयरन, पोटैशियम, लाइकोपीन और ल्यूटिन मिलेेगा। इन्हें खाने के बाद खाने से पेट जल्दी भर जाएगा और वजन नियंत्रित हो जाएगा।

सुबह उठते ही 250 ग्राम टमाटर का रस 2-3 महीने तक पीने से वसा में कमी होती है।

केवल गेहूं के आटे की रोटी की बजाए गेहूं, सोयाबीन और चने के मिश्रित आटे की रोटी ज्यादा फायदेमंद है।

रोज पत्तागोभी का जूस पिएं। पत्तागोभी में चर्बी घटाने के गुण होते हैं। इससे शरीर का मेटाबॉलिज्म सही रहता है।

11 Bed Food For Men Health (11 चीजे जो आपकी कामोत्तेजना को प्राकृतिक रूप से नष्ट कर सकते है।)



स्वस्थ शरीर के लिए सही खानपान बेहद जरूरी है, लेकिन कुछ ऐसे भोज्य पदार्थ भी होते हैं जिनका मूड पर विपरीत असर पड़ता है। इसीलिए ऐसे भोज्य पदार्थों के बारे में जानना महत्वपूर्ण हो जाता है, जो आपकी कामोत्तेजना को प्राकृतिक रूप से नष्ट करते हैं। ये पदार्थ पुरुषों को कमजोर बना सकते हैं। इसलिए खाने की ऐसी चीजों को पहचान कर अपनी खाने की लिस्ट से बाहर कर दें, जो आपकी ताकत को कम कर सकती है। आइए जानते हैं ऐसी ही चीजों के बारे में.....

1. चीज

चीज में बहुत अधिक फैट होता है। अधिक वसा वाले पुरुषों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इन उत्पादों के ज्यादा सेवन से शरीर में जहरीले पदार्थ बनते हैं। साथ ही, ईस्ट्रोजेन, प्रोजेस्ट्रोन और टेस्टोस्ट्रोन जैसे हार्मोन्स के निर्माण में भी रूकावट आती है।

2. चिप्स

चिप्स आपकी कामोत्तेजना के साथ-साथ आप के शरीर की कोशिकाओं और उतकों को भी नुकसान पहुंचाती है। चिप्स पुराने तेल में तले होने के साथ-साथ उच्च तापमान पर निर्मित किए जाते हैं। इसीलिए इन्हें खाना सेहतमंद नहीं होता है।

3. कॉर्न फ्लेक्स

कॉर्न फ्लेक्स पुरुषों के लिए नुकसानदायक होता है। इसके अधिक सेवन से सेक्स लाइफ पर बुरा प्रभाव पड़ता है।

4. कॉफी

ज्यादा कॉफी पीना पुरुषों के लिए नुकसानदायक हो सकता है। इसके अधिक सेवन से शरीर में तनाव उत्पन्न करने वाला हॉर्मोन कॉर्टिसॉल बनने लगता है। कैफीन की अधिक मात्रा से हार्मोन असन्तुलन और तनाव हो सकता है।

5. सोयाबीन

सोयाबीन में फोटोईस्ट्रोजेन होते हैं, जो पुरूष सेक्स हॉर्मोन से प्रतिस्पर्धा करते हैं। इससे पुरूषों में प्रजनन, स्तन विकास और बालों के गिरने जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

6. सोडा

सोडा और सुगंधित पेय पदार्थों के सेवन से वजन और मूड में भारी उतार-चढ़ाव हो सकता है। इन पेय पदार्थों से मोटापा, दांतों में छेद, डायबिटीज जैसी समस्याएं हो सकती हैं। साथ ही, पुरुषों की सेक्स लाइफ पर भी इसका नेगेटिव प्रभाव पड़ता है।

7. मिंट

मिंट भले ही सांस की बदबू दूर करने का सबसे बेहतरीन उपाय है, लेकिन काम वासना पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। मिंट में मेंथोल होता है, जिससे कामोत्तेजना कम होती है।

8. खराब क्वालिटी तेल

खराब क्वालिटी के तेल में बने पदार्थ फ्री रैडिकल उत्पन्न करते हैं, जो कि पुरुषों के शरीर के लिए नुकसानदायक होते हैं।

9. पैकिंग फूड

वे पुरुष जो बहुत अधिक पैकिंग फूड का सेवन करते हैं, उन्हें इसके सेवन से बचना चाहिए, क्योंकि इनकी कोटिंग में कुछ खास किस्म का मेटल इस्तेमाल किया जाता है, जो पुरुषों की सेहत के लिए अच्छा नहीं माना जा सकता है।

10. शराब

शराब पीने के बाद आप अच्छा महसूस कर सकते हैं, लेकिन इससे नींद आती है और आप अपने वातावरण के प्रति कम संवेदनशील हो जाते हैं। शराब से ऐसी रासायनिक क्रिया आरम्भ हो जाती है जो टेस्टोस्ट्रोन के उत्पादन को कम करती है। ऐसा होना पुरुषों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।

11. जंक फूड

जंकफूड की हाइड्रोजन युक्त वसा टेस्टोस्ट्रोन स्तर को कम करती है और पुरुषों में निम्न गुणवत्ता वाले और असमान्य शुक्राणु उत्पन्न करती है।

Hair Treatment : Home Remedies For Silky And Shiny Hair



सिर के बाल सिल्की और शाइनी हो ये सभी लड़कियां चाहती हैं, लेकिन जिन लड़कियों के बाल वेवी होते हैं या कर्ली होते हैं, वे ये चाहती हैं कि उनके बाल स्ट्रेट हो जाएं, लेकिन साथ ही स्ट्रेटनर का यूज करने से भी डरती हैं, क्योंकि स्ट्रेटनर के अधिक उपयोग से ड्राय और बेजान होने लगते हैं। निचे कुछ घरेलु टिप्स दिए जा रहे है जिनकी सहायता से आप बिना किसी साइड इफ़ेक्ट के अपने बालों को सिल्की और शाइनी लुक दे सकती है :


  • दूध और शहद को बराबर मात्रा में मिला लें। इस मिश्रण को बालों पर बाल धोने से एक घंटा पहले अच्छी तरह लगाएं। इससे रूखे और कर्ली बाल भी सही हो जाते है।


  • एक स्प्रे बॉटल में पानी और दूध बराबर मात्रा में लें। इस मिश्रण को अपने बालों में स्प्रे कर लें। यह मिश्रण पूरे बालों में बराबर मात्रा में स्प्रे होना चाहिए। इसके बाद बड़े दांतों वाली कंघी से बालों को संवार लें, ताकि हर बाल तक दूध और पानी का मिश्रण पहुंच जाएं। इस मिश्रण को बालों में एक घंटे तक लगा रहने दें और उसके बाद अच्छी तरह धो लें। शैम्पू से धुलने के बाद कंडीशनर का भी इस्तेमाल करें। इससे बाल स्ट्रेट हो जाएंगे। बालों को कोई भी नुकसान नहीं पहुंचेगा।


  • नारियल पानी में थोड़ा नींबू का रस मिला लें। इस मिश्रण को एक दिन के लिए फ्रीज में रख दें। इसके बाद एक क्रीमी पेस्ट तैयार हो जाएगा। इस मिश्रण को अपने सिर पर अच्छी तरह लगाएं और मसाज करें। इसके बाद हॉट टॉवल इस्तेमाल करें। एक घंटे बाद उसे धो लें और सप्ताह में तीन बार यह नुस्खा दोहराएं। इससे बाल स्ट्रेट हो जाएंगे।


