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कृत्रिम गर्भाधान क्या है ?



कृत्रिम गर्भाधान या आइवीएफ (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) में अंडों को अंडाशय से शल्य क्रिया द्वारा बाहर निकाल कर शरीर से बाहर पेट्री डिश में शुक्राणु के साथ मिलाया जाता है। करीब 40 घंटे के बाद अंडों का परीक्षण किया जाता है कि वे निषेचित हो गये हैं या नहीं और उनमें कोशिकाओं का विभाजन हो रहा है। इन निषेचित अंडों को महिला के गर्भाशय में रख दिया जाता है और इस तरह गर्भ-नलिकाओं का उपयोग नहीं होता है।

कृत्रिम वीर्य प्रदान क्या है?
इस प्रक्रिया में, विशेष रूप से तैयार किए गए वीर्य को महिला के अन्दर इंजैक्शन द्वारा पहुँचाया जाता है। कृत्रिम वीर्य़ का उपयोग सामान्यतः तब किया जाता है

(1) अगर मर्द साथी अनुर्वरक हो
(2) ग्रीवा परक म्यूक्स में महिला को कोई रोग हो
(3) या दम्पति में अनुर्वरकता का कारण पता न चल रहा हो।

सहायक प्रजनन तकनीक (आर्ट) क्या है?
आर्ट वह संज्ञा है जिस में अनुर्वरित दम्पतियों की मदद के लिए अनेकानेक वैकल्पिक विधियां बताई गई हैं। आर्ट के द्वारा औरत के शरीर से अण्डे को निकालकर लैब्रोटरी में उसे वीर्य से मिश्रित किया जाता है और एमबरायस को वापिस औरत के शरीर में डाला जाता है। इस प्रक्रिया में कई बार दूसरों द्वारा दान में दिए गए अण्डों, दान में दिए वीर्य या पहले से फ्रोजन एमबरायस का उपयोग भी किया जाता है। दान में दिए गए अण्डों का प्रयोग उन औरतों के लिए किया जाता है है जो कि अण्डा उत्पन्न नहीं कर पातीं। इसी प्रकार दान में दिए गए अण्डों या वीर्य का उपयोग कई बार ऐसे स्त्री पूरूष के लिए भी किया जाता है जिन्हें कोई ऐसी जन्मजात बीमारी होती है जिसका आगे बच्चे को भी लग जाने का भय होता है।

यह आर्ट कितना सफल रहा है?
35 वर्ष तक की आयु की औरतों में इस की सफलता की औसत दर 37 प्रतिशत देखी गई है। आयु वृद्धि के साथ साथ सफलता की दर घटने लगती है। आयु के अतिरिक्त भी सफलता की दर बदलती रहती है और अन्य कई बातों पर भी निर्भर करती है। आर्ट की सफलता की दर बदलती रहती है और अन्य कई बातों पर भी निर्भर करती है। आर्ट की सफलता दर को प्रभावित करने वाली चीज़ों में शामिल है -

(1) अनुर्वरकता का कारण
(2) आर्ट का प्रकार
(3) अण्डा ताज़ा है या फ्रोज़न
(4) एमब्रो (भ्रूण) ताज़ा है या फ्रोज़न।

आर्ट के अलग-अलग प्रकार कौन से हैं?
आर्ट के सामान्य प्रकारों में शामिल हैं -

(1) इन बिटरो उर्वरण
(2) जीएगोटे इन्टराफैलोपियन टांस्फर (जेड आई एफ टी)
(3) गेमेटे इन्टराफैलोपियन टांस्फर (जी आई एफ टी)
(4) इन्टरासाईटोप्लास्मिक स्परम इंजैक्शन (आई सी एस आई)

इन विटरों फरटिलाइज़ेशन (आई वी एफ) क्या होता है?
आई वी एफ का अर्थ है शरीर के बाहर होने वाला उर्वरण। आई वी एफ सबसे अधिक प्रभावशाली आर्ट है। आमतौर पर इसका प्रयोग तब करते हैं जब महिला की अण्डवाही नलियाँ बन्द होने हैं या जब मर्द बहुत कम स्परम पैदा कर पाता है। डॉक्टर औरत को ऐसी दवाएं देते हैं जिससे कि वह मलटीपल अण्डे दे पाती है। परिपक्व होने पर, उन अण्डों को महिला के शरीर से निकाल लिया जाता है। लेब्रोटरी के एक वर्तन में उन्हें पुरूष के वीर्य से उर्वरित होने के लिए छोड़ दिया जाता है तीन या पांच दिन के बाद स्वस्थ्य भ्रूण को महिला के गर्भ में रख दिया जाता है।

ज़िगोटे इन्टराफैलोपियन ट्रांस्फर (जेड आई एफ टी) क्या होता है?
जेड आई एफ टी भी आई वी एफ के सदृश होता है। उर्वरण लेब्रोटरी में किया जाता है। तब अति सद्य भ्रूण को गर्भाशय की अपेक्षा फैलोपियन ट्यूब में डाल दिया जाता है।

गैमेटे इन्टरफैलोपियन ट्रांस्फर क्या होता है?
जी आई एफ टी के अन्तर्गत महिला की अण्डवाही ट्यूब में अण्डा और वीर्य स्थानान्तरित किया जाता है। उर्वरण महिला के शरीर में ही होता है।

इन्टरासाइटोप्लास्मिक स्परम इंजैक्शन क्या होता है?
आई सी एस आई में उर्वरित अण्डे में मात्र एक शुक्राणु को इंजैक्ट किया जाता है। तब भ्रूण को गर्भाशय या अण्डवाही ट्यूब में ट्रांस्फर (स्थानान्तरित) किया जाता है। इसका प्रयोग उन दम्पतियों के लिए किया जाता है जिन्हें वीर्य सम्बन्धी कोई घोर रोग होता है। कभी कभी इसका उपयोग आयु में बड़े दम्पतियों के लिए भी किया जाता है या जिनका आई वी एफ का प्रयास असफल रहा हो।

लड़कियों के दुश्मन बन चुके ' अपनों ' को कैसे पहचाने ?

यूज करें सिक्स्थ सेंस
सायकायट्रिस्ट कहते हैं , ' लड़कियों के पास सिक्सस सेंस होती है। अगर वे इसका इस्तेमाल करें , तो अपराधी की पहचान पहले ही की जा सकती है। 

अगर आपका कोई रिलेटिव आपसे कुछ ज्यादा घुलने - मिलने की कोशिश करे या आपकी हर एक्टिविटीज पर निगाह रखे। उसे हर वक्त इस बात का ख्याल रहता हो कि आप क्या पहन रही हैं या कहां जा रही हैं। तो समझ जाइए कि उसके इरादे ठीक नहीं हैं।

अगर वह किसी भी तरीके से आपसे बात करने की कोशिश करता है या आपको बहुत ज्यादा इम्पोर्टेंस देता है , तो आप उसे तुरंत डांट लगा दें और अपने पैरंट्स इस बारे में जानकारी जरूर दें। ताकि वह बाद में कोई उलटी सीधी हरकत करने की कोशिश करे , तो मामला आपके पैरंट्स की जानकारी में रहे। अगर मामला सबकी नजर में रहेगा , तो आपसे किसी भी तरह की बदतमीजी या और कोई हरकत करने से डरेगा। '

खतरनाक हैं ड्रग एडिक्ट
देखने में आया है कि आपके अपनों द्वारा रेप या बदतमीजी जैसे केसेज होने के चांस तब ज्यादा होते हैं , जब आरोपी ड्रग्स वगैरह लेता है।

सायकायट्रिस्ट  कहते हैं , ' ऐसी घटना किसी के भी साथ हो सकती है। अगर लड़की कुछ बातों का ध्यान रखे , तो ऐसे एक्सिडेंट से बचा जा सकता है। मसलन अगर आपका कोई रिलेटिव आपके सामने बहुत ज्यादा अच्छा या इनोसेंट बने या नॉर्मल बात न करे। आपसे जबर्दस्ती दोस्ती करना चाहे। जरूरत से ज्यादा अपनापन दिखाए। आपके करीब आने की कोशिश करे , तो सावधान हो जाइए और ऐसे इंसान से दूरी बना लें। '

