कैसे फैलता है डेंगू
प्रमुख शोधकर्ता लियोनिड वी. चेर्नोमोर्डिक की अध्यक्षता में किए गए इस शोध को पूरा किया गया। चेर्नोमार्डिक ने बताया कि -
- संक्रमण से पहले यह कोशिकीय झिल्ली को जकड़ लेता है।
- इसके बाद इंडोसोम की मदद से उसके अंदर प्रवेश करने की कोशिश करता है।
- इंडोसाम की संरचना एक पाउच की तरह होती है, जो डेंगू वायरस को फैलने में मदद करता है।
- कोशिकाओं को संक्रमित करने वाली प्रक्रिया में सबसे पहले यह साइटोसोल में आनुवांशिकी द्रव्य छोड़ता है।
- इसके बाद खुद को उसमें विकसित करना शुरू कर देता है।
- इससे पहले इसे खुद को इंडोसोम में स्थापित करना पड़ता है।
- इसी तहर जब दो झिल्लियां एक-दूसरे के पास आती हैं, तो यह खतरनाक वायरस एक छोटी-सी छिद्र से अंदर प्रवेश कर आनुवांशिक द्रव्य छोड़ता है।
- डेंगू वायरस बड़ी आसानी से रक्षात्मक झिल्लियों को भेद कर कोशिकाओं के बीच पहुंच कर उन्हें समाप्त करना शुरू देता है।
- ये झिल्लियां खतरनाक वायरस से हमारी कोशिकाओं की रक्षा करती हैं, लेकिन इंडोसोम में जाने के बाद इसे भेदना डेंगू वायरस के लिए ज्यादा मुश्किल नहीं होता है और यह बड़ी आसानी से पूरे शरीर में फैल जाता है।
- डेंगू बहुत ही खतरनाक वायरस है, जो कि मच्छरों के काटने से फैलता है। इस वायरस की चपेट में प्रतिवर्ष लगभग 100 मिलियन लोग आते हैं। प्रारंभिक स्तर में इससे संक्रमित हुए लोगों को बुखार होता है, जो धीरे-धीरे अन्य लक्षणों में तब्दील होता जाता है।
डेंगू के अन्य लक्षणों में
- फुंसी, जोड़ों में दर्द और खाने के प्रति अरुचि पैदा होना है।
- यदि समय रहते इसका इलाज नहीं करवाया जाता है, तो इसके लक्षण बढ़ते जाते हैं।
- जैसे - सांस लेने में परेशानी होना, जल्दी ही थकावट महसूस करना, मसूड़ों और नाक से खूना आना, परिसंचारी तंत्र का टूटना आदि इसके जटिल लक्षण हैं।
- खतरनाक स्तर पर पहुंचने के बाद डेंगू के ये लक्षण महसूस होने लगते है।
- प्रतिवर्ष करीब 22,000 लोग इस खतरनाक वायरस की चपेट में आने से मरते हैं। इनमें सर्वाधिक संख्या बच्चों की होती है।
शोधकर्ताओं ने बताया कि डेंगू वायरस मुख्य रूप से दो परिस्थितयों में हमारे शरीर में फैलता है।
1 comment:
बहुत अच्छी प्रस्तुति .
श्री दुर्गाष्टमी की बधाई !!!
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