मासिक धर्म : क्यों और क्या ना करे ?

परमात्मा द्वारा स्त्री और पुरुषों में कई भिन्नताएं रखी गई हैं। इन भिन्नताओं के कारण स्त्री और पुरुषों में कई शारीरिक और स्वास्थ्य संबंधी अनेक विषमताएं रहती हैं। इन्हीं विषमताओं में से एक हैं स्त्रियों में मासिक-धर्म।  
  • वैदिक धर्म के अनुसार मासिक धर्म के दिनों में महिलाओं के लिए सभी धार्मिक कार्य वर्जित किए गए हैं। साथ ही इस दौरान महिलाओं को अन्य लोगों से अलग रहने का नियम भी बनाया गया है। ऐसे में स्त्रियों को धार्मिक कार्यों से दूर रहना होता है क्योंकि सनातन धर्म के अनुसार इन दिनों स्त्रियों को अपवित्र माना गया है।
  • यह व्यवस्था प्राचीन काल से ही चली आ रही है। पुराने समय में ऐसे दिनों में महिलाओं को कोप भवन में रहना होता था। उस दौरान वे महिलाएं कहीं बाहर आना-जाना नहीं करती थीं। इस अवस्था में उन्हें एक वस्त्र पहनना होता था और वे अपना खाना आदि कार्य स्वयं ही करती थीं।
  • मासिक धर्म के दिनों के लिए ऐसी व्यवस्था करने के पीछे स्वास्थ्य संबंधी कारण हैं। आज का विज्ञान भी इस बात को मानता है कि उन दिनों में स्त्रियों के शरीर से रक्त के साथ शरीर की गंदगी निकलती है जिससे महिलाओं के आसपास का वातावरण अन्य लोगों के स्वास्थ्य की दृष्टि से हानिकारक हो जाता है, संक्रमण फैलने का डर रहता है। साथ ही उनके शरीर से विशेष प्रकार की तरंगे निकलती हैं, वह भी अन्य लोगों के लिए हानिकारक होती है। बस अन्य लोगों को इन्हीं बुरे प्रभावों से बचाने के लिए महिलाओं को अलग रखने की प्रथा शुरू की गई।
  • माहवारी के दिनों में महिलाओं में अत्यधिक कमजोरी भी आ जाती है तो इन दिनों अन्य कार्यों से उन्हें दूर रखने के पीछे यही कारण है कि उन्हें पर्याप्त आराम मिल सके। इन दिनों महिलाओं को बाहर घुमना भी नहीं चाहिए क्योंकि ऐसी अवस्था में उन्हें बुरी नजर और अन्य बुरे प्रभाव जल्द ही प्रभावित कर लेते हैं।

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