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हाइमन झिल्ली क्या होती है?

हाइमन झिल्ली क्या होती है? क्या हाइमन झिल्ली का सही होना कुंआरेपन की निशानी है?
  • यह पतला सुरक्षा परक लचीला मैमब्रन या त्वचा की एक स्ट्रिप (पट्टी) होती है जो कि योनि द्वार को थोड़ा ढक देती है। जब आप किशोरावस्था पर पहुंचती है यह झिल्ली आसानी से खिंचने वाली हो जाती है, पर यह झिल्ली कई तरीकों से फट सकती है जैसे कि साईकल चलाने से। यदि किसी की झिल्ली सही न हो तो इसका यह अर्थ नहीं है कि लड़की कुँआरी नहीं है। याद रखें, जब तक आप यौनपरक सम्भोग नहीं करतीं आप कुँआरी हैं।


क्या पहली बार सम्भोग करने पर भी कोई महिला गर्भ धारण कर सकती है?

  • हाँ, लड़की गर्भ धारण कर सकती है

क्या माहवारी के दौरान सम्भोग या सहवास करने से लड़की गर्भधारम कर सकती है?
  • हां, माहवारी के दौरान सम्भोग करने से लड़की गर्भधारण कर सकती है।
एक बार के सम्भोग या सहवास से गर्भधारण की कितनी सम्भावना रहती है?
  • एक बार असुरक्षित सम्भोग से गर्भधारण की सम्भावना व्यक्ति व्यक्ति के साथ बदलती है तथा की माहवारी चक्र की कौन सी स्थिति है इस पर निर्भर करता है। अण्डोत्सर्ग के आसपास के समय में सम्भावना सब से अधिक रहती है अर्थात माहवारी चक्र के 14 वें दिन (रक्तस्राव रूकने के 7 से 10वें दिन)। इन दिनों में एक बार सम्भोग करने से औसतन एक तिहाई औरतें गर्भवती हो जाती हैं।
सहवास में यदि कोई पुरूष वीर्य निष्कासन से पहले अपने लिंग को निकाल ले या पूरी तरह अन्दर न डाले तो क्या फिर भी औरत गर्भवती हो सकती है?
  • दुर्भाग्य से, अगर कोई पुरूष अपने लिंग को पूरी तरह न डाले या वीर्य निष्कासन के समय बाहर निकाल लें, औरत तब भी गर्भधारण कर सकती है। ऐसा इसलिए कि सम्भोग से पहले या दौरान में लिंग से जो तरल पदार्थ निकलता है उस में शुक्राणु हो सकते है। यदि यह तरल पदार्थ औरत की योनि के अन्दर या आसपास पहुँच जाता है तो अन्दर भी जा सकता है और महिला गर्भधारण कर सकती है।

स्त्री और पुरूष की चरमस्थिति में क्या अन्तर होता है?

यौनपरक अभिविन्यास क्या होता है?
यौनपरक अभिविन्यास का अभिप्राय है किसी व्यक्ति का जेन्डर (स्त्री-पुरूष) के प्रति आकर्षण। सामान्यतः अनेक प्रकार के यौनपरक अभिविन्यास का वर्णन मिलता है -

  • हीटिरोसैक्सुअल - विषमलिंगकामी - विषमलिंगकामी व्यक्ति भावुकता एवं शारीरिक रूप से विषम लिंग वाले व्यक्ति के प्रति आकर्षित होते हैं। विषमलिंग पुरूष स्त्री के प्रति और स्त्रियां पुरूष के आकर्षित होती हैं। इन्हें कभी कभी 'सीधा' भी कहा जाता है।
  • होमोसैक्सुअल - समलिंगी - होमोसैक्सुअल लोगों का भावपूर्ण एवं शारीरिक आकर्षण अपने ही जेन्डर के लोगों के प्रति होता है। जो औरतें दूसरी औरतों के प्रति आकर्षिक होती हैं उन्हें लेसबियन कहते हैं, जो पुरूष दूसरे पुरूषों के प्रति आकर्षित होते हैं उन्हें 'गे' कहा जाता है (दोनों जेन्डर के समलैंगिकी लोगों के वर्णन के लिए भी कई बार 'गे' शब्द का प्रयोग किया जाता है।)
  • बाईसैकसुअल - उभयलिंगी - ऐसे लोग दोनों जेन्डर के लोगों के प्रति भाव एवं शरीर से आकर्षित होते हैं

लड़का/लड़की कब सम्भोग करना शुरू कर सकते हैं?

  • सम्भोग का आरम्भ करने के लिए कोई निश्चित सही उम्र नहीं है। महत्वपूर्ण बात यह है कि क्या यह आपके लिए सही समय है। यह इस पर भी निर्भर करता है कि आप सम्भोग करने का क्या अर्थ लेते हैं बिना यौनपरक सम्भोग के भी कई ऐसे तरीके हैं जिससे आप सैक्सुअल सुख पा और दे सकते हैं। एक दूसरे को सन्देश भेजना, चूमना, आलिंगन में लेना भावभीना हो सकता है। यह प्यार को बांटने और व्यक्त करने का तरीका है।

कामोन्माद की चरम स्थिति क्या होती है?

  • जब कामपरक उत्तेजना भड़कती है और अपने चरम शिखर पर पहुंच जाती है तो उसे चरम स्थिति या होना कहते हैं जब कोई लड़का चरम स्थिति पर पहुंचता है तो स्खलन होता है। इस का अर्थ है कि वीर्य से मिश्रित होकर उसके शुक्राणु चिपचिपे सफेद तरल पदार्थ के रूप में उसके लिंग के अन्तिक छोर से बाहर निकलते हैं। लड़के के स्खलन के बाद लिंग का खड़ापन कम हो जाता है और उसे कुछ समय के लिए रूकना पड़ता है। जब लड़की चरम स्थिति पर पहुँचती है तो उसकी योनि बहुत गीली हो जाती है परन्तु वह जब तक चाहे कामलीला का आनन्द ले सकती है। कुछ लड़कियां बिना रूके एक से अधिक बार चरमस्थिति का अनुभव कर सकती हैं।

क्या चरमस्थिति का अनुभव न पाने में कोई अप्राकृतिक बात है?

  • यदि कोई व्यक्ति चरमस्थिति का अनुभव नहीं कर पाता तो इसका अर्थ यह नहीं है कि कुछ गलत है। वस्तुत चरमस्थिति तक पहुंचने की चिन्ता या परेशान होने से व्यक्ति को इस तक पहुंचने में बाधा देती है।

स्त्री और पुरूष की चरमस्थिति में क्या अन्तर होता है?

  • चरमस्थिति में सबसे साफ स्पष्ट अन्तर तो यहीं है कि पुरूष की चरमस्थिति वीर्य स्खलन से जुड़ी होती है। स्खलन प्रक्रिया में वीर्य मूत्र नली में स्खलित होता है और श्रेणि प्रदेश की मांसपेशियों में लयबद्ध संकुचन द्वारा प्रेरित होकर वह वीर्य लिंग से बाहर आ जाता है। औरत की चरमस्थिति में लयबद्ध संकुचन श्रोणि प्रदेश की मांसपेशियां और योनि की दीवारों के बीच साथ साथ होता है।

गुदापरक सम्भोग क्या होता है?

  • गुदापरक सम्भोग तब होता है जब कोई लड़का अपने लिंग को दूसरे लड़के या लड़की की गुदा और मलद्वार के अन्दर डालता है। यह एक अप्राकृतिक मैथुन विधि है अत: इस विधि को बिना कंडोम के नहीं करना चाहिए।

क्या गुदापरक सम्भोग से कोई लड़की गर्भवती हो सकती है?

  • गुदापरक सम्भोग से सामान्यतः तो कोई लड़की गर्भवती नहीं हो सकती, हां अगर शुक्राणु मलद्बार से बहकर योनि में प्रवेश कर जायें तो हो भी सकती है। अतः लम्बी अवधि तक गर्भ से बचने के लिए गुदारपरक सम्भोग को सर्वोत्तम नहीं माना जा सकता।

गर्भ काल में क्या करे क्या ना करे

गर्भ के दौरान कब्ज से कैसे छुटकारा मिल सकता है?  
कुछ गर्भवती महिलाओं का अर्धाश इस कब्ज से पीड़ित रहता है। कुछ सामान्य उपचार के साधन हैं। 
  • 1-2 गिलास जूस सहित कम से कम 8 गिलास पानी पियें। 
  • अपने भोज में अनाज, कच्चे फल और सब्जियों की मात्रा अधिक करें उन में फाइवर अधिक हो 
  • हर रोज़ व्यायाम करें - सैर करना व्यायाम की अच्छी शैली है। व्यायाम एवं अच्छी शारीरिक स्थिति व्यक्ति को उसका पेट साफ रखने में मदद देती है। 
  • अगर कब्ज बार बार होने लगे तो डॉक्टर की सलाह से कोई कब्ज निवारक दवा दें।

गर्भ के दौरान मसूड़ों का सूजना या उनसे रक्त आना स्वाभाविक क्रिया है?
  • गर्भ के दौरान शरीर में जो अतिरिक्त हॉरमोन आ जाते हैं उन से मसूड़े सूज सकते हैं या उन से रक्त आ सकता है। नरम टुथब्रश लेकर नियमित रूप से ब्रश करते रहें। गर्भ की प्रारम्भिक स्थिति में दांतों का चैक अप करवा लेना चाहिए ताकि मुख को स्वास्थ्य सही रहे।