दरअसल , इस तरह की घटनाओं में दोषी ज्यादातर ड्रग एडिक्ट होते हैं। अगर आपका कोई रिलेटिव ड्रग्स लेता है और उसका बिहेव भी अजीब है , तो आप उसके झांसे में कतई न आएं। बेहतर होगा कि उससे बातचीत करना बंद कर दें। ये कुछ ऐसी बातें हैं , जिनसे आप इस तरह की घटनाओं से बच सकती हैं।

अपनी सेफ्टी , अपने हाथ
आप अपने सेफ्टी को लेकर बेहद कॉन्शस रहती हैं , बावजूद इसके सिरफिरों से निपटना बेहद मुश्किल है। समीर पारिख कहते हैं , ' वैसे तो रेप और छेड़छाड़ जैसी घटनाओं को रोक पाना बेहद मुश्किल है। लेकिन यह भी सही है कि ऐसे लोगों की पहचान की जाए , तो उन्हें कैच कर पाना आसान होता है। '

वहीं सायकायट्रिस्ट  कहते हैं , ' किसी इंसान के मन में क्या चल रहा है ? यह जान पाना बेहद मुश्किल काम है। लेकिन आपके रिलेटिव का कैसा नेचर है। उसके देखने के नजरिए या बात करने के तरीके से इस बारे में काफी कुछ समझा जा सकता है। ऐसे में आप किसी को लेकर कोई भी गलतफहमी न पालें और पहले ही सावधान हो जाएं। इसके अलावा , लड़कियों को हर वक्त अपने साथ सेल्फ प्रोटेक्शन के कुछ हथियार जरूर रखना चाहिए , ताकि वक्त आने पर उसे यूज कर सकें। साथ ही , आपको सेल्फ डिफेंस का कोर्स भी करना चाहिए , ताकि आप अपनी सुरक्षा खुद कर सकें। '

ट्रेन जर्नी के टिप्स

ई-टिकटिंग
इसके लिए सबसे पहले आपको अपना लॉगइन क्रिएट करना होगा। इसके लिए आप www.irctc.co.in क्लिक करें। पेज खुलते ही लेफ्ट साइट में uesrname और Password के बाद login के नीचे आपको sign up का ऑप्शन मिलेगा। sign up में क्लिक करते ही एक पेज खुलेगा, जिसमें मांगी गई जानकारी भरने के बाद आईआरसीटीसी की इस साइट पर आप रजिस्टर्ड हो जाएंगे। यहां से आप डेबिट, क्रेडिट कार्ड या इंटरनेट बैंकिंग की मदद से बर्थ रिजर्व करवा सकते हैं। विंडो की तरह ही यहां भी एक पीएनआर नंबर पर छह सीटें बुक करवाई जा सकती हैं। यहां से बुकिंग कराने पर रेलवे सर्विस चार्ज लेता है। सेकंड सिटिंग और स्लीपर क्लास के टिकट पर यह चार्ज 10 रु. है और अपर क्लास का 20 रु.। ऑनलाइन बुकिंग की सुविधा रात 12:30 से रात 11:30 बजे तक उपलब्ध रहती है यानी रात 11:30 से 12:30 के बीच ऑनलाइन रिजर्वेशन नहीं कराया जा सकता। रियायती टिकटों के मामले में सिर्फ सीनियर सिटिजन के टिकट ही ऑनलाइन बुक कराए जा सकते हैं।

टिकट कैंसल और रिफंड
ऑनलाइन बुक कराए गए टिकट ऑनलाइन ही कैंसल कराए जा सकते हैं। ट्रेन कैंसल होने की स्थिति में आपको ट्रेन के डिपार्चर टाइम के 72 घंटे के अंदर इसे कैंसल कराना होगा। वेटिंग लिस्ट में रहने पर ई टिकट खुद कैंसल हो जाते हैं। 72 घंटे के अंदर टिकट कैंसल नहीं कराने पर भी टिकट होल्डर के पास TDR के माध्यम से टिकट कैंसल कराने का ऑप्शन रहता है। TDR का ऑप्शन भी irctc.co.in साइट पर उपलब्ध है। जैसे ही आप लॉग इन करेंगे, यह ऑप्शन आपको राइट साइड में मिल जाएगा। अब ट्रेन में जर्नी करते समय आपको टिकट का प्रिंट लेकर चलने की जरूरत नहीं है। रेलवे ने यह व्यवस्था की है कि मोबाइल, लैपटॉप या आईपैड पर टिकट जर्नी के समय टीटीई को दिखा सकते हैं। पूरे महीने में दस बुकिंग से ज्यादा नहीं करा सकते। यह बुकिंग चाहें तो एक दिन में भी करा सकते हैं। यह लिमिटेशन महीने भर की है।

यात्रा की तारीख से 24 घंटे पहले तक कन्फर्म टिकट कैंसल कराने पर फुल रिफंड मिलता है, लेकिन आपके पास स्लीपर का टिकट है तो 40 रुपये कट जाएंगे और अगर टिकट एसी का है तो 80 रुपये। 24 घंटे से कम समय रह जाने पर टिकट कैंसल कराने पर 50 फीसदी रकम कट जाती है। कैंसिलेशन आप कभी भी करा सकते हैं। चार्ट बनने के बाद भी और ट्रेन छूट जाने पर भी। ट्रेन छूट गई और आपके पास ई टिकट है तो कैंसल कराने के लिए टीडीआर फाइल करना होगा। आमतौर पर 72 घंटे में रकम आपके अकाउंट में आ जाती है। अगर आपने विंडो से टिकट लिया है तो आपको कैंसिलेशन के लिए विंडो पर ही जाना होगा। इसमें किलोमीटर और घंटे का गुणा-भाग किया जाता है।

खानपान और आपके अधिकार
  • खाने का ऑर्डर दिए जाने से पहले आप वेंडर से मेन्यू (रेट लिस्ट) की मांग जरूर करें।
  • खाने के पैसे देने से पहले वेंडर से बिल की मांग जरूर करें।
  • कोई भी पैक्ड फूड आइटम लेने से पहले उसकी एक्सपायरी डेट जरूर चेक करें।
  • रेलवे स्टेशनों पर रेस्तरां व ट्रेन में कोई भी शिकायत होने पर 'कंप्लेंट बुक' में जरूर दर्ज करें। रेस्तरां में मैनेजर/इंचार्ज व ट्रेन में पैंट्री कार मैनेजर के पास कंप्लेंट बुक होती है।
क्या हैं नियम
  • ट्रेन व प्लैटफॉर्म पर सामान बेचने वाले सभी वेंडर्स के लिए यूनिफॉर्म पहनना और उस पर नेम प्लेट (बैज) लगाना जरूरी है।
  • ट्रेन या स्टेशन पर बिना लाइसेंसधारी वेंडर सामान नहीं बेच सकते। इन्हें रोकना व उन पर कार्रवाई करना आईआरसीटीसी का काम है।
  • सभी कॉन्ट्रैक्टरों व उनके स्टाफ को निर्देश व ट्रेनिंग देना आईआरसीटीसी की जिम्मेदारी है। वेंडर्स को पैसिंजरों के साथ नरमी से पेश आना चाहिए।
  • ट्रेन के डिब्बों में खाने-पीने के सामान की रेट लिस्ट होनी चाहिए।
  • ट्रेन में होने वाली ओवरचार्जिं, क्वॉलिटी व क्वांटिटी चेक करना आईआरसीटीसी की जिम्मेदारी है।
  • वेंडर की ट्रे-प्लेट के मैट व मेन्यू कार्ड पर आईआरसीटीसी के शिकायत केंद्र का नंबर छपा होना चाहिए।
  • आप चिकन आर्डर करते हैं तो उसमें गर्दन व विंग पीस नहीं होने चाहिए।
  • फूड आइटम्स में दाल, मसाले, चावल, ब्रेड व बन सभी ग्रेड 'ए' कंपनियों के इस्तेमाल होने चाहिए।
  • बिस्कुट, नमकीन, केक, आइसक्रीम, कोल्ड ड्रिंक, चिप्स सभी ब्रैंडेड कंपनी की होनी चाहिए।
  • फूड आइटम्स के साथ अच्छी क्वॉलिटी की पेपर प्लेट, चम्मच व टिश्यू पेपर भी होना चाहिए।
  • बिस्कुट, केक, चिप्स, नमकीन, कोल्ड ड्रिंक, आइसक्रीम जैसी सभी चीजें अधिकतम मूल्य (एमआरपी) पर ही बेची जा सकती हैं। इससे ज्यादा दाम नहीं वसूल सकते।
मोबाइल से रिजर्वेशन
इसके लिए दो चीजें जरूरी हैं :
  1. आपके मोबाइल में इंटरनेट कनेक्शन होना चाहिए।
  2. कम्प्यूटर के जरिए irctc.co.in साइट पर आपका रजिस्टेशन हो चुका हो यानी आपके पास यूजर आईडी और पासवर्ड हो। टिकट रिजर्वेशन कराने के लिए अब इंटरनेट के जरिए आप irctc.co.in/mobile सर्च करें। नई व्यवस्था के मुताबिक, आपकी स्क्रीन पर इंटरनेट बुकिंग का पेज खुल जाएगा। यहां से आप टिकट रिजर्व कराने के साथ ही उसे कैंसल भी करा सकते हैं। आप इस पर बुकिंग हिस्ट्री भी चेक कर सकते हैं। अब मोबाइल स्क्रीन पर ढेर सारे फीचर वाला पेज नहीं खुलता। यानी इसे अब मोबाइल फ्रेंडली कर दिया गया है।
विजिलेंस हेल्पलाइन : 155-210
यह चौबीसों घंटे की विजिलेंस हेल्पलाइन है और आप इस नंबर पर रेलवे से संबंधित किसी भी तरह के करप्शन की शिकायत कर सकते हैं। इतना ख्याल रखें कि इस नंबर पर आम शिकायत दर्ज न कराएं।

