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पुरूष नसबन्‍दी क्यों और कैसे

हमारे समाज में आज भी महिला नसबंदी पर ही विशेष जोर दिया जाता है जिसका कुछ हद तक कारण पुरुष नसबंदी के विषय में जानकारी का अभाव होना भी है इसी तथ्य को ध्यान में रखते हुए पुरुष नसबंदी से सम्बंधित यह लेख यहाँ प्रकाशित किया जा रहा है :
पुरूष नसबन्‍दी
  • पुरूष नसबन्‍दी ज्‍यादा आसान/ सरल और सुरक्षित है। 
  • पुरूष नसबन्‍दी करवाने में समय भी कम लगता है। 
  • पुरूप नसबन्‍दी भी गर्भनिरोधक के लिए महिला नसबन्‍दी जितनी ही प्रभावशाली है। 
  • पुरूष नसबन्‍दी से जुडी धारणाओं / गलतफहमियों को दूर करें:- 
  • नसबन्‍दी में पुरूष के बच्‍चा पैदा करने वाले अंग (लिंग व अण्‍डकोष) नहीं काटे जाते और न ही उनको कोई हानि/ नुकसान होता है। 
  • नसबन्‍दी के बाद न तो लिंग और न ही अण्‍डकोष सिकुडते या छोटे होते हैं। 
  • नसबन्‍दी के कारण किसी भी प्रकार की कमजोरी या कोई रोग भी नहीं होता है। 
  • नसबन्‍दी से पुरूष की मर्दानगी में और कामोतेजना में कोई अन्‍तर नहीं आता है। 
  • पुरूष नसबन्‍दी के बाद, पति-पत्‍नी को सम्‍भोग में भी पहले जैसा ही आनन्‍द मिलता हैं। 
बिना चीरा, बिना टांका- पुरूष नसबन्‍दी सरल क्‍यों:-
बिना चीरा:-
  • इस बिना चीरा-बिना टांके के तरीक से सबसे पहले अण्‍डकोषों के ऊपर वाली खाल को एक सुई लगाकर सुन्‍न कर देते हैं। 
  • सुन्‍न की गई खाल में एक खास चिमटी से एक बहुत बारीक सुराख (आधे सूत से भी कम चौडा) करते हैं। 
  • ऐसा कने में न दर्द होता है और न ही खून निकलता है। 
  • इस बारीक सुराख से उस नली को उचका कर बाहर निकालते हैं जो अण्‍डकोष से पुरूष बीजों को पेशाब की नली तक पॅंहुचाती है। 
  • फिर इस नली को बीच से काट देते हैं। 
  • नली के दोनों कटे हुए सिरों/ छोरो का बांधकर उनके मुंह बन्‍द कर देते हैं और वापस अण्‍डकोष थैली के अन्‍दर डाल देते हैं। 
  • इसी प्रकार दूसरी पुरूष बीज नली को भी इसी सुराख से बाहर निकालते हैं। 
  • इस बीज नली को भी बीच से काटते हैं और कटे सिरो/ छोरो को बांधकर इनके भी मुंह बन्‍द कर देते हैं। 
  • फिर इन सिरों को भी वापस अण्‍डकोष थैली में डाल देते हैं। 
बिना टांका:-
  • पुरूष बीज नलियों को अण्‍डकोष की थैली में वापस डालने के बाद सुराख पर एक डॉक्‍टरी टेप चिपका देते हैं। 
इस प्रकार खाल के किए गए सुराख पर टांका लगाने की आवश्‍यकता भी नहीं पडती है। 
कम समय:
  • 3 दिन बाद सुराख स्‍वयं बंद हो जाता है इस आधुनिकतम तरीक से नसबन्‍दी करने में केवल 5-10 मिनट का समय लगता है। 
  • नसबन्‍दी करवाने के आधे घण्‍टे बाद व्‍यक्ति घर भी जा सकता है। 
  • घर जाकर व्‍यक्ति एक दिन आराम कर ले तो अच्‍छा है। 
  • 48 घण्‍टे बाद वह सामान्‍य काम भी कर सकता है। 
  • अच्‍छा रहता है यदि नसबन्‍दी के बाद दो दिन तक लंगोट पहने रखें इससे अण्‍डकोष का आराम मिलता है। 
  • तीन दिन सुराख पर टेप चिपका रहना चाहिए और जगह को गीला होने, मैल और खरोंच से बचाना चाहिए नसबन्‍दी कराने के अगले दिन व्‍यक्ति स्‍नान कर सकता है परन्‍तु इस जगह को गीला होने से बचाकर स्‍नान करें। 
  • तीन दिन बाद अगर लगे कि सुराख बिल्‍कुल ठीक हो गया है तो टेप हटाकर उसे साबुन और पानी से धोलें। 
  • किसी प्रकार की असुविधा से बचने के लिए नसबन्‍दी के सात दिन बाद ही साइकिल चलाऍं। 
  • सुराख वाली जगह पर आराम आने के बाद व्‍यक्ति सम्‍भोग कर सकता है। 
  • परन्‍तु नसबन्‍दी के बाद कम से कम 20 वीर्यपात या संभोगो तक पुरूष निरोध या उसकी पत्‍नी अन्‍य गर्भनिरोधक तरीक का प्रयोग अवश्‍य करे। 
  • ऑपरेशन के तीन माह पश्‍चात् वीर्य की डॉक्‍टरी जॉंच करायें कि वह शुक्राणु रहित हो गया है या नहीं। 
  • वीर्य, शुक्राणु रहित पाया जाने के बाद सम्‍भोग के लिए निरोध या अन्‍य किसी गर्भनिरोधक तरीके की आवश्‍यकता रहती है। 
हितग्राहियों का चयन:-
  • पुरूष विवाहित/ शादीशुदा हो। 
  • पुरूष की आयु 50 साल से कम और उसकी पत्‍नी 45 साल से कम हो। 
  • पूरूष या उसकी पत्‍नी दोनो में से किसी ने भी पहले नसबन्‍दी न कराई हो या पिछली नसबन्‍दी विफल हो रही हो। 
  • दम्‍पति के कम से कम एक जीवित बच्‍चा हो जिसकी आयु एक साल से अधिक हो। 
  • पुरूष की मानसिक परिस्थिति ऐसी हो कि वह नसबन्‍दी के नतीजों को समझ सकता हो। 
  • पुरूष ने नसबन्‍दी करवाने का फेसला अपनी स्‍वतंत्र इच्‍छा तथा बगैर किसी दबाव के लिया हो। 
यह सुविधा कहॉं उपलब्‍ध है:-
  • इस नए बिना चीरा-बिना टांके की विधि से नसबन्‍दी करवाने के लिए अपने निकट के स्‍वास्‍थ्‍य कार्यकर्ता से सम्‍पर्क करें। 
  • इस नए तरीक की सुविधा आपके परिवार कल्‍याण केन्‍द्र एवं जिला अस्‍पताल में भी उपलब्‍ध हैं वहॉं के चिकित्‍सा अधिकारी से सम्‍पर्क करें। 
  • परिवार संपूर्ण हो जाने पर बिना चीरा- बिना टांका पुरूष नसबन्‍दी का तरीका अपनायें।

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