छाती में जलन से बचने के लिए क्या करना चाहिए?
छाती की जलन से बचने के लिए
  1. बार-बार परन्तु थोड़ा थोड़ा खायें, दिन में 2-3 बार खाने की अपेक्षा 5-6 बार खायें। भोजन के साथ अधिक मात्रा में तरल पदार्थ न लें।
  2. वायु-विकार पैदा करने वाले, मसालेदार या चिकने भोजन से बचें।
  3. सोने से पहले कुछ खायें या पियें नहीं
  4. खाने के दो घन्टे बाद ही व्यायाम करें।
  5. शराब या सिगरेट न दियें।
  6. बहुत गर्म या बहुत ठन्डे तरल पदार्थ न लें।

गर्भकाल के दौरान यौन-सम्भोग करते रहना क्या सुरक्षित होता है?
  • कुछ दम्पतियों को गर्भकाल में सम्भोग करने से चिन्ता होती है। उन्हें गर्भपात का भय लगा रहता है। स्वस्थ महिला के सामान्य गर्भ की स्थिति में गर्भ के अन्तिम सप्ताहों तक कुछ दम्पतियों को गर्भकाल में सम्भोग करने से चिन्ता होती है। उन्हें गर्भपात का भय लगा रहता है। स्वस्थ महिला के सामान्य गर्भ की स्थिति में गर्भ के अन्तिम सप्ताहों तक सम्भोग सुरक्षित होता है। आप और आप का साथी आरामदायक स्थिति में सम्भोग कर सकते हैं।

गर्भकाल में टांगों में पड़ने वाले क्रैम्पस क्या सामान्य हैं?
  • हां, गर्भ के दूसरे और तीसरे ट्रिमस्टर में हो सकता है कि आप की टांगों में कैम्पस बढ़ जाये। अधिक मात्रा में कैलशियम लें। (तीन गिलास दुध या दवा) और पोटैशियम (केला संतरा) लें। सोने से पहले टांगों का खिंचाव देकर सीधा करने से शायद आपको कुछ राहत मिले।

क्या गर्भ के दौरान यात्रा करनी चाहिए?
  • अधिकतर औरतें सुरक्षित रूप से यात्रा कर लेती है। जब तक कि प्रसव काल नज़दीक नहीं आ जाता। अधिकतर, गर्भावस्था के मध्यकाल को सब से सुरक्षित माना जाता है। इस दौरान कम से कम समस्याएं होती है।

गर्भ निरोधक : मानक दिन प्रणाली (एस डी एम)

मानक दिन प्रणाली (एस डी एम) क्या है?
26 से 32 दिन के बीच के माहवारी चक्र वाली औरतों के लिए यह एक नवीन प्राकृतिक परिवार नियोजन की प्रणाली है। प्रत्येक माहवारी चक्र के उर्वरक दिन को जानना इस प्रणाली में शामिल है। ऐसी महिलाएं आठवें से उन्नीसवें दिन तक असुरक्षित सम्भोग का परहेज कर के गर्भधारण से बच सकती हैं।

एस डी एम प्रणाली व्यवहार कैसे किया जाता है?
एस डी एम का उपयोग काफी सीधा साधा है। दो प्रकार की प्रणालियों का व्यवहार किया जाता है।

(A) पारम्परिक प्रणाली - 
गिनते रहें कि आप का माहवारी चक्र कितना लम्बा है, ताकि आप सुनिश्चित कर सकें कि 8वें से 19वें दिन कब है -

  • जब आपकी माहवारी का पहला दिन होता है वही चक्र का पहला दिन होता है।
  • दिन 1 और 7 के बीच गर्भधारण की सम्भावना बिल्कुल भी नहीं रहती इसलिए इन दिनों बिना किसी निरोधक साधन के सम्भोग करना सुरक्षित माना जाता है।
  • दिन 8 से 19 तक आप पूरी तरह उर्वरक रहते हैं या तो आप सम्भोग न करें अथवा कंडोम जैसे किसी साधन का उपयोग करें
  • दिन 20 से 32 में फिर गर्भधारण की सम्भावना नहीं रहती इसलिए आप पुनः सम्भोग कर सकते हैं।

(B) बीड चक्र - 
यह कण्ठहार की आकृति में 32 रंगदार बीड्स की माला होती है। उस में अक रबड़ का रिंग होता है जिसे कि हर बीड पर लगाया जा सकता है जिससे कि पता चलता है कि आप चक्र के कौन से दिन पर हैं। कण्ठहार में तीन रंग के बीड्स होते हैं

  • लाल : साईकल बीड हार में एक लाल बीड होता है। यह आपकी माहवारी के पहले दिन का सूचक है। इसी दिन आप को माहवारी होती है।
  • भूरा (ब्राउन) - बीड्स दिखाते हैं कि आप के चक्र में वे दिन कौन से हैं जबकि गर्भ धारण की आशंका नहीं होदी।
  • सफेद - अंधेरे में चमकने वाले ये बीड्स उर्वरक दिनों के सूचक हैं (8 से 19)। हर दिन के बीतने पर आप रिंग को अगले बीड पर डाल देते हैं। जब रिंग सफेद बीड्स पर आयेगा तो आप को पता चल जाएगा कि अब सम्भोग से बचना है या गर्भनिरोधक का उपयोग करना है।

मानक दिन (एस डी एम) का उपयोग कौन कर सकता है?
एस डी एम का उपयोग अधिकतर महिलाएं कर सकती हैं, फिर भी, प्रयोग से पहले देखना जरूरी है कि आप में ये विशेषताएं हैं

  1. आप का माहवारी चक्र नियमित है
  2. आप का चक्र 26 दिन और 32 दिन लम्बा है (यदि चक्र 26 दिनों से कम और 32 दिनों से अधिक लम्बा हो तो एस डी एम का असर कम होता है।
  3. आप और आपका साथी उर्वरक दिनों में सम्भोग से परहेज करने अथवा निरोधपरक साधनों का प्रयोग करने के लिए तैयार हो।

एस डी एम विधि कितनी प्रभावशाली है?
जब नियंत्रित एवं सही ढंग से उपयोग किया जाता है तो एस डी एम अत्यन्त प्रभावशाली माध्यम है जन्म-नियन्त्रण के लिए। कुशलतापूर्वक प्रयोग करने पर 100 औरतों में से केवल पांच ही गर्भधारण करती हैं इस का अर्थ है कि गर्भ निरोध में यह उपाय 95 प्रतिशत प्रभावशाली है। यदि आप इसका सही इस्तेमाल नहीं कर पाते या आप की चक्र 36 से 32 दिनों की परिधि से बाहर है तो एस डी एम का प्रभाव अपेक्षाकृत कम रहेगा, लगभग 88 प्रतिशत कह सकते हैं।

महिलाओं के लिए गर्भ निरोधक विकल्प

महिला कंडोम 17 सेमी. (6.5 इंच) लम्बी पोलीउस्थ्रेन की थैली होती है। सम्भोग के समय पहना जाता है। यह सारी योनि को ढक देती है जिससे गर्भ धारण नहीं होता और एच आई वी सहित यौन सम्पर्क से होने वाले रोग नहीं होते।

स्परमिसिडिस रासायनिक पदार्थ है जो कि सम्भोग से पूर्व महिला की योनि में डाल दिए जाते हैं ये वीर्य के जीवाणुओं को निष्क्रिय कर देते हैं या मार देते हैं ये विविध गर्भनिरोधक पदार्थों के रूप में उपलब्ध हैं, जिसमें क्रीम, फिल्म, फोम जैली और अन्य तरल एवं ठोस गोलियां हैं जो योनि के अन्दर डालने पर घुल जाती हैं।

संयुक्त मौखिक गर्भनिरोधक गोलियां जिन्हें सामान्यतः ‘ द पिल ’ कहा जाता है, वह औइस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रोन का सम्मिलन है - जिसे कि प्राकृतिक उर्वतकता को रोकने के लिए महिलाएं मुख से लेती है।

प्रोजेस्टोजन ओनली या प्रोजेस्टिन ओनली पिल्स (पी ओ पी) ऐसा गर्भ निरोधक है जिसमें केवल सिन्थेटिक है और ओइसट्रोजन नहीं है। इन्हें मिनी पिल्स भी कहते हैं।

जब कोई महिला बिना गर्भनिरोधक के प्रयोग के असुरक्षित यौन सम्भोग करती है तो उसे गर्भधारण से बचने के लिए आपातकालीन गर्भनिरोधक का प्रयोग किया जाता है।

इन इंजैक्शनों को प्रोजैक्ट्रोन डालकर तैयार किया जाता है। दो प्रकार के उपलब्ध है- डी एम पी ए - वे डिप्पो जो हर तीसरे महीने लगाये जाते हैं और नेट इन (नरेथिडरोन एननथेट) जो हर दूसरे महीने लगाये जाते हैं।

जिसे कि छोटे में आई यू डी कहते हैं, टी की आकृति में छोटा सा, प्लास्टिक का यन्त्र है जिसके अन्त में धागा लगा रहता है। गर्भ रोकने के लिए आईयूडी को गर्भाशय के अन्दर लगाया जाता है। इसे डाक्टर के क्लीनिक में लगवाया जा सकता है। एक बार ठीक जगह लग जाने पर यह तब तक गर्भाशय में रहता है जब तक कि डाक्टर उसे निकाल न दे।

सेंट्चरोमन एक नया, स्टीरॉयड विहीन, सप्ताह में एक बार लिया जाने वाला मौखिक गर्भनिरोधक है जिसका हॉरमोनल मौखिक गर्भनिरोधक से कोई सम्भन्ध नहीं। यह उर्वारत अण्डे को गर्भाशय के अस्तर से जुड़ने से रोककर गर्भधारण से बचाता है।

ट्यूब बंधी जिसे सामान्यतः अपनी ट्यूब बंधवाने के रूप में जाना जाता है, महिलाओं के बन्ध्यीकरण की यह शल्यक्रिय है। इस प्रक्रिय से अण्डवाही ट्यूबों को बन्द कर दिया जाता है जिससे कि अण्डा गर्भाशय तक पहुंच नहीं पाता। यह वीर्य को भी अण्डवाही ट्यूब तक पहुंचाकर अण्डे को उर्वरित होने से रोकता है।

महिला बन्ध्यीकरण - ट्यूब बंधी क्या होती है?