तत्काल के नियम
  • तत्काल टिकट के नए नियमों के मुताबिक, बेसिक फेयर का 10 फीसदी सेकंड क्लास पर और दूसरे क्लास के लिए बेसिक फेयर का 30 फीसदी देना होगा। इसमें न्यूनतम और अधिकतम का फंडा भी है।
  • तत्काल टिकट की बुकिंग ट्रेन खुलने के एक दिन पहले से होती है। अगर आपकी ट्रेन 10 जनवरी की है तो उस ट्रेन के लिए तत्काल की सीटें 9 जनवरी को सुबह 8 बजे से बुकिंग के लिए उपलब्ध होंगी।
  • तत्काल टिकट खो जाने पर आमतौर पर डुप्लिकेट टिकट इश्यू नहीं किया जाता। कुछ खास स्थितियों में तत्काल चार्ज समेत टोटल फेयर पे करने पर डुप्लिकेट टिकट इश्यू किया जा सकता है।
  • तत्काल टिकट टिकट विंडो से लेने के लिए आठ वैलिड आइडेंटिटी प्रूफ में से एक दिखाना होगा। ये हैं - पैन कार्ड, पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस, वोटर आई कार्ड, फोटो वाला क्रेडिट कार्ड, सरकारी निकायों का फोटो आई कार्ड, मान्यता प्राप्त स्कूल कॉलेजों का आई कार्ड। इसके साथ ही रिजर्वेशन स्लिप के साथ आपको एक सेल्फ अटेस्टेड आइडेंटिटी कार्ड की फोटो कॉपी भी विंडो पर देनी होगी।
  • ऑनलाइन तत्काल टिकट बुक कराने के लिए भी आपको अपने पहचान पत्र की डिटेल देनी होंगी। इसकी डिटेल आपके टिकट पर भी आएंगी और प्लैटफॉर्म और बोगी पर लगने वाले चार्ट पर भी। आपको यह पहचान पत्र लेकर यात्रा करनी होगी।
  • तत्काल के तहत सिर्फ चार लोगों का रिजर्वेशन एक पीएनआर नंबर पर हो सकता है।
  • तत्काल टिकटों की वापसी पर रिफंड नहीं मिलता। 
  • लेकिन कुछ स्थितियों में फुल रिफंड की व्यवस्था भी है। ये हैं :
  1. ट्रेन जहां से खुलती है, अगर वहां से तीन घंटे से ज्यादा लेट हो।
  2. ट्रेन रूट बदलकर चल रही हो और पैसेंजर उसमें यात्रा करना नहीं चाहता।
  3. अगर ट्रेन रूट बदलकर चल रही हो और बोर्डिंग और पैसेंजर के डेस्टिनेशन स्टेशन उस रूट पर नहीं आ रहे हों।
  4. अगर रेलवे पैसेंजर को उसके रिजर्वेशन वाली क्लास में यात्रा करा पाने में असमर्थ हो।
  5. अगर रिजर्व ग्रेड से लोअर कैटिगरी में सीटें रेलवे उपलब्ध करा रहा हो लेकिन पैसेंजर उस क्लास में यात्रा करना नहीं चाहता। अगर पैसेंजर लोअर क्लास में सफर कर भी लेता है तो रेलवे को उस पैसेंजर को किराए और तत्काल चार्ज के अंतर के बराबर रकम लौटानी होगी।
जर्नी के टिप्स   
  • फर्स्ट क्लास एसी या सामान्य फर्स्ट क्लास में आप बुक कराकर अपने डॉगी को ले जा सकते हैं।
  • फर्स्ट क्लास के अलावा किसी भी क्लास में डॉगी ले जाना मना है, लेकिन आप उसे डॉग बॉक्स में बुक करा सकते हैं। डॉग बॉक्स ब्रेक वैन में होते हैं।
  • डॉगी की बुकिंग पार्सल ऑफिस से करानी पड़ती है।

क्या वास्तु परिवर्तन से जीवनशैली परिवर्तित हो सकती है ?



किसी व्यक्ति के जीवन में वास्तु का क्या महत्व होता इस तथ्य की हम नीचे उल्लेखित लेख से भली प्रकार समझ सकते है :

सवाल 
मैं दो वर्ष से इस किराए के मकान में रह रहा हूं। इस मकान में आने से पहले हम सुख-पूर्वक जीवन निर्वाह कर रहे थे। लेकिन इस मकान में आने के बाद हमारे व्यापार में नुकसान, गृह-कलह तथा बीमारियां इत्यादि समस्याओं से परेशान हैं। किराए के मकान में फेरबदल करवाना संभव नहीं है। कृपया हमारा मार्गदर्शन करें।

जबाब 
इस मकान में आने से पहले आपका जीवन सुख-पूर्वक व्यतीत हो रहा था, लेकिन इस मकान में आने के बाद से ही आपके जीवन में समस्याएं पैदा होनी शुरू हो गई, अत: आप स्वयं स्पष्ट तौर पर यह समझ सकते है कि वास्तु परिवर्तन, इंसान की जीवनशैली को, उस बदली हुई वास्तु के अनुसार परिवर्तित कर देता है।

अवलोकन 
इस मकान के बाहरी एवं आंतरिक हिस्से का उत्तर-ईशान कटा हुआ होना तथा कटे हुए उत्तर-ईशान के हिस्से में सीढ़ियां होने के कारण पैदा होने वाले वास्तु दोषों के दुष्परिणाम स्वरुप आर्थिक नुकसान तथा गृह-कलह की स्थिति पैदा हो रही है।

ईशान के कमरे में स्थित शयन-कक्ष के ईशान कोने में सोने से महिला वर्ग गंभीर बीमारियों का शिकार होती है, और आग्नेय के कमरे में स्थित शयन-कक्ष पुरुष वर्ग के स्वास्थ्य एवं समृद्धि के लिए घातक होता है तथा अग्नि-तत्व से संबंधित बीमारियां होने की संभावना बढ़ जाती है।

किराए के मकान में फेरबदल करवाने के लिए स्वयं के रूपये खर्च करने से बेहतर यही होगा कि यही किराया, वास्तु के अनुसार बने हुए मकान में रह कर दिया जाए।

वास्तु के अनुसार बने हुए मकान में स्थानांतरित होना ही, आपकी समस्याओं से समाधान प्राप्त करने के लिये एकमात्र बेहतर विकल्प और समझदारी है।

मकान बदलने तक आपकी समस्याओं से राहत प्राप्त करने के लिये, पश्चिम के कमरे में स्थित रसोई-घर को आग्नेय के कमरे में स्थानांतरित करें तथा वायव्य में स्थित मेहमान कक्ष को शयन कक्ष बनाएं। प्रत्येक कमरे के पूर्व-उत्तर में खाली जगह तथा दक्षिण-पश्चिम में वजनदार सामान रखें।

आपके वर्तमान समस्याग्रस्त जीवन तथा भविष्य में समृद्धिदायक जीवन के बीच की दूरी को कम करना, सिर्फ वास्तु के अनुसार बने हुए मकान में स्थानांतरित होना ही है, और यह सब आपके शीघ्र निर्णय लेने पर निर्भर करता है।

