जननेन्द्रिय में संक्रमण : कारण - निवारण
वल्वा में पीड़ा और खुजली किस कारण होती है?
- वल्वा क्षेत्र में पीड़ा खुजली, जलन एवं उत्तेजना का कारण जननेन्द्रिय में संक्रमण (इनफैक्शन) हो सकता है या डरमैटईटिस, एक्जीमा जैसी त्वचा के असंक्रमाक रोग हो सकते हैं।
- औरत की वल्वा में त्वचा परक ऐसा रोग भी हो सकता है जो कि संक्रामक नही होता और सम्भोग के साथी को नहीं लगाता। जांघिए को धोने के लिए जो साबुन, दुर्गन्धनाशक और प्रक्षालक काम में लाया जाता है उससे जलन की बहुत सम्भावना रहती है।
- उपचार के लिए सामान्यतः ऐसी स्टीरॉयड क्रीम एवं प्रशासक औषधियों का उपयोग किया जाता है जो कि चिकनी हो और ऐसा मरहम लिया जाता है जो कि त्वचा को उत्तजित करने वाला न हो। जख्म को और फटी चमड़ी को नरम बनाने और आराम दिलाने के लिए इनका उपयोग किया जा सकता है और वल्वा की सफाई के लिए साबुन की जगह इनका उपयोग कर सकते हैं। क्रीम और लोशन के रूप में ये मिलते हैं और कैमिस्ट से बिना पर्ची लिखाये भी मिल जाती हैं।
- यदि आपको यह समस्या है, या उसका अंदेशा है तो तंग माप के टाईटस या ट्राउसर मत पहनें। सिनथैटिक के जांघिये न पहने और कॉटन के भी ऐसे जांघिए पहने जो बहुत कसे हुए न हो। त्वचा को साफ करने के लिए हल्के साबुन का इस्तेमाल करें।
- वल्वा में सूजन के सबसे सामान्य कारण को बारथोलिनस काइसटस कहा जाता है। बारथोलिन ग्रन्थियां बहुत ही छोटी दो ग्रन्थियां हैं जो कि योनि द्वार के दोनों ओर होती हैं। उस ग्रन्थि मे छोटी नलिया होती हैं अगर वे त्वचा के अणु या स्राव से बन्द हो जायें तो उसमें पुष्टि बन सकती है (तरल द्रव्य से भरी थैली) यह पुष्टि मटर के दाने से लेकर गोल्फ की बॉल जैसी हो सकती है।
- उपचार बहुत सी बातों पर निर्भर रहता है, पुष्टि का आकार, कितना पीड़दायक है, क्या संक्रमित है और आप का डाक्टर कौन सी उपचार विधि को चुनता है। कुछ तो एनटिवॉयटिक खाने मात्र से ठीक हो जाते हैं। कभी-कभी डाक्टर उसमें एक नली डालने का निश्चय कर सकते हैं। (मोटे धोग जैसी) वह नली 2 से 4 हफ्ते तक उसी जगह पर रहती है। इससे तरल पदार्थ बाहर बह जाता है और इससे योनि के दोनों पक्षों पर एक छोटा सा छेद हो जाता है 2-4 हफ्ते में उस नली को निकाल दिया जाता है।
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