  • नारियल तेल को थोड़ा गर्म करें। इस तेल को बालों पर लगाएं। हल्के हाथों से मसाज करें। उसके बाद गर्म टॉवल से सिर को ढंक लें। इससे बालों में चमक आएगी और बाल सीधे हो जाएंगे।


  • दो अंडों का योंक (पीला भाग) लेकर अच्छे से फेंट लें। इस मिश्रण में दो चम्मच ऑलिव ऑयल यानि जैतून का तेल मिला लें। ब्रश की सहायता से बालों में लगा लें। इस मिश्रण को दो घंटे तक बालों में लगा रहना दें। बाद में शैम्पू लगाकर धो लें। इससे बाल स्ट्रेट हो जाएंगे।


  • एक कप मुल्तानी मिट्टी लें। उसमें एक अंडा और 5 चम्मच चावल का आटा मिलाएं। इस मिश्रण को अच्छी तरह फेंट लें। बालों को अच्छी तरह से कंघी कर लें। फिर मिश्रण बालों में लगाएं।


  • बालों को मिट्टी लगाने के बाद फोल्ड न करें और सीधा ही रखें। बालों पर 40 मिनट तक लगा रहने दें और पूरी तरह सूखने के बाद ही धोएं। इस पेस्ट को महीने में दो से तीन बार जरूर लगाएं, इसके इस्तेमाल से बाल सिल्की, शाइनी व स्ट्रेट हो जाएंगे।

Everything You Need To Know About Male Condoms : पुरूष कंडोम क्या होता है?



पुरूष कंडोम क्या होता है?
पुरूष कंडोम वह थैली है जो कि पुरूष के खड़े लिंग पर चढ़ाने के लिए बनाई जाती है।

यह किस चीज से बनाई जाती है?
अधिकतर कंडोम लेटैक्स रबर से बनाए जाते है।

कंडोम के उपयोग के क्या लाभ होते हैं?
कंडोम के उपयोग के निम्नलिखित लाभ हो सकते हैं -

  1. जब नियमित रूप से और सही रूप से कंडोम का इस्तेमाल किया जाता है तो वह सबसे अधिक भरोसे की विधियों में से एक है जिनसे जन्म पर नियन्त्रण बनता है। 
  2. इनका उपयोग उपभोक्ता के लिए सरल है। थोड़े से अभ्यास से वे इसका उपयोग करके सम्भोग के आनन्द से आत्मविश्वास पा सकते हैं। 
  3. कंडोम की जरूरत तभी पड़ती है जबकि आप सम्भोग करना चाहते हैं जबकि अन्य गर्भनिरोधक आपको हर समय लेने पड़ते हैं या धारण करने पड़ते हैं।
  4. कंडोम एकमात्र ऐसा साधन है जो कि यौन सम्बन्धों से फैलने वाले रोगों को फैलने से रोकता है इनमें एच आई वी भी शामिल हैं जब उनका नियमित और सही इस्तेमाल हो। 
  5. किसी भी उम्र के पुरूष इसे धारण कर सकते हैं। 
  6. सरलता से उपलब्ध होते हैं और सभी जगह मिलते हैं।

एक कंडोम के उपयोग की हानियां क्या हो सकती हैं?
कंडोम के उपयोग की हानियां निम्नलिखित हैं -

  1. जिन लोगों को लेटैक्स से अलर्जी होती है उन्हें खुजली दे सकता है। 
  2. सम्भोग के समय कंडोंम के फट जाने या खिसक जाने की आशंका रह सकती है। 
  3. यदि वैसलीन या तेल से चिकना करके इस्तेमाल किया जाए तो कंडोम कमजोर पड़ सकता है या टूट सकता है।

गर्भ से सुरक्षा देने में कंडोम कितना प्रभावशाली है?
यदि 100 महिलाओं के साथी नियमित रूप से और सही रूप से कंडोम का उपयोग शुरू करते हैं तो पहले वर्ष में 100 में से 3 गर्भधारण होते हैं। यदि उपयोग अनियमित हो या सही न हो तो 14 गर्भधारण की सम्भावना हो सकती है।

गलत या अनुचित उपयोग के क्या सम्भावित कारण हो सकते हैं?
निम्नलिखित कारणों से इसका गलत या अनुचित उपयोग हो सकता है - लिंग के पूरी तरह खड़े होने से पहले ही कंडोम पहन लेने के कारण या कंडोम को पूरा ऊपर तक न पहनने के कारण आदि।

कंडोम के उपयोग को सही करने की क्या तकनीक है?
कंडोम के सही उपयोग की विधि इस प्रकार है -

  • सुनिश्चित करें कि पैकेट और कंडोम अच्छी स्थिति में हैं, यदि उस पर समाप्ति की तारीख दी हो तो ध्यान दें कि कहीं तारीख निकल तो नहीं चुकी।
  • पैकेट को एक कौने से खोलें, ध्यान दें कि अपने नाखूनों, दांत से या बड़ी बरूखी से कंडोंम को साथ में न काट दें। 
  • रोल किए हुए कंडोम को अपने खड़े लिंग के टिप पर रखें।
  • उसे नीचे की ओर लिंग के मूल आधार तक पूरा खोल दें, अगर कोई हवा के बब्बल आ गए हैं तो उन्हें निकालें (हवा के बबूले कंडोंम को तोड़ सकते हैं)
  • ऊपर कंडोम के टिप पर कम से कम आधा इंच जगह छोड़ दें ताकि विर्य उसमें एकत्रित हो सके।
  • यदि आपको कुछ चिकनापन चाहिए तो उसे कंडोम के बाहर लगाएं। परन्तु हमेशा जल आधारित चिकनाई का प्रयोग करें (जैसे कि 'के वाई' जैली जो कि दवा की दुकान पर आमतौर पर मिल जाती है) तेल आधारित चिकनाई जैसे वैसलीन/बेबी ऑयल। नारियल तेल का उपयोग न करें क्योंकि इससे लेटैक्स टूट सकता है।
यदि रोल किया हुआ कंडोम खुले न तो क्या करना चाहिए?
कंडोम को लिंग के ऊपरी भाग पर रिम से रोल करते हुए सरलता से और कोमलता से खोलना चाहिए। यदि आपको उससे जुझना पड़े तो या कुछ सैकेन्ड से अधिक समय लगे तो सम्भवतः इसका अर्थ है कि आप उसे उल्टा चढ़ा रहे हैं। कंडोम को उतारने के लिए उसे ऊपर तक वापिस रोल नहीं करना है। रिम से उसे पकड़ो और खींच लो और फिर दूसरा नया कंडोम चढाओ।

कंडोम को कब हटाना चाहिए?
लिंग के ढीले पड़ने से पहले उस खींचना है और कंडोम को लिंग के अन्त में रोको, ध्यान पूर्वक खोंचो कि वीर्य बाहर की ओर बिखरे नहीं।

कंडोम को फेंकना कैसे चाहिए?
कंडोम को सही तरीके से फेंकना चाहिए - उदाहरणतः किसी कागज या टिशू में लपेट कर फेंकना चाहिए। उसे टॉयलेट मे डालना उचित नहीं - यह प्राकृतिक रूप से घुलता नहीं इसलिए सीवर को बन्द कर सकता है।