ट्यूब बंधी जिसे सामान्यतः अपनी ट्यूब बंधवाने के रूप में जाना जाता है, महिलाओं के बन्ध्यीकरण की यह शल्यक्रिय है। इस प्रक्रिय से अण्डवाही ट्यूबों को बन्द कर दिया जाता है जिससे कि अण्डा गर्भाशय तक पहुंच नहीं पाता। यह वीर्य को भी अण्डवाही ट्यूब तक पहुंचाकर अण्डे को उर्वरित होने से रोकता है।

महिला बन्ध्यीकरण कितना भरोसे के लायक है?
जो औरतें और बच्चे नहीं चाहती उनके लिए यह स्थायी गर्भनिरोधक है। यह 99 प्रतिशत से अधिक प्रभावशाली है। इस बन्ध्यीकरण से 200 में से कोई एक महिला गर्भवती होती है। क्योंकि कटने या बन्द होने के बाद कभी कभार ही वे ट्यूबें वापिस जुड़ जाती हैं।

जनाना बन्ध्यीकरण कैसे किया जाता है?
लोकल या रीढ़ की हड्डी में एनसथीशिया देकर ट्यूब बंधी करने की दो विधियां हैं - (1) एक मिनिलापरोटोमी के अन्तर्गत पेट में एक छोटा सा कट लगाया जाता है जिसके द्वारा ट्यूब को ढूंढकर काटा जाता है और बबन्द कर दिया जाता है। (2)लैपरोस्कोपिक ट्यूब बंधी के अन्तर्गत कार्बन डॉयोक्साईड या निटरोअस आक्साइड गैस से पेट को फुलाया जाता है, पेट की दीवार में छोट सा छन्द किया जाता है जिससे फाईब्रोप्टिक लाईट और बिजली के करंट से ट्यूबों को ठोस बना देने वाला एक यन्त्र डाला जाता है या हर ट्यूब के अन्त में प्लास्टिक का बैन्ड या क्लिप लगा दिया जाता है।

जनाना बन्ध्यीकरण के क्या लाभ हैं?
यह स्थायी है फिर आपको दोबारा गर्भनिरोध के बारे में सोचना नहीं पड़ता।

जनाना बन्ध्यीकरण की हानियां क्या हैं?
क्योंकि यह स्थायी है इसलिए आगे आने वाले वर्षों में हो सकता है कि आपको पछतावा हो विशेषकर अगर परिस्थितियां बदल जायें तो। मर्दाना नसबन्दी की अपेक्षा इस स्थिति को पुनः बदलना कठिन है।

जनाना बन्ध्यीकरण का प्रभाव कितनी जल्दी पड़ता है?
अगली माहवारी होने तक आपको गर्भनिरोध के अन्य किसी साधन का उपयोग करते रहना चाहिए।

क्या बन्ध्यीकरण से महिला की माहवारी में कोई बदलाव आयेगा या रक्त स्राव बन्द हो जाएगा?
नही बन्ध्यीकरण का महिला की माहवारी पर कोई ऐसा प्रभाव नहीं पड़ता।

क्या इससे मेरी सम्भोग (सैक्स) की इच्छा में कमी आ जाएगी?
नहीं, बल्कि हो सकता है कि उसमें पहले से अधिक आनन्द मिले क्योंकि अन्य गर्भनिरोधक साधनों से होने वाली असुविधा इसमें नहीं है।

सेंट्चरोमन क्या है?

सेंट्चरोमन एक नया, स्टीरॉयड विहीन, सप्ताह में एक बार लिया जाने वाला मौखिक गर्भनिरोधक है जिसका हॉरमोनल मौखिक गर्भनिरोधक से कोई सम्भन्ध नहीं। यह उर्वारत अण्डे को गर्भाशय के अस्तर से जुड़ने से रोककर गर्भधारण से बचाता है।

सेंट्चरोमन के उपयोग के क्या लाभ हैं?
यह सुरक्षित है और घबराहट, वजन बढने, तरल पदार्थों के अवरोधन, उच्च रक्तचाप आदि जैसे हॉरमोनल उपाय से होने वाले सहप्रभावों से मुक्त है।

सेट्चरोमन का प्रयोग कब नहीं करना चाहिए?
निम्नलिखित परिस्थितियों में सेंट्चरोमन लगाये जाने की संस्तुति नहीं की जाती

  • पीलिया या लीवर के रोग के हाल ही मे हुए उपचार के कारण
  • अण्डकोश के रोग
  • तपेदिक
  • गुर्दे का रोग।

सेट्चरोमने पिल्स कैसे लेने चाहिए?
इसका कोर्स 30 मिलीग्राम की एक गोली सप्ताह में दो बार तीन महीने के लिए देकर शुरू करना चाहिए, बाद में जब तक गर्भ निरोधक की जरूरत महसूस हो तब तक सप्ताह में एक गोली देनी चाहिए। माहवारी चक्र के पहले दिन पहली गोली ली जानी चाहिए। गोली निश्चित दिन और निश्चित समय पर ली जानी चाहिए। बाद में होने वाले माहवारी चक्र की ओर ध्यान दिए बिना डोस नियमित रूप से चलता रहना चाहिए।

इसके सहप्रभाव क्या हो सकते हैं?
कुछ सहप्रभाव हैं –

  • माहवारी चक्र का लम्बा हो जाना
  • माहवारी में विलम्ब - पन्द्रह दिन से अधिक विलम्ब होने पर डाक्टर से परामर्श करें कि कहीं गर्भधारण तो नहीं हो गया।

इन्ट्रा युटरीन डिवाइज किसे कहते हैं ?

जिसे कि छोटे में आई यू डी कहते हैं, टी की आकृति में छोटा सा, प्लास्टिक का यन्त्र है जिसके अन्त में धागा लगा रहता है। गर्भ रोकने के लिए आईयूडी को गर्भाशय के अन्दर लगाया जाता है। इसे डाक्टर के क्लीनिक में लगवाया जा सकता है। एक बार ठीक जगह लग जाने पर यह तब तक गर्भाशय में रहता है जब तक कि डाक्टर उसे निकाल न दे।

इन्ट्रा युटरीन डिवाइज कैसे काम करता है?
आई यू डी वीर्य को अण्डे से मिलने से रोकती है। ऐसा करने के लिए यह अण्डे को वीर्य तक जाने में असमर्थ बनाकर और गर्भाशय के अस्तर को बदल कर करती है।

आई यु डी किस प्रकार की होती है?
आ यु डी के अलग-अलग प्रकार हैं –

  • कॉपर लगी आई यू डी - इसमें एक प्लास्टिक की ट्यब के अन्दर कॉपर की तार लगी रहती है।
  • नई प्रकार के आई यु डी में हॉरमोन छोड़ने वाला आई यु डी है - जो कि प्लास्टिक से बना होता है और उसमें प्रोजेस्ट्रोन हॉरमोन छोटी मात्रा में भरा रहता है।

कॉपर की आई यु डी की अपेक्षा हॉरमोन वाले आई यु डी के क्या लाभ हैं?
हॉहमोन वाले युडी

  • कॉपर वाले आई यु डी से अधिक प्रभावशाली हैं
  • माहवारी को हल्का बनाते हैं।

कॉपर की आई यु डी की अपेक्षा हॉरमोन वाले आई डी यु की क्या हानियां हैं?
हॉरमोन वाले आई यु डी

  • कापर वाले की अपेक्षा महंगे हैं
  • उपयोग के पहले छह महीनों में अनियमित रक्तस्राव या धब्बे लगने की समस्या हो सकती है।

आई यु डी के क्या लाभ हैं?
आई यु डी के बहुत से लाभ हैं –

  • यह गर्भनिरोध के लिए अत्यन्त प्रभावशाली है।
  • सुविधाजनक है - पिल लेने का कोई झंझट नहीं है।
  • मंहगा नहीं है।
  • डाक्टर किसी समय भी निकाल सकते हैं।
  • तुरन्त काम शुरू कर देता है।
  • सहप्रभावों को आशंका कम रहती है।
  • आई यू डू का उपयोग करने वाली माताएं सुरक्षा पूर्वक स्तनपान करवा सकती हैं।

गर्भनिरोधक में आई यू डी कितनी प्रभावशाली है?
यह गर्भनिरोध का सबसे प्रभावशाली साधन है। इसे यदि सही ढंग से लगाया जाए तो यह 99 प्रतिशत प्रभावशाली है।

