आज इनवेस्टमेंट के तमाम ऑप्शन मौजूद हैं। किसी में रिटर्न ज्यादा है तो टैक्स का फायदा नहीं होता और जो टैक्स में फायदा देता है, उसका रिटर्न कम है। हम इनवेस्टमेंट के कुछ ऐसे तरीके बता रहे हैं, जिनमें अलग अलग खूबियां और खामियां हो सकती हैं, लेकिन रिस्क नहीं होगा। पूरी जानकारी प्रभात गौड़ से :
एफडी
- बैंक या पोस्ट ऑफिस एफडी की सुविधा देते हैं। रिटर्न इस बार पर निर्भर करता है कि कौन-से बैंक में एफडी कराई है और कितने वक्त के लिए कराई है। फिर भी रिटर्न मोटे तौर पर 4 फीसदी से 11 फीसदी तक हो सकता है।
- 15 दिन से पांच साल या उससे भी ज्यादा वक्त के लिए एफडी कराई जा सकती है। मच्योरिटी से पहले एफडी तोड़ी जा सकती है, लेकिन इसमें ब्याज का नुकसान होता है।
- अगर पांच साल या उससे ज्यादा के लिए एफडी कराई है तो उस पर 80-सी में छूट मिल जाएगी, लेकिन इससे मिले रिटर्न पर टैक्स देना पड़ता है।
पीपीएफ
- पोस्ट ऑफिस या बैंकों में यह अकाउंट खुलवा सकते हैं। रिटर्न (ब्याज) मिलता है 8 फीसदी सालाना, जो साल में एक बार जोड़ा जाता है।
- टैक्स की बचत होती है। इसमें जमा रकम 80 सी की 1 लाख रुपये की सीमा में शामिल की जाती है। मिले ब्याज पर कोई टैक्स नहीं लगता।
- लॉक-इन पीरियड है 15 साल। जरूरत पड़ने पर छह साल बाद कुछ पैसा निकाला जा सकता है।
एनएससी
- लंबी अवधि की सेविंग स्कीम, जिसे पोस्ट ऑफिस जारी करते हैं। रिटर्न मिलता है 8 फीसदी सालाना, लेकिन जोड़ा जाता है छमाही आधार पर, इसलिए यह 8.16 फीसदी सालाना पड़ता है।
- लॉक-इन पीरियड छह साल है। इससे पहले पैसा नहीं निकाल सकते।
- 80 सी के तहत एनएससी में जमा की गई रकम पर टैक्स में छूट मिलती है, लेकिन इससे मिलने वाला ब्याज पीपीएफ के ब्याज की तरह टैक्स फ्री नहीं है। उस पर टैक्स लगता है।
पोस्ट ऑफिस आरडी
- हर महीने कुछ तय रकम जमा कराई जाती है।
- अमूमन पांच साल की होती है, लेकिन एक साल बाद पैसा निकालने की छूट है। रिटर्न 7.5 फीसदी सालाना मिलता है, जो तिमाही आधार पर जोड़ा जाता है।
- टैक्स का कोई फायदा नहीं है। जमा रकम पर टैक्स में कोई छूट नहीं मिलती।
किसान विकास पत्र
- पोस्ट ऑफिस की स्कीम है। रिटर्न मिलता है 8.4 फीसदी, जो छमाही आधार पर जोड़ा जाता है। पैसा 8 साल 7 महीने में दोगुना हो जाता है।
- ढाई साल बाद पैसा निकाला जा सकता है। कम-से-कम सौ रुपये और ज्यादा-से-ज्यादा कितनी भी रकम का लिया जा सकता है।
- टैक्स की कोई बचत नहीं होती। इसमें जमा रकम को 80 सी के तहत छूट नहीं मिलती और इसे मिले ब्याज को भी टैक्सेबल इनकम में जोड़ा जाएगा।
सीनियर सिटिजंस सेविंग स्कीम
- पोस्ट ऑफिस की स्कीम है, जो बुजुर्गों के लिए है। यह पांच साल में मच्योर हो जाती है। रिटर्न 9 फीसदी सालाना मिलता है।
- कम-से-कम एक हजार रुपये और ज्यादा-से-ज्यादा 15 लाख रुपये इनवेस्ट कर सकते हैं।
- इसमें जमा रकम पर 80 सी के तहत टैक्स में छूट मिलती है, लेकिन इससे मिला ब्याज पर टैक्स देना पड़ता है।
कंपनी डिपॉजिट्स
- बैंक की एफडी की तरह कुछ कंपनियां भी एफडी की सुविधा देती हैं। इस पर रिटर्न 10 से 12 फीसदी तक मिल जाता है।
- कम-से-कम पांच हजार रुपये से खुलती है और एक से तीन साल की अवधि की होती है।
- टैक्स में कोई छूट नहीं मिलती।
बैंक सेविंग अकाउंट
- छोटी-छोटी बचतों के लिए बैंक उपलब्ध कराते हैं। जब चाहे पैसा डाल और निकाल सकते हैं।
- रिटर्न महज 2.5 से 4 फीसदी तक मिलता है, जो बेहद कम है।
- इसमें जमा रकम पर टैक्स में कोई छूट नहीं मिलती। साथ ही इससे मिला रिटर्न यानी ब्याज की रकम पर टैक्स भी देना पड़ता है।
जीओआई बॉन्ड
- एसबीआई और दूसरे बैंक जारी करते हैं, जो छह साल में मच्योर होते हैं।
- रिटर्न 8 फीसदी सालाना मिलता है, जो छमाही आधार पर जोड़ा जाता है।
- टैक्स में बचत नहीं होती। इससे मिले ब्याज पर टैक्स लगता है।
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