Sponsored Links

Showing posts with label Tips. Show all posts

Amazing helpful Regular Habits for Loose Weight


हम सभी अपना वजन कम करना तो चाहते है लेकिन कुछ ऐसे फैक्ट है जिनसे अनभिग्य होने के कारण इसे बहुत मुश्किल टास्क मान लेते है । यहाँ ऐसे कुछ रूटीन हैबिट्स के बारे में बात करते है जिनको जानकर आसानी से बढ़ा हुआ वजन काम किया जा सकता है । 

शरीर का वजन घटाने के लिए बॉडी का मेटाबॉलिज्म अच्छा होना जरूरी है। शरीर का मेटाबॉलिज्म बढ़ाकर आप आसानी से वजन कंट्रोल कर सकते हैं। मेटाबोलिजम अच्छा होने पर शरीर अच्छे से कैलोरी खर्च कर पाता है, जिससे बॉडी में एक्स्ट्रा फैट नहीं जमता। अगर मेटाबॉलिज्म स्लो है तो खूब एक्सरसाइज और डायटिंग करने के बाद भी वजन कम नहीं हो पाएगा। 

आइए समझे कि कैसे मेटाबॉलिज्म को बढ़ाया जा सकता है ?



  1. सुबह जब भी आप बिस्तर छोड़ते है, एक गिलास गुनगुना पानी नित्य पिने की आदत डाले क्योंकि इससे शरीर में मौजूद टॉक्सिन्स बाहर निकल जाते है जो की शरीर का फैट कम करने के लिए जरूरी है । 
  2. अगर आप रेगुलर पी जाने वाली चाय लेते है तो इसकी जगह ग्रीन टी, हर्बल टी, या लेमन टी का सेवन करे। इस चाय में मौजूद एंटी ओक्सिडेंट की वजह से आपके मेटाबोलिजम में सुधार होगा । 
  3. अगर सम्भव हो तो डेली कम से कम १५ मिनट सुबह की धुप का सेवन करे इश्स शरीर का सनलाइट बॉडी क्लॉक दुरुस्त होता है और मेटाबोलिजम में सुधर होता है । 
  4. दिन भर की भागदौड़ और तनाव भरी रूटीन लाईफ में से अपने १० मिनुत निकल के मेडिटेसन की आदत डाले इससे आपका बॉडी वेट अपने आप नियंत्रित होगा । 
  5. सुबह नाश्ते में स्प्राउट्स (अंकुरित दाल ), दूध, ऑट्स, पनीर, बीन्स आदि ले, और यदि आप अंडा पसंद करते है तो वह भी नाश्ते में लिया जा सकता है । 
  6. दोपहर के लंच में भी तेल, शुगर आदि के सेवन को अवॉइड करे व अधिक से अधिक मात्रा में स्प्राउट्स (अंकुरित दाल ), पनीर, बीन्स, भुने हुए चने, दही आदि का सेवन करे । 
  7. जब भी आपको मौका मिले तो पैदल चले, और यदि सम्भव हो तो दिन में कभी भी ३० मिनट की वाक करने की आदत डाले । 
  8. लिफ्ट का कम से कम यूज करे और सीढ़ियों से चढे उतरे । इससे जल्दी फैट बर्न होगा । 
  9. सादा निम्बू पानी का सेवन कभी भी किया जा सकता है, इससे डायजेसन में सुधर आता है और जल्दी फैट बर्न होता है । 

Vastu Dosh Remedy (बिना तोड़फोड़ के वास्तु दोष शमन)



ज्यादातर लोगो में यही जानने की उत्सुकता होती है की कैसे बिना तोड़फोड़ के वास्तु दोषो का निराकरण किया जा सकता है? मुख्य रूप से नो प्रकार के उपायो का उल्लेख किया जाता है जिनकी सहायता से हम अपने घर के वास्तु दोष को सरलता से दूर  कर सकते है, जो निम्न प्रकार है :

१. रोशनी - दर्पण - क्रिस्टल बॉल
२. ध्वनि - घंटी
३. वृक्ष - पोधे - झाडी, पुष्प
४. पवन चक्की - दिशा दर्शक यन्त्र
५. मूर्तियां - पत्थर - चट्टानें
६. विभिन्न प्रकार के बिजली के उपकरण
७. बास
८. विभिनं प्रकार के रंग
९. विभिन्न प्रकार के यन्त्र और टोटके

कभी-कभी दोषों का निवारण वास्तुशास्त्रीय ढंग से करना कठिन हो जाता है। ऐसे में दिनचर्या के कुछ सामान्य नियमों का पालन करते हुए निम्नोक्त सरल उपाय कर इनका निवारण किया जा सकता है।

पूजा घर पूर्व-उत्तर (ईशान कोण) में होना चाहिए तथा पूजा यथासंभव प्रातः 06 से 08 बजे के बीच भूमि पर ऊनी आसन पर पूर्व या उत्तर की ओर मुंह करके बैठ कर ही करनी चाहिए।

पूजा घर के पास उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) में सदैव जल का एक कलश भरकर रखना चाहिए। इससे घर में सपन्नता आती है। मकान के उत्तर पूर्व कोने को हमेशा खाली रखना चाहिए।

घर में कहीं भी झाड़ू को खड़ा करके नहीं रखना चाहिए। उसे पैर नहीं लगना चाहिए, न ही लांघा जाना चाहिए, अन्यथा घर में बरकत और धनागम के स्रोतों में वृद्धि नहीं होगी।

पूजाघर में तीन गणेशों की पूजा नहीं होनी चाहिए, अन्यथा घर में अशांति उत्पन्न हो सकती है। तीन माताओं तथा दो शंखों का एक साथ पूजन भी वर्जित है। धूप, आरती, दीप, पूजा अग्नि आदि को मुंह से फूंक मारकर नहीं बुझाएं। पूजा कक्ष में, धूप, अगरबत्ती व हवन कुंड हमेशा दक्षिण पूर्व में रखें।

घर में दरवाजे अपने आप खुलने व बंद होने वाले नहीं होने चाहिए। ऐसे दरवाजे अज्ञात भय पैदा करते हैं। दरवाजे खोलते तथा बंद करते समय सावधानी बरतें ताकि कर्कश आवाज नहीं हो। इससे घर में कलह होता है। इससे बचने के लिए दरवाजों पर स्टॉपर लगाएं तथा कब्जों में समय समय पर तेल डालें।

खिड़कियां खोलकर रखें, ताकि घर में रोशनी आती रहे।

घर के मुख्य द्वार पर गणपति को चढ़ाए गए सिंदूर से दायीं तरफ स्वास्तिक बनाएं।

महत्वपूर्ण कागजात हमेशा आलमारी में रखें। मुकदमे आदि से संबंधित कागजों को गल्ले, तिजोरी आदि में नहीं रखें, सारा धन मुदमेबाजी में खर्च हो जाएगा।

घर में जूते-चप्पल इधर-उधर बिखरे हुए या उल्टे पड़े हुए नहीं हों, अन्यथा घर में अशांति होगी।

सामान्य स्थिति में संध्या के समय नहीं सोना चाहिए। रात को सोने से पूर्व कुछ समय अपने इष्टदेव का ध्यान जरूर करना चाहिए।

घर में पढ़ने वाले बच्चों का मुंह पूर्व तथा पढ़ाने वाले का उत्तर की ओर होना चाहिए।

घर के मध्य भाग में जूठे बर्तन साफ करने का स्थान नहीं बनाना चाहिए।

उत्तर-पूर्वी कोने को वायु प्रवेश हेतु खुला रखें, इससे मन और शरीर में ऊर्जा का संचार होगा।

अचल संपत्ति की सुरक्षा तथा परिवार की समृद्धि के लिए शौचालय, स्नानागार आदि दक्षिण-पश्चिम के कोने में बनाएं।

भोजन बनाते समय पहली रोटी अग्निदेव अर्पित करें या गाय खिलाएं, धनागम के स्रोत बढ़ेंगे।

पूजा-स्थान (ईशान कोण) में रोज सुबह श्री सूक्त, पुरुष सूक्त एवं हनुमान चालीसा का पाठ करें, घर में शांति बनी रहेगी।

भवन के चारों ओर जल या गंगा जल छिड़कें।

घर के अहाते में कंटीले या जहरीले पेड़ जैसे बबूल, खेजड़ी आदि नहीं होने चाहिए, अन्यथा असुरक्षा का भय बना रहेगा।

कहीं जाने हेतु घर से रात्रि या दिन के ठीक १२ बजे न निकलें।

किसी महत्वपूर्ण काम हेतु दही खाकर या मछली का दर्शन कर घर से निकलें।

घर में या घर के बाहर नाली में पानी जमा नहीं रहने दें।

घर में मकड़ी का जाल नहीं लगने दें, अन्यथा धन की हानि होगी।

शयनकक्ष में कभी जूठे बर्तन नहीं रखें, अन्यथा परिवार में क्लेश और धन की हानि हो सकती है।

भोजन यथासंभव आग्नेय कोण में पूर्व की ओर मुंह करके बनाना तथा पूर्व की ओर ही मुंह करके करना चाहिए।

How to prepare and apply Natural Mehendi (Henna) on your Hands? (कैसे बनाये एवं लगाये प्राकृतिक मेहँदी अपने हाथों पर?)