आई यू डी कितनी देर तक प्रभावशाली रहता है?
निर्भर करता है कि आपका डाक्टर आपको कौन सा आई यू डी लगवाने को कहता है। कॉपर आई यू डीः टी यू 380 ए जो कि अब राष्ट्रीय परिवार कल्याण कार्यक्रम के अन्तर्गत उपलब्ध है, वह दस वर्ष के लम्बे समय तक आपके शरीर में रह सकता है। हॉरमोन वाले आई यू डी को हर पांचवे वर्ष में बदलने की जरूरत पड़ती है। इनमें से किसी को भी आपका डाक्टर हटा सकता है। यदि आप गर्भधारण करना चाहें या प्रयोग न करना चाहें तो।

आई यू डी की हानियां क्या हैं?
हानियां निम्नलिखित हैं

  • गर्भाशय मे आई यू डी लगाने के पहले कुछ घन्टों में आपको सिरदर्द और पेट दर्द हो सकता है।
  • कुछ औरतों को यह लगवाने के बाद कुछ हफ्तों तक रक्त स्राव होता रहता है और उसके बाद भारी माहवारी होती है।
  • बहुत कम पर कभी, आई यू डी अन्दर डालते समय गर्भाशय में घाव हो सकता है।
  • यह आपको एड्स या एस टी डी से सुरक्षा प्रदान नहीं करता। वस्तुतः ऐसे संक्रामक रोग आई यू डी वाली औरतों के लिए संघात्मक हो सकते हैं। इसके अलावा, अधिक लोगों के साथ सम्भोग करने पर संक्रमण की आशंकाएं बढ़ सकती हैं।

आई यू डी को गर्भनिरोधक के रूप में काम में लाने के लिए कौन उपयुक्त है?
किसी भी परिस्थित में वे औरतें आई यू डी का उपयोग कर सकती हैं जो

  • स्तनपान करा रहीं हों
  • सिगरेट पीती हों
  • उच्च रक्तचाप, ह्रदय रोग, जिगर या गालब्लैडर के रोग, मधुमेह या मिरगी का उपचार करा रही हों।

आई यू डी लगवाने वाले का उचित समय कौन सा है?
आई यू डी लगवाने का उचित समय निम्न है –

  • माहवासी चक्र के रहते - माहवारी चक्र के दौरान किसी भी समय - माहवारी रक्तस्राव के आरम्भ होने के बाद के पहले 12 दिनों में लगवाएं।
  • बच्चे के जन्म गर्भपात- बच्चे के जन्म के 24 घन्टे के अन्दर अन्छर लगवायें।

आई यू डी कैसे लगाई जाती है?
सामान्यतः एक पीरियड की समाप्ति या उसके तुरन्त बाद लगाया जाता है। हालांकि इसे किसी भी समय लगवाया जा सकता है यदि आपको भरोसा हो कि आप गर्भवती नहीं हैं। आपको योनि परीक्षण करवाना होगा। डाक्टर या नर्स गर्भाशय का माप और स्थिति देखने के लिए एक छोटा सा यन्त्र उसमें डालेंगे। तब आई यू डी लगाया जाएगा। आपको सिखाया जाएगा कि उसके धागे को कैसे महसूस किया जाता है ताकि आप उशे ठीक जगह रख सकें सर्वश्रेष्ठ है कि आप उसे नियमित रूप से चक्र करते रहें, हर महीने के पीरियड के बाद कर लेना उत्तम है।

आई यू डी अपनी ठीक जगह पर हैं या नहीं, यह कब चैक करने का परामर्श दिया जाता है?
परामर्श है कि महिला

  • आई यू डी लगवानें के एक महीने के बाद सप्ताह में एक बार उसे चैक करें
  • असामान्य लक्षण दिखने पर चैक करें।
  • माहवारी के बाद चैक करें।

आई यू डी अपनी सही जगह पर है यह चैक करने के लिए महिला को क्या सावधानी बरतनी चाहिए?
आई यू डी चैक करने के लिए महिला को चाहिए कि

  • अपने हाथ धोये
  • पालथी मार कर बैठे
  • योनि में अपनी अक या दो अंगुली डालें और जब तक धागे को छू न ले अन्दर तक ले जायेय़
  • फिर हाथ से धोये।

आई यू डी लगवाये हुए महिला को कब डाक्टर से परामर्श लेना चाहिए?
तब डाक्टर से मिलना चाहिए जब

  • उसके साथी को सम्भोग के दौरान वह धागा छूता हो और उससे वह परेशान हो।
  • भारी और लम्बी अवधि तक होने वाले रक्त स्राव से होने वाली परेशानी
  • पेट के निचले भाग में तेज और बढ़ता हुआ दर्द विशेषकर अगर साथ में बुखार भी हो
  • एक बार माहवारी न होना
  • योनि से दुर्गन्ध भरा स्राव
  • परिवार नियोजन की कोई और विधि अपनाना चाहें या आई यू डी निकलवाना चाहें तब।<

प्रोजैस्टिन ओनली इनजैक्टेबलस क्या होते हैं?

इन इंजैक्शनों को प्रोजैक्ट्रोन डालकर तैयार किया जाता है। दो प्रकार के उपलब्ध है- डी एम पी ए - वे डिप्पो जो हर तीसरे महीने लगाये जाते हैं और नेट इन (नरेथिडरोन एननथेट) जो हर दूसरे महीने लगाये जाते हैं।

प्रौजेस्टिन ओनली इनजैक्टेबल कैसे काम करते हैं?
प्रौजेस्टिन ओनली इनजैक्टेबल इंजैक्शन

  • (1) अण्डों के बनने को रोककर
  • (2) ग्रीवा परक ग्युकस को गाढ़ा करते हैं ताकि वीर्य ऊपर के मार्ग मंन प्रवेश ने करे - इस तरह काम करते हैं।

डी एम पी ए के उपयोग के क्या लाभ हैं?
लाभ निम्नलिखित हैं -

  • ये बहुत प्रभावशाली हैं।
  • लम्बे समय तक गर्भधारण से सुरक्षा देता है और इसे बदला जा सकता है।
  • उपयोग में सरल प्रतिदिन पिल्स लेने के झमेले को दूर करता है।
  • यह इंजैक्शन के सह प्रभावों से मुक्त है जैसे कि धमनियों में रक्त के थक्के बनना।
  • इक्टोपिक गर्भ से बचाता है (गर्भाशय के बाहर का गर्भ) और अण्डकोश के कैंसर से बचाता है।

डी एम पी ए के क्या कोई सह प्रभाव होते हैं?
डी एम पी ए का प्रयोग करते हुए कुछ महिलाओँ के माहवारी पीरियड्स में कुछ बदलाव आ जाता है –

  • अनियमित और असंभावित रक्त स्राव या धब्बे लगना।
  • माहवारी रक्त स्राव में बढ़ाव या घटाव या बिल्कुल बन्द। अन्य सम्भावित सह प्रभाव है -वजन बढना, सिर दर्द, घबराहट, पेट में खराबी, चक्कर आना, कमजोरी या थकावट।पीरियडस न होने में कोई नुकसान नहीं है और सामान्यतः पीरियडस डेपो प्रोवेश के बन्द करने पर पुनः स्वाभाविक हो जाते हैं यद असामान्य रूप से भारी या लगातार रक्त स्राव हो तो डाक्टर से मिलें।

डी एम पी ए कितना प्रभावशाली है?
डी एम पी ए उतना ही प्रभावशाली है जितना कि अपनी ट्यूबों को बंधवाना और गर्भनिरोध के कई अन्य साधनों की अपेक्षा अधिक प्रभावशाली है जसमें गर्भनिरोधक गोलिआं, कंडोंम और डॉयफ्राग्मस शामिल हैं पर यह एड्स या एसटीडी से सुरक्षा प्रदान नहीं करता।

क्या डी एम पी ए का प्रभाव स्थायी है?
नहीं, डी एप पी ए का प्रभाव लगभग तीन महीने तक रहता है। गर्भ से बचने के लिए इसे तीन महीने के बाद दोहराना जरूरी है। डी एम पी ए के प्रयोग को छोड़ते ही अण्डाशय अपने प्राकृतिक कार्यों को जल्द ही करने लगता है। अन्तिम बार लेने के बाद औसतान 9से 10 महीने के बाद गर्भ धारण किया जा सकता है।

डी एम पी ए किस प्रकार दिया जाता है?
डीएम पी ए का इंजैक्शन नितम्बों में या भुजबली में हर तीसरे महीने दिया जाता दै।

डी एम पी ए कब शुरू करना चाहिए?

  • परिस्थिति कब शुरू करें।
  • माहवारी चक्र नियमित है। बच्चे के जन्म के बाद यदि माहवारी के बाद पहले सात दिनों में कभी भी
  • स्तन पान करा रही है।
  • बच्चे के जन्म के छह सप्ताह के बाद
  • बच्चे के जन्म के बाद, यदि स्तनपान नहीं करा रही
  • तुरन्त या बच्चे के जन्म के पहले छह हफ्तों के दैरान कभी भी।
  • गर्भपात या गर्भ गिरवाने पर पहले या दूसरे करवाए गए गर्भपात या गर्भधारण न करने के पहले सात दिन के अन्दर

डी एम पी ए के उपयोग के लिए कौन उपयुक्त है?
इसका उपयोग उन महिलाओं के लिए सुरक्षित है जो

  • स्तनपान करवा रही हैं
  • सिगरेट पीती हैं।
  • कोई बच्चा नहीं है।
  • किशोरावस्था से लेकर 40 वर्ष की आयु तक कभी भी
  • स्तनों में सुसाध्य रोग
  • हल्के से माध्यम स्तर तक का उच्चरक्तचाप।

डी एम पी ए का उपयोग किन्हें नहीं करना चाहिए?
जिन औरतों को निम्नलिखित कोई समस्या हो उन्हें डी एम पी ए का उपयोग नहीं करना चाहिए - पीलिया रह चुका हो, रक्त के थक्के, अनजाने कारण से योनिपरक रक्त स्राव स्तनों का कैंसर य प्रजननन अंगों का कैंसर, गर्भधारण अथवा आशंका या डेपो-प्रोवेश की दवाओं से एलर्जी।

आपातकालीन गर्भनिरोधक क्या होता है?

