वट सावित्री व्रत स्त्रियों द्वारा पति और परिवार के सुख की कामना से रखा जाता है। कहीं न कहीं यह प्रश्र आता है कि आखिर स्त्रियों द्वारा ही पति के लिए वट पूजा और अन्य व्रत क्यों रखे जाते है। जानते हैं इसके व्यावहारिक पक्ष को। स्त्रियों के लिए इस व्रत रखने के पीछे दर्शन यह है कि चूंकि स्त्री जननी होती है। वह मां, पत्नी, बहन आदि रुपों में परिवार में सुख और संस्कार देने वाली होती है। वहीं भारतीय समाज में पुरुष की भूमिका परिवार के लिए जीविकोपार्जन करने वाले की रही है। पुरुष के साथ स्त्री समान रुप से घर की जिम्मेदारियों को निभाती आई है। समयाभाव के कारण पुरुष की अनुपस्थिति में पति-पत्नी और परिवार के सदस्यों के बीच रिश्तों के प्रति निष्ठा, विश्वास, भावना, लगाव और संस्कार बने रहें, इसलिए स्त्रियों के लिए पातिव्रत्य धर्म के पालन के लिए वट सावित्री जैसे अन्य व्रत विधान नियत किए गए। जिससे स्त्री के माध्यम से अगली पीढ़ी भी इन धार्मिक और पारिवारिक संस्कारों को अपनाए और पारिवारिक मूल्यों की रक्षा होती रहे।


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