मेहँदी पाउडर: 
हमेशा सर्वश्रेष्ठ ताजा हरे रंग की मेहँदी  काम में ली जानी चाहिए और उसमे निम्न गुणवत्ता होनी चाहिए :
1) प्राकृतिक हरे रंग (ऑलिव हरे रंग के करीब)
2) प्राकृतिक तीखी खुशबू (आर्टिफीसियल सुगंधित नहीं)
3) किसी भी प्रकार के रसायन से मुक्त (100% प्राकृतिक)

Note: 
बासी Mehendi त्वचा पर कम रंग देती है जो अधिक भूरे रंग और बिना गंध की होती है, इसलिए इस मेहँदी को बालों के लिए कंडीशनिंग के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है.  हमेशा ताजा मेहँदी काम में लेनी चाहिए। ताजा मेहँदी को हाथ पर डिजाइन एवं बालों को रंगने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है.

शंकु (CONE) की तैयारी:
मेहँदी को कॉन या एप्लीकेटर (पिचकने वाली बोतल) के साथ लगाया जा सकता है  या आप टूथपिक से भी हाथों पे मेहँदी लगा सकती है । आप कॉन की सहायता से  मेहँदी को आसानी से लगा सकते है कॉन  के लिए आप दूध की प्लास्टिक, अच्छी क्वालिटी के शॉपिंग बैग्स या अन्य ज़िप वालें प्लास्टिक बैग्स को काम में ले सकते है । नीचे दिए गए निर्देशों की मदद से आप भी मेहँदी का शंकु बना सकती है ।


मेहँदी का पेस्ट तैयार करना:
अच्छा रंग पाने के लिए कोई विशेष प्रक्रिया की जरूरत नहीं है, सिर्फ पेस्ट में नीलगिरी का तेल और मेहँदी के तेल की कुछ बूँदें डालने की जरूरत है, मेहँदी का पेस्ट, मेहँदी के पाउडर और पानी के मिश्रण से भी बनाया जाता है । मेहँदी का पेस्ट टूथपेस्ट या दही जितना गाड़ा होना चाहिए. अच्छे रंग पाने के लिए मेहँदी का पेस्ट तैयार करके थोड़े टाइम  लिए रख देना चाहिए ।

एक शंकु, चार हाथ डिजाइन करने के लिए पर्याप्त है. इसलिए कॉन के लिए पेस्ट हमेशा जरूरत के हिसाब से ही तैयार करे।

4 शंकु बनाने के लिए 100 ग्राम मेहँदी लें,

स्टेप-१ 
मेहँदी के पाउडर को फ़िल्टर करने के लिए नायलॉन कपड़ा ले और इसको दोनों साइड से शीर्ष भाग से पकड़ के दो बार मेहँदी पाउडर को छान ले ।  पाउडर छानने के लिए चाय की झरनी भी काम में ले सकती है । मेहँदी का पाउडर ढेलेदार नहीं होना चाहिए. यदि आप को धूल से एलर्जी है तो पाउडर को छानते समय अपनी नाक को रूमाल से ढँक के रखे ।

स्टेप-२ 
ए) पानी का आधा कप, एक चम्मच चाय पत्तियों और एक चम्मच मेथी के साथ उबाल ले ।
बी) आधा कप पानी के साथ इमली के चार टुकड़े और चीनी का एक चम्मच 10 मिनट तक उबाल ले।

स्टेप-३ 
10 मिनट के बाद स्टेप-२ के दोनों कपो के पानी के मिश्रण को अच्छी तरह से हिला ले ।
मिश्रण को छान कर 100 ग्राम मेहँदी के पाउडर को मिला ले ।
नीलगिरी के तेल एवं Mehendi के तेल की १०-१२ बूंदे पेस्ट में मिला ले ।
इस बने हुए गाढ़े पेस्ट के मिश्रण को कम से कम 1 घंटे या अधिकतम 24 घंटे तक के लिए रख दे ।
जितनी मात्रा में आवश्यकता हो उतनी मात्रा के पेस्ट को पतला करके काम में लिया जा सकता है ।
बचे हुए पेस्ट को लगभग 2-3 सप्ताह के लिए रेफ्रिजरेटर में संग्रहीत किया जा सकता है, पेस्ट का उपयोग करने से 2 घंटे पहले फ्रीज़ से निकाल लेना चाहिए ।
कमरे का तापमान लगभग 25 डिग्री होना तक होना चाहिए, क्योंकि ठंडे स्थानों में मेहँदी बेस्ट रिजल्ट नहीं दे पति है ।

स्टेप-४ 
कॉन में मेहँदी का पेस्ट डालने से पहले उसे अच्छी प्रकार से हिला ले ताकि किसी भी तरह की गुठलीया न रह पाये ।

मेहंदी डिज़ाइन 
यहाँ पर आपकी सुविधा के लिए हमने मेहँदी के कुछ डिज़ाइन दिए है जिनकी सहायता से आप आसानी से मेहंदी बना सकते है । 

मेहँदी लगाने की विधि : 
मेहँदी लगाने से पहले अपने हाथ और पैर पे हमेशा रूई के साथ नीलगिरी या मेहँदी का तेल जरूर लगाये ।
आप यह जरूर ध्यान रखे की आप के हाथ और पैरों पे किसी भी प्रकार का बॉडी लोशन या क्रीम या मरहम न लगा हों ।
यदि आप के हाथ या पैर ठन्डे रहते है तो मेहँदी लगाने से पहले इनको गर्म अवश्य कर ले ।
अगर आप बीमार है तो मेहँदी को  क्योंकि मेहँदी की तासीर ठंडी होती है ।

मेहँदी का रंग हथेली पर गहरा एवं शरीर के अन्य हिस्सों पर तुलना में हल्का आता है.

हाथो और शरीर के अन्य हिस्सों पर मेहँदी का डार्क रंग पाने के लिए निम्बू के रस में १/४ मात्रा में चीनी का पेस्ट बना ले और इसको अधिकतम ३ बार लगाये ।

मेहँदी के लगे रहने की समयावधि :
कम से कम 1 घंटे और अधिकतम 12 घंटे तक मेहँदी को लगी रहने दे ।
जितने ज्यादा टाइम तक मेहँदी लगे रहेगी कलर उतना ही डार्क आएगा ।
हाथों पर से मेहँदी को हटाने के १० मिनट पहले खाने का तेल कॉटन की सहायता से लगाये ।
इस आयल को आठ से दस घंटे तक अपने हाथों पर लगे रहने दे और इसके बाद सादा पानी से हाथों को धो ले और एक्स्ट्रा आयल को कोटन की सहायता से साफ़ कर ले ।
मेहँदी के अच्छे कलर के लिए हाथों को नमक के पानी से दूर रखे ।

यदि रंग हल्का आता है:
आप जानती है की आपके मेहँदी का कलर हल्का आता है तो एक लोहे के तवे पर 3 लौंग को गर्म कर ले और इसके धुएं पर अपने हाथ ले जाए। इससे गहरा रंग पाने में मदद मिलेगी.
इसके बाद भी आप महसूस करती है की डार्क कलर नहीं आया तो बाम का प्रयोग करे ।
फिर भी यदि कलर मन माफिक नहीं आ रहा है तो आधा चमच्च आयल में चुना मिला कर हाथों पर लगाये अगले दो घंटे में आप बेहतर रिजल्ट पाएंगी ।
मेहँदी लगाने के बाद जरूरत पड़ने पर हांथों को हमेशा केवल लिक्विड साबुन से धोये अन्यथा मेहँदी जल्दी हल्की पड़  जायेगी । 

How to loss weight fast and easy home tips (मोटापा कम करने के आसान घरेलु उपाय)



पपीता नियमित रूप से खाएं। यह हर सीजन में मिल जाता है। लंबे समय तक पपीता के सेवन से कमर की अतिरिक्त चर्बी कम होती है।

दही का सेवन करने से शरीर की फालतू चर्बी घट जाती है। छाछ का भी सेवन दिन में दो-तीन बार करें।

छोटी पीपल का बारीक चूर्ण पीसकर उसे कपड़े से छान लें। यह चूर्ण तीन ग्राम रोजाना सुबह के समय छाछ के साथ लेने से बाहर निकला हुआ पेट अंदर हो जाता है।

आंवले व हल्दी को बराबर मात्रा में पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को छाछ के साथ लेंं। कमर एकदम पतली हो जाएगी।

मोटापा कम नहीं हो रहा हो तो खाने में कटी हुई हरी मिर्च या काली मिर्च को शामिल करके बढ़ते वजन पर काबू पाया जा सकता है। एक रिसर्च में पाया गया कि वजन कम करने का सबसे बेहतरीन तरीका मिर्च खाना है। मिर्च में पाए जाने वाले तत्व कैप्साइसिन से भूख कम होती है। इससे ऊर्जा की खपत भी बढ़ जाती है, जिससे वजन कंट्रोल में रहता है।

एक चम्मच पुदीना रस को 2 चम्मच शहद में मिलाकर लेते रहने से मोटापा कम होता है

सब्जियों और फलों में कैलोरी कम होती है, इसलिए इनका सेवन अधिक मात्रा में करें। 

पुदीने की चाय बनाकर पीने से मोटापा कम होता है।

खाने के साथ टमाटर और प्याज का सलाद काली मिर्च व नमक डालकर खाएं। इनसे शरीर को विटामिन सी, विटामिन ए, विटामिन के, आयरन, पोटैशियम, लाइकोपीन और ल्यूटिन मिलेेगा। इन्हें खाने के बाद खाने से पेट जल्दी भर जाएगा और वजन नियंत्रित हो जाएगा।

सुबह उठते ही 250 ग्राम टमाटर का रस 2-3 महीने तक पीने से वसा में कमी होती है।

केवल गेहूं के आटे की रोटी की बजाए गेहूं, सोयाबीन और चने के मिश्रित आटे की रोटी ज्यादा फायदेमंद है।

रोज पत्तागोभी का जूस पिएं। पत्तागोभी में चर्बी घटाने के गुण होते हैं। इससे शरीर का मेटाबॉलिज्म सही रहता है।

बेबीमून क्या है ?



