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शादी से पहले सेक्स पर पहरा क्यों?

'सेक्स' एक ऐसा शब्द जो सबसे ज्यादा गोपनीय होने के बावजूद आज सर्वाधिक तेजी से उजागर होता जा रहा है। सेक्स, यौन संबंध, शारीरिक संबंध, काम, रति क्रिया...जैसे कई नामों से इसे जाना जाता है। युवाओं और बड़ों को तो स्वयं कुदरत ही इस तिलिस्म से रूबरू करवा देती है। 
किन्तु एक तीसरा वर्ग भी है जिसमें अवयस्क बच्चे आते हैं। बच्चों और विवाह पूर्व युवाओं को सेक्स से दूरी बनाए रखने की प्रेरणा कई स्तरों पर मिलती है। माता-पिता, परिवार, समाज, धर्म और परम्पराएं सभी मिलकर इस महत्वपूर्ण कार्य की जिम्मेदारी सम्हालते हैं। 
समय के साथ ही मान्यताओं और परम्पराओं में बदलाव भी आते जा रहे हैं। बदलाव यदि सही दिशा में हो तब तो ठीक है, किन्तु हालात तो कुछ और ही बयान कर रहे हैं। सेंसर से मुक्त इंटरनेट, लिव इन रिलेशनशिप, को-एजुकेशन, व्यस्त माता-पिता, फिल्मों व टीवी कार्यक्रमों का सीमा रहित खुलापन...इन सभी ने मिलकर ऐसा माहोल बना दिया है कि नई जनरेशन पतन के गहरे दलदल की तरफ बढ़ती जा रही है। 
इतना ही नहीं कुछ तथाकथित विद्वान तो बच्चों को सेक्स ऐजुकेशन देने की भरपूर वकालत कर रहे हैं। ये विद्वान यह नहीं सोचते कि सुरक्षा के नाम पर जिन हथियारों से बच्चों को परिचित करवाया जाता है, बच्चे अपनी स्वाभाविक कौतुकता और जिज्ञासा की आदत के कारण उन हथियारों को चलाकर देखने का भी प्रयास करने लगते हैं। क्या कारण है कि दुनिया के तमाम धर्मों में विवाह पूर्व किसी भी प्रकार के शारीरिक संबंध या सेक्स को पूरी तरह वर्जित और गैर धार्मिक बताया गया है। धर्म और अध्यात्म मात्र श्रद्धा या भक्ति पर ही निर्भर नहीं हैं ये पूरी तरह से वैज्ञानिक सिद्धांतों पर चलते हैं।
आइये जाने उन अज्ञात वैज्ञानिक कारणों को जिनके कारण विवाह पूर्व सेक्स या यौन संबंध को पूरी तरह वर्जित माना गया है:-
  1. 25 वर्ष की उम्र तक शरीर और मस्तिष्क का पूर्ण विकास होने के लिये ब्रह्मचर्य का पालन होना निंतात आवश्यक है।
  2. समाज जिस आधार पर खड़ा है, वह है पति-पत्नी का संबंध। विवाह पूर्व बना यौन संबंध इस आधार को कमजोर कर समाज के पतन का कारण बनता है।
  3. एड्स जैसे लाइलाज रोगों का प्रमुख कारण भी अनैतिक और अधार्मिक यौन संबंध ही होते हैं।
  4. विवाह से पूर्व इंसान को अपनी योग्यताओं और क्षमताओं को विकसित करना होता है। इस कार्य के लिये जिस एकाग्रता और दृढ़ता की आवश्यकता होती है वही यौन संबंधो के कारण नष्ट हो जाती है।
  5. योग्य, बुद्धिमान और प्रतिभाशाली संतान की प्राप्ति के लिये विवाह पूव का चरित्र और पवित्रता बड़ी अहम भूमिका निभाते हैं।

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