खाने की चीजों में प्रति आइटम कैलोरी चार्ट



फूड पिरामिड

  • पिरामिड नीचे से बड़ा होता है और ऊपर जाकर संकरा होता है। हमारा खाना भी इसी आधार पर होना चाहिए।
  • खाने के पिरामिड के सबसे नीचे वाले बड़े हिस्से में तरल पदार्थ आते हैं , इसलिए खाने का बड़ा हिस्सा तरल पदार्थ का होना चाहिए।
  • उसके ऊपर कार्बोहाइड्रेट्स आते हैं। मसलन चपाती , चावल , नूडल्स आदि। इतनी ही मात्रा चपातियों की होनी चाहिए।
  • फूड पिरामिड के और ऊपर के ( छोटे ) हिस्से में फल और सब्जियां आती हैं। पूरे दिन में तीन - चार बार हमें फल और सब्जियां लेनी चाहिए।
  • इसके ऊपर पिरामिड और छोटा होता जाता है जिसमें प्रोटीन आता है। इसका मतलब यह है कि हमें पूरे दिन में दो - तीन कटोरी दाल लेनी चाहिए।
  • पिरामिड का जो छोटा ऊपरी हिस्सा बचता है , उसमें हैं मिल्क प्रॉडक्ट्स। पूरे दिन में एक गिलास दूध और थोड़ा दही या छाछ , पनीर लेने चाहिए।
  • आखिरी छोटे हिस्से में घी , तेल और मिठाई आते हैं। दिनभर में एक सामान्य शख्स के लिए तीन छोटे चम्मच तेल या घी काफी है। इसके अलावा पूरे दिन में एक छोटा चम्मच नमक काफी है। पूरे दिन में तीन चम्मच शुगर से ज्यादा नहीं लेना चाहिए।


लंच और डिनर 
खाने के आइटम
साइज
कैलरी (लगभग)
चपाती (बिना घी की)
एक छोटी
70
चपाती (बिना घी की)
एक मीडियम
85
पराठा
एक मीडियम
200
पूरी
एक मीडियम
125
भठूरा
एक मीडियम
175
आलू पराठा
एक मीडियम
225
प्लेन राइस
एक कटोरी
20
शाही पनीर
एक प्लेट
300
मटर पनीर
एक प्लेट
280
सलाद
एक मीडियम
200
पुलाव (फ्राइड राइस)
एक कटोरी
175

















नॉनवेज 
खाने के आइटम
साइज
कैलरी (लगभग)
चिकन / फिश / टिक्का / तंदूरी फिश
एक पीस
150
बटर चिकन
एक पीस
225
फिश कटलेट्स / फ्राइड फिश
दो पीस
200
मटन करी
एक कटोरी
250
झींगा
एक कटोरी
200









स्नैक्स 
खाने के आइटम्स
साइज
कैलरी(लगभग)
चाय (मीठी)
एक कप
40
कॉफी (मीठी)
एक कप
60
सॉफ्ट ड्रिंक
एक गिलास
225
ब्रेड स्लाइस
दो पीस
230
पिज्जा
एक स्मॉल
350
बर्गर
एक मीडियम
350
चाऊमिन
एक प्लेट
300
चाट पापड़ी
एक प्लेट
450
छोले कुलचे
एक प्लेट
390
बॉइल्ड एग
एक
90
















दूध से बने पदार्थ 
खाने के आइटम्स
साइज
कैलरी (लगभग)
गाय का दूध
एक गिलास (200 एमएल)
135
भैंस का दूध
एक गिलास (200 एमएल)
240
टोंड दूध
एक गिलास (200 एमएल)
140
डबल टोंड दूध
एक गिलास (200 एमएल)
90
स्किम्ड दूध
एक गिलास (200 एमएल)
60
दही
एक गिलास (200 एमएल)
दूध जितनी
छाछ (नमक वाली या सादा)
एक गिलास (200 एमएल)
30
लस्सी
एक गिलास (200 एमएल)
140
पनीर (गाय का दूध वाला)
25 ग्राम
65
पनीर (भैंस के दूध वाला)
25 ग्राम
75
खोया बर्फी
25 ग्राम
200
आइसक्रीम
एक कप (100 ग्राम)
250



















खाने के तीन जोन (ग्रीन, येलो और रेड) 
ग्रीन जोन 
भरपूर खाएं )
यलो जोन 
(सोच कर खाएं)
रेड जोन 
खाने से बचें )
वेजिटेबल चपाती
नान
बटर नान
साबुत फल
फ्रूट चाट, घर का बना जूस
कोल्ड ड्रिंक्स, पैक्ड जूस
चटनी-हरा धनिया-पुदीना
ग्रीन, वाइट, टोमेटो सॉस
म्योनी, चीज डिप
स्किम्ड मिल्क, छाछ, दही
घी, क्रीम, बटर, पनीर
फ्लेवर्ड मिल्क, योगर्ट, आइसक्रीम
बिना जर्दी के अंडे, मछली
चिकन
मटन, रेड मीट
स्प्राउट, कुरमुरे-भेलपुरी
वेज सेंडविच
पैटीज, समोसे, बर्गर, पिज्जा












किसे कितनी कैलरी चाहिए रोजाना 
ग्रुप
विवरण
वजन (किलो)
कैलरी
नवजात शिशु
0-6 महीने
5.4
92
शिशु
6-12 महीने
8.4
80
बच्चे
1-3 साल
12.9
1060
लड़के
10-12 साल
34.3
2190
लड़कियां
10-12 साल
35.0
2010
लड़के
16-17 साल
55.4
3020
लड़कियां
16-17 साल
52.1
2440
पुरुष
सामान्य कामकाज
60
2730
महिला
सामान्य कामकाज
55
2230

सूर्य नमस्कार में 12 पॉस्चर होते हैं और यह करीब एक मिनट में एक बार पूरा होता है।

आपके पास घर में कॉर्डियो मशीन नहीं है , तो इसका मतलब यह नहीं कि आप वॉर्म आप नहीं कर सकते। इसमें टेंशन लेने की कोई जरूरत नहीं है। इसलिए लिए सबसे पहले अपने जूते निकालिए और खड़े - खड़े जॉगिंग शुरू कर दीजिए। एक ही जगह पर तकरीबन 10 मिनट तक जॉगिंग करें। इससे आपका बखूबी वॉर्म अप हो जाएगा। इसके बाद मैट या टॉवल बिछाएं और तैयार हो जाएं सूर्य नमस्कार के लिए। आपको बता दें कि सूर्य नमस्कार में 12 पॉस्चर होते हैं और यह करीब एक मिनट में एक बार पूरा होता है।

सूर्य नमस्कार
सीधे खड़े हो जाएं। पैरों को फैला दें। हाथ सीधे ऊपर की तरफ स्ट्रेच करें। अब बाहर सांस छोड़े और धीरे - धीरे नीचे झुकें। हाथों से जमीन को छूएं। अब वापस सीधे खड़े हो जाएं। अब दोनों हाथों की हथेलियों को जमीन पर टिका दें। बाएं पैर को पीछे ले जाएं। अब आपकी बॉडी एक आर्च फॉर्म करेगी यानी कि एक पहाड़ के शेप में होगी। अब आप बॉडी को जमीन पर छोड़ दें। आपके पैर , थाई , चेस्ट , माथा और हाथ सब जमीन को टच होने चाहिए। अब फिर प्रेशर डालकर बॉडी को उठाएं और पहले वाली पोजिशन में ले आएं। अब बाएं पैर को वापस लाएं। उसके बाद दाएं पैर को भी वापस अपनी पोजिशन में ले आएं। स्टैन्डिंग पोजिशन में हो जाएं। इसके बाद यह क्रम फिर से दोहराएं।

सरकिट

  • जब आप सरकिट कर रहे हों , तो यह ध्यान रखें कि आप इसे लगातर 25 बार करें। फिर दो बार और रिपीट करें।

स्क्वाट्स

  • अपने पैरों और कंधों को एक ही लेवल पर रखें। हाथ आगे निकालें और बैलेंस करते हुए ऐसे झुकें जैसे चेयर पर बैठे हों। अपनी बैक स्ट्रेट रखें और घुटनों को पैरों के लेवल से आगे न झुकने दें। अब वापस ऊपर जाकर स्ट्रेट पोजिशन में खड़े हो जाएं। एक्सर्साइज को एक बार फिर से रिपीट कर लें।

