गणेश चतुर्थी का पर्व
गणेश चतुर्थी
इस बार गणेश चतुर्थी का पर्व 19 सितंबर, (बुधवार) 2012 को है। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन घर-घर भगवान श्रीगणेश की स्थापना की जाती है और व्रत रखा जाता है। धर्म शास्त्रों में श्रीगणेश को प्रथम पूज्य व ज्ञान तथा बुद्धि का देवता माना गया है। सभी शुभ कार्यों से पहले भगवान श्रीगणेश की पूजा का विधान है।
गणेश उत्सव का पर्व 10 दिनों तक मनाया जाता है। इन दिनों में हर गली, मौहल्लों व चौराहों पर भी भगवान श्रीगणेश की स्थापना कर सांस्कृतिक व धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिसे देखने के लिए लोगों का हुजूम उमड़ता है। प्रमुख गणेश मंदिरों में दर्शन करने वालों का तांता लगा रहता है वहीं मंदिरों पर विशेष साज-सज्जा भी की जाती है। हर कोई अपने-अपने तरीके से भगवान श्रीगणेश की आराधना में जुट जाता है। श्रीगणेश को रोज लड्डू व मोदक का भोग लगाया जाता है।
महाराष्ट्र में गणेश उत्सव
महाराष्ट्र में गणेश उत्सव की रौनक देखते ही बनती है। यहां स्थापित की जाने वाली श्रीगणेश की विशालकाय मूर्तियां लोगों की श्रृद्धा व आकर्षण का केंद्र होती हैं।
10 दिन के बाद भाद्रपद शुक्ल चतुर्दशी (इस बार 29 सितंबर, शनिवार) को पर्व का समापन होता है। भक्त घरों व सार्वजनिक स्थानों पर स्थापित श्रीगणेश की मूर्तियों का प्रवाहित करते हैं और कामना करते हैं कि अगले साल फिर से भगवान श्रीगणेश सुख व समृद्धि लेकर उनके घर आएं। चतुर्दशी की रात्रि को आकर्षक झाकियां निकाली जाती हैं जो लोगों को मंत्र मुग्ध कर देती हैं। इसी के साथ गणेश उत्सव का समापन हो जाता है।
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