एक माँ के लिए गर्भधारण  करना एक विशेष अनुभव होता है, चाहे  माँ अपने पहले बच्चे की उम्मीद से हो या फिर चौथे बच्चे की । एक गर्भवती माँ के लिए उसके शरीर के भीतर पलने वाले जीवन को पोषण देना, कभी भी न भूले जाने वाली अनुभूति होती है और इस अनुभूति को यादगार क्षणों में तब्दील किया जा सकता है "बेबीमून " कि प्लानिंग करके ।

बेबीमून क्या है ?
"बेबीमून" शब्द सबसे पहले नब्बे के दशक में सामने आया। उस वक्त बच्चे के जन्म के बाद मां-बाप जो वक्त एक साथ बिताते थे। उसे बेबीमून कहा जाता था। इसके लिए वे बाकायदा प्लानिंग करते थे और अपनी पसंदीदा जगह पर न्यू-बॉर्न बेबी के साथ कपल्स वक्त बिताते थे।

इसके बाद 2006 के बाद बेबीमून का स्वरूप बदला। अब कपल्स बेबी के होने से पहले जो छुट्टियां साथ बिताने लगे उसे बेबीमून कहा जाने लगा। इस वक्त यह खूब प्रचलन में है। मां-बाप बनने वाले कपल्स बच्चे के जन्म से पहले कुछ दिन साथ बिताते हैं। इन दिनों में वो अपनी पसंदीदा जगह की ट्रैवलिंग करते हैं। बच्चे के लिए प्लानिंग करते हैं। इसके अलावा, आने वाली जिम्मेदारियों के ऊपर बातचीत करते हैं।

सही समय का चुनाव 
बेबीमून के लिए परफेक्ट टाइमिंग 18 से लेकर 24 वें सप्ताह के बीच मानी जाती है। इसके अलावा आप गर्भावस्था के मिड पीरियड में भी बेबीमून पर जा सकते हैं। बेबीमून को लेकर अलग-अलग राय है कई लोग कहते हैं कि 14 से लेकर 28वें सप्ताह के बीच बेबीमून पर जाना उपयुक्त रहता है।

 The Mongan Method: A Natural Approach to a Safe, Easier, More Comfortable Birthing with CD (Audio)

बेबीमून पर जाते वक्त इस बात का विशेष ध्यान रखें कि जिस एयरलाइन में आप जा रहे हैं कहीं उसमें डिलीवरी के कुछ सप्ताह पहले फ्लाइनिंग प्रतिबंधित न हो। कई ऐसी एयरलाइन हैं जो डिलीवरी के कुछ हफ्ते पहले फ्लाइनिंग नहीं करने देती हैं। बुकिंग से पहले इस बात को चेक कर लें, ताकि आपका टिकट बर्बाद न जाए।

डेस्टिनेशन का चुनाव
बेबीमून पर जाने से पहले डेस्टिनेशन तय कर लें। ध्यान रहे कि डेस्टिनेशन पति-पत्नी दोनों की रजामंदी का होना चाहिए। अगर आप पहले से ही तय डेस्टिनेशन पर बेबीमून मनाने जाएंगे तो खूब मस्ती भी कर पाएंगे और बिना किसी परेशानी और आपसी मनमुटाव के रिलेक्स भी करेंगे।

बेबीमून के लिए ऐसी जगह का चुनाव करें जहां आप दोनों आसानी से जा सकें। वहां जाने में किसी भी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े। अगर आप कार से बेबीमून के लिए जा रहे हैं तो ध्यान रखें कि 9-10 घंटे से ज़्यादा का सफर न हो।

सीट बैल्ट हल्के बांधे
बेबीमून के लिए प्लाइंग करते वक्त गर्भवती महिला को अपनी सीट बैल्ट हल्के बांधनी चाहिए। इसके अलावा पेट के नीचे को सीट बैल्ट बांधे। पेट के बीचो-बीच सीट बैल्ट बांधने से बचें।

डॉक्टर से सलाह लें
बेबीमून पर जाते वक्त अपने डॉक्टर से सलाह लें। जहां आप बेबीमून के लिए जा रहे हैं वहां आस-पास डॉक्टर की उचित व्यवस्था हो इस बात का विशेष ध्यान रखें।

अपने पति से इन बातों का जिक्र न करें...

अगर आप एक अच्छा और कामयाब रिलेशन चाहती हैं तो कभी भी अपने पति से इन बातों का जिक्र न करें...

कुछ बातें छिपी ही अच्छी
सच स्वीकारना अच्छा होता है, लेकिन हमेशा नहीं! यदि आप अपने पार्टनर के साथ खुश रहना चाहती हैं, तो कुछ बातों को दबा ही रहने दें। भरोसा रखें, जो वह नहीं जानते उससे वह दुखी भी नहीं होंगे। इससे आप अपने पार्टनर के साथ उन बातों की वजह से झगड़े की संभावना से बची भी रहेंगी।


वाह क्या सेक्स था!
आपने अपने एक्स बॉयफ्रेंड के साथ कहीं भी, किसी भी जगह सेक्स किया हो, गलती से भी उसका जिक्र अपने पति से न करें। आपकी पास्ट सेक्स लाइफ के बारे में सुनना आपके पार्टनर को बिलकुल गवारा नहीं होगा, इसलिए इन बातों को अपनी आज की जिंदगी से दूर ही रखें, इससे पहले कि ये आपको मुश्किल में डाल दें। यहां तक कि अगर आपका पार्टनर आपकी सेक्स-टेल्स आसानी से सुन रहा है, तो भी यह दिमाग में रखें कि कभी आप भी उस जगह हो सकती हैं। इसीलिए इन बातों को कभी भूल कर भी अपने और अपने पार्टनर के बीच में न आने दें।


उसने फोन किया था!
आपका एक्स बॉयफ्रेंड शहर में वापस आ गया है या फिर कोई नया प्रॉजेक्ट शुरू कर रहा है। हम जानते हैं कि आपके पार्टनर को इसमें जरा भी इंटरेस्ट नहीं होगा। इसलिए ये सब बातें आप अपने तक ही रखें। आपकी सहेलियों को शायद इन बातों पर गॉसिप करना पसंद आए।


उसने भी यही कहा था!
रोमांस में कई चीजें आप बार-बार ट्राई करते हैं। लेकिन फिर भी सामने वाले को हर बार नया सा ही अहसास करना जरूरी है। इसलिए अगर आपने अपने पार्टनर से ऐसा कुछ भी सुना हो जो आप अपने एक्स बॉयफ्रेंड से भी सुन चुकी हैं तो तुरंत एक्साइटेड होकर यह न बोल पड़ें कि 'हां', यह सच है। 'वो' भी ऐसा ही कहता था। मान लीजिए आपका पार्टनर आपकी आंखों की तारीफ करता है तो अब आप गलती से भी यह न कहें दे कि हां 'वह भी' (एक्स बॉयफ्रेंड) यही कहता था।


मैंने उसे धोखा दिया!
आपका एक्स बॉयफ्रेंड एकदम बोरिंग था और आपने उसे उसके बेस्ट फ्रेंड या फिर किसी और के लिए उसे छोड़ा दिया था। जाने-अंजाने भूलकर भी इन बातों का जिक्र अपने पार्टनर से बिलकुल न करें। आपके पुराने धोखे की कहानी सुनकर कहीं वह आपके पीछे जासूस न लगा दे और हमेशा आपको लेकर शंका में रहे कि कहीं आप उसे भी तो धोखा नहीं दे रहीं।


'वो' लम्हा बहुत खास था!
हम जानते हैं, ज्यादातर रोमांटिक लम्हें खास ही होते हैं, लेकिन अच्छा होगा अगर आप उन्हें अपने पार्टनर से उन 'पुराने खास दिनों' को छिपाकर ही रखें। उन्हें इससे ज्यादा और कुछ बुरा नहीं लगेगा, अगर आप उन्हें कहेंगे, 'वह लम्हा बहुत खास था।'


बेस्ट कपल थे हम!
जब भी आपने अपने एक्स बॉयफ्रेंड के साथ फोटो खिंचवाई हो, हो सकता है, लोगों ने कहा हो, wow... क्यूट! हम इस बात से इनकार नहीं कर रहे कि आपका बेस्ट कपल रहे हों और लोग आप दोनों को साथ देखकर जलते हों, लेकिन इस बात का जिक्र अपने करंट पार्टनर से हरगिज न करें। शायद आप सोचती हों कि आपका पार्टनर इसे गलत नहीं समझेगा। उसे कोई कॉम्प्लेक्स नहीं फील होगा और वह हमेशा आपके साथ खुश रहेगा। लेकिन ऐसा नहीं है!