लंजेस

  • सीधे खड़े हो जाएं। अब अपना बायां पैर वापस लाकर 90 डिग्री पर झुकें। आपका पैर जमीन पर पूरी तरह फ्लैट होना चाहिए। अपनी बैक स्ट्रेट रखें। अब थोड़ी देर रुक के वापस स्टार्ट पोजिशन पर आएं। अब दूसरे पैर से करें। दोनों पैरों से 25-25 बार करें।

पुश अप्स

  • अपने आप को जमीन पर फ्लैट पोजिशन में करें और अपनी टोज पर और हाथों पर बैलेंस करें। अगर बॉडी में ताकत कम है , तो घुटनों और हाथों पर बैलेंस करें। हाथों को दूर - दूर रखें। आपकी पूरी बॉडी एक स्ट्रेट लाइन में होनी चाहिए। अब बैलेंस करते हुए ऊपर आएं , जब तक कि आपके हाथ 90 डिग्री एंगल पर नहीं आते। फिर नीचे जाएं। इसे दो से तीन बार रिपीट करें।

क्रंचेज

  • अपनी बैक पर फ्लैट लेट जाएं। अपने पैर थोड़े बैंड कर लें और ज्यादा दूर न रखें। हाथों को सपोर्ट के लिए सर के पीछे रखें। आप ऊपर आकर सर को पैर तक लाने की कोशिश करें। इस एक्सर्साइज को फिर से रिपीट करें।

कूल डाउन

  • जब आप वर्कआउट कर चुके हों , तो आप लोअर बैक स्ट्रेचेज करें। अपनी पीठ पर फ्लैट लेट जाएं और बाएं पैर को चेस्ट तक लाएं। अब बाएं पैर को वापस फ्लैट पोजिशन पर ले जाकर दाएं पैर को चेस्ट तक लाएं। अब दोनों पैरों को साथ में चेस्ट तक लाएं और रिलैक्स करें।

सावधानी
अगर आपको बैक या जॉइंट प्रॉब्लम है , तो कोई भी एक्सर्साइज करने से पहले अपने फिटनेस एक्सपर्ट से कंसल्ट करें।

ये करें एक्सर्साइज

  • प्रेशर में एक्सर्साइज करने की बजाय आपको ऐसी एक्सर्साइज करनी चाहिए , तो आपको खुशी दें। जैसे स्विमिंग , दोस्तों के साथ ब्रिस्क वाकिंग या बैडमिंटन वगैरह।
  • आप चाहें , तो खुद को तरोताजा रखने के लिए योगासन भी कर सकते हैं।
  • जहां तक जिम ट्रेनिंग की बात है , वहां भी लाइट वेट एक्सर्साइज ही करनी चाहिए। ट्रेड मील पर दौड़ने की बजाय चलना ज्यादा बेहतर रहता है।
  • आप अपने एक्सर्साइज के वक्त को कम भी कर सकते हैं। 30 से 45 मिनट की एक्सर्साइज आपकी सेहत के लिए बेहतर रहेगी।

एक्सर्साइज करते वक्त ढीले और आरामदायक कपडे़ ही पहनें।

एक्सर्साइज शेड्यूल

  • हफ्ते में दो बार योगासन
  • हफ्ते में एक बार कोई भी खेल
  • हफ्ते में दो बार जिम या वॉक
  • हफ्ते में दो बार स्विमिंग

डायट का रखें ख्याल

  • एक्सरसाइज के साथ - साथ सही डायट लेना बेहद जरूरी है।
  • बैलेंस डायट को लंबे समय तक कंटिन्यू किया जा सकता है , लेकिन बॉडी को कंप्लीट न्युट्रीशन मिलना बेहद जरूरी है।
  • कम तेल का घर का बना खाना हमेशा बेहतर ऑप्शन होता है।
  • रोजाना कम से कम एक फल जरूर खाएं।
  • चावल का सेवन कम से कम करें।
  • घी खाना पूरी तरह बंद न करें , क्योंकि यह रोगों से लड़ता है। लेकिन इसे सही मात्रा में इस्तेमाल करें।
  • हफ्ते में कम से कम पाँच बार पत्तेदार सब्जियों का सेवन जरूर करें।
  • अपनी रोजाना डायट में सलाद , छाछ और दही को शामिल करें।
  • प्रतिदिन दूध जरूर पीएं।
  • पापड़ , अचार , मीठा , जंक फूड , नशीली व तली हुई चीजें खाने से बचें।

वायरल इन्फेक्शन : बचाव व ईलाज



कॉमन कोल्ड या जुकाम। इसमें नाक बंद हो जाती है, छींकें आती हैं, खांसी हो जाती है, गला खराब रहता है और बुखार भी हो जाता है। इसके फैलने का कारण वातावरण में मौजूद वायरस है जो एक-दूसरे में सांस के जरिये, छींकने से या खांसने पर ड्रॉप्लेट्स द्वारा फैलता है। इसे रेस्पिरिटरी इन्फेक्शन का वायरस कहते हैं, जो जाड़े में ज्यादा फैलता है।

  • हैजा भी वायरस से फैलता है। यह किसी भी मौसम में हो सकता है।
  • डेंगू, मलेरिया, फ्लू, चिकनगुनिया, पीलिया, डायरिया और हेपेटाइटिस भी वायरस से फैलते हैं, जो साल में कभी भी हो सकते हैं।
  • बच्चों में डायरिया फैलने की मुख्य वजह वायरल इन्फेक्शन ही है। इसे वायरल डायरिया कहते हैं।
  • सामान्य दर्द और बुखार से लेकर एंकेफ्लाइटिस और मेनिनजाइटिस तक वायरल इन्फेक्शन से हो सकता है।       

अपर रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन
हम जब छींकते हैं या खांसते हैं तो हवा में सैकड़ों ड्रॉप्लेट्स फैल जाते हैं। हम जब सांस लेते हैं तो यही वायरस हमारे शरीर में प्रवेश कर जाता है। एक से चार दिन के भीतर पूरे शरीर में यह फैल जाता है। इसे हम कॉमन कोल्ड या अपर रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन कहते हैं।

लोअर रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन
कॉमन कोल्ड या वायरल तो दो-तीन दिन में खुद ठीक हो जाता है, लेकिन अगर यह लंबे समय तक रहे तो तेज खांसी, बुखार, नाक से गाढ़ा बलगम, छाती में बलगम जमा होने लगता है। इससे सांस लेने में तकलीफ, बुखार, निमोनिया आदि दिक्कतें बढ़ने लगती हैं। इसे लोअर रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन कहा जाता है।

साइनोसाइटिस होने से मरीज की नाक, सिर, माथा जकड़ने लगता है और पूरा चेहरा दर्द करता है और उसे भारीपन महसूस होता है। कई बार नाक से गाढ़ा सा बलगम और साथ में खून आने लगता है। यह वायरल से बैक्टीरियल इन्फेक्शन कहलाता है। वायरल पहली स्टेज है और बैक्टीरियल इन्फेक्शन सेकंडरी, जिसमें मरीज को एंटीबैक्टीरियल दवाएं देना जरूरी हो जाता है।

वायरस फैलने की वजह

  • सर्दियों में सुबह-शाम वातावरण में पलूशन की एक परत छाई रहती है। इसी हवा में हम सांस लेते हैं जिसमें हजारों तरह के वायरस होते हैं।
  • भीड़भाड़ वाली जगह पर इकट्ठा होने से भी वायरस फैलता है। आजकल मेलों, मॉल, सिनेमा हॉल में छुट्टी बिताने का चलन है। ऐसी जगहों पर एयरकंडिशनर लगे होते हैं। बाहर की ताजा हवा तो मिलती ही नहीं। जब लोग छींकते हैं, खांसते हैं तो वही ड्रॉप्लेट्स पूरी हवा में फैल जाते हैं और लोग वायरस की चपेट में आ जाते हैं।

वायरल और फ्लू में फर्क
वायरल का ही दस गुना बड़ा रूप फ्लू होता है। वायरल में आमतौर पर मरीज बिस्तर नहीं पकड़ता, जबकि फ्लू में अच्छा-खासा बुखार आ जाता है। नाक बहना, गले में इन्फेक्शन होना, तेज छींकें, खांसी और शरीर में दर्द सब एक साथ होता है। फ्लू तीन से पांच दिन में ही एक इंसान को बेहाल कर देता है। फ्लू में एंटीवायरल दवा दी जाती है। इसका पांच दिन का कोर्स होता है।

