वास्तुशास्त्र मुख्य सैद्धांतिक बातें

इस अध्याय में हम वास्तुशास्त्र की प्रमुख सैद्धांतिक बातों को बतला रहे हैं । इन पर अमल करके बिना तोड़फोड़ किए ही वास्तुदोषों से छुटकारा पाकर जीवन में सुख-समृद्धि लाई जा सकती है ।

  • घर का मुख्य द्वार किसी अन्य के घर के मुख्य द्वार के ठीक सामने न बनाएं ।
  • घर के आंगन में तुलसी का पौधा लगाएं और आंगन का कुछ भाग मिट्टी वाला भी रखें ।
  • ईशान कोण किसी भी मकान का मुख कहलाता है । अतः इस कोण को सदैव पवित्र रखना चाहिए ।
  • रसोई घर मुख्य द्वार के ठीक सामने न बनाएं । ऐसा होने से अतिथियों का आवागमन होता रहता है ।
  • पूजागृह, शौचालय व रसोईघर पास-पास न बनवाएं ।
  • विद्युत उपकरण आग्नेय कोण (दक्षिण-पूर्व) में रखें ।
  • घर में टूटे-फूटे बतरन, टूटा दर्पण, टूटी चारपाई न रखें । इनमें दरिद्रता का वास होता है । रात्रि में बर्तन झूठे न रखें ।
  • दर्पण, वास बेसिन व नल ईशान कोण में रखें । सैप्टिक टैंक वायव्य कोण या आग्नेय कोण में रखें ।
  • किसी भी मकान में दरवाजे व खिड़कियां ग्राउण्ड फ्लोर में ही अधिक रखें । उसके बाद प्रथम, द्वितीय मंजिलों में कम करते जाएं ।
  • बच्चों के अध्ययन की दिशा उत्तर या पूर्व होती है । यदि बच्चे इन दिशाओं की ओर मुंह करके अध्ययन करें तो स्मृति बनी रहती है
  • घर में पोछा लगाते समय पानी में सांभर नमक या सेंधा नमक डाल लें । इससे कीटाणु पैदा नहीं होंगे ।
  • कभी भी बीम या शहतीर के नीचे न बैठें । इससे देह पीड़ा (खासकर सिर दर्द) होती है ।
  • जल निकास उत्तर-पूर्व में रखें ।
  • यदि घर में घड़ियां हैं और वे ठीक से नहीं चल रही हैं तो उन्हें ठीक करा लें । घड़ी गृहस्वामी के भाग्य को तेज या मंदा करती है ।
  • पूजागृह व शौचालय सीढ़ियों के नीचे न बनाएं ।
  • वास्तुदोष निवारण का अतिसुगम उपाय यह है कि घर में श्रीरामचरित-मानस के नौ पाठ अखंड रूप से करवाएं ।
  • शयन करते समय सिरहाना पूर्व या दक्षिण दिशा की ओर रखने से धन व आयु की बढ़ोत्तरी होती है । उत्तर की ओर सिरहाना रखने से आयु की हानि होती है ।
  • पूर्व की ओर सिरहाना रखने से विद्या, दक्षिण की ओर रखने से धन व आयु की बढोत्तरी होती है । उत्तर की ओर सिरहाना रखने से आयु की हानि होती है ।
  • अन्‍नागार, गौशाला, रसोईघर, गुरू स्थल व पूजागृह जहां हो उसके ऊपर शयनकक्ष न बनाएं । यदि वहां शयनकक्ष होगा तो धन-संपदा का नाश हो जाएगा ।
  • सवेरे पूर्व दिशा में व रात्रि में पश्‍चिम दिशा में मल-मूत्र विसर्जन करने से आधीसीसी का रोग होता है ।
  • घर में बड़ी मूर्ति नहीं रखनी चाहिए । यदि मूर्ति रखनी है तो वह एक बित्ते जितनी ही होनी चाहिए । अर्थात बारह अंगुल जितनी बड़ी हो ।
  • घर के पूजन कक्ष में किसी भी देवता की एक से अधिक मूर्ति न रखें ।
  • पूर्व की ओर मुंह करके भोजन करने से आयु, दक्षिण की ओर मुंह करके भोजन करने से प्रेत, पश्‍चिम की ओर मुंह करके भोजन करने से रोग व उत्तर की ओर मुंह करके भोजन करने से धन व आयु की प्राप्ति होती है ।
  • घर में सात्त्विक प्रवृत्ति के पक्षियों के जोड़े वाला चित्र रखें । इससे परिवार का वातावरण माधुर्यपूर्ण रहेगा ।
  • घर के मुख्य द्वार पर नीबू या संतरे का पौधा लगाएं । ये पौधे संपदा बढ़ाने वाले होते हैं ।
  • घर के आग्नेय कोण (दक्षिण-पूर्व) में सिक्‍कों वाला धात्विक कटोरा अर्थात्‌ धातु का कटोरा रखें * और उसमें ऐसे सिक्‍के जो मार्ग में पड़े मिले हों डालते जाएं । ऐसा करने से घर में आकस्मिक रूप से धनागम होने लगेगा ।
  • घर के मुख्य द्वार पर बाहर की ओर पौधे लगाएं ।
  • परिवार के सदस्यों में माधुर्य भाव बना रहे, इसके लिए सभी सदस्यों का एक हंसमुख सामूहिक चित्र ड्राइंगरूम में लगाना चाहिए ।
  • घर में झाडू व पोंछा खुले स्थान पर न रखें । खासकर भोजन कक्ष में झाडू नहीं रखनी चाहिए । इससे अन्‍न व धन की हानि होती है । रात्रि में झाडू को उलटी करके घर के बाहर मुख्य दीवार के सामने रखने से चोरों को भय नहीं रहता ।
  • पति-पत्‍नी में माधुर्य संबंधों के लिए शयनकक्ष के नैऋत्य कोण (दक्षिण-पश्‍चिम) में प्रेम व्यवहर करते पक्षियों का जोड़ा रखना चाहिए ।
  • शौच से निवृत्त होने के बाद शौचालय का द्वार बंद कर दें । यह नकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है ।
  • दिन में एक समय परिवार के सभी सदस्यों को एकसाथ भोजन करना चाहिए । इससे परस्पर संबंधों में प्रगाढ़ता आती है ।


- पं. मधुसूदन शर्मा

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