लड़कियों के दुश्मन बन चुके ' अपनों ' को कैसे पहचाने ?

यूज करें सिक्स्थ सेंस
सायकायट्रिस्ट कहते हैं , ' लड़कियों के पास सिक्सस सेंस होती है। अगर वे इसका इस्तेमाल करें , तो अपराधी की पहचान पहले ही की जा सकती है। 

अगर आपका कोई रिलेटिव आपसे कुछ ज्यादा घुलने - मिलने की कोशिश करे या आपकी हर एक्टिविटीज पर निगाह रखे। उसे हर वक्त इस बात का ख्याल रहता हो कि आप क्या पहन रही हैं या कहां जा रही हैं। तो समझ जाइए कि उसके इरादे ठीक नहीं हैं।

अगर वह किसी भी तरीके से आपसे बात करने की कोशिश करता है या आपको बहुत ज्यादा इम्पोर्टेंस देता है , तो आप उसे तुरंत डांट लगा दें और अपने पैरंट्स इस बारे में जानकारी जरूर दें। ताकि वह बाद में कोई उलटी सीधी हरकत करने की कोशिश करे , तो मामला आपके पैरंट्स की जानकारी में रहे। अगर मामला सबकी नजर में रहेगा , तो आपसे किसी भी तरह की बदतमीजी या और कोई हरकत करने से डरेगा। '

खतरनाक हैं ड्रग एडिक्ट
देखने में आया है कि आपके अपनों द्वारा रेप या बदतमीजी जैसे केसेज होने के चांस तब ज्यादा होते हैं , जब आरोपी ड्रग्स वगैरह लेता है।

सायकायट्रिस्ट  कहते हैं , ' ऐसी घटना किसी के भी साथ हो सकती है। अगर लड़की कुछ बातों का ध्यान रखे , तो ऐसे एक्सिडेंट से बचा जा सकता है। मसलन अगर आपका कोई रिलेटिव आपके सामने बहुत ज्यादा अच्छा या इनोसेंट बने या नॉर्मल बात न करे। आपसे जबर्दस्ती दोस्ती करना चाहे। जरूरत से ज्यादा अपनापन दिखाए। आपके करीब आने की कोशिश करे , तो सावधान हो जाइए और ऐसे इंसान से दूरी बना लें। '

दरअसल , इस तरह की घटनाओं में दोषी ज्यादातर ड्रग एडिक्ट होते हैं। अगर आपका कोई रिलेटिव ड्रग्स लेता है और उसका बिहेव भी अजीब है , तो आप उसके झांसे में कतई न आएं। बेहतर होगा कि उससे बातचीत करना बंद कर दें। ये कुछ ऐसी बातें हैं , जिनसे आप इस तरह की घटनाओं से बच सकती हैं।

अपनी सेफ्टी , अपने हाथ
आप अपने सेफ्टी को लेकर बेहद कॉन्शस रहती हैं , बावजूद इसके सिरफिरों से निपटना बेहद मुश्किल है। समीर पारिख कहते हैं , ' वैसे तो रेप और छेड़छाड़ जैसी घटनाओं को रोक पाना बेहद मुश्किल है। लेकिन यह भी सही है कि ऐसे लोगों की पहचान की जाए , तो उन्हें कैच कर पाना आसान होता है। '

वहीं सायकायट्रिस्ट  कहते हैं , ' किसी इंसान के मन में क्या चल रहा है ? यह जान पाना बेहद मुश्किल काम है। लेकिन आपके रिलेटिव का कैसा नेचर है। उसके देखने के नजरिए या बात करने के तरीके से इस बारे में काफी कुछ समझा जा सकता है। ऐसे में आप किसी को लेकर कोई भी गलतफहमी न पालें और पहले ही सावधान हो जाएं। इसके अलावा , लड़कियों को हर वक्त अपने साथ सेल्फ प्रोटेक्शन के कुछ हथियार जरूर रखना चाहिए , ताकि वक्त आने पर उसे यूज कर सकें। साथ ही , आपको सेल्फ डिफेंस का कोर्स भी करना चाहिए , ताकि आप अपनी सुरक्षा खुद कर सकें। '

ट्रेन जर्नी के टिप्स

ई-टिकटिंग
इसके लिए सबसे पहले आपको अपना लॉगइन क्रिएट करना होगा। इसके लिए आप www.irctc.co.in क्लिक करें। पेज खुलते ही लेफ्ट साइट में uesrname और Password के बाद login के नीचे आपको sign up का ऑप्शन मिलेगा। sign up में क्लिक करते ही एक पेज खुलेगा, जिसमें मांगी गई जानकारी भरने के बाद आईआरसीटीसी की इस साइट पर आप रजिस्टर्ड हो जाएंगे। यहां से आप डेबिट, क्रेडिट कार्ड या इंटरनेट बैंकिंग की मदद से बर्थ रिजर्व करवा सकते हैं। विंडो की तरह ही यहां भी एक पीएनआर नंबर पर छह सीटें बुक करवाई जा सकती हैं। यहां से बुकिंग कराने पर रेलवे सर्विस चार्ज लेता है। सेकंड सिटिंग और स्लीपर क्लास के टिकट पर यह चार्ज 10 रु. है और अपर क्लास का 20 रु.। ऑनलाइन बुकिंग की सुविधा रात 12:30 से रात 11:30 बजे तक उपलब्ध रहती है यानी रात 11:30 से 12:30 के बीच ऑनलाइन रिजर्वेशन नहीं कराया जा सकता। रियायती टिकटों के मामले में सिर्फ सीनियर सिटिजन के टिकट ही ऑनलाइन बुक कराए जा सकते हैं।

टिकट कैंसल और रिफंड
ऑनलाइन बुक कराए गए टिकट ऑनलाइन ही कैंसल कराए जा सकते हैं। ट्रेन कैंसल होने की स्थिति में आपको ट्रेन के डिपार्चर टाइम के 72 घंटे के अंदर इसे कैंसल कराना होगा। वेटिंग लिस्ट में रहने पर ई टिकट खुद कैंसल हो जाते हैं। 72 घंटे के अंदर टिकट कैंसल नहीं कराने पर भी टिकट होल्डर के पास TDR के माध्यम से टिकट कैंसल कराने का ऑप्शन रहता है। TDR का ऑप्शन भी irctc.co.in साइट पर उपलब्ध है। जैसे ही आप लॉग इन करेंगे, यह ऑप्शन आपको राइट साइड में मिल जाएगा। अब ट्रेन में जर्नी करते समय आपको टिकट का प्रिंट लेकर चलने की जरूरत नहीं है। रेलवे ने यह व्यवस्था की है कि मोबाइल, लैपटॉप या आईपैड पर टिकट जर्नी के समय टीटीई को दिखा सकते हैं। पूरे महीने में दस बुकिंग से ज्यादा नहीं करा सकते। यह बुकिंग चाहें तो एक दिन में भी करा सकते हैं। यह लिमिटेशन महीने भर की है।

यात्रा की तारीख से 24 घंटे पहले तक कन्फर्म टिकट कैंसल कराने पर फुल रिफंड मिलता है, लेकिन आपके पास स्लीपर का टिकट है तो 40 रुपये कट जाएंगे और अगर टिकट एसी का है तो 80 रुपये। 24 घंटे से कम समय रह जाने पर टिकट कैंसल कराने पर 50 फीसदी रकम कट जाती है। कैंसिलेशन आप कभी भी करा सकते हैं। चार्ट बनने के बाद भी और ट्रेन छूट जाने पर भी। ट्रेन छूट गई और आपके पास ई टिकट है तो कैंसल कराने के लिए टीडीआर फाइल करना होगा। आमतौर पर 72 घंटे में रकम आपके अकाउंट में आ जाती है। अगर आपने विंडो से टिकट लिया है तो आपको कैंसिलेशन के लिए विंडो पर ही जाना होगा। इसमें किलोमीटर और घंटे का गुणा-भाग किया जाता है।