वायरल इन्फेक्शन का इलाज
एलोपैथी

  • अगर किसी को सिर्फ जुकाम हुआ है तो आमतौर पर उसे किसी खास इलाज की जरूरत नहीं होती। जुकाम के बारे में एक बड़ी मशहूर कहावत है - इफ यू ट्रीट द कोल्ड, इट टेक्स वन वीक टाइम, इफ यू डोंट ट्रीट, इट टेक्स सेवन डेज टाइम। कहने का मतलब यह है कि अगर आप दवा लेंगे तो भी इसे ठीक होने में उतना ही टाइम लगेगा और नहीं लेंगे, तो भी। ठीकहोने का समय आप कम नहीं कर सकते।
  • दरअसल, हर बीमारी की कुछ फितरत होती है और वह ठीक होने में थोड़ा समय लेती ही है। उसके बाद वह खुद शरीर छोड़कर भागने लगती है। फिर भी अगर करना ही पड़े तो जुकाम में लक्षणों के आधार पर ट्रीटमेंट दिया जाता है। मरीज को तेज छींकें आ रही हैं तो उसे ऐसी दवा दी जाती है जिससे उसकी छींकें रुक जाएं। अगर मरीज की नाक बंद है तो नाक खोलने की दवा दी जाती है और अगर बुखार है तो पैरासीटामोल मसलन कालपोल और क्रोसिन जैसी दवाएं डॉक्टर लिखते हैं।
  • जुकाम में एंटीवायरल ड्रग्स नहीं दी जातीं और एंटीबायोटिक्स का तो इसके इलाज में कोई रोल ही नहीं है। कई बार शुरू में वायरल इन्फेक्शन होता है और बाद में बैक्टीरियल इन्फेक्शन हो जाता है। इसे सेकंडरी बैक्टीरियल इंफेक्शन कहा जाता है। इसमें एंटीबायोटिक्स दवाएं दी जाती हैं।
  • अगर किसी मरीज को साथ में बैक्टीरियल इंफेक्शन भी है तो एंटीबायोटिक दी जाएंगी, लेकिन इन्हें कम-से-कम पांच दिन दिया जाता है। कुछ वायरस के लिए एंटीवायरल ड्रग्स भी आ चुके हैं, लेकिन ज्यादातर वायरस के लिए एंटीवायरल ड्रग्स काम नहीं करते। हरपीज, चिकनपॉक्स और हेपेटाइटिस जैसी कुछ बीमारियों के लिए एंटीवायरल ड्रग्स उपलब्ध हैं।

होम्योपैथी
वायरल इन्फेक्शन में इन होम्योपैथिक दवाओं को दिया जाता है:

  • तेज छीकें आने और नाक से पानी बहने पर रसटॉक्स ( Rhus Tox ), आर्सेनिक अलबम ( Arsenic Album ), एलीयिम सीपा ( Allium Cepa )
  • गले में इन्फेक्शन है तो ब्रायोनिया ( Bryonia ), रस टॉक्स ( Rhus Tox ), जेल्सीमियम ( Gelsemium )
  • बदन दर्द और सिर दर्द है तो फेरम फॉस ( Ferrum Phos )
  • लोअर रेस्पिरेटरी समस्या है तो ब्रायोनिया ( Bryonia ), कोस्टिकम ( Costicum ) के साथ बायोकेमिक मेडिसिन 

ऊपर लिखी गई सभी दवाएं डॉक्टर मरीज की स्थिति और लक्षणों को जांचने-परखने के बाद ही लिखते हैं। बड़ों, बच्चों और महिलाओं के लिए इन दवाओं की अलग-अलग डोज और अलग-अलग पावर होती हैं। इसलिए इन दवाओं को डॉक्टर की सलाह से ही लेना चाहिए।

आयुर्वेद

  • वायरल के इलाज में आयुर्वेद मौसम के मुताबिक खानपान पर जोर देता है।
  • तुलसी की पत्तियों में कीटाणु मारने की क्षमता होती है। लिहाजा बदलते मौसम में सुबह खाली पेट दो-चार तुलसी की पत्तियां चबाएं।
  • अदरक गले की खराश जल्दी ठीक करता है। इसे नमक के साथ ऐसे ही चूस सकते हैं।
  • गिलोय, तुलसी की 8-9 पत्तियां, काली मिर्च के 4-5 दाने, दाल-चीनी 4-5, इतनी ही लौंग, वासा (अड़ूसा) की थोड़ी सी पत्तियां और अदरक या सौंठ मिलाकर काढ़ा बना लें। इसे तब तक उबालें, जब तक पानी आधा न रह जाए। छानकर नमक या चीनी मिलाकर गुनगुना पी लें। इसे दिन में दो-तीन बार पीने से आराम मिलता है। काढ़ा पीकर फौरन घर के बाहर न निकलें।
  • वायरल बुखार में रात को सोते वक्त एक कप दूध में चुटकी भर हल्दी डालकर पिएं। गले में ज्यादा तकलीफ है तो संजीवनी वटी या मृत्युंजय रस की दो टैब्लेट भी इसके साथ लेने से आराम मिलता है।
  • गले में इन्फेक्शन है तो सितोपलादि चूर्ण फायदेमंद है। इसे तीन ग्राम शहद में मिलाकर दिन में दो बार चाटें। खांसी में आराम मिलेगा। डायबीटीज के मरीज शहद की जगह अदरक या तुलसी का रस मिलाकर लें। वैसे गर्म पानी से भी इस चूर्ण को लेने से आराम मिल जाएगा।
  • त्रिभुवन कीर्ति रस, मृत्युंजय रस या नारदीय लक्ष्मीविलास रस में से किसी एक की की दो-दो टैब्लेट, दिन में तीन बार गुनगुने पानी से लेने से गले को आराम मिलता है।
  • टॉन्सिल्स व गले में दर्द है तो कांछनार गुग्गुलू वटी की दो-दो टैब्लेट सुबह-शाम गुनगुने पानी से लें।

बच्चों में वायरल इन्फेक्शन
आम भाषा में बोले जाने वाले कॉमन कोल्ड या जुकाम की शुरुआत बच्चों में नाक बहने, छींक, आंखों से पानी आने और हल्की खांसी से होती है। इसे वायरल भी कहते हैं। बड़े लोग तो अपनी बीमारी के बारे में बता सकते हैं लेकिन दूध पीता बच्चा बोल नहीं पाता। ऐसे बच्चे सांस लेते वक्त आवाजें करते हैं। ऐसा लगता है कि उनकी नाक में ब्लॉकेज है। बच्चा बेवजह रोने लगता है। उसे हल्का बुखार भी हो सकता है। दूसरी ओर ऐसे बच्चे जो बोल सकते हैं, उनमें भी वायरल के वही लक्षण होते हैं। नाक बंद होना, छींकें आना, गले में खराश और आंखों से पानी आना। जब नाक का रास्ता बंद होता है तो वही पानी आंखों के रास्ते बहने लगता है। कुछ बच्चों की नाक बंद होती है तो कुछ को बहुत छींक आती हैं। कुछ बच्चों को हल्का बुखार भी महसूस होता है। आप थर्मामीटर लेकर नापें तो बुखार पता भी नहीं चलता। इसे अंदरूनी बुखार या हरारत भी कहते हैं। सभी बच्चों में जुकाम के लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं।

