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Astrology



ज्योतिष शास्त्र एक बहुत ही वृहद ज्ञान है। इसे सीखना आसान नहीं है। ज्योतिष शास्त्र को सीखने से पहले इस शास्त्र को समझना आवश्यक है। सामान्य भाषा में कहें तो ज्योतिष माने वह विद्या या शास्त्र जिसके द्वारा आकाश स्थित ग्रहों, नक्षत्रों आदि की गति, परिमाप, दूरी इत्या‍दि का निश्चय किया जाता है।
ज्योतिष शास्त्र भी एक विद्या है. आपको इस विद्या का मंत्र बताते हैं, जिसके द्वारा ज्योतिषी आपके मन की बात का पता कर लेते है. आप किसी जानकार ज्योतिषी से समय के अनुसार लग्न बनाना सीख लीजिये. आजकल तो कम्प्यूटर पर काफी बेवसाइट समय के अनुसार चलने वाले लगनों को वैदिक या पश्चिमी तरीके से बना देतीं हैं. जैसे ही आप लगन बनाना सीख गये, समझो आपको ज्योतिष के जादू का पता चल गया. अब आपको बताते हैं कि इस लगन के द्वारा किस तरह से मन की बात को जान सकते हैं.

लगन से बायीं तरफ ऊपर के खाने से गिनना शुरु कर दीजिये,जो लगन में सबसे ऊपर का खाना है वो पहला भाव कहलाता है. बायीं तरफ का दूसरा खाना दूसरा भाव और फिर नीचे की ओर देखते हैं तो तीसरा खाना ये तीसरा भाव है. इसी प्रकार से हर खाने को गिनते जाइये और खाने के हिसाब से भाव बनाते जाइये. सभी खाने बारह होते हैं और बारह खाने ही बारह भाव होते हैं. इन सभी खानों में किसी में सूर्य किसी में चन्द्र किसी में मंगल किसी में बुध और किसी में बृहस्पति शुक्र शनि और राहु केतु ग्रह बैठे होते है. जैसे लगन के पहले खाने से सूर्य सातवें खाने में बैठा है तो कहा जायेगा कि सूर्य सातवें भाव में विराजमान है, इसी तरह से सभी ग्रहों की स्थिति को एक कागज पर लिख लीजिये.

अब समस्या आती है कि कौन से ग्रह के किस भाव में होने से क्या चिन्ता मिलती है? अब आपको बताते हैं कि ग्रह और ग्रह के भाव में होने से कैसी चिन्ता होती है. अब जैसे ही ग्रह भाव को छोडेगा, उस व्यक्ति की चिन्ता का अन्त हो जायेगा.

सूर्य का प्रभाव
सबसे पहले सूर्य के बारे में बताते हैं कि वो किस भाव में क्या चिन्ता देता है. सूर्य पहले भाव में हो तो किसी के द्वारा कपट करने और छल करने की चिन्ता है,किसी ने झूठ कहकर बदनाम किया है. सूर्य के दूसरे भाव में होने से जो कार्य किया जा रहा है उसके अन्दर लगने वाले धनबल, बाहुबल या भाग्यबल की चिन्ता है. तीसरे भाव में किसी के द्वारा किये जाने वाले झगडे की चिन्ता है. चौथे भाव में किसी के प्रति जलन चल रही है. पांचवें भाव में सन्तान या शिक्षा या खेल की हार-जीत की चिन्ता है. छठे भाव में रास्ते में जाते वक्त या आते वक्त कोई काम किया जाना था उसकी चिन्ता है. सातवें भाव में होने पर जीवन साथी या साझेदार के अहम भरे शब्द कहने की चिन्ता है. आठवें भाव में ह्रदय की बीमारी या नौकर के द्वारा काम नहीं करने की चिन्ता है. नवें भाव से विदेश में रहने वाले व्यक्ति की चिन्ता है. दसवें भाव में राज्य या सरकार द्वारा परेशान किये जाने की चिन्ता है. ग्यारहवें भाव में सरकार से या पुत्र या पिता के धन की चिन्ता है. बारहवें भाव में आने जाने वाले रास्ते और शत्रु द्वारा परेशान किये जाने की चिन्ता है.

चन्द्रमा का प्रभाव
अब चन्द्रमा के बारे में बताते हैं,कि वो किस भाव में किस प्रकार की चिन्ता देता है. चन्द्रमा पहले भाव में अपने निवास की चिन्ता देता है. दूसरे भाव में धन और विदेश के व्यक्ति या काम की चिन्ता देता है. तीसरे भाव में घर से दूर रहने की चिन्ता और किसी प्रकार के धार्मिक प्रयोजन करने की चिन्ता है. चौथे भाव में कैरियर और मकान या माता या पानी की परेशानी है. पांचवे भाव में संतान या जल्दी से पैसा वाला बनने की चिन्ता है. छठे भाव में किये जाने वाले प्रयासों में असफलता की चिंता है. सातवें भाव में जीवन साथी या साझेदार के द्वारा किये जाने वाले कपट की चिन्ता है. आठवें भाव में मुफ्त में प्राप्त होने वाले धन और पिता के परिवार से मिलने वाली सम्पत्ति की चिन्ता है. नवें भाव में लम्बी दूरी की यात्रा करने या किसी के द्वारा किये गये कपट की कानूनी सहायता प्राप्त नहीं होने की चिंता है. दसवें भाव में वादा खिलाफी की चिन्ता है. ग्यारहवें भाव में मित्र द्वारा धोखा देने की चिन्ता है. बारहवें भाव से चोरी गया या खोयी चीज की चिन्ता होती है.