खानपान और आपके अधिकार
  • खाने का ऑर्डर दिए जाने से पहले आप वेंडर से मेन्यू (रेट लिस्ट) की मांग जरूर करें।
  • खाने के पैसे देने से पहले वेंडर से बिल की मांग जरूर करें।
  • कोई भी पैक्ड फूड आइटम लेने से पहले उसकी एक्सपायरी डेट जरूर चेक करें।
  • रेलवे स्टेशनों पर रेस्तरां व ट्रेन में कोई भी शिकायत होने पर 'कंप्लेंट बुक' में जरूर दर्ज करें। रेस्तरां में मैनेजर/इंचार्ज व ट्रेन में पैंट्री कार मैनेजर के पास कंप्लेंट बुक होती है।
क्या हैं नियम
  • ट्रेन व प्लैटफॉर्म पर सामान बेचने वाले सभी वेंडर्स के लिए यूनिफॉर्म पहनना और उस पर नेम प्लेट (बैज) लगाना जरूरी है।
  • ट्रेन या स्टेशन पर बिना लाइसेंसधारी वेंडर सामान नहीं बेच सकते। इन्हें रोकना व उन पर कार्रवाई करना आईआरसीटीसी का काम है।
  • सभी कॉन्ट्रैक्टरों व उनके स्टाफ को निर्देश व ट्रेनिंग देना आईआरसीटीसी की जिम्मेदारी है। वेंडर्स को पैसिंजरों के साथ नरमी से पेश आना चाहिए।
  • ट्रेन के डिब्बों में खाने-पीने के सामान की रेट लिस्ट होनी चाहिए।
  • ट्रेन में होने वाली ओवरचार्जिं, क्वॉलिटी व क्वांटिटी चेक करना आईआरसीटीसी की जिम्मेदारी है।
  • वेंडर की ट्रे-प्लेट के मैट व मेन्यू कार्ड पर आईआरसीटीसी के शिकायत केंद्र का नंबर छपा होना चाहिए।
  • आप चिकन आर्डर करते हैं तो उसमें गर्दन व विंग पीस नहीं होने चाहिए।
  • फूड आइटम्स में दाल, मसाले, चावल, ब्रेड व बन सभी ग्रेड 'ए' कंपनियों के इस्तेमाल होने चाहिए।
  • बिस्कुट, नमकीन, केक, आइसक्रीम, कोल्ड ड्रिंक, चिप्स सभी ब्रैंडेड कंपनी की होनी चाहिए।
  • फूड आइटम्स के साथ अच्छी क्वॉलिटी की पेपर प्लेट, चम्मच व टिश्यू पेपर भी होना चाहिए।
  • बिस्कुट, केक, चिप्स, नमकीन, कोल्ड ड्रिंक, आइसक्रीम जैसी सभी चीजें अधिकतम मूल्य (एमआरपी) पर ही बेची जा सकती हैं। इससे ज्यादा दाम नहीं वसूल सकते।
मोबाइल से रिजर्वेशन
इसके लिए दो चीजें जरूरी हैं :
  1. आपके मोबाइल में इंटरनेट कनेक्शन होना चाहिए।
  2. कम्प्यूटर के जरिए irctc.co.in साइट पर आपका रजिस्टेशन हो चुका हो यानी आपके पास यूजर आईडी और पासवर्ड हो। टिकट रिजर्वेशन कराने के लिए अब इंटरनेट के जरिए आप irctc.co.in/mobile सर्च करें। नई व्यवस्था के मुताबिक, आपकी स्क्रीन पर इंटरनेट बुकिंग का पेज खुल जाएगा। यहां से आप टिकट रिजर्व कराने के साथ ही उसे कैंसल भी करा सकते हैं। आप इस पर बुकिंग हिस्ट्री भी चेक कर सकते हैं। अब मोबाइल स्क्रीन पर ढेर सारे फीचर वाला पेज नहीं खुलता। यानी इसे अब मोबाइल फ्रेंडली कर दिया गया है।
विजिलेंस हेल्पलाइन : 155-210
यह चौबीसों घंटे की विजिलेंस हेल्पलाइन है और आप इस नंबर पर रेलवे से संबंधित किसी भी तरह के करप्शन की शिकायत कर सकते हैं। इतना ख्याल रखें कि इस नंबर पर आम शिकायत दर्ज न कराएं।

तत्काल के नियम
  • तत्काल टिकट के नए नियमों के मुताबिक, बेसिक फेयर का 10 फीसदी सेकंड क्लास पर और दूसरे क्लास के लिए बेसिक फेयर का 30 फीसदी देना होगा। इसमें न्यूनतम और अधिकतम का फंडा भी है।
  • तत्काल टिकट की बुकिंग ट्रेन खुलने के एक दिन पहले से होती है। अगर आपकी ट्रेन 10 जनवरी की है तो उस ट्रेन के लिए तत्काल की सीटें 9 जनवरी को सुबह 8 बजे से बुकिंग के लिए उपलब्ध होंगी।
  • तत्काल टिकट खो जाने पर आमतौर पर डुप्लिकेट टिकट इश्यू नहीं किया जाता। कुछ खास स्थितियों में तत्काल चार्ज समेत टोटल फेयर पे करने पर डुप्लिकेट टिकट इश्यू किया जा सकता है।
  • तत्काल टिकट टिकट विंडो से लेने के लिए आठ वैलिड आइडेंटिटी प्रूफ में से एक दिखाना होगा। ये हैं - पैन कार्ड, पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस, वोटर आई कार्ड, फोटो वाला क्रेडिट कार्ड, सरकारी निकायों का फोटो आई कार्ड, मान्यता प्राप्त स्कूल कॉलेजों का आई कार्ड। इसके साथ ही रिजर्वेशन स्लिप के साथ आपको एक सेल्फ अटेस्टेड आइडेंटिटी कार्ड की फोटो कॉपी भी विंडो पर देनी होगी।
  • ऑनलाइन तत्काल टिकट बुक कराने के लिए भी आपको अपने पहचान पत्र की डिटेल देनी होंगी। इसकी डिटेल आपके टिकट पर भी आएंगी और प्लैटफॉर्म और बोगी पर लगने वाले चार्ट पर भी। आपको यह पहचान पत्र लेकर यात्रा करनी होगी।
  • तत्काल के तहत सिर्फ चार लोगों का रिजर्वेशन एक पीएनआर नंबर पर हो सकता है।
  • तत्काल टिकटों की वापसी पर रिफंड नहीं मिलता। 
  • लेकिन कुछ स्थितियों में फुल रिफंड की व्यवस्था भी है। ये हैं :
  1. ट्रेन जहां से खुलती है, अगर वहां से तीन घंटे से ज्यादा लेट हो।
  2. ट्रेन रूट बदलकर चल रही हो और पैसेंजर उसमें यात्रा करना नहीं चाहता।
  3. अगर ट्रेन रूट बदलकर चल रही हो और बोर्डिंग और पैसेंजर के डेस्टिनेशन स्टेशन उस रूट पर नहीं आ रहे हों।
  4. अगर रेलवे पैसेंजर को उसके रिजर्वेशन वाली क्लास में यात्रा करा पाने में असमर्थ हो।
  5. अगर रिजर्व ग्रेड से लोअर कैटिगरी में सीटें रेलवे उपलब्ध करा रहा हो लेकिन पैसेंजर उस क्लास में यात्रा करना नहीं चाहता। अगर पैसेंजर लोअर क्लास में सफर कर भी लेता है तो रेलवे को उस पैसेंजर को किराए और तत्काल चार्ज के अंतर के बराबर रकम लौटानी होगी।
जर्नी के टिप्स   
  • फर्स्ट क्लास एसी या सामान्य फर्स्ट क्लास में आप बुक कराकर अपने डॉगी को ले जा सकते हैं।
  • फर्स्ट क्लास के अलावा किसी भी क्लास में डॉगी ले जाना मना है, लेकिन आप उसे डॉग बॉक्स में बुक करा सकते हैं। डॉग बॉक्स ब्रेक वैन में होते हैं।
  • डॉगी की बुकिंग पार्सल ऑफिस से करानी पड़ती है।

कैरेट क्या है ?



कैरेट सिस्टम को किसी भी ज्वैलरी या सोने के आभूषण में मौजूद शुद्ध सोने की मात्रा जानने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। दूसरे शब्दों में , एलॉय में मौजूद सोने के हिस्से के आकलन की इकाई को कैरेट कहा जाता है। मसलन , 24 कैरेट गोल्ड को शुद्ध सोना माना जाता है। 

इसी तरह से अगर कोई ज्वैलरी या सोने का दूसरा आइटम 18 कैरेट का है तो इसका मतलब है कि उसमें 18 हिस्सा सोना है और 6 हिस्सा दूसरा मेटल का है। यानी कि 75 फीसदी शुद्ध सोने वाली ज्वैलरी को 18 कैरेट का माना जाता है। 

22 कैरेट गोल्ड ज्वैलरी का मतलब हुआ कि इसमें 22 भाग सोना है और 2 भाग दूसरा मेटल मौजूद है। कैरेट सिस्टम में 10 कैरेट को सबसे छोटी इकाई माना जाता है। 10 कैरेट गोल्ड का मतलब हुआ कि आइटम में 10 भाग सोना है और 14 भाग दूसरे मेटल का है।

ज्वैलर्स बताते हैं कि शुद्ध सोने (24 कैरेट ) की ज्वैलरी नहीं बनाई जा सकती है। इसलिए इसमें एलॉय यानी कि दूसरे मेटल मिलाए जाते हैं। 