जब कोई महिला बिना गर्भनिरोधक के प्रयोग के असुरक्षित यौन सम्भोग करती है तो उसे गर्भधारण से बचने के लिए आपातकालीन गर्भनिरोधक का प्रयोग किया जाता है।

किन परिस्थितियों में हमें आपातकालीन गर्भनिरोधक की जरूरत पड़ती है?
जिस महिला ने असुरक्षित सम्भोग किया है और गर्भधारण नहीं करना चाहती वे निम्न परिस्थियों में आपातकालीन गर्भनिरोधक ले सकती हैं। 

  • उन्हें सम्भोग की सम्भावना नहीं थी और किसी प्रकार के गर्भनिरोधक नहीं कर रहीं थी। 
  • उसकी अनुमति के बिना जबरदस्ती सम्भोग किया गया। 
  • कंडोम फट गया या स्लिप हो गया 
  • गर्भनिरोधक समाप्त हो गए थे या लगातार दो तीन पिल्स लेना भूल गई थी।

आपातकालीन गर्भनिरोधक कैसे काम करते हैं?

  • आपातकालीन गर्भनिरोधक आपको गर्भधारण से बचा सकते हैं
  • अण्डे का अण्डकोश से बाहर नहीं आने देकर 
  • वीर्य को अण्डे से न मिलने देकर 
  • उर्वरित अण्डे को कोख से न जुड़ने देकर।

यौनपरक सम्भोग के कितनी देर बाद तक आपातकालीन गर्भनिरोधक पिल्स लिए जा सकते हैं?
असुरक्षित यौनपरक सम्भोग के पहले 72 घन्टे में आपातकालीन गर्भनिरोधक उपाय किए जा सकते हैं फिर भी यही परामर्श है कि जल्दी से जल्दी ले लें।

आपातकालीन गर्भनिरोधक कितने प्रकार के होते हैं?
दो प्रकार के हैं 

  • (1) आपातकालीन गर्भनिरोधक पिल्स (ईसीपीस) 
  • (2) आई यू डीस

आपातकालीन पिल क्या होता है और इसका उपयोग कैसे होता है?
इस पील में लीवोनर्जेस्ट्रल नामक पदार्थ होता है जो कि आपातकालीन गर्भनिरोध के लिए काम में लाया जाता है। दो पिल दो बार में लेने होते हैं (एक परन्तु और दूसरा अगले 12 घन्टे के बाद) या दोनों पिल एक साथ भी लिये जा सकते हैं।

एक आईयूडी आपातकालीन गर्भनिरोधक के रूप में कैसे काम करता है?
यह आईयूडी 'टी' के आकार का प्लास्टिक से बना यन्त्र होता है जिसे कि सम्भोग के पांच दिनों के अन्दर अन्दर डाक्टर कोख में लगाता है। आई यू डी का काम होता है 

  • वीर्य को अण्डे से मिलने देकर
  • अण्डे को गर्भाशय से न मिलने देने से। आपके अगले पीरिययड के बाद डाक्टर आई यू डी को बाहर निकाल सकता है अथवा दस साल तक जनन नियंत्रण के लिए लगे भी रहने दिया जा सकता है।

आपातकालीन गर्भनिरोधक पिल के क्या कोई सह प्रभाव भी होते हैं?
आपातकालीन गर्भनिरोधक लेने पर पड़ने वाले अत्यन्त सामान्य सहप्रभाव निम्नलिखित हैं।

  1. मित्तली और उल्टी
  2. अनियमित योनिपरक रक्त स्राव
  3. थकावट
  4. सिर दर्द
  5. सिर घूमना
  6. स्तनों का ढीलापन।

पिल लेते समय मित्तली से कैसे निपटना चाहिए?
मित्तली कम करने के लिए

  • पिल लेने से पहले कुछ खा लेने की कोशिश करें।
  • दूसरी बार पिल्स लेने से उनके प्रभाव को कम करने के लिए मित्तली न होने देने वाली दवा लीजिए।
  • पिल्स को दूध या पानी के साथ लें।

क्या आपातकालीन गर्भनिरोधक हमेशा होते हैं?
हां, ये पर्याप्त प्रभावशाली हैं। यदि 100 महिलाएं आपातकालीन गर्भनिरोधक का उपयोग करें तो केवल एक गर्भवती होती है।

आपातकालीन गर्भनिरोधक लेते समय कौन से संकेत खतरे के माने जाते हैं जिनसे व्यक्ति को सावधान रहना चाहिए?
आपातकालीन गर्भनिरोधक लेने वाली कोई महिला यदि निम्नलिखित लक्षणों को महसूस करे तो उसे तुरन्त डाक्टर के पास जाना चाहिए।

  • पेट में तेज दर्द
  • आगे आने वाले पीरियड में सामान्य रूप से कम रक्त स्राव
  • यदि अगली माहवारी न हो।

मिनी पिल या प्रोजेस्टन मात्र क्या होते हैं?



प्रोजेस्टन मात्र क्या होते हैं?
प्रोजेस्टोजन ओनली या प्रोजेस्टिन ओनली पिल्स (पी ओ पी) ऐसा गर्भ निरोधक है जिसमें केवल सिन्थेटिक है और ओइसट्रोजन नहीं है। इन्हें मिनी पिल्स भी कहते हैं।

पी ओ पी कैसे काम करता है?
इस गर्भ निरोधक में तीन चीजें होती हैं।

  • पहले सामान्य गर्भनिरोधक की तरह, पीओपी आपके शरीर को यह एहसास देता है कि आप गर्भवती हैं और आप के अण्डकोश को अण्ड विसर्जन से रोकता है।
  • दूसरे, ये मिनी पिल्स आपकी कोख (जहां बच्चा पनपता है) में बदलाव ले आता है। (कि यदि अण्ड विसर्जन हो भी जाए तो आपका गर्भाशय उसे गर्भ धारण नहीं करने देता)
  • तीसरे, पी ओ पी से अण्डकोश और योनि के बीच का म्युकस गाढा हो जाता है (गर्भाशय के बाहर आने के लिए योनि एक द्वार है) गाढे म्युकस से अण्डे तक पहुंचने के लिए वीर्य को काफी कठिनाई झेलनी पड़ सकती है।

प्रोजेस्टीन ओनली पिल किन महिलाओं के लिए उचित है?
प्रोजेस्टीन ओनली पिल सामान्य जन्म निरोधक गोलियों से बेहतर होती है

  1. क्योंकि यदि आप स्तनपान करवा रही हैं तो यह आपके दूध बनने की प्रक्रिया को बदलता नहीं
  2. यदि आप 35 वर्ष से अधिक आयु के हैं
  3. जो महिलाएं धूम्रपान करती हैं।
  4. जिन्हें उच्च रक्तचाप रहता है
  5. वजन बहुत अधिक हो
  6. रक्त के थक्के बनते हों तो यह लाभदायक रहताहै।

प्रोजेस्टीन ओनली पिल किन महिलाओं को नहीं लेना चाहिए?

  • यदि आप किसी असामान्य गर्भधारण से गुजर चुकी हैं जिसमें भ्रूण गर्भाशय से बाहर था।
  • यदि आपको रक्तवाहिकाओं का कोई तीव्र रोग हो या असामान्य रूप से ऊंचाक्लोस्ट्रोल हो या अन्य रक्त परक फैट की समस्या हो
  • यदि आपको स्तन का कैंसर हो
  • यदि आपको योनि से रक्तस्राव हो रहा हो जिसका कारण पता न चल रहा हो तो डाक्टर अपने आप प्रोजेस्टीन ओनली पिल आप को देने से मना कर देगा।

प्रोजेस्टीन ओनली पिल लेने के बाद भी, क्या गर्भधारण हो सकता है?
प्रोजेस्टीन ओनली पिल को सही ढंग से लगातार लेने वाली 100 महिलाओं में से दो या तीन गर्भ धारण कर जाती हैं।

क्या प्रोजेस्टीन ओनली पिल से कुछ हानियां भी हो सकती हैं?
प्रोजेस्टीन ओनली पिल के निम्नलिखित सह प्रभाव हो सकते हैं

  • पीरियड्स के बीच धब्बे लगना या रक्त स्राव इसमें असुविधा तो होती है पर स्वास्थ्यपरक कोई खतरा नहीं होता। यदि लगे कि रक्त स्राव पहले से भारी है या उससे परेशान हों
  • वजन बढ़ जाए
  • स्तनों में ढीलापन लगे तो डाक्टर से परामर्श कर सकते हैं।