क्या करें कि वायरल हो ही ना

  • वायरस दो तरह का होता है- एंडनिक और पेंडनिक। एंडनिक वायरस की वजह से होने वाला फ्लू किसी एक जगह पर दिखाई पड़ता है, जबकि पेंडनिक सब जगह देखा जा सकता है। जैसे स्वाइन फ्लू शुरू में मैक्सिको में हुआ, लेकिन महीने भर बाद भारत पहुंच गया। पेंडनिक वायरस दुनिया भर में एक महीने के भीतर ही फैल सकता है। यह वायरस अपनी शक्ल-सूरत बदल लेता है और एक नए वायरस की तरह दिखना शुरू हो जाता है। यह उन सब लोगों पर अटैक करता है, जो इससे पीड़ित व्यक्ति के संपर्क में आते हैं। इससे बचाव के लिए डब्ल्यूएचओ साल में दो बार सितंबर और मार्च में एंटी-फ्लू वैक्सीन रिलीज करता है। सितंबर में उत्तरी क्षेत्र (जहां हम रहते हैं) और मार्च में दक्षिणी क्षेत्र (ऑस्ट्रेलिया) में यह वैक्सीन रिलीज होता है।
  • यह वैक्सीन 600 से 900 रुपये के बीच उपलब्ध है, जिसे छह महीने के बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक को दिया जा सकता है। छह महीने से कम उम्र के बच्चों को यह साल में दो बार दिया जाता है, जबकि इससे ऊपर के लोगों को साल में केवल एक बार। ये वैक्सीन वैक्सीग्रिप, फ्लूरिक्स, इनफ्लूबैक जैसे नामों से उपलब्ध हैं।
  • कोशिश यह होनी चाहिए कि सर्दी न लगे। पूरे कपड़े पहनकर बाहर जाएं।
  • कोई खांस रहा हो तो रुमाल हाथ में रखें। खुद भी अगर खांस रहे हैं या छींक रहे हैं तो रुमाल ले लें।
  • कभी खाली पेट घर से बाहर न निकलें। खाली पेट शरीर को कमजोर करता है।
  • खाना मौसम के हिसाब से लें। अगर बाहर खाएं, तो सफाई का पूरा ध्यान रखें।
  • इस मौसम में फ्रिज का पानी पीने से बचें। आइसक्रीम या ज्यादा ठंडी चीज से परहेज करें।

और हो ही जाए तो...

  • नमक डालकर गुनगुने पानी के गरारे करें।
  • ज्यादा से ज्यादा पानी और विटामिन सी वाली चीजें लें, लेकिन ज्यादा खट्टे फलों से बचना चाहिए।
  • वायरल के दौरान सामान्य, पौष्टिक खाना यानी संतुलित आहार लें।
  • अगर बुखार है और भूख नहीं लगती, तो हेवी खाना न लें क्योंकि वह बुखार के कारण पचेगा नहीं।
  • जहां तक संभव हो सके, गरम व तरल पदार्थ जैसे सूप, दलिया, खिचड़ी और रसेदार सब्जियां भरपूर मात्रा में लें।
  • तुलसी, अदरक, शहद और च्यवनप्राश का इस्तेमाल करते रहें।

क्या है टेस्ट

  • सिर्फ जुकाम होने पर कोई भी टेस्ट नहीं कराया जाता। डेंगू, मलेरिया, मेनिनजाइटिस, हेपेटाइटिस या एंकेफ्लाइटिस जैसी बीमारियों को कंफर्म करने के लिए ब्लड टेस्ट कराया जाता है। डेंगू होने की आशंका लगती है तो डॉक्टर प्लेटलेट्स काउंट टेस्ट की सलाह देते हैं।

एक्पसपर्ट पैनल
प्रो. एस. वी. मधु एचओडी, मेडिसिन, जीटीबी अस्पताल
डॉ. निलेश आहूजा असिस्टेंट डायरेक्टर, भारतीय चिकित्सा पद्धति एवं होम्योपैथी निदेशालय
डॉ. वाई. डी. शर्मा, डेप्युटी डायरेक्टर, भारतीय चिकित्सा पद्धति एवं होम्योपैथी निदेशालय
डॉ. मोमिता चक्रवर्ती, एमओ इंचार्ज, होम्योपैथी मेडिसिन, जीटीबी अस्पताल
डॉ. प्रसन्ना भट्ट, सीनियर, कंसलटेंट (पीडिएट्रिक्स), मैक्स बालाजी

विंटर हेयर टिप्स : जावेद हबीब



विंटर्स में बालों की कई सारी प्रॉब्ल्म्स होती हैं। इनमें ड्राईनेस आ जाती है। इर्रिटेशन होती है और जगह-जगह पैचेज भी पड़ जाते हैं। यही नहीं, कई बार बालों के पोर्स तक बंद हो जाते हैं। खुजली होती है। इसलिए इन्हें नियमित रूप से धोना बेहद जरूरी है। बेहतर होगा आप रोज हेड वॉश करें लेकिन सर्दी के कारण कई बार ये मुनासिब नहीं हो पाता। जावेद बताते हैं, 'बालों को हेल्दी बनाने के लिए आप हफ्ते में दो बार स्पा ले सकती हैं।'

ऑयलिंग है अहम
  • आमतौर पर बालों पर ऑयल लगाने को हम ज्यादा तरजीह नहीं देते, लेकिन ये बालों के लिए बहुत ही इंपोर्टेंट है। आप रात को सोने से पहले बालों में तेल जरूर लगाएं। ज्यादा नहीं, हफ्ते में दो बार लगाएं। ऑलिव ऑयल, ग्राउंडनट ऑयल और बादाम के तेल से बालों की मालिश अच्छी रहती है। इससे बालों की ग्रोथ अच्छी होने के साथ ही उनमें शाइनिंग भी आती है। ऑयलिंग के बाद स्टीमिंग पर भी ध्यान दें। स्टीम लेने से तेल बालों की जड़ों तक जाएगा। ब्यूटी एंड हेयर एक्सपर्ट आशमीन मुंजाल कहती हैं, तेल मालिश और स्टीम से बाल मजबूत होने के साथ ही सॉफ्ट भी हो जाते हैं।

पैक्स बनाएं हेल्दी बाल
  • हेयर पैक्स आपके लिए बेहद फायदेमंद हैं। ये जहां बालों को अच्छा नरिशमेंट देते हैं , वहीं उनकी क्वालिटी मेंटेन करने में भी हेल्प करते हैं। आप बाजार से रेडीमेड पैक्स खरीदने के साथ ही इन्हें घर पर भी बना सकती हैं। घर पर बनाए गए पैक्स नेचरल होंगे। इन्हें चूज करते समय अपने हेयर टेक्सचर और बॉडी टेंपरेचर को ध्यान में रखें। अगर आपके बाल ड्राई हैं , तो अंडे का पीला भाग और मलाई मिलाकर पैक बना सकती हैं। ऑयली बालों के लिए अंडे का पीला भाग ना मिलाएं। वहीं , सिल्की बालों के लिए कोकोनेट वाटर लगाएं। इसके अलावा मेहंदी का पैक लगाना हो , तो धूप में बैठकर लगाएं और धूप में ही मेहंदी सूखाकर बाल धोएं वर्ना ठंड लग सकती है। आप किसी भी पैक को 20 से 25 मिनटों के लिए लगाएं। इसके बाद गुनगुने पानी से धोकर बालों को अच्छी तरह सूखाएं।

हेयर फूड से फायदा
  • आपको अच्छे बाल पाने के लिए अपने खान - पान पर भी ध्यान देना होगा। आप ग्रीन वेजिटेबल्स को अपनी डाइट में शामिल करें। इससे बालों को भरपूर पोषण मिलेगा। साग , मेथी , पालक और बथुआ मौसमी हरी सब्जियां खूब खाएं। इसके अलावा , आंवला बालों के लिए बेहद लाभकारी है। आप आंवले का मुरब्बा खाने के साथ ही कच्चा आंवला भी खा सकती हैं। संतरा , सेब , केला जैसे फल भी बालों के लिए बढि़या हैं। इस मौसम में आपको सिंघाड़ा बहुत मिलेगा। यह भी फायदा करेगा। ब्यूटी एंड हेयर एक्सपर्ट आशमीन के मुताबिक , ' आप आंवला , शिकाकाई , रीठा , भृंगराज और सूखा धनिया जैसी चीजें इस्तेमाल कर सकती हैं। '

बॉक्स
ड्रायर नहीं , नेचरल लाइट
  • अगर आपको बाल सूखाने हों , तो उसके लिए ब्लोअर ड्राई करने की बजाय नेचरल लाइट ज्यादा बेहतर होती है। ड्रायर से बाल रफ हो जाते हैं। इसके अलावा , इन्हें धोने के लिए हार्ड वाटर या बहुत ज्यादा गर्म पानी का इस्तेमाल ना करें। इसकी बजाय गुनगुने पानी से धोएं। विंटर्स बालों का मॉइश्चराइजर कम हो जाता है इसलिए ऑयलिंग , स्टीमिंग और कंडीशनिंग पर खास ध्यान देना चाहिए।