एलॉय के रूप में सोने में कॉपर और सिल्वर मिलाए जाते हैं। ज्वैलर्स के मुताबिक , ' शुद्ध सोने को गलाकर उसमें एलॉय मिलाया जाता है। जितने कैरेट की ज्वैलरी की जरूरत होती है , सोने में उसी अनुपात में एलॉय मिला दिया जाता है। एलॉय मिलाने से सोने की ज्वैलरी बनाने में मदद मिलती है क्योंकि एलॉय की वजह से सोने को अलग - अलग आकार देना मुमकिन हो पाता है। 

' कीमती पत्थरों जैसे डायमंड के लिए कैरेट का मतलब उस पत्थर के वजन को दर्शाता है।

होम लोन को प्रभावित करने वाले कारक

अपना छोटा सा ही एक घर हो, यह प्रत्येक व्यक्ति की ख्वाहिश होती है। विशेषज्ञ कहते हैं कि महानगरों में रियल एस्टेट की कीमतों में कुछ कमी आ सकती है। लेकिन इतिहास गवाह है कि रियल एस्टेट की कीमतें भले घटी हों लेकिन यह उस अनुपात में कभी कम नहीं हुई कि एक आम आदमी आसानी से इसके बारे में सोचे।

लेकिन होम लोन की आसान उपलब्धता की वजह से घर खरीदने में थोड़ी सहूलियत हो गई है। देश में कई हाउसिंग फाइनेंस कंपनियां और बैंक होम लोन उपलब्ध करा रहे हैं। कभी कभार बैंक के प्रतिनिधि ग्राहकों को फोन से सूचित करते हैं कि उनके लिए होम लोन और पर्सनल लोन को पहले ही मंजूरी मिल चुकी है बस उनके हां कहने की देर है, कोई दस्तावेज भी नहीं देना होगा।  

एक आम आदमी के लिए तो यह पेशकश काफी आकर्षक होती है। वह समझता है कि होम लोन लेना अब उसके लिए आसान सी बात हो गई है। लेकिन जब वास्तव में वह व्यक्ति बैंक जाकर होम लोन के लिए आवेदन करता है तो वास्तविकताओं से वह रूबरू होता है। निम्नलिखित कारकों पर होम लोन का मिलना या निरस्त होना निर्भर करता है।  

लोन में ग्राहक के प्रोफाइल का महत्व
आम तौर पर बैंक होम लोन के लिए किसी ग्राहक के व्यक्तिगत प्रोफाइल की पूरी तरह जांच करते हैं। इसमें व्यक्ति की शिक्षा, नौकरी, आश्रितों की संख्या, वर्तमान परिसंपत्तियां, बचत, बीमा पॉलिसियां और देनदारियां आदि शामिल होती हैं। आश्रितों की संख्या अधिक होने या वर्तमान देनदारियां अधिक होने का मतलब होता है कि उस व्यक्ति की रीपेमेंट की क्षमता कम होगी। ऐसे में या तो बैंक लोन की राशि कम कर देते हैं या आवेदन निरस्त कर देते हैं।

होम लोन लेने वाले व्यक्ति की आयु
उम्र भी लोन आवेदन के रद्द होने में अहम भूमिका निभाता है। बैंक हमेशा होम लोन आवेदक की उम्र की जांच करते हैं। अगर उसकी उम्र सेवानिवृत्ति के करीब है तो बैंक केवल शॉर्ट टर्म लोन ही देते हैं। इसकी वजह से मासिक किस्त भी काफी अधिक होती है। इसलिए, उम्र जितनी अधिक होगी व्यक्ति को दीर्घावधि के लोन मिलने के चांस कम होते हैं। इसके ठीक विपरीत कम उम्र वाले व्यक्ति को अधिक अवधि के लिए होम लोन मिलता है और मासिक किस्त भी उम्रदराज ग्राहकों की तुलना में कम होती है।

क्रेडिट हिस्ट्री भी है महत्वपूर्ण
इन दिनों उधार लेने वालों की क्रेडिट हिस्ट्री भी होम लोन लेने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। क्रेडिट हिस्ट्री वास्तव में आपकी फाइनेंशियल रिपोर्ट कार्ड होती है। कोई भी बैंक ऋण मंजूर करने से पहले इस पर निश्चित रूप से गौर करता है। इसमें आप पर बकाया तमाम ऋण या विलंबित भुगतानों की जानकारी होती है। क्रेडिट इंफॉर्मेशन कंपनियों के भारत में आने के साथ ही अब लोन आवेदकों के क्रेडिट रिपोर्ट की जानकारी पाना वित्तीय संस्थानों और बैंकों के लिए अब काफी आसान हो गया है।

आपकी क्रेडिट रिपोर्ट कैसी है इसकी जानकारी आप प्रत्येक क्षेत्र के लिए फाइनेंस की सुविधा नहीं बैंक किसी खास लोकेशन के लिए ऋण मंजूर भी नहीं करते हैं। बैंक और वित्तीय संस्थान किसी खास लोकेशन को ब्लैक लिस्ट कर देते हैं। इसलिए होम लोन लेने से पहले यह जांच लें कि प्रॉपर्टी ब्लैक लिस्टेड लोकेशन में तो नहीं है। हालांकि यह जरूरी नहीं है कि सारे बैंक या हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों ने उस विशेष क्षेत्र को ब्लैक लिस्ट किया हो। इसके लिए उस क्षेत्र के प्रॉपर्टी डीलर या वहां रहने वाले व्यक्तियों से पूछताछ कर लें कि कौन सा बैंक वहां फाइनेंस करता है।

वित्तीय स्थिति
आपके होम लोन की पात्रता और कर्ज की राशि आपकी सालाना आय पर अधिक निर्भर करती है। होम लोन आवेदन के मंजूर होने से पहले बैंक यह जांच करते हैं कि आवेदक की मासिक आय न्यूनतम आय जरूरतों को पूरा करती हैं या नहीं, कमाई में निश्चित आय का क्या अनुपात है और क्रेडिट रिपोर्ट कितनी साफ-सुथरी है। एक व्यक्ति जिसकी आय नियमित बनी हुई है और जिसने नौकरी भी जल्दी-जल्दी नहीं बदली है उसके डिफॉल्ट करने के चांस कम होते हैं।

वेतनभोगी व्यक्ति को आय के प्रमाण के तौर पर सैलरी स्लिप, बैंक स्टेटमेंट और फॉर्म 16 देना होता है जबकि कॉन्ट्रैक्ट पर काम करने वाले प्रोफेशनल को फॉर्म 16ए और बैंक स्टेटमेंट के अतिरिक्त दो साल का आयकर रिटर्न देना जरूरी होता है। इसके जरिये होम लोन देने वाले संस्थान वास्तव में ग्राहक की रीपेमेंट क्षमता का आकलन करते हैं।


लोन टु वैल्यू
होम लोन के लिए आवेदन करते समय हम एलटीवी पर ध्यान नहीं देते हैं। हम केवल यही देखते हैं कि किस बैंक या वित्तीय संस्थान से हमें कर्ज ब्याज दर पर कर्ज मिल रहा है। लेकिन एलटीवी की भूमिका अहम होती है। लोन टु वैल्यू या एलटीवी प्रॉपर्टी की कीमत और लोन की रकम का अनुपात है। सामान्य शब्दों में कहें तो यह आपके द्वारा उधार ली जाने वाली से घर की कीमत में भाग देकर प्राप्त हुई राशि होती है।

एलटीवी की गणना के लिए आपको यह जानकारी होनी चाहिए कि आपके घर की कीमत क्या है, आप कितना होम लोन लेना चाहते हैं और डाउन पेमेंट के तौर पर कितनी राशि दी जानी है। चलिए, मान लेते हैं कि अभिषेक 40,00,000 रुपये कीमत का मकान खरीदना चाहता था।

अगर यह प्रॉपर्टी रीसेल वाली है तो मूल्य का आकलन पड़ोस की प्रॉपर्टी जितने में बिकी है उस आधार पर की जाएगी। मान लेते हैं कि अभिषेक 4 लाख रुपये का डाउन पेमेंट करने को तैयार है। एलटीवी की गणना के लिए हम खरीद मूल्य में से डाउन पेमेंट की राशि घटा देते हैं। अभिषेक के मामले में यह 36 लाख रुपये बनता है। 40 लाख रुपये की खरीद मूल्य में भाग देकर जो एलटीवी प्राप्त होती है वह 90 प्रतिशत की है।

एलटीवी क्यों है महत्वपूर्ण
एलटीवी के अनुपात पर अक्सर खरीदार ध्यान नहीं देते हैं। घर खरीदने के दौरान ब्याज दरें और लोन की अवधि सबसे अधिक महत्वपूर्ण होती है। लेकिन कर्जदाता के नजरिये से एलटीवी महत्वपूर्ण होता है जिसके आधार पर लोन एप्लिकेशन पर निर्णय लिया जाता है। जब कोई कर्जदाता होम लोन के लिए आवेदन प्राप्त करता है तो इसके विभिन्न पहलुओं पर विचार किया जाता है।

