शिव पूजन लिंग रूप में क्यों?

हिंदू धर्म में त्रिदेवों का सर्वाधिक महत्व बताया गया है ब्रह्मा, विष्णु व महेश। इनमें से सिर्फ भगवान शिव ही ऐसे हैं जिनकी लिंग रूप में भी पूजा की जाती है। ऐसा क्यों? इस प्रश्न का उत्तर शिवमहापुराण में विस्तृत रूप से दिया गया है, जो इस प्रकार है-
शिवमहापुराण के अनुसार एकमात्र भगवान शिव ही ब्रह्मरूप होने के कारण निष्कल (निराकार) कहे गए हैं। रूपवान होने के कारण उन्हें सकल(साकार) भी कहा गया है। इसलिए शिव सकल व निष्कल दोनों हैं। उनकी पूजा का आधारभूत लिंग भी निराकार ही है अर्थात शिवलिंग शिव के निराकार स्वरूप का प्रतीक है। इसी तरह शिव के सकल या साकार होने के कारण उनकी पूजा का आधारभूत विग्रह साकार प्राप्त होता है अर्थात शिव का साकार विग्रह उनके साकार स्वरूप का प्रतीक होता है। 
सकल और अकल(समस्त अंग-आकार सहित साकार और अंग-आकार से सर्वथा रहित निराकार) रूप होने से ही वे ब्रह्म शब्द कहे जाने वाले परमात्मा हैं। यही कारण है सिर्फ शिव एकमात्र ऐसे देवता हैं जिनका पूजन निराकार(लिंग) तथा साकार(मूर्ति) दोनों रूप में किया जाता है। भगवान शिव ब्रह्मस्वरूप और निष्कल(निराकार) हैं इसलिए उन्हीं की पूजा में निष्कल लिंग का उपयोग होता है। संपूर्ण वेदों का यही मत है।

3 comments:

Himanshu Mohan said...

आपका ब्लॉग पहले से चल रहा है और अत्यंत सुगठित सुसज्जित स्वरूप में है. आश्चर्य है कि आपके पाठक क्यों नहीं बढे?
बधाई हिंदी ब्लॉग लेखन हेतु!

sandhya said...

शिव महिमा और व्रत और भी अन्य उनसे सम्बंधित बातें बताने का कास्ट करें

sandhya said...

शिव महिमा और व्रत और भी अन्य उनसे सम्बंधित बातें बताने का कास्ट करें