यदि सम्भोग करते हुए कंडोम फट जाए तो क्या करना चाहिए?
यदि सम्भोग करते समय कंडोम फट जाए, तो जल्दी से उसे उतारें और दूसरा लगायें। सम्भोग करते हुए, समय-समय पर कंडोम को देखते रहें कि कहीं वह खिसक न जाए या फट न जाए। यदि कंडोम फट जाए या आप को लगे कि सम्भोग के दौरान वीर्य बाहर निकल गया है तो आपातकालीन गर्भनिरोधक लेने पर विचार करें जैसे कि सुबह उठते ही गोली ले लेना।

क्या एक की अपेक्षा दो कंडोम अधिक प्रभावशाली रहते है?
एक ही समय में दो कंडोम का उपयोग न करें, क्योंकि जब दो लेटैक्स आपस में पगड़ खायेंगे तो फट जायेंगे।

कंडोम की देखभाल से सम्बन्धित कुछ टिप्स :

  1. सम्भव हो सके तो कंडोम को ठन्डे अंधेरे स्थान पर रखें।
  2. कंडोम को अतिरिक्त गर्मी, रोशनी और हुमस से बचायें।
  3. सावधानी से पकड़ें। नाखून और अंगूठी उसे हानि पहुंचा सकते हैं।
  4. उपयोग से पहले उसे खोले नहीं, इससे वे कमजोर हो जाते हैं और खोले बिना भी चढ़ाना कठिन है।

यदि कंडोम अथवा चिकनाई से जननेन्द्रिय मे खुजली या रैश हो जाए तो क्या करना चाहिए?
यदि कंडोम अथवा चिकनाई से जननेन्द्रिय में खुजली या रैश हो जाए तो निम्नलिखित उपचार करें -

  • पानी को चिकनाई की तरह इस्तेमाल करने का प्रयास करें
  • खुजली और एलर्जी तो नहीं है इसके लिए डाक्टर के पास जायें।
यदि कंडोम चढाते हुए या उसका उपयोग करते समय किसी पुरूष का लिंग खड़ा नही रह पाता तो क्या करना चाहिए?
ऐसी स्थिति मे निम्नलिखित करें -

  • स्परमिसिड के बिना वाले सूखे कंडोम का उपयोग करने का प्रयास करें।
  • अपनी साथी महिला साथी से उसे चढ़ाने के लिए कहें जिससे उसके प्रयोग से ज्यादा मजा आयेगा।
  • लिंग पर अधिक पानी जल आधारित चिकनाई जैसे कि के वाई जैली का प्रयोग करें और कंडोम चढे लिंग पर बाहर से अधिक चिकनाई लगायें।

Contraceptive Methods For Women and Men (महिलाओं व पुरूषों के लिए क्या गर्भनिरोधक विकल्प उपलब्ध हैं?)

पुरूषों के लिए क्या गर्भनिरोधक विकल्प उपलब्ध हैं?
पुरूषों के लिए गर्भ निरोधक विकल्प है -

  1. अस्थायी सुरक्षा के लिए कंडोम और
  2. स्थायी सुरक्षा के लिए नसबन्दी।

महिलाओं के लिए गर्भ निरोधक विकल्प क्या-क्या है?
महिलाओं के लिए उपलब्ध गर्भ निरोधक विकल्प हैं -

  1. जनाना कंडोम
  2. स्पर्मिसाइडस
  3. मौखिक गोलियां
  4. इंजैक्शन द्वारा दिए जाने वाले गर्भ निरोधक
  5. इन्टरा युटरीन डिवाइज
  6. ट्यूब को बन्द करना (ट्यूबक्टोमी)

जरूरत के आधार पर उपलब्ध गर्भ निरोधकों की पहुंच कहां तक है?

जरूरत के आधार पर उपलब्ध गर्भनिरोधकों की पहुंच निम्न प्रकार से हैः

स्थितिगर्भनिरोधक विकल्प
किशोर/युवा विवाहित दम्पत्ति - जिन की कोई सन्तान न हो।
  • स्त्री/पुरुष के कंडोम
  • संयुक्त हॉरमोन गर्भनिरोधक गोलियां
  • प्रोजेस्ट्रीन की गोलियां
  • सेन्टकरोमन (सहेली)
  • प्राकृतिक परिवार-नियोजन
विवाहित दम्पत्ति - /जिनके बच्चे हैं, बच्चों में अन्तराल चाहते हैं।
  • स्त्री/पुरूष के कंडोम
  • संयुक्त हारमोनल गर्भ निरोधक गोलियां
  • आई यू डी
विवाहित दम्पत्ति - जिनके परिवार परिपूर्ण हैं।
  • प्रोजेस्टीन केवल गोलियां
  • डैपो - प्रोवेरा
  • आई यू डी
  • स्त्री/पुरूष नसबन्दी
स्तनपान कराने वाली माताएं
  • स्त्री/पुरूष कंडोम
  • प्रोजेस्टीन की केवल गोलियां
  • डैपो - प्रोवेरा
  • आई यू डी

बेबीमून क्या है ?



एक माँ के लिए गर्भधारण  करना एक विशेष अनुभव होता है, चाहे  माँ अपने पहले बच्चे की उम्मीद से हो या फिर चौथे बच्चे की । एक गर्भवती माँ के लिए उसके शरीर के भीतर पलने वाले जीवन को पोषण देना, कभी भी न भूले जाने वाली अनुभूति होती है और इस अनुभूति को यादगार क्षणों में तब्दील किया जा सकता है "बेबीमून " कि प्लानिंग करके ।

बेबीमून क्या है ?
"बेबीमून" शब्द सबसे पहले नब्बे के दशक में सामने आया। उस वक्त बच्चे के जन्म के बाद मां-बाप जो वक्त एक साथ बिताते थे। उसे बेबीमून कहा जाता था। इसके लिए वे बाकायदा प्लानिंग करते थे और अपनी पसंदीदा जगह पर न्यू-बॉर्न बेबी के साथ कपल्स वक्त बिताते थे।

इसके बाद 2006 के बाद बेबीमून का स्वरूप बदला। अब कपल्स बेबी के होने से पहले जो छुट्टियां साथ बिताने लगे उसे बेबीमून कहा जाने लगा। इस वक्त यह खूब प्रचलन में है। मां-बाप बनने वाले कपल्स बच्चे के जन्म से पहले कुछ दिन साथ बिताते हैं। इन दिनों में वो अपनी पसंदीदा जगह की ट्रैवलिंग करते हैं। बच्चे के लिए प्लानिंग करते हैं। इसके अलावा, आने वाली जिम्मेदारियों के ऊपर बातचीत करते हैं।

सही समय का चुनाव 
बेबीमून के लिए परफेक्ट टाइमिंग 18 से लेकर 24 वें सप्ताह के बीच मानी जाती है। इसके अलावा आप गर्भावस्था के मिड पीरियड में भी बेबीमून पर जा सकते हैं। बेबीमून को लेकर अलग-अलग राय है कई लोग कहते हैं कि 14 से लेकर 28वें सप्ताह के बीच बेबीमून पर जाना उपयुक्त रहता है।

 The Mongan Method: A Natural Approach to a Safe, Easier, More Comfortable Birthing with CD (Audio)

बेबीमून पर जाते वक्त इस बात का विशेष ध्यान रखें कि जिस एयरलाइन में आप जा रहे हैं कहीं उसमें डिलीवरी के कुछ सप्ताह पहले फ्लाइनिंग प्रतिबंधित न हो। कई ऐसी एयरलाइन हैं जो डिलीवरी के कुछ हफ्ते पहले फ्लाइनिंग नहीं करने देती हैं। बुकिंग से पहले इस बात को चेक कर लें, ताकि आपका टिकट बर्बाद न जाए।