मिनी पिल को कैसे खाना चाहिए?
प्रत्येक पैकेट में 28 पिल्स होते हैं। प्रत्येक पिल में हॉरमोन होते हैं। रक्त स्राव के पांचवे दिने से इन्हें लेना शुरू करते हैं हालांकि, अगर आप पक्की तरह जानती हैं कि आपने गर्भधारण नहीं किया तो पीरियड चक्र में किसी भी समय शुरू किया जा सकता है।

पिल शुरू करने के एकदम बाद क्या सहप्रभाव पड़ सकते हैं?
जब आप पीओपी को पहले पहले शुरू करते हैं और जैसे ही शरीर को इसकी आदात पड़ती है आपके शरीर पर इसका कुछ प्रभाव दिखाई दे सकता है जैसे कि पीरियडस के बीच में ही रक्त स्राव होने लगना और सिर दर्द रहना। उनसे कोई खतरा नहीं होता और सामान्तः पहले दो महीने में ठीक भी हो जाती है। अगर ऐसे लक्षण दिखें जो कि बहुत देर तक चलने वाले हों या बहुत तीव्र हों तो डाक्टर से परामर्श करें।

यदि पिल लेना भूल जायें तो देर से लें तो क्या होता है?
  • यदि आप एक पीओपी लेना भूल गए हैं या तीन या उसके अधिक घन्टे की देर हो जाए तो याद आने के साथ ही उसे खा लें। उसके बाद नियमित समय पर पीओपी लेते रहें। ध्यान रखें कि अगले 48 घन्टे में अगर आप करें तो कंडोम जैसे अन्य सहायक साधन का इस्तेमाल जरूर करें।
  • यदि लगातार दो या अधिक पीओपी लेना भूल जायें, तो उसी समय शुरू कर दें और दो दिन तक दो पिल लेते रहें। अन्य सहायक साधनों का इस्तेमाल एकदम शुरू कर दें। यदि 4 से 6 हफ्ते में पीरियड शुरू न हो तो डाक्टर से मिलें।
  • यदि आपने असुरक्षित सम्भोग किया है, बिना सहायक साधन के सम्भोग और पीओपी लिये नहीं या देर से लिये हैं तो 4-6 हफ्ते तक पीरियड शुरू न होने पर डाक्टर सें आपातकालीन गर्भनिरोधक देने के लिए कहें, डाक्टर से मिलें।

गर्भनिरोधक गोलियां क्या होती हैं?



संयुकत मौखिक गर्भनिरोधक गोलियां क्या होती हैं?
संयुक्त मौखिक गर्भनिरोधक गोलियां जिन्हें सामान्यतः ‘ द पिल ’ कहा जाता है, वह औइस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रोन का सम्मिलन है - जिसे कि प्राकृतिक उर्वतकता को रोकने के लिए महिलाएं मुख से लेती है।

संयुक्त मौखिक पिल कैसे काम करता है?
इस पिल का कार्य मुख्यतः इस प्रकार होता है।

  1. शरीर मे हॉरमोन के सन्तुलन को बदल देता है जिससे कि प्राकृतिक रूप उत्पन्न शरीर में हॉरमोन वाला अण्डा उत्पन्न ही नहीं हो।
  2. ग्रीवा से निसृत म्युकस को गाढ़ा कर देता है जो कि ग्रीवा में “म्युकस प्लग” बना देता है जिससे कि वीर्य गर्भ में पहुंचकर अण्डे को उर्वर नहीं बना पाता।
  3. इस पिल में गर्भाशय का अस्तर पतला हो जाता है जिससे उर्वरित अण्डे का गर्भाशय से सम्पर्क कठिन हो जाता है।


संयुक्त मौखित पिल प्रभावशाली है?
इसका उपयोग यदि सही ढंग से किया जाए तो 99 प्रतिशत से अधिक प्रभावशाली होता है। सही ढंग का अर्थ है एक भी गोली लेने से न चूकना और सही समय पर गोली लेना।

पिल से क्या लाभ है?
पिल से लाभ निम्नलिखित हैं
  1. बहुत प्रभावशाली है
  2. सम्भोग में बाधा नहीं डालता
  3. पीरियडस अधिकतर हल्के, कम पीड़ादायक और अधिक नियमित हो जाते है। माहवारी से पहले वाला तनाव दूर हो जाता है।
  4. इससे स्तनों में होने वाले सुसाध्य रोगों से सुरक्षा प्राप्त होती है
  5. अण्डकोश में कुछ प्रकार के काइस्टस के खतरे को कम करता है।
  6. अण्डकोश और गर्भाशय में कैंसर विकास की आशंका को कम करता है।

क्या इस पिल से एस टी आई एवं एच आई वी एड्स से सुरक्षा प्राप्त होती है?
नहीं, इससे कोई सुरक्षा प्राप्त नहीं होती।

पिल के अन्य क्या प्रभाव हो सकते हैं?
पिल लेने वाली अधिकतर महिलाओं पर कोई अन्य प्रभाव नहीं पड़ता। हालांकि कुछ औरतों पर कुछ पड़ते भी हैं -
  • बीमार महसूस करना
  • सिर दर्द
  • स्तनों में सूजन
  • थकावट
  • सम्भोग भावना में परिवर्तन
  • त्वचा में बदलाव जैसे मुहासे और तेलीय त्वचा या त्वचा में रंजकता (पिगमैन्टेशन)
  • मूड में बदलाव
  • पीरियड के बीच रक्त स्राव या धब्बे लगना।

कुछ प्रभाव ऐसे होते हैं जिनमें तत्काल सावधानी की जरूरत होती है। इनमें शामिल है –
  • तेज सिर दर्द
  • छाती में एवं टांगों में भयंकर पीड़ा
  • टांगों में सूजन
  • श्वास लेनें में कठिनाई
  • यदि खांसी में खून आये
  • दृष्टि या वाणी में अचानक खराबी
  • भुजा या टां में कमजोरी या नमी।

किन परिस्थितियों में यह पिल नहीं दिया जाता?
निम्नलिखित परिस्थितियों में पिल नहीं दिया जाना चाहिए –
  1. यदि आप किसी रक्तवाहिनी से पहले थक्का (क्लॉट) आ चुका हो
  2. अत्यधिक मोटापा
  3. चल फिर न सकना (अर्थात व्हील चेयर के सहारे रहना)
  4. काबू से बाहर मधुमेह (
  5. उच्च रक्तचाप
  6. यदि आपके किसी नजदीकी रिश्तेदार को 45 वर्ष की आयु से पहले थरौमबोसिस, दिल का दौरा या लकवा (स्ट्रोक) हुआ हो।
  7. तेज माइग्रेन
  8. यदि आप 35 वर्ष से ऊपर के हैं तो धूम्रपान का इतिहास
  9. स्तनपान कराने वाली माताएं
  10. माइग्रेन का इतिहास होने पर।

पिल का प्रयोग कैसे होता है?
यह संयुक्त पिल सामान्यतः 28 पिल्स के पैकेट में आता है। माहवारी चक्र के पांचवे दिन से पहले पिल लेना होता है (माहवारी के पहले दिन को पहला मानकर चलें)
  • जहां (स्टार्ट) शुरू लिखा है उस ओर से गोलियां लेनी शुरू करें।
  • इक्कीस दिन तक हर रोज एक ही समय पर एक पिल लेते रहें
  • अन्तिम सात दिनों में आयरन रहता है। इसी दौरान माहवारी का समय हो जाता है।
  • फिर से नया पैकेट लेकर शुरू करें।

यदि कोई पिल लेना भूल जायें तो क्या करें?
  • यदि कोई एक पिल लेना भूल जायें तो, यह जरूरी है याद आते ही ले लें और अगला पिल पहले से निश्चित समय पर लें।
  • यदि लगातार दो पिल लेना भूल जाए, ... दो दिन तक दो दो पिल लें और फिर पहले की तरह लेने लगें।
  • यदि कोई तीन या उसके अधिक पिल लेना भूल जाए - तो पिल लेना बन्द कर दें और अगले माहवारी चक्र के शुरू होने तक कोई अन्य जन्म निरोधक लें। यदि माहवारी चक्र समय पर शुरू न हो तो डाक्टर के पास जाना जरूरी है।

यदि पिल लेते समय मितली महसूस हो तो क्या करना चाहिए?
पिल को रात के समय या खाने के साथ लें।

इसके प्रभाव स्वरूप यदि हल्का सिर दर्द हो तो उससे कैसे निपटना चाहिए?
इब्रफिन, पैरासिटामोल जैसी अन्य कोई पीड़ा निवारक दवा ले लेनी चाहिए।

स्परमिसिडिस क्या है?