बॉक्स
ध्यान दें इन पर
  • - भरपूर मात्रा में पानी और दूसरे फ्ल्यूड लें।
  • - मॉइश्चराइजिंग और कंडिशनिंग का ख्याल रखें।
  • - ड्राई एरियाज को रात में सोने से पहले डीप मॉइश्चराइज करें।
  • - 6 से 8 हफ्तों में बालों की ट्रिमिंग करवाएं।
  • - रेग्युलर तौर पर नार्मल हेयर शैंपू यूज करें।
  • - हॉट शावर या गर्म पानी से बाल धोना पूरी तरह अवॉइड करें।

सर्दी में बालों को धोने के लिए गर्म पानी का इस्तेमाल ना करें। साथ ही एंटी डैंड्रफ शैंपू का यूज भी अवॉइड करें। बेहतर होगा आप नार्मल शैंप यूज करें। बालों की जितनी अच्छी तरह केयर की जाएगी , बाल उतने ही हेल्दी और शाइनी दिखेंगे। '

जावेद हबीब , हेयर एक्सपर्ट

कुछ आसान रेसिपीज

चीज स्ट्रॉ
सामग्री
  • एक कप मैदा,   
  • 50 ग्राम घी या मक्खन, 
  • दो क्यूब कसा हुआ चीज, 
  • आधा कप दूध, नमक और लाल मिर्च पाउडर स्वादानुसार।
विधि
  • नमक और मैदा को छान लें। मक्खन, चीज, नमक और लाल मिर्च पाउडर मिलाएं और दूध की सहायता से अच्छी तरह मल लें। इसको एक मोटी रोटी की तरह बेलकर एक लंबी स्ट्रिप में काटें। हर स्ट्रिप को टिवस्ट करें और घी या तेल से चुपड़ी ट्रे में रखकर गोल्डन कर लें। ठंडा करके सर्व करें।

अल्फाबेट केक
सामग्री
  • 100 ग्राम मैदा, 
  • 100 ग्राम पिसी चीनी, 
  • 100 ग्राम मक्खन, 
  • तीन अंडे,
  • एक छोटा चम्मच बेकिंग पाउडर, 
  • चार बड़े चम्मच भिगोई हुई किशमिश या केक फू्रट, 
  • एक छोटा चम्मच वनीला एसेंस।
आइसिंग के लिए
  • 100 ग्राम आइसिंग शुगर, 
  • 50 ग्राम मक्खन।
विधि
  • मैदा व बेकिंग पाउडर छान लें। मक्खन व चीनी हल्का होने तक फेंटें। एक - एक करके अंडा मिलाते व फेंटते रहें। धीरे - धीरे मैदा मिलाएं। एक कप में चिकनाई लगा दें। इसमें दो तिहाई मिक्सचर भरें। गर्म अवन में गोल्डन होने तक बेक करें। ठंडा होने दें।
  • आइसिंग शुगर व मक्खन को नरम होने तक फेंटें। प्रत्येक केक पर पतली तह लगाएं। बची आइसिंग में रंग मिलाकर पाइपिंग गन में भरें और राइटिंग नॉजल लगाएं। इससे केक पर नाम लिख लें।

कॉर्न कटलेट
सामग्री
  • चार बड़े आलू उबले व मैश किए हुए , 
  • भिगोए हुए चार ब्रेड स्लाइस , 
  • आधा चम्मच उबले मटर , 
  • एक चम्मच नमक , 
  • एक छोटा चम्मच लाल मिर्च पाउडर , 
  • दो छोटे चम्मच चाट मसाला , 
  • एक चम्मच बारीक कटा हरा धनिया।
कोटिंग के लिए
  • चौथाई प्याला कॉर्नफ्लोर , 
  • आधा प्याला भिगोया हुआ साबूदाना , 
  • तलने के लिए तेल।
विधि
  • कटलेट की सारी सामग्री मिला लें। भुट्टे के आकार के कटलेट बनाएं। आधा कप पानी में कॉर्नफ्लोर घोल लें। हरेक कटलेट को इस मिक्सचर में डुबोएं व साबूदाने में लपेट लें। गर्म तेल में गोल्डन होने तक तलें। कागज पर रखें। एक्सट्रा तेल निकल जाए , तो टुथपिक लगा ले।
कुछ आसान और चटपटे चाट और नाश्ते के व्यंजन घर पे बनाना चाहती है तो सुधा माथुर आपको बड़ी आसानी से सीखा सकती है आज ही सीखना शुरू करे 

महिलाओं का जनन तंत्र

औरतों का जनन तंत्र कैसा होता है?
औरतों के जनन तंत्र में बाहरी (जननेन्द्रिय) और आन्तरिक ढाँचा होता है। बाहरी ढॉचे में मूत्राषय (वल्वा) और यौनि होती है। आन्तरिक ढांचे में गर्भाषय, अण्डाषय और ग्रीवा होती है।

बाहरी ढांचे के क्या मुख्य लक्षण होते हैं?
बाहरी ढांचे में मूत्राषय (वल्वा) और योनि है। मूत्राषय (वल्वा) बाहर से दिखाई देने वाला अंश है जबकि योनि एक मांसल नली है जो कि गर्भाषय और ग्रीवा को शरीर के बाहरी भाग से जोड़ती है। ओनि से ही मासिक धर्म का सक्त स्राव होता है और यौनपरक सम्भोग के काम आती है, जिससे बच्चे का जन्म होता है।

आन्तरिक ढांचे के क्या मुख्य लक्षण हैं?
आन्तरिक ढांचे में गर्भाषय, अण्डाषय और ग्रीवा है। गर्भाषय जिसे सामान्यत कोख भी कहा जाता है, उदर के निचले भाग में स्थित खोखला मांसल अवयव है। गर्भाषय का मुख्य कार्य जन्म से पूर्व बढ़ते बच्चे का पोषण करना है। ग्रीवा गर्भाषय का निचला किनारा है। योनि के ऊपर स्थित है और लगभग एक इंच लम्बी है। ग्रीवा से रजोधर्म का रक्तस्राव होता है और जन्म के समय बच्चे के बाहर आने का यह मार्ग है। यह वीर्य के लिए योनि से अण्डाषय की ओर ऊपर जाने का रास्ता भी है। अण्डाषय वह अवयव है जिस में अण्डा उत्पन्न होता है, यह गर्भाषय की नली (जिन्हें अण्वाही नली भी कहते हैं) के अन्त में स्थित रहता है।

योनि
यह एक जनाना अंग है जो कि गर्भाशय और ग्रीवा को शरीर के बाहर से जोड़ता है। यह एक मांसल ट्यूब है जिसमें श्लेष्मा झिल्ली चढ़ी रहती है। यह मूत्रमार्ग और मलद्वार के वीच खुलती है योनि से रूधिरस्राव बाहर जाता है, यौन सम्भोग किया जाता है और यही वह मार्ग है जिससे बच्चे का जन्म होता है।

अण्डकोश
अण्डकोश औरतों में पाया जाने वाला अण्ड-उत्पादक जनन अंग है। यह जोड़ी में होता है।

डिम्बवाही / अण्डवाही थैली
डिम्बवाही नलियां दो बहुत ही उत्कृष्ट कोटि की नलियां होती है जो कि अण्डकोश से गर्भाशय की ओर जाती है। अण्डाणु को अण्डकोश से गर्भाशय की ओर ले जाने के लिए ये रास्ता प्रदान करती है।

गर्भाशय
गर्भाशय एक खोकला मांसल अवयव है जो कि औरत के बस्तिप्रदेश में मूत्रशय और मलाशय के बीच स्थित होता है। अण्डाशय में उत्पन्न अण्डवाहक नलियों से संचरण करते हैं। अण्डाशय से निकलने के बाद गर्भाशय के अस्तर के भीतर वह उपजाऊ बन सकता है और अपने को स्थापित कर सकता है। गर्भाशाय का मुख्य कार्य है जन्म से पहले पनपते हुए भ्रूण का पोषण करना।

ग्रीवा
गर्भाशय के निचले छोर/किनारे को ग्रीवा कहते हैं। यह योनि के ऊपर है और लगभग एक इंच लम्बा होता है। ग्रीवापरक नलिका ग्रीवा के मध्य से गुजरती है जिससे कि माहवारी चक्र और भ्रूण गर्भाशय से योनि में जाते हैं वीर्य योनि से गर्भाशय में जाता है।