डेस्टिनेशन का चुनाव
बेबीमून पर जाने से पहले डेस्टिनेशन तय कर लें। ध्यान रहे कि डेस्टिनेशन पति-पत्नी दोनों की रजामंदी का होना चाहिए। अगर आप पहले से ही तय डेस्टिनेशन पर बेबीमून मनाने जाएंगे तो खूब मस्ती भी कर पाएंगे और बिना किसी परेशानी और आपसी मनमुटाव के रिलेक्स भी करेंगे।

बेबीमून के लिए ऐसी जगह का चुनाव करें जहां आप दोनों आसानी से जा सकें। वहां जाने में किसी भी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े। अगर आप कार से बेबीमून के लिए जा रहे हैं तो ध्यान रखें कि 9-10 घंटे से ज़्यादा का सफर न हो।

सीट बैल्ट हल्के बांधे
बेबीमून के लिए प्लाइंग करते वक्त गर्भवती महिला को अपनी सीट बैल्ट हल्के बांधनी चाहिए। इसके अलावा पेट के नीचे को सीट बैल्ट बांधे। पेट के बीचो-बीच सीट बैल्ट बांधने से बचें।

डॉक्टर से सलाह लें
बेबीमून पर जाते वक्त अपने डॉक्टर से सलाह लें। जहां आप बेबीमून के लिए जा रहे हैं वहां आस-पास डॉक्टर की उचित व्यवस्था हो इस बात का विशेष ध्यान रखें।

अंडरआर्म की डार्कनेस दूर करने के कुछ घरेलू उपाय


लड़कियां स्लीवलेस कपड़े पहना बेहद पसंद करती हैं, लेकिन अंडरआर्म की डार्कनेस उन्हें ऐसा करने से कई बार रोक देती है। इसकी वजह से शादी-पार्टी में उनको अपना मन मार कर फुल स्लिव कपड़े पहनने पड़ते हैं। इस आर्टिकल में हम लड़कियों को अंडरआर्म की डार्कनेस दूर करने के कुछ घरेलू उपाय बता रहे हैं।

1. नींबू
नीबू के छिलके से अंडरआर्म की डार्कनेस दूर होती है।10 से 15 मिनट तक अंडरआर्म पर नींबू के छिलके से मसाज करें और उसके बाद ठंडे पानी से धो लें। 2-3 दिन तक लगातार ऐसा करते रहें। इसके बाद आपको फर्क खुद महसूस होने लगेगा। आप नींबू के साथ चीनी मिक्‍स कर भी मसाज कर सकती हैं।

2. चीनी
डार्क रंग की स्किन से छुटकारा पाने के लिये चीनी और पानी का यूज करें। इसके मिश्रण को अंडरआर्म पर लगाएं। आप चाहें तो दिन में दो बार इस मिश्रण को अंडरआर्म पर लगा सकती हैं। इससे अंडरआर्म की डार्कनेस दूर होने लगती है और स्किन में चमक आती है।

3. बेकिंग सोडा
बेकिंग सोडा और पानी के पेस्‍ट से अंडरआर्म की मसाज करें। इससे अंडरआर्म की डार्कनेस हल्की पड़ती है और स्किन चमकने लगती है। जल्दी रिजल्ट के लिए बेकिंग सोडा के साथ गुलाब जल का यूज करें।

4. दूध
दूध के साथ केसर का पेस्ट बनाकर उसे अंडरआर्म पर लगाने से वहां की डार्कनेस खत्म हो जाती है।

सर्दियो में खाई जाने वाली पारम्परिक पौष्टिक मिठाई अलसी की पिन्नी (Alsi Ladoo Recipe)


सर्दियों के मौसम ने दस्तक दे दी है. इस मौसम में आपके परिवार को अधिक केयर की जरूरत है. अलसी (Linseeds or Flax Seeds) से बने खाद्य पदार्थ (Alsi Recipes) आपके परिवार को सर्दी जुकाम खांसी आदि से लड़ने की प्रतिरोधात्मक शक्ति देते हैं.

अलसी में ओमेगा-3 और ओमेगा-6 नाम के अम्ल होते हैं जो आपके शरीर के कोलोस्ट्रोल को संतुलित करते हैं. अपने पदार्थ गुण में अलसी के बीज अखरोट और बादाम को मात देते हैं लेकिन मूल्य में बहुत सस्ते. आयुर्वेद के अनुसार अलसी के बीज (Linseed or Flax Seeds) वात, पित्त और कफ को संतुलित करते हैं

अलसी की पिन्नी (Alsi Pinni) सर्दियो में खाई जाने वाली पारम्परिक पौष्टिक मिठाई है. अलसी की पिन्नी सर्दियों में बनाकर रख लीजिये, रोजाना 1-2 अलसी की पिन्नी (Alsi Ki Pinni) खाइये, सर्दी, जुकाम, खासी, जोड़ों के दर्द सभी में फायदा पहुंचाती है., तो आइये अलसी की पिन्नी बनाना (Alsi Ladoo or Alsi Ki Barfi) शुरू करें.

आवश्यक सामग्री – Ingredients for Alsi Ki Pinni

  • अलसी – 500 ग्राम ( 4 कप)
  • गेहूं का आटा – 500 ग्राम ( 4 कप)
  • देशी घी – 500 ग्राम ( 2/1/2 कप)
  • गुड़ या चीनी – 800 ग्राम ( 4 कप)
  • काजू – 100 ग्राम
  • बादाम – 100 ग्राम
  • पिस्ता – 1 टेबल स्पून
  • किशमिश – 1 टेबल स्पून
  • गोंद – 100 ग्राम
  • इलाइची – 15 (छील कर कूट लीजिये)

विधि – How to make Alsi Ki Pinni

  • अलसी (Linseeds or Flax Seeds) को थाली में डालकर अच्छी तरह छान बीन कर साफ कर लीजिये.
  • अलसी को सूखी कढ़ाई में डालिये, रोस्ट कीजिये (अलसी रोस्ट करते समय चट चट की आवाज करती है) और मिक्सी से पीस लीजिये. इन्हें थोड़े दरदरे पीसिये, एकदम बारीक मत कीजिये.
  • गेंहू के आटे को आधा घी डाल कर ब्राउन होने तक और अच्छी महक आने तक भून लीजिये. भुने आटे को किसी थाली या ट्रे में निकाल कर रख लीजिये.
  • गोंद को बारीक तोड़ कर बचे हुये घी में तलिये, गरम घी में थोड़ा गोंद डालिये, गोंद फूल जाता है, हल्का ब्राउन होने पर थाली में निकालिये और सारा गोंद इसी तरह तल कर निकाल लीजिये. ठंडा होने पर तले हुये गोंद को चकले पर या किसी थाली में बेलन की सहायता से दबा दबा और बारीक कर लीजिये.
  • गोद तलने के बाद जो घी बचा हुआ है उसमें पिसी हुई अलसी को डालिये और कलछी से चला चला कर मीडियम और धीमी आग पर अच्छी महक आने तक भूनिये और थाली में निकाल लीजिये.
  • काजू, बादाम और पिस्ते छोटा छोटा काट लीजिये.
  • गुड़ या चीनी चीनी की मात्रा का आधा पानी मिलाकर कढ़ाई में डालिये और चाशनी बनने के लिये रखिये. चीनी घुलने तक चमचे से चलाइये और 1 तार की चाशनी तैयार कर लीजिये(चाशनी के टैस्ट के लिये चमचे से 1 बूंद चाशनी प्याली में गिरायें और ऊंगली अंगूठे के बीच चिपका कर देंखें कि जब ऊंगली और अंगूठे को अलग करें तो चाशनी से तार निकलना चाहिये). आग बन्द कर दीजिये. 
  • चाशनी में भुना आटा, भुनी अलसी, काटे हुये मेवे, गोंद और इलाइची डाल कर अच्छी तरह मिला दीजिये. हल्का गरम रहने पर हाथ से थोड़ा थोड़ा (एक नीबू के बराबर) मिश्रण निकाल कर लड्डू बनाकर थाली में रखिये. सारे मिश्रण से लड्डू बनाकर तैयार कर लीजिये या हाथ से चौकोर आकार देते हुये बरफी बना लीजिये.
  • अगर आप बरफी जमाना चाहते हैं तब आप गरम मिश्रण को घी से की चिकनी की गई थाली में डालिये और एकसार करके जमा दीजिये. आधा घंटे या बरफी के जमने के बाद अपने मन पसन्द टुकड़ों में काट लीजिये.


अलसी की पिन्नी तैयार है, अलसी की पिन्नी को खाइये और बची हुई पिन्नी किसी एअर टाइट कन्टेनर में भर कर रख लीजिये और 1 महिने तक रोजाना अलसी की पिन्नी (Alsi Ki Pinni) खाइये.

सावधानियां
  • गोंद को तलते समय आग धीमी और मीडियम ही रखें, तेज आग पर गोंद अच्छा नहीं फूलता, ऊपर से भुनता है और अन्दर से कच्चा निकल आता है.
  • पिसी अलसी को मीडियम और धीमी आग पर ही भूनें (तेज आग पर भूनने से जलने का खतरा है).
  • चाशनी बनाते समय ध्यान रखें कि वह सही बने, चीनी पानी में घुलने के बाद ही चाशनी का टैस्ट कीजिये और 1 तार की चाशनी बना लीजिये, चाशनी ज्यादा होने पर, वह तुरन्त जमने लगेगी और पिन्नी नहीं बन सकेगी, अगर चाशनी में तार नहीं बन रहा हो तो वह जमेगी ही नहीं और पिन्नी नरम रहेगी.
  • सूखे मेवे आप अपने पसन्द से कम ज्यादा कर सकते हैं, आपको जो मेवा पसन्द हो वह डाल सकते हैं और जो मेवा न पसन्द हो वह हटा सकते हैं.

क्या हस्तमैथुन 'सही सम्भोग' नहीं है?

यौनपरक संवेदना के लिए जब व्यक्ति स्वयं उत्तेजना जगाता है तब उसे हस्तमैथुन कहा जाता है। हस्तमैथुन शब्द के प्रयोग से सामान्यतः यही समझा जाता है कि वह स्त्री या वह पुरूष जो कामोन्माद की चरमसीमा का तीव्र आनन्द पाने के लिए अपनी जननेन्द्रियों से छेड़छाड़ करता है। चरमसीमा का अभिप्राय उस परम उत्तेजना की स्थिति से है जिसेमें जननेन्द्रिय की मांस पेशयां चरम आनन्द देने वाली अंगलीला की कड़ी में प्रवेश करती हैं।

क्या हस्तमैथुन सामान्य बात है?
हां, हस्तमैथुन प्राकृतिक आत्म अन्वेषण की स्वभाविक प्रक्रिया और यौन भावाभिव्यक्ति है।
क्या यह सत्य है कि हस्तमैथुन 'सही सम्भोग' नहीं है। और केवल असफल लोग हस्तमैथुन करते हैं?
नहीं, यह सत्य नहीं है। कुछ यौन विशेषज्ञों के अनुसार जो लोग हस्थमैथुन करते हैं वे साथी के साथ यौन - सम्भोग करते समय बेहतर कार्य करतें हैं क्योंकि अपने शरीर को जानते हैं और उनकी कामाभिव्यक्ति सन्तुष्ट होती है।

क्या हस्तमैथुन से विकास रूक जाता है या गंजापन उम्र से पहले आ जाता है?
यह सही नहीं है।

स्त्री हस्तमैथुन कैसे करती है?
स्त्री अपनी योनि को हिलाना या रगड़ना शुरू करती है खासतौर पे वे अपने भगशिश्न को अपनी पहली या मध्यम अंगुली से हिलाती है | 

कभी कभी योनि के अन्दर 1 या ज्यादा अंगुलिया डालकर उस हिस्से को हिलाना शुरू करती है। जिस स्थान पर जी बिन्दु या जी स्पाट होता है इसके लिए वे वाइब्रेटर,डिल्डो या बेन वा गेंदों का सहारा भी लेती है, बहुत सी महिलाए इसके साथ साथ अपने वक्षो को भी रगड़ती है, कुछ महिलाए गुदा को भी उत्तेजित करती है, कुछ इसके लिए चिकनाई का प्रयोग करती है लेकिन बहुत सी महिलाए प्राक्रतिक चिकनाई को ही काफी समझती है

कुछ महिलाए केवल विचार और सोच मात्र कर के ही मदनोत्कर्श तक पहुँच जाती है, कुछ महिलाए अपनी टाँगे कस के बंद कर लेती है और इतना दबाव बना लेती है जिस से उन्हें यौनसुख अनुभव हो जाता है | कई महिलाये ये काम सार्वजनिक स्थानों पे बिना किसी की नजर में आए कर लेती है

इस क्रिया को महिलाए बिस्तर पे सीधी या उल्टी लेट कर कुर्सी पे बैठ कर, खड़े रह कर या उकडू बैठ कर करती है लेकिन वह क्रिया जिसे बिना शारीरिक संपर्क के पूरा किया जाता है इस श्रेणी में नही आती है

परस्पर हस्तमैथुन 
जब स्त्री-पुरूष दोनो एक दूसरे को यौन सुख देने हेतु एक दूसरे का हस्तमैथुन करते है तो उसे यह नाम दिया गया है

क्या आप भी है आँखों की कमजोरी से परेशान?



अगर आपको भी चश्मा लगा है तो आपका चश्मा उतर सकता है। नीचे बताए नुस्खों को चालीस दिनों तक प्रयोग में लाएं। निश्चित ही चश्मा उतर जाएगा साथ थी आंखों की रोशनी भी तेज होगी।
  • सुबह नंगे पैर घास पर मार्निंग वॉक करें।
  • नियमित रूप से अनुलोम-विलोम प्राणायाम करें।
  • बादाम की गिरी, बड़ी सौंफ और मिश्री तीनों का पावडर बनाकर रोज एक चम्मच एक गिलास दूध के साथ रात को सोते समय लें।
  • त्रिफला के पानी से आंखें धोने से आंखों की रोशनी तेज होती है।
  • पैर के तलवों में सरसों का तेल मालिश करने से आंखों की रोशनी तेज होती है।
  • सुबह उठते ही मुंह में ठण्डा पानी भरकर मुंह फुलाकर आंखों पर छींटे मारने से आंखों की रोशनी बढ़ती है।

शीघ्र स्खलन कारण व निवारण



यदि आप के पति सहवास के समय जल्दी स्खलित हो जाते है तो चिंता की कोई बात नहीं है, आप इसके कारण को समझ के इसका निदान स्वयं या फिर डॉक्टर की सलाह से कर सकते है । निचे कुछ कारण व् निवारण दिए गए है जो आपके पति के लिए कारगर हो सकते है :-

आपके भीतर सहवास करने की इच्छा बरकरार है, प्राइवेट पार्ट में तनाव ठीक से आता है, फिर भी प्रवेश के फौरन बाद स्खलन हो जाता है तो इस समस्या को शीघ्र स्खलन कहते हैं।

शीघ्र स्खलन के खास तौर पर 4 कारण हैं:-
1. पुरुष में सहवास के दौरान जोश जरूरत से ज्यादा आना
2. इंद्रिय के अगले हिस्से पर जरूरत से ज्यादा संवेदना होना
3. प्रोस्टेट में इंफेक्शन हो जाना
4. डायबिटीज की शुरुआत

कारण एक या उससे ज्यादा भले हों, उसका इलाज आसानी से पाया जा सकता है। अगर उत्तेजना ज्यादा हो जाती हो तो डपॉक्सिटीन ( Dapoxitene ) 60 मिली ग्राम की गोली सहवास के एक घंटे पहले एक गिलास पानी के साथ लें। इसका असर करीबन 4 घंटे तक रहता है। देखा गया है कि यह गोली 10 में से 6 लोगों में शीघ्र स्खलन को विलंबित कर देता है।

अगर अगले हिस्से में सेंसेशन ज्यादा हो तो उसे कम करने के मलहम ( xylocaine 5 % ) मार्केट में मौजूद हैं। सहवास के 10 मिनट पहले अगले हिस्से में इसे लगाने से सेंसेशन कम हो जाती है। लेकिन मलहम लगाने के बाद प्रवेश के पहले अगले हिस्से को पानी से अच्छी तरह धो लेना चाहिए।

प्रोस्टेट में इंफेक्शन बहुत कम मौकों पर देखा गया है। अगर पेशाब में जलन हो या डिस्चार्ज के समय दर्द का अहसास हो तो प्रोस्टेट में इंफेक्शन हुआ समझना चाहिए। इसका इलाज एंटीबॉयोटिक्स से मुमकिन है।

डायबिटीज को कंट्रोल करना जरूरी है। गौर करने वाली बात यह है कि कारण 3 और 4 का इलाज होने पर भी कुछ मामलों में शीघ्र स्खलन में फर्क नहीं पड़ता। ऐसे मामलों में भी अगर डपॉक्सीटीन ली जाए तो उसमें काफी राहत मिल सकती है।

अगर किसी को शीघ्र स्खलन की समस्या को जड़ से दूर करना हो तो योगाभ्यास (वज्रौली और अश्विनी मुद्रा) कारगर साबित हो सकता है। कुछ यूनानी डॉक्टरों का कहना है कि पुरूष अगर रुक-रुक कर पेशाब करने की आदत डाल दे तो शीघ्र स्खलन में विलंब आ सकता है। उनका यह मानना है कि दिमाग यह नहीं समझता कि आप पेशाब निकाल रहे हैं या वीर्य। इसलिए पेशाब में कंट्रोल आने के साथ-साथ वीर्य में भी रुकावट आ जाता है।

शराब सेक्स के लिए जहर के समान होता है। कुछ लोग अगर थोड़ी मात्रा में ( 30 मिली लीटर) शराब लेते हैं तो उनकी फिक्र, चिंता या एंग्जाइटी कम हो जाती है और वे ज्यादा आत्म-विश्वास से लंबे वक्त तक सहवास कर सकते हैं। सिगरेट और तंबाकू में निकोटीन पाया जाता है, जिससे एंग्जाइटी के चिह्न और जोर पकड़ते हैं और शीघ्र स्खलन और बढ़ जाता है।

नोट: दवाइयों और गोलियों का सेवन अपने डॉक्टर से पूछ कर ही करें।

कृत्रिम गर्भाधान क्या है ?



कृत्रिम गर्भाधान या आइवीएफ (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) में अंडों को अंडाशय से शल्य क्रिया द्वारा बाहर निकाल कर शरीर से बाहर पेट्री डिश में शुक्राणु के साथ मिलाया जाता है। करीब 40 घंटे के बाद अंडों का परीक्षण किया जाता है कि वे निषेचित हो गये हैं या नहीं और उनमें कोशिकाओं का विभाजन हो रहा है। इन निषेचित अंडों को महिला के गर्भाशय में रख दिया जाता है और इस तरह गर्भ-नलिकाओं का उपयोग नहीं होता है।

कृत्रिम वीर्य प्रदान क्या है?
इस प्रक्रिया में, विशेष रूप से तैयार किए गए वीर्य को महिला के अन्दर इंजैक्शन द्वारा पहुँचाया जाता है। कृत्रिम वीर्य़ का उपयोग सामान्यतः तब किया जाता है

(1) अगर मर्द साथी अनुर्वरक हो
(2) ग्रीवा परक म्यूक्स में महिला को कोई रोग हो
(3) या दम्पति में अनुर्वरकता का कारण पता न चल रहा हो।

सहायक प्रजनन तकनीक (आर्ट) क्या है?
आर्ट वह संज्ञा है जिस में अनुर्वरित दम्पतियों की मदद के लिए अनेकानेक वैकल्पिक विधियां बताई गई हैं। आर्ट के द्वारा औरत के शरीर से अण्डे को निकालकर लैब्रोटरी में उसे वीर्य से मिश्रित किया जाता है और एमबरायस को वापिस औरत के शरीर में डाला जाता है। इस प्रक्रिया में कई बार दूसरों द्वारा दान में दिए गए अण्डों, दान में दिए वीर्य या पहले से फ्रोजन एमबरायस का उपयोग भी किया जाता है। दान में दिए गए अण्डों का प्रयोग उन औरतों के लिए किया जाता है है जो कि अण्डा उत्पन्न नहीं कर पातीं। इसी प्रकार दान में दिए गए अण्डों या वीर्य का उपयोग कई बार ऐसे स्त्री पूरूष के लिए भी किया जाता है जिन्हें कोई ऐसी जन्मजात बीमारी होती है जिसका आगे बच्चे को भी लग जाने का भय होता है।

यह आर्ट कितना सफल रहा है?
35 वर्ष तक की आयु की औरतों में इस की सफलता की औसत दर 37 प्रतिशत देखी गई है। आयु वृद्धि के साथ साथ सफलता की दर घटने लगती है। आयु के अतिरिक्त भी सफलता की दर बदलती रहती है और अन्य कई बातों पर भी निर्भर करती है। आर्ट की सफलता की दर बदलती रहती है और अन्य कई बातों पर भी निर्भर करती है। आर्ट की सफलता दर को प्रभावित करने वाली चीज़ों में शामिल है -

(1) अनुर्वरकता का कारण
(2) आर्ट का प्रकार
(3) अण्डा ताज़ा है या फ्रोज़न
(4) एमब्रो (भ्रूण) ताज़ा है या फ्रोज़न।

आर्ट के अलग-अलग प्रकार कौन से हैं?
आर्ट के सामान्य प्रकारों में शामिल हैं -

(1) इन बिटरो उर्वरण
(2) जीएगोटे इन्टराफैलोपियन टांस्फर (जेड आई एफ टी)
(3) गेमेटे इन्टराफैलोपियन टांस्फर (जी आई एफ टी)
(4) इन्टरासाईटोप्लास्मिक स्परम इंजैक्शन (आई सी एस आई)

इन विटरों फरटिलाइज़ेशन (आई वी एफ) क्या होता है?
आई वी एफ का अर्थ है शरीर के बाहर होने वाला उर्वरण। आई वी एफ सबसे अधिक प्रभावशाली आर्ट है। आमतौर पर इसका प्रयोग तब करते हैं जब महिला की अण्डवाही नलियाँ बन्द होने हैं या जब मर्द बहुत कम स्परम पैदा कर पाता है। डॉक्टर औरत को ऐसी दवाएं देते हैं जिससे कि वह मलटीपल अण्डे दे पाती है। परिपक्व होने पर, उन अण्डों को महिला के शरीर से निकाल लिया जाता है। लेब्रोटरी के एक वर्तन में उन्हें पुरूष के वीर्य से उर्वरित होने के लिए छोड़ दिया जाता है तीन या पांच दिन के बाद स्वस्थ्य भ्रूण को महिला के गर्भ में रख दिया जाता है।

ज़िगोटे इन्टराफैलोपियन ट्रांस्फर (जेड आई एफ टी) क्या होता है?
जेड आई एफ टी भी आई वी एफ के सदृश होता है। उर्वरण लेब्रोटरी में किया जाता है। तब अति सद्य भ्रूण को गर्भाशय की अपेक्षा फैलोपियन ट्यूब में डाल दिया जाता है।

गैमेटे इन्टरफैलोपियन ट्रांस्फर क्या होता है?
जी आई एफ टी के अन्तर्गत महिला की अण्डवाही ट्यूब में अण्डा और वीर्य स्थानान्तरित किया जाता है। उर्वरण महिला के शरीर में ही होता है।

इन्टरासाइटोप्लास्मिक स्परम इंजैक्शन क्या होता है?
आई सी एस आई में उर्वरित अण्डे में मात्र एक शुक्राणु को इंजैक्ट किया जाता है। तब भ्रूण को गर्भाशय या अण्डवाही ट्यूब में ट्रांस्फर (स्थानान्तरित) किया जाता है। इसका प्रयोग उन दम्पतियों के लिए किया जाता है जिन्हें वीर्य सम्बन्धी कोई घोर रोग होता है। कभी कभी इसका उपयोग आयु में बड़े दम्पतियों के लिए भी किया जाता है या जिनका आई वी एफ का प्रयास असफल रहा हो।

खाने की चीजों में प्रति आइटम कैलोरी चार्ट



फूड पिरामिड

  • पिरामिड नीचे से बड़ा होता है और ऊपर जाकर संकरा होता है। हमारा खाना भी इसी आधार पर होना चाहिए।
  • खाने के पिरामिड के सबसे नीचे वाले बड़े हिस्से में तरल पदार्थ आते हैं , इसलिए खाने का बड़ा हिस्सा तरल पदार्थ का होना चाहिए।
  • उसके ऊपर कार्बोहाइड्रेट्स आते हैं। मसलन चपाती , चावल , नूडल्स आदि। इतनी ही मात्रा चपातियों की होनी चाहिए।
  • फूड पिरामिड के और ऊपर के ( छोटे ) हिस्से में फल और सब्जियां आती हैं। पूरे दिन में तीन - चार बार हमें फल और सब्जियां लेनी चाहिए।
  • इसके ऊपर पिरामिड और छोटा होता जाता है जिसमें प्रोटीन आता है। इसका मतलब यह है कि हमें पूरे दिन में दो - तीन कटोरी दाल लेनी चाहिए।
  • पिरामिड का जो छोटा ऊपरी हिस्सा बचता है , उसमें हैं मिल्क प्रॉडक्ट्स। पूरे दिन में एक गिलास दूध और थोड़ा दही या छाछ , पनीर लेने चाहिए।
  • आखिरी छोटे हिस्से में घी , तेल और मिठाई आते हैं। दिनभर में एक सामान्य शख्स के लिए तीन छोटे चम्मच तेल या घी काफी है। इसके अलावा पूरे दिन में एक छोटा चम्मच नमक काफी है। पूरे दिन में तीन चम्मच शुगर से ज्यादा नहीं लेना चाहिए।


लंच और डिनर 
खाने के आइटम
साइज
कैलरी (लगभग)
चपाती (बिना घी की)
एक छोटी
70
चपाती (बिना घी की)
एक मीडियम
85
पराठा
एक मीडियम
200
पूरी
एक मीडियम
125
भठूरा
एक मीडियम
175
आलू पराठा
एक मीडियम
225
प्लेन राइस
एक कटोरी
20
शाही पनीर
एक प्लेट
300
मटर पनीर
एक प्लेट
280
सलाद
एक मीडियम
200
पुलाव (फ्राइड राइस)
एक कटोरी
175

















नॉनवेज 
खाने के आइटम
साइज
कैलरी (लगभग)
चिकन / फिश / टिक्का / तंदूरी फिश
एक पीस
150
बटर चिकन
एक पीस
225
फिश कटलेट्स / फ्राइड फिश
दो पीस
200
मटन करी
एक कटोरी
250
झींगा
एक कटोरी
200









स्नैक्स 
खाने के आइटम्स
साइज
कैलरी(लगभग)
चाय (मीठी)
एक कप
40
कॉफी (मीठी)
एक कप
60
सॉफ्ट ड्रिंक
एक गिलास
225
ब्रेड स्लाइस
दो पीस
230
पिज्जा
एक स्मॉल
350
बर्गर
एक मीडियम
350
चाऊमिन
एक प्लेट
300
चाट पापड़ी
एक प्लेट
450
छोले कुलचे
एक प्लेट
390
बॉइल्ड एग
एक
90
















दूध से बने पदार्थ 
खाने के आइटम्स
साइज
कैलरी (लगभग)
गाय का दूध
एक गिलास (200 एमएल)
135
भैंस का दूध
एक गिलास (200 एमएल)
240
टोंड दूध
एक गिलास (200 एमएल)
140
डबल टोंड दूध
एक गिलास (200 एमएल)
90
स्किम्ड दूध
एक गिलास (200 एमएल)
60
दही
एक गिलास (200 एमएल)
दूध जितनी
छाछ (नमक वाली या सादा)
एक गिलास (200 एमएल)
30
लस्सी
एक गिलास (200 एमएल)
140
पनीर (गाय का दूध वाला)
25 ग्राम
65
पनीर (भैंस के दूध वाला)
25 ग्राम
75
खोया बर्फी
25 ग्राम
200
आइसक्रीम
एक कप (100 ग्राम)
250



















खाने के तीन जोन (ग्रीन, येलो और रेड) 
ग्रीन जोन 
भरपूर खाएं )
यलो जोन 
(सोच कर खाएं)
रेड जोन 
खाने से बचें )
वेजिटेबल चपाती
नान
बटर नान
साबुत फल
फ्रूट चाट, घर का बना जूस
कोल्ड ड्रिंक्स, पैक्ड जूस
चटनी-हरा धनिया-पुदीना
ग्रीन, वाइट, टोमेटो सॉस
म्योनी, चीज डिप
स्किम्ड मिल्क, छाछ, दही
घी, क्रीम, बटर, पनीर
फ्लेवर्ड मिल्क, योगर्ट, आइसक्रीम
बिना जर्दी के अंडे, मछली
चिकन
मटन, रेड मीट
स्प्राउट, कुरमुरे-भेलपुरी
वेज सेंडविच
पैटीज, समोसे, बर्गर, पिज्जा












किसे कितनी कैलरी चाहिए रोजाना 
ग्रुप
विवरण
वजन (किलो)
कैलरी
नवजात शिशु
0-6 महीने
5.4
92
शिशु
6-12 महीने
8.4
80
बच्चे
1-3 साल
12.9
1060
लड़के
10-12 साल
34.3
2190
लड़कियां
10-12 साल
35.0
2010
लड़के
16-17 साल
55.4
3020
लड़कियां
16-17 साल
52.1
2440
पुरुष
सामान्य कामकाज
60
2730
महिला
सामान्य कामकाज
55
2230

सूर्य नमस्कार में 12 पॉस्चर होते हैं और यह करीब एक मिनट में एक बार पूरा होता है।

आपके पास घर में कॉर्डियो मशीन नहीं है , तो इसका मतलब यह नहीं कि आप वॉर्म आप नहीं कर सकते। इसमें टेंशन लेने की कोई जरूरत नहीं है। इसलिए लिए सबसे पहले अपने जूते निकालिए और खड़े - खड़े जॉगिंग शुरू कर दीजिए। एक ही जगह पर तकरीबन 10 मिनट तक जॉगिंग करें। इससे आपका बखूबी वॉर्म अप हो जाएगा। इसके बाद मैट या टॉवल बिछाएं और तैयार हो जाएं सूर्य नमस्कार के लिए। आपको बता दें कि सूर्य नमस्कार में 12 पॉस्चर होते हैं और यह करीब एक मिनट में एक बार पूरा होता है।

सूर्य नमस्कार
सीधे खड़े हो जाएं। पैरों को फैला दें। हाथ सीधे ऊपर की तरफ स्ट्रेच करें। अब बाहर सांस छोड़े और धीरे - धीरे नीचे झुकें। हाथों से जमीन को छूएं। अब वापस सीधे खड़े हो जाएं। अब दोनों हाथों की हथेलियों को जमीन पर टिका दें। बाएं पैर को पीछे ले जाएं। अब आपकी बॉडी एक आर्च फॉर्म करेगी यानी कि एक पहाड़ के शेप में होगी। अब आप बॉडी को जमीन पर छोड़ दें। आपके पैर , थाई , चेस्ट , माथा और हाथ सब जमीन को टच होने चाहिए। अब फिर प्रेशर डालकर बॉडी को उठाएं और पहले वाली पोजिशन में ले आएं। अब बाएं पैर को वापस लाएं। उसके बाद दाएं पैर को भी वापस अपनी पोजिशन में ले आएं। स्टैन्डिंग पोजिशन में हो जाएं। इसके बाद यह क्रम फिर से दोहराएं।

सरकिट

  • जब आप सरकिट कर रहे हों , तो यह ध्यान रखें कि आप इसे लगातर 25 बार करें। फिर दो बार और रिपीट करें।

स्क्वाट्स

  • अपने पैरों और कंधों को एक ही लेवल पर रखें। हाथ आगे निकालें और बैलेंस करते हुए ऐसे झुकें जैसे चेयर पर बैठे हों। अपनी बैक स्ट्रेट रखें और घुटनों को पैरों के लेवल से आगे न झुकने दें। अब वापस ऊपर जाकर स्ट्रेट पोजिशन में खड़े हो जाएं। एक्सर्साइज को एक बार फिर से रिपीट कर लें।

लंजेस

  • सीधे खड़े हो जाएं। अब अपना बायां पैर वापस लाकर 90 डिग्री पर झुकें। आपका पैर जमीन पर पूरी तरह फ्लैट होना चाहिए। अपनी बैक स्ट्रेट रखें। अब थोड़ी देर रुक के वापस स्टार्ट पोजिशन पर आएं। अब दूसरे पैर से करें। दोनों पैरों से 25-25 बार करें।

पुश अप्स

  • अपने आप को जमीन पर फ्लैट पोजिशन में करें और अपनी टोज पर और हाथों पर बैलेंस करें। अगर बॉडी में ताकत कम है , तो घुटनों और हाथों पर बैलेंस करें। हाथों को दूर - दूर रखें। आपकी पूरी बॉडी एक स्ट्रेट लाइन में होनी चाहिए। अब बैलेंस करते हुए ऊपर आएं , जब तक कि आपके हाथ 90 डिग्री एंगल पर नहीं आते। फिर नीचे जाएं। इसे दो से तीन बार रिपीट करें।

क्रंचेज

  • अपनी बैक पर फ्लैट लेट जाएं। अपने पैर थोड़े बैंड कर लें और ज्यादा दूर न रखें। हाथों को सपोर्ट के लिए सर के पीछे रखें। आप ऊपर आकर सर को पैर तक लाने की कोशिश करें। इस एक्सर्साइज को फिर से रिपीट करें।

कूल डाउन

  • जब आप वर्कआउट कर चुके हों , तो आप लोअर बैक स्ट्रेचेज करें। अपनी पीठ पर फ्लैट लेट जाएं और बाएं पैर को चेस्ट तक लाएं। अब बाएं पैर को वापस फ्लैट पोजिशन पर ले जाकर दाएं पैर को चेस्ट तक लाएं। अब दोनों पैरों को साथ में चेस्ट तक लाएं और रिलैक्स करें।

सावधानी
अगर आपको बैक या जॉइंट प्रॉब्लम है , तो कोई भी एक्सर्साइज करने से पहले अपने फिटनेस एक्सपर्ट से कंसल्ट करें।

ये करें एक्सर्साइज

  • प्रेशर में एक्सर्साइज करने की बजाय आपको ऐसी एक्सर्साइज करनी चाहिए , तो आपको खुशी दें। जैसे स्विमिंग , दोस्तों के साथ ब्रिस्क वाकिंग या बैडमिंटन वगैरह।
  • आप चाहें , तो खुद को तरोताजा रखने के लिए योगासन भी कर सकते हैं।
  • जहां तक जिम ट्रेनिंग की बात है , वहां भी लाइट वेट एक्सर्साइज ही करनी चाहिए। ट्रेड मील पर दौड़ने की बजाय चलना ज्यादा बेहतर रहता है।
  • आप अपने एक्सर्साइज के वक्त को कम भी कर सकते हैं। 30 से 45 मिनट की एक्सर्साइज आपकी सेहत के लिए बेहतर रहेगी।

एक्सर्साइज करते वक्त ढीले और आरामदायक कपडे़ ही पहनें।

एक्सर्साइज शेड्यूल

  • हफ्ते में दो बार योगासन
  • हफ्ते में एक बार कोई भी खेल
  • हफ्ते में दो बार जिम या वॉक
  • हफ्ते में दो बार स्विमिंग

डायट का रखें ख्याल

  • एक्सरसाइज के साथ - साथ सही डायट लेना बेहद जरूरी है।
  • बैलेंस डायट को लंबे समय तक कंटिन्यू किया जा सकता है , लेकिन बॉडी को कंप्लीट न्युट्रीशन मिलना बेहद जरूरी है।
  • कम तेल का घर का बना खाना हमेशा बेहतर ऑप्शन होता है।
  • रोजाना कम से कम एक फल जरूर खाएं।
  • चावल का सेवन कम से कम करें।
  • घी खाना पूरी तरह बंद न करें , क्योंकि यह रोगों से लड़ता है। लेकिन इसे सही मात्रा में इस्तेमाल करें।
  • हफ्ते में कम से कम पाँच बार पत्तेदार सब्जियों का सेवन जरूर करें।
  • अपनी रोजाना डायट में सलाद , छाछ और दही को शामिल करें।
  • प्रतिदिन दूध जरूर पीएं।
  • पापड़ , अचार , मीठा , जंक फूड , नशीली व तली हुई चीजें खाने से बचें।