स्परमिसिडिस रासायनिक पदार्थ है जो कि सम्भोग से पूर्व महिला की योनि में डाल दिए जाते हैं ये वीर्य के जीवाणुओं को निष्क्रिय कर देते हैं या मार देते हैं ये विविध गर्भनिरोधक पदार्थों के रूप में उपलब्ध हैं, जिसमें क्रीम, फिल्म, फोम जैली और अन्य तरल एवं ठोस गोलियां हैं जो योनि के अन्दर डालने पर घुल जाती हैं।

स्परमिसिडिस की प्रभविष्णुता क्या है?
इनकी कुशलता 80 से 85 प्रतिशत के बीच रहती है। यदि इन्हें मेकैनिकल अवरोधक साधनों जैसे कि कंडोम के साथ मिलाकर उपयोग मे लाया जाये तो इनकी कुशलता बढ़ जाती है।

स्परमिसिडिस किस प्रकार काम करते हैं?
ये जीवाणु को नष्ट कर देते हैं। या अचल कर देते हैं।

क्या एस टी आई और एच आई वी एड्स से स्परमिडिस कुछ हद तक सुरक्षा प्रदान करते हैं?
स्परमिडिस कुछ हद तक सुरक्षा दे सकते हैं पर ये सुरक्षा के लिए दी नहीं जाती। इसके विपरीत एन ओ एन ओ एक्स वाई एन ओ एल - 9 नामक स्ममिसिड का एच आई वी के खतरे वाले या गुदा परक कई बार प्रयोग करें तो टिशु उत्तेजित हो जाते हैं जिससे एच आई वी या अन्य टी डी की सम्भावनाएं बढ़ जाती हैं।

स्परमिसिड का प्रयोग कैसे करें?
पैकेट के ऊपर सही उपयोग के लिए विस्तृत आदेश लिखे रहते हैं इस प्रकार के पदार्थ का उपयोग करने से पहले ध्यान रखें कि आप आदेश पढ़ लें और समझ लें। सामान्यतः महिला बैठकर या पालथी मारकर इन्हें अपनी योनि में धीरे- धीरे गहरे में उतारती है। गर्भ निरोधक फोम्स, क्रीम्स, जैलिस, फिल्म और डालने वाली गोलियों को सम्भोग शुरू करने से पहले कम से कम दस मिनट चाहिए होते हैं ताकि वे घुल सकें। यह साधन डाले जाने के एक घन्टा बाद तक ही प्रभावशाली रहता है। जितनी बार योनि सम्भोग दोहराया जाए उतनी बार इसे डाला जाना चाहिए।

हस्तमैथुन क्या होता है?

हस्तमैथुन क्या होता है?
  • यौनपरक संवेदना के लिए जब व्यक्ति स्वयं उत्तेजना जगाता है तब उसे हस्तमैथुन कहा जाता है। हस्तमैथुन शब्द के प्रयोग से सामान्यतः यही समझा जाता है कि वह स्त्री या वह पुरूष जो कामोन्माद की चरमसीमा का तीव्र आनन्द पाने के लिए अपनी जननेन्द्रियों से छेड़छाड़ करता है। चरमसीमा का अभिप्राय उस परम उत्तेजना की स्थिति से है जिसेमें जननेन्द्रिय की मांस पेशयां चरम आनन्द देने वाली अंगलीला की कड़ी में प्रवेश करती हैं।

क्या हस्तमैथुन सामान्य बात है?
  • हां, हस्तमैथुन प्राकृतिक आत्म अन्वेषण की स्वभाविक प्रक्रिया और यौन भावाभिव्यक्ति है।


क्या यह सत्य है कि हस्तमैथुन 'सही सम्भोग' नहीं है। और केवल असफल लोग हस्तमैथुन करते हैं?
  • नहीं, यह सत्य नहीं है। कुछ यौन विशेषज्ञों के अनुसार जो लोग हस्थमैथुन करते हैं वे साथी के साथ यौन - सम्भोग करते समय बेहतर कार्य करतें हैं क्योंकि अपने शरीर को जानते हैं और उनकी कामाभिव्यक्ति सन्तुष्ट होती है।

क्या हस्तमैथुन से विकास रूक जाता है या गंजापन उम्र से पहले आ जाता है?
  • यह सही नहीं है।

स्त्री हस्तमैथुन कैसे करती है?
  • स्त्री अपनी योनि को हिलाना या रगड़ना शुरू करती है खासतौर पे वे अपने भगशिश्न को अपनी पहली या मध्यम अंगुली से हिलाती है
  • कभी कभी योनि के अन्दर १ या ज्यादा अंगुलिया डालकर उस हिस्से को हिलाना शुरू करती है। जिस स्थान पर जी बिन्दु या जी स्पाट होता है इसके लिए वे वाइब्रेटर,डिल्डो या बेन वा गेंदों का सहारा भी लेती है, बहुत सी महिलाए इसके साथ साथ अपने वक्षो को भी रगड़ती है ,कुछ महिलाए गुदा को भी उत्तेजित करती है, कचु इसके लिए चिकनाई का प्रयोग करती है लेकिन बहुत सी महिलाए प्राक्रतिक चिकनाई को ही काफी समझती है कुछ महिलाए केवल विचार और सोच मात्र कर के ही मदनोत्कर्श तक पहुँच जाती है, कुछ महिलाए अपनी टाँगे कस के बंद कर लेती है और इतना दबाव बना लेती है जिस से उन्हें यौनसुख अनुभव हो जाता है ये काम वे सार्वजनिक स्थानों पे बिना किसी की नजर में आए कर लेती है
  • इस क्रिया को महिलाए बिस्तर पे सीधी या उल्टी लेट कर कुर्सी पे बैठ कर ,खद्रे रह कर या उकदू बैठ कर करती है लेकिन वह क्रिया जिसे बिना शारीरिक समपर्क के पूरा किया जाता है इस श्रेणी में नही आती है

परस्पर हस्तमैथुन
  • जब स्त्री-पुरूष दोनो एक दूसरे को यौन सुख देने हेतु एक दूसरे का हस्तमैथुन करते है तो उसे यह नाम दिया गया है

जननेन्द्रिय में संक्रमण : कारण - निवारण


वल्वा में पीड़ा और खुजली किस कारण होती  है? 

  • वल्वा  क्षेत्र में पीड़ा खुजली, जलन एवं उत्तेजना का कारण जननेन्द्रिय में संक्रमण (इनफैक्शन)  हो सकता है या डरमैटईटिस, एक्जीमा जैसी त्वचा के असंक्रमाक रोग हो सकते हैं।  
त्वचा के असंक्रामक रोग जो कि वल्वल को पीड़ा या कष्ट देते हैं उनके कारण क्या हो सकते हैं?
  • औरत की वल्वा में त्वचा परक ऐसा रोग भी हो सकता है जो कि संक्रामक नही होता और सम्भोग के साथी को नहीं लगाता। जांघिए को धोने के लिए जो साबुन, दुर्गन्धनाशक और प्रक्षालक काम में लाया जाता है उससे जलन की बहुत सम्भावना रहती है।
वल्वा की त्वचा के रोगों का उपचार कैसे करें?
  • उपचार के लिए सामान्यतः ऐसी स्टीरॉयड क्रीम एवं प्रशासक औषधियों का उपयोग किया जाता है जो कि चिकनी हो और ऐसा मरहम लिया जाता है जो कि त्वचा को उत्तजित करने वाला न हो। जख्म को और फटी चमड़ी को नरम बनाने और आराम दिलाने के लिए इनका उपयोग किया जा सकता है और वल्वा की सफाई के लिए साबुन की जगह इनका उपयोग कर सकते हैं। क्रीम और लोशन के रूप में ये मिलते हैं और कैमिस्ट से बिना पर्ची लिखाये भी मिल जाती हैं।
वल्वल त्वचा की देखभाल महिला स्वयं कैसे करे?
  • यदि आपको यह समस्या है, या उसका अंदेशा है तो तंग माप के टाईटस या ट्राउसर मत पहनें। सिनथैटिक के जांघिये न पहने और कॉटन के भी ऐसे जांघिए पहने जो बहुत कसे हुए न हो। त्वचा को साफ करने के लिए हल्के साबुन का इस्तेमाल करें।
वल्वा में सूजन का सबसे अधिक सामान्य कारण क्या है?
  • वल्वा में सूजन के सबसे सामान्य कारण को बारथोलिनस काइसटस कहा जाता है। बारथोलिन ग्रन्थियां बहुत ही छोटी दो ग्रन्थियां हैं जो कि योनि द्वार के दोनों ओर होती हैं। उस ग्रन्थि मे छोटी नलिया होती हैं अगर वे त्वचा के अणु या स्राव से बन्द हो जायें तो उसमें पुष्टि बन सकती है (तरल द्रव्य से भरी थैली) यह पुष्टि मटर के दाने से लेकर गोल्फ की बॉल जैसी हो सकती है।
बारथोलिन काइसटस का उपचार कैसे होता है?
  • उपचार बहुत सी बातों पर निर्भर रहता है, पुष्टि का आकार, कितना पीड़दायक है, क्या संक्रमित है और आप का डाक्टर कौन सी उपचार विधि को चुनता है। कुछ तो एनटिवॉयटिक खाने मात्र से ठीक हो जाते हैं। कभी-कभी डाक्टर उसमें एक नली डालने का निश्चय कर सकते हैं। (मोटे धोग जैसी) वह नली 2 से 4 हफ्ते तक उसी जगह पर रहती है। इससे तरल पदार्थ बाहर बह जाता है और इससे योनि के दोनों पक्षों पर एक छोटा सा छेद हो जाता है 2-4 हफ्ते में उस नली को निकाल दिया जाता है।

कैरेट क्या है ?