इन्हीं के आधार पर तय किया जाता है कि लोन दिया जाना चाहिए या नहीं। नियमित रूप से मासिक किस्तों के भुगतान की क्षमता, कुल वर्तमान ऋण और आवेदन किए जाने वाले कर्ज के प्रबंधन का सामथ्र्य और दीर्घावधि में आय की निरंतरता के आधार पर ऋण मंजूर किया जाता है।

इन सभी कारकों के आधार पर नियम और शर्त तय किए जाते हैं कि आवेदक गुड रिस्क है या नहीं। अधिक जोखिम वाले उधार लेने वाले व्यक्तियों को एलटीवी घटाते हुए डाउन पेमेंट की राशि बढ़ाने की सलाह दी जाती है। इसके अतिरिक्त उच्च जोखिम वाले उधार लेने वालों के लिए ब्याज दरें भी अधिक होती हैं।

बीमा को कभी भी निवेश के नजरिए न देखें

बीमा पॉलिसी के चलते व्यक्ति, कारोबारी और संगठनों को संभावित नुकसान से बचने में काफी फायदा होता है। बीमा पॉलिसी में प्रीमियम के जरिए निवेश कर संबंधित लोग नुकसान से बचने की पहल करते हैं। लिहाजा साफ है कि किसी संभावित नुकसान से बचने के लिए ही बीमा पॉलिसी खरीदी जाती है। लेकिन अहम बात ये है कि बीमा को कभी भी निवेश के नजरिए न देखें। आगे हम आपको बताने जा रहे हैं कि बीमा से संबंधित 5 अहम जरूरी बातें क्या हो सकती हैं।

जीवन बीमा
जीवन बीमा एक ऐसा साधन है जिससे आप पर लोग वित्तीय रूप से आश्रित होते हैं। यदि आपकी आकस्मिक मौत हो जाती है. तो आपके माता-पिता, पति-पत्नी, बच्चे या आप पर आश्रित अन्य कोई जीवन बीमा की रकम से अपनी जिंदगी में आगे कदम बढ़ा सकते हैं।

टर्म पॉलिसी, एंडोवमेंट पॉलिसी (ट्रेडिशनल प्लान), जीवन भर के लिए पॉलिसी, मनी बैक पॉलिसी और यूलिप आदि जीवन बीमा के तहत आते हैं।

हेल्थ इंश्योरेंस
आकस्मिक बीमार होने की सूरत में आपके इलाज के खर्च का भार उठाने के लिए हेल्थ इंश्योरेंस बेहद जरूरी है। हेल्थ इंश्योरेंस के लिए मेडिक्लेम पॉलिसी लेना जरूरी होता है। मेडिक्लेम पॉलिसी के तहत अधिकतम 5 लाख रुपये का कवरेज मिलता है। फिलहाल मेडिक्लेम पॉलिसी के तहत फैमिली फ्लोटर और यूनिट लिंक्ड जैसी सुविधाएं जोड़ी गई हैं।

दुर्घटना से होनेवाली विकलांगता पर बीमा
माना जाए तो आज कल की दिनचर्या बेहद तनाव भरी हो गई है। ऐसे में सड़क पर चलते हुए कोई हादसा हो जाए और आप उसका शिकार हो गए हैं। लेकिन पहले से ही इस घटना से निपटने के लिए भी बीमा करवा लेना जरूरी है।

घर के लिए बीमा
आज के युग में हर आदमी के लिए रोटी, कपड़ा और मकान जरूरी चीजें हो गई हैं। वैसे अब घर खरीदना काफी महंगा सौदा हो गया है। साथ ही घर को सजाने और संवारने के लिए ढ़ेरों पैसे लगाने पड़ते हैं। लेकिन किसी अनहोनी के तहत घर में कोई बड़ा नुकसान हो जाए तो सपने चूर हो जाएंगे। ऐसे में अपने सपनों को तार-तार होने से बचाने के लिए घर का बीमा कराना जरूरी है।

ऑटोमोबाइल इंश्योरेंस
भारत में कानूनन गाड़ियों का बीमा कराना जरूरी है। और गाड़ियों के दुर्घटनाग्रस्त की संभावनाएं ज्यादा होती हैं। ऐसे में जोखिम लेने की बजाए सुरक्षा कवच के लिए ऑटोमोबाइल इंश्योरेंस करा लें तो अच्छा होगा।

यह लेख निर्मल बंग से साभार लिया गया है।

Risk Free Investment or Savings

आज इनवेस्टमेंट के तमाम ऑप्शन मौजूद हैं। किसी में रिटर्न ज्यादा है तो टैक्स का फायदा नहीं होता और जो टैक्स में फायदा देता है, उसका रिटर्न कम है। हम इनवेस्टमेंट के कुछ ऐसे तरीके बता रहे हैं, जिनमें अलग अलग खूबियां और खामियां हो सकती हैं, लेकिन रिस्क नहीं होगा। पूरी जानकारी प्रभात गौड़ से :

एफडी
  • बैंक या पोस्ट ऑफिस एफडी की सुविधा देते हैं। रिटर्न इस बार पर निर्भर करता है कि कौन-से बैंक में एफडी कराई है और कितने वक्त के लिए कराई है। फिर भी रिटर्न मोटे तौर पर 4 फीसदी से 11 फीसदी तक हो सकता है।
  • 15 दिन से पांच साल या उससे भी ज्यादा वक्त के लिए एफडी कराई जा सकती है। मच्योरिटी से पहले एफडी तोड़ी जा सकती है, लेकिन इसमें ब्याज का नुकसान होता है।
  • अगर पांच साल या उससे ज्यादा के लिए एफडी कराई है तो उस पर 80-सी में छूट मिल जाएगी, लेकिन इससे मिले रिटर्न पर टैक्स देना पड़ता है।

पीपीएफ
  • पोस्ट ऑफिस या बैंकों में यह अकाउंट खुलवा सकते हैं। रिटर्न (ब्याज) मिलता है 8 फीसदी सालाना, जो साल में एक बार जोड़ा जाता है।
  • टैक्स की बचत होती है। इसमें जमा रकम 80 सी की 1 लाख रुपये की सीमा में शामिल की जाती है। मिले ब्याज पर कोई टैक्स नहीं लगता।
  • लॉक-इन पीरियड है 15 साल। जरूरत पड़ने पर छह साल बाद कुछ पैसा निकाला जा सकता है।

एनएससी
  • लंबी अवधि की सेविंग स्कीम, जिसे पोस्ट ऑफिस जारी करते हैं। रिटर्न मिलता है 8 फीसदी सालाना, लेकिन जोड़ा जाता है छमाही आधार पर, इसलिए यह 8.16 फीसदी सालाना पड़ता है।
  • लॉक-इन पीरियड छह साल है। इससे पहले पैसा नहीं निकाल सकते।
  • 80 सी के तहत एनएससी में जमा की गई रकम पर टैक्स में छूट मिलती है, लेकिन इससे मिलने वाला ब्याज पीपीएफ के ब्याज की तरह टैक्स फ्री नहीं है। उस पर टैक्स लगता है।

पोस्ट ऑफिस आरडी
  • हर महीने कुछ तय रकम जमा कराई जाती है।
  • अमूमन पांच साल की होती है, लेकिन एक साल बाद पैसा निकालने की छूट है। रिटर्न 7.5 फीसदी सालाना मिलता है, जो तिमाही आधार पर जोड़ा जाता है।
  • टैक्स का कोई फायदा नहीं है। जमा रकम पर टैक्स में कोई छूट नहीं मिलती।

किसान विकास पत्र
  • पोस्ट ऑफिस की स्कीम है। रिटर्न मिलता है 8.4 फीसदी, जो छमाही आधार पर जोड़ा जाता है। पैसा 8 साल 7 महीने में दोगुना हो जाता है।
  • ढाई साल बाद पैसा निकाला जा सकता है। कम-से-कम सौ रुपये और ज्यादा-से-ज्यादा कितनी भी रकम का लिया जा सकता है।
  • टैक्स की कोई बचत नहीं होती। इसमें जमा रकम को 80 सी के तहत छूट नहीं मिलती और इसे मिले ब्याज को भी टैक्सेबल इनकम में जोड़ा जाएगा।

सीनियर सिटिजंस सेविंग स्कीम
  • पोस्ट ऑफिस की स्कीम है, जो बुजुर्गों के लिए है। यह पांच साल में मच्योर हो जाती है। रिटर्न 9 फीसदी सालाना मिलता है।
  • कम-से-कम एक हजार रुपये और ज्यादा-से-ज्यादा 15 लाख रुपये इनवेस्ट कर सकते हैं।
  • इसमें जमा रकम पर 80 सी के तहत टैक्स में छूट मिलती है, लेकिन इससे मिला ब्याज पर टैक्स देना पड़ता है।

कंपनी डिपॉजिट्स
  • बैंक की एफडी की तरह कुछ कंपनियां भी एफडी की सुविधा देती हैं। इस पर रिटर्न 10 से 12 फीसदी तक मिल जाता है।
  • कम-से-कम पांच हजार रुपये से खुलती है और एक से तीन साल की अवधि की होती है।
  • टैक्स में कोई छूट नहीं मिलती।

