उन दिनों की टेंशन नहीं
क्या पीरियड्स शुरू होने से दो या तीन हफ्ते पहले आपका स्वभाव चिडचिडा हो जाता है, आप हर बात पर झल्ला उठती हैंक् तो घबराएं नहीं, पीएमएस या पीएमडीडी जैसी समस्या से आसानी से लडा जा सकता है।
क्या है पीएमएस
- पीएमएस यानी प्रीमेंन्सट्रूयल सिंड्रोम। यह ऋतुस्त्राव या पीरियड्स से दो या तीन हफ्ते पहले होने वाली शारीरिक, मानसिक और व्यावहारिक समस्या है। यह महिलाओं को हर महीने होने वाले ऋतुस्त्राव शुरू होने का संकेत है। इस समस्या से आप पीडित हैं, इसे सिर्फ शारीरिक, मानसिक या व्यावहारिक बदलावों को देखकर ही पता लगा सकते हैं। किसी भी तरह का टेस्ट इसे स्पष्ट नहीं करता। इससे होने वाली तकलीफ ऋतुस्त्राव शुरू होने या इसके कुछ ही दिनों बाद खत्म हो जाती है।
कैसे जानें पीएमएस
- पीएमएस की समस्या को जानने के लिए अपने शरीर में होने वाले दो तरह के बदलावों (शारीरिक और मानसिक) का ध्यान रखना होता है। इन बदलावों में डिप्रेशन में आना, अत्यघिक गुस्सा करना, अति संवेदनशीलता, अत्यघिक चिंता करना, कटे-कटे रहना जैसे मानसिक बदलाव होते हैं। नींद या थकान महसूस होना, नींद में व्यवधान आना, खाने की इच्छा न होना या अत्यघिक भूख लगना, पेट में सूजन महसूस होना, माइग्रेन या आधे सिर में दर्द रहना, मांसपेशियों में दर्द महसूस होना और सूजन होना इसके लक्षण हैं।
प्रीमेंन्सटू्रयल डायसफॉरिक डिसऑर्डर
- पीएमडीडी यानि प्रीमेंन्सट्रूयल डायसफॉरिक डिसऑर्डर पीएमएस से ज्यादा गंभीर है। इस समस्या से पीडित महिलाओं की संख्या तीन से आठ फीसदी तक होती है। यह समस्या महिलाओं को उनके रीप्रॉडक्टिव सालों में होती है। इसका सबसे आम लक्षण है- अति संवेदनशीलता। इसके अलावा कई महिलाएं थकान, परेशान होना और मूड के बार-बार बदलने की भी शिकायत करती हैं। समस्या ऋतुस्त्राव शुरू होते ही खत्म भी हो जाती है। इसकी वजह से महिलाओं की रोजमर्रा की दिनचर्या पर काफी असर पडता है।
प्रभाव कब तक
- कई बार महिलाओं को ये समस्या जीवनभर परेशान करती है। महिलाएं इससे निजात पाने का सबसे सरल उपाय दर्दनिवारक गोलियों को मानती हैं, जबकि कुछ मामलों में महिलाओं को काउंसलिंग की जरूरत भी होती है। पीएमएस या पीएमडीडी कोई बीमारी नहीं है, बल्कि यह ऋतुस्त्राव शुरू होने से पहले महिलाओं के शरीर में होने वाले हार्मोनल बदलावों का असंतुलन है।
क्या है उपाय
- इन दिनों बाहर जाने से बिलकुल न घबराएं। दिन के समय घर से बाहर अपने आपको काम में व्यस्त रखें। यह आपके शरीर में सिरोटिन के स्तर को बढाएगा, जो इन दिनों कम होता जाता है। यह आपके डिप्रेशन को कम करने में भी मदद करेगा।
- तेज सांस लेने संबंधी व्यायाम करें। यह आपके शरीर और दिमाग को आराम देगा। मेडिटेशन, अरोमा थैरेपी और योग जैसे प्राकृतिक तरीके आपके तनाव को कम करेंगे।
- आराम के लिए पूरी नींद लें।
- संतुलित भोजन लें। भोजन में फल, सब्जियां, अंकुरित भोजन, सूखे मेवे शामिल करें।
- चाय या कॉफी से दूर रहें। इनमें कैफीन होता है, जो शरीर को थकान का एहसास कराता है।
- ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं। अपने खानपान में चीनी और नमक की मात्रा को कम रखें।
- अगर दर्द असहनीय हो जाए तो गर्म पानी के बैग का इस्तेमाल कर सकती हैं। इसे अपने पेट और पीठ पर रखने पर आप राहत महसूस करेंगी।
- अगर ये उपाय भी आपको राहत नहीं देते हैं और पीएमएस आपकी दिनचर्या को प्रभावित कर रहा है तो किसी डॉक्टर से संपर्क कर इलाज कराएं।
3 comments:
एक अच्छी पहल!
शब्द पुष्टिकरण हटाएँ।
..ये समस्या हर स्त्री को होती ही है ..... उपयोगी जानकारी है !
इस नए चिट्ठे के साथ हिंदी ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!
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