कैरेट सिस्टम को किसी भी ज्वैलरी या सोने के आभूषण में मौजूद शुद्ध सोने की मात्रा जानने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। दूसरे शब्दों में , एलॉय में मौजूद सोने के हिस्से के आकलन की इकाई को कैरेट कहा जाता है। मसलन , 24 कैरेट गोल्ड को शुद्ध सोना माना जाता है। 

इसी तरह से अगर कोई ज्वैलरी या सोने का दूसरा आइटम 18 कैरेट का है तो इसका मतलब है कि उसमें 18 हिस्सा सोना है और 6 हिस्सा दूसरा मेटल का है। यानी कि 75 फीसदी शुद्ध सोने वाली ज्वैलरी को 18 कैरेट का माना जाता है। 

22 कैरेट गोल्ड ज्वैलरी का मतलब हुआ कि इसमें 22 भाग सोना है और 2 भाग दूसरा मेटल मौजूद है। कैरेट सिस्टम में 10 कैरेट को सबसे छोटी इकाई माना जाता है। 10 कैरेट गोल्ड का मतलब हुआ कि आइटम में 10 भाग सोना है और 14 भाग दूसरे मेटल का है।

ज्वैलर्स बताते हैं कि शुद्ध सोने (24 कैरेट ) की ज्वैलरी नहीं बनाई जा सकती है। इसलिए इसमें एलॉय यानी कि दूसरे मेटल मिलाए जाते हैं। 

एलॉय के रूप में सोने में कॉपर और सिल्वर मिलाए जाते हैं। ज्वैलर्स के मुताबिक , ' शुद्ध सोने को गलाकर उसमें एलॉय मिलाया जाता है। जितने कैरेट की ज्वैलरी की जरूरत होती है , सोने में उसी अनुपात में एलॉय मिला दिया जाता है। एलॉय मिलाने से सोने की ज्वैलरी बनाने में मदद मिलती है क्योंकि एलॉय की वजह से सोने को अलग - अलग आकार देना मुमकिन हो पाता है। 

' कीमती पत्थरों जैसे डायमंड के लिए कैरेट का मतलब उस पत्थर के वजन को दर्शाता है।

सर्दियां दस्तक देने वाली हैं



जल्द ही सर्दियां दस्तक देने वाली हैं। सर्दियों में क्लाइमेट ड्राई होने से बॉडी में नेचरल ऑयल कम होता जाता है। होंठ, हाथ- पैरों में ड्राईनेस और बालों में डैंड्रफ की समस्या बढ़ जाती है। ऐसे में जरूरी हो जाता है, कुछ ऐसे उपाय अपनाना जो त्वचा को फ्रेश और हेल्दी रखने में हेल्प कर पाएं :

  • सलाद में फ्लैक्स सीड्स का इस्तेमाल करें।
  • पालक और चुकंदर का जूस पीएं। यह स्किन में ग्लो लाने में मदद करता है।
  • रोजाना एक आंवला खाएं। आंवला बालों से लेकर स्किन शाइनिंग तक में फायदेमंद होता है।
  • रोजाना एक कच्चा टमाटर खाएं। यह स्किन को ग्लो करने में मदद करता है। यही नहीं, यह स्किन का मॉइश्चराइज बनाए रखने में भी मदद करेगा।
  • अगर आपको वेजीटेबिल जूस पसंद नहीं है, तो अमरूद, ऑरेंज का जूस या नारियल पानी पीएं। ये न केवल टेस्टी होते हैं, बल्कि विटामिंस से भी भरपूर होते हैं। पैकेट जूस अवाइड करें, इसकी जगह फ्रेश फू्रट जूस पीएं।
  • स्नैकिंग हेल्थ के लिए फायदेमंद होती है, अगर जरूरत के मुताबिक की जाए। अगर आप वेज हैं, तो फ्लैक्स सीड्स और नट्स का इस्तेमाल करें। दरअसल, नट्स विटामिन ई और प्रोटीन से भरपूर होते हैं और स्किन का लचीलापन बनाए रखते हैं। फू्रट चाट और स्प्राउट चाट भी लिया जा सकता है। दरअसल, स्प्राउट्स में विटामिन सी बहुत मात्रा में होता है।
  • अगर आपकी स्किन ड्राई है , तो रोजाना एक उबला अंडा खाएं। इसके अलावा , एक अंडे को जैतून के तेल में मिलाकर चेहरे पर लगाना भी फायदेमंद है।
  • फ्लेक्स सीड्स गर्म होते हैं। अगर इन्हें सर्दियों में सलाद के ऊपर डालकर खाया जाए , तो सलाद टेस्टी होने के साथ हेल्दी भी हो जाता है।
  • हाई फाइबर फूड मसलन , ओट्स और ओट ब्रेन को हफ्ते में एक बार खाने में शामिल करना जरूरी है। उपमा व पोहा भी ट्राई कर सकते हैं।
  • अगर आप चाहते हैं कि फूड हेल्दी भी हो और टेस्टी भी , तो खाने को फ्राई करने की जगह ग्रिल्ड करके खाएं।
  • फ्राई फिश की जगह ग्रिल्ड और तंदूरी फिश खाएं। यही चिकन के साथ करें। यह हेल्दी ऑप्शन तो है ही , आपके स्वाद को भी बरकरार रखता है।

शनि अपनी राशि बदल रहा है

आज से शनि अपनी राशि बदल रहा है इसका असर हर राशि वाले पर पड़ेगा। आज से सब के दिन बदल रहे हैं। अगर आज से ही कुंडली में शनि की स्थिति देखकर शनि के उपाय किए जाए तो किस्मत और पैसा दोनों से सुख मिलेगा। सभी उपाय कारगर और जल्दी असर करने वाले हैं। सभी उपाय बिना रूकावट के कम से कम 40 दिनों तक किए जाने चाहिए। एक बार में एक ही उपाय अपनाएं।




कुंडली में शनि पहले घर में हो तो...

- अच्छे स्वास्थ्य के लिए बड़ के पेड़ की जड़ों में दूध अर्पित करें और दूध से गीली हुई मिट्टी का तिलक करें।
- व्यवसाय की प्रगति के लिए काला सूरमा यानि काजल जमीन में गाड़ें।
- किसी जरूरतमंद को या ब्राह्मण या साधु-संत को तवा दान करें।
- नशा आदि से दूर रहें।
- बंदरों को चने आदि खिलाएं।

कुंडली में शनि दूसरे घर में हो तो...

- दूध या दही का तिलक करें।
- सांप को दूध पिलाएं।
- भैंस को रोज घास खिलाएं।

कुंडली में शनि तीसरे घर में हो तो...

- घर में किसी अंधेरी जगह पर धन, सोना, रुपए आदि रखें।
- काला और सफेद रंग के तीन कुत्ते पालें, घर बनेगा और सुख-समृद्धि बढ़ेगी।
- नशा, मांस से दूर रहें। बहते पानी में चावल बहाएं।
- घर की दहलीज में लोहे की कीलें गाड़ दें।

कुंडली में चौथे घर में हो तो...

- कौओं या भैंस को दूध-चावल या खीर बनाकर खिलाएं।
- सांप को दूध पिलाएं, शनि का दान तेल, उड़द, काले कपड़े का दान करें।
- हरे रंग से दूर रहे। काले वस्त्र ना पहने।
- मछली को चावल खिलाएं। किसी कुएं में दूध और चावल अर्पित करें।

कुंडली में शनि पांचवे घर में हो तो...

- घर के अंधेरे कमरे में हरे मूंग रखें।
- किसी मंदिर में 10 बादाम लेकर जाएं और 5 वहां चढ़ाकर 5 अपने घर में सुरक्षित स्थान पर रखें।
- मांस-मदिरा या बादाम का सेवन बिल्कुल ना करें।

कुंडली में शनि छठे घर में हो तो...

- एक बर्तन में तेल भरकर उसमें अपना मुंह देखें और पानी में बहा दें।
- सांप को दूध पिलाएं।
- नारियल या बादाम नदी में बहाएं।
- व्यवसाय की प्रगति के लिए बुध का उपाय करें।

कुंडली में शनि सातवें घर में हो तो...

- प्रभम भाव खाली है और शनि सातवें स्थान पर है तो बांसुरी में शकर भरे और सुनसान स्थान में गाड़ दें।
- काली गाय को घास खिलाएं, उसकी सेवा करें। बुराइयों एवं अधार्मिक कार्य से बचें।
- किसी बर्तन में शहद भरकर घर में रखें।

कुंडली में शनि आठवें घर में हो तो...

-चांदी धारण करें। नशा आदि बिल्कुल ना करें।
- किसी जरूरतमंद को तवा, चिमटा, अंगीठी का दान करें।
- 8 बादाम नदी में बहाएं।

कुंडली में शनि नवें घर में हो तो...

- अपने साथ दादा और पिता को अवश्य साथ रखें।
- पिली वस्तुओं का दान दें। चांदी रखें।
- घर की छत पर घास या लकड़ी बिल्कुल ना रखें।
- कोशिश करें की दो से ज्यादा मकान न बनाएं।

कुंडली में शनि दसवें घर में हो तो...

- प्रतिदिन चने की दाल पानी में प्रवाहित करें।
- मांस-मदिरा आदि से दूर रहे। अधार्मिक कार्यों से बचें।
- अंधों को रोज खाना खिलाएं।

कुंडली में शनि ग्यारहवें घर में हो तो...

- घर के अंधेरे भाग में 12 बादाम काले कपड़े में बांधकर रखें।
- मांस-मदिरा से दूर रहे।
- शुभ कार्य से पहले पानी का कलश भरकर घर में रखें।
- कोई भी अधर्म करने से बचें।

कुंडली में शनि बारहवें घर में हो तो...

- भैरव महाराज की पूजा करें।
- किसी भी तरह का अधर्म करने से बचें।
- मांस-मदिरा से दूर रहे।
- शनिवार को भैरव मंदिर में सरसो का तेल का दीपक लगाएं।
- घर के अंधेरे भाग में 12 बादाम काले कपड़े में बांधकर हमेशा रखें।