बैंक सेविंग अकाउंट
  • छोटी-छोटी बचतों के लिए बैंक उपलब्ध कराते हैं। जब चाहे पैसा डाल और निकाल सकते हैं।
  • रिटर्न महज 2.5 से 4 फीसदी तक मिलता है, जो बेहद कम है।
  • इसमें जमा रकम पर टैक्स में कोई छूट नहीं मिलती। साथ ही इससे मिला रिटर्न यानी ब्याज की रकम पर टैक्स भी देना पड़ता है।

जीओआई बॉन्ड
  • एसबीआई और दूसरे बैंक जारी करते हैं, जो छह साल में मच्योर होते हैं।
  • रिटर्न 8 फीसदी सालाना मिलता है, जो छमाही आधार पर जोड़ा जाता है।
  • टैक्स में बचत नहीं होती। इससे मिले ब्याज पर टैक्स लगता है।

मॉं का दूध सर्वोतम आहार



छह महीनों तक केवल स्‍तनपान जीवन की बेहतरी शुरूआत

स्‍तनपान:-
शिशु जन्‍म के पश्‍चात् स्‍तनपान एक स्‍वाभाविक क्रिया है। हमारे देश में सभी माताऍं अपने शिशुओं का स्‍तनपान कराती हैं, परन्‍तु पहली बार मॉं बनने वाली माताओं को शुरू में स्‍तनपान कराने हेतु सहायता की आवश्‍यकता होती है। स्‍तनपान के बारे में सही ज्ञान के अभाव में बच्‍चों में कुपोषण का रोंग एवं संक्रमण से दस्‍त हो जाता है।

मॉं का दूध सर्वोतम आहार:-
  • एकनिष्‍ठ स्‍तनपान का अर्थ जन्‍म से छः माह तक के बच्‍चे को मॉं के दूध के अलावा पानी का कोई ठोस या तरल आहार न देना।
  • मॉं के दूध में काफी मात्रा में पानी होता है जिससे छः माह तक के बच्‍चे की पानी की आवश्‍यकताऍं गर्म और शुष्‍क मौसम में भी पूरी हो सके।
  • मॉं के दूध के अलावा बच्‍चे को पानी देने से बच्‍चे का दूध पीना कम हो जाता है और संक्रमण का खतरा बढ जाता है।
  • प्रसव के आधे घण्‍टे के अन्‍दर-अन्‍दर बच्‍चे के मुंह में स्‍तन देना चाहिए।
  • ऑपरेशन से प्रसव कराए बच्‍चों को 4 - 6 घण्‍टे के अन्‍दर जैसे ही मॉं की स्थिति ठीक हो जाए, स्‍तन से लगा देना चाहिए।

प्रथम दूध (कोलोस्‍ट्रम):-
  • प्रथम दूध(कोलोस्‍ट्रम) यानी वह गाढा, पीला दूध जो शिशु जन्‍म से लेकर कुछ दिनों ( 4 से 5 दिन तक) में उत्‍पन्‍न होता है, उसमें विटामिन, एन्‍टीबॉडी, अन्‍य पोषक तत्‍व अधिक मात्रा में होते हैं।
  • यह संक्रमणों से बचाता है, प्रतिरक्षण करता है और रतौंधी जैसे रोगों से बचाता है।
  • स्‍तनपान के लिए कोई भी स्थिति , जो सुविधाजनक हो, अपनायी जा सकती है।
  • कम जन्‍म भार के और समय पूर्व उत्‍पन्‍न बच्‍चे भी स्‍तनपान कर सकते हैं।
  • यदि बच्‍चा स्‍तनापान नहीं कर पा रहा हो तो एक कप और चम्‍मच की सहायता से स्‍तन से निकला हुआ दूध पिलायें।
  • बोतल से दूध पीने वाले बच्‍चों को दस्‍त रोग होने का खतरा बहुत अधिक होता है अतः बच्‍चों को बोतल से दूध कभी नहीं पिलायें।
  • यदि बच्‍चा 6 माह का हो गया हो तो उसे मॉं के दूध के साथ- साथ अन्‍य पूरक आहर की भी आवश्‍यकता होती हैं।
  • इस स्थिति में स्‍तनपान के साथ - साथ अन्‍य घर में ही बनने वाले खाद्य प्रदार्थ जैसे मसली हुई दाल, उबला हुआ आलू, केला, दाल का पानी, आदि तरल एवं अर्द्व तरल ठोस खाद्य प्रदार्थ देने चाहिए, लेकिन स्‍तनपान 11/2 वर्ष तक कराते रहना चाहिए।
  • यदि बच्‍चा बीमार हो तो भी स्‍तनपान एवं पूरक आहार जारी रखना चाहिए स्‍तनपान एवं पूरक आहार से बच्‍चे के स्‍वास्‍थ्‍य में जल्‍दी सुधार होता है।

बच्‍चों के लिए आहार (6 से 12 महिनें):-
  • स्‍तनपान के साथ-साथ बच्‍चों को अर्धठोस आहार, मिर्च मसाले रहित दलिया / खिचडी, चॉंवल, दालें, दही या दूध में भिगोई रोटी मसल कर दें।
  • एक बार में एक ही प्रकार का भोजन शुरू करें।
  • मात्रा व विविधता धीरे-धीरे बढाऍ।
  • पकाए एवं मसले हूए आलू, सब्जियॉं, केला तथा अन्‍य फल बच्‍चे को दें।
  • शक्ति बढाने के लिए आहार में एक चम्‍मच तेल या घी मिलाएं।
  • स्‍तनपान से पहले बच्‍चे को पूरक आहार खिलाएं।

डेली रूटीन बदलें मालामाल बने

दैनिक दिनचर्या में कुछ छोटी छोटी बातें ऐसी होती है जिन पर ध्यान दिया जाए तो आप पर लक्ष्मी मेहरबान हो सकती है। ये ऐसी बातें हैं जिनका ध्यान रखा जाए तो पैसों से जुड़े हर तरह के दोष खत्म हो जाएंगे। अगर घर में पैसा नहीं बच रहा है या कोई सदस्य लंबे समय से बीमार चल रहा हो और पैसा बीमारी में ही खर्च हुए जा रहा हो तो समझ लिजीए कोइ न कोइ दोष आपको परेशान कर रहा है। लेकिन आपको इन परेशानियों से बचने के लिए किसी विशेष उपाय की जरूरत नहीं है। बस आपको ध्यान रखना है अपने डेली रूटीन से जुड़ी छोटी छोटी बातों का, जिनको थोड़ा सा बदलें तो आप पर लक्ष्मी जरूर मेहरबान हो जाएगी।


इन बातों को ध्यान रखें-

  • रात्रि में बर्तन झूठे न रखें ।
  • घर में पोछा लगाते समय पानी में सांभर नमक या सेंधा नमक डाल लें ।
  • शयन करते समय सिरहाना पूर्व या दक्षिण दिशा की ओर रखने से धन व आयु की बढ़ोत्तरी होती है ।
  • भोजन करते वक्त पूर्व की ओर मुंह करके भोजन करने से आयु और उत्तर की ओर मुंह करके भोजन करने से धन की प्राप्ति होती है ।
  • घर के आग्नेय कोण (दक्षिण-पूर्व) में सिक्कों वाला धातु का कटोरा रखें और उसमें ऐसे सिक्के जो रास्ते में पड़े मिले या पैसे गिनते वक्त गिरे हुए पैसें डालते जाएं। ऐसा करने से घर में अचानक धनागम होने लगेगा ।
  • घर में झाडू व पोंछा खुले स्थान पर न रखें । खासकर भोजन कक्ष में झाडू नहीं रखनी चाहिए । इससे धन की हानि होती है । रात में झाडू को उलटी करके घर के बाहर मुख्य दीवार के सामने रखने से चोरों को डर नहीं रहता ।
  • रोज सूर्यास्त के बाद तुलसी के पौधें को दीपक लगाएं।

May I Help You


एक ऐसा पन्ना जहां आपको हर तरह की जानकारी एक क्लिक पर मिल जाएगी। पासपोर्ट के लिए अप्लाइ करना हो या बर्थ सर्टिफिकेट बनवाना हो या क्रेडिट कार्ड के फ्रॉड की शिकायत करनी हो, हर जानकारी का सोर्स है यहां। आपको साइट-दर-साइट भटकने की या सर्च करने की ज़रूरत नहीं है। हम आपको सही जगह पर ले जाकर सही सूचना दिलाने का काम करेंगे। यह लिस्ट दिन-ब-दिन बढ़ती रहेगी। अगर आपको जो जानकारी चाहिए, उस सर्विस का लिंक इस लिस्ट में नहीं है तो हमे बताएं, हम उसका पता करेंगे और इसे अपडेट करेंगे।
आड़े वक्त में काम आने वाले नंबर
टैक्स
अपना कारोबार
कैसे और कहां अप्लाइ करें?
कैसे/कहां शिकायत करें
कैसे रजिस्टर कराएं?
कैसे जांचें/पता करें?
कैसे बुक/जमा करें?

कैसे पाएं?
विभिन्न राज्यों की